पन्तनगर विश्वविद्यालय में लम्पी स्कीन बीमारी की रोकथाम को लेकर बैठक आयोजित

पन्तनगर विश्वविद्यालय में लम्पी स्कीन बीमारी की रोकथाम को लेकर बैठक आयोजित

उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जनपदों चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, चम्पावत, अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी गढ़वाल आदि में गाय एवं भैसों में लम्पी स्कीन बीमारी अपने पैर पसार रही है। लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है।

उत्तराखंड राज्य के पर्वतीय जनपदों चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, चम्पावत, अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी गढ़वाल आदि में गाय एवं भैसों में लम्पी स्कीन बीमारी अपने पैर पसार रही है। समीपवर्ती जनपदों में इस बीमारी के दृष्टिगत पन्तनगर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक डेरी फार्म पर पालित गायों एवं भैसों में लम्पी बीमारी की प्रभावी रोकथाम हेतु विश्वविद्यालय कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान के निर्देशानुसार, अधिष्ठाता, पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान महाविद्यालय की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आहूत की गयी। बैठक में गायों एवं भैसों में लम्पी बीमारी की प्रभावी रोकथाम हेतु शैक्षणिक डेरी फार्म पर की जा रही तैयारियों का जायजा लिया गया।

लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है।

संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डेरी फार्म द्वारा अवगत कराया गया कि डेरी फार्म पर पालित तीन माह से ऊपर के सभी पशुओं का लम्पी बीमारी हेतु वार्षिक टीकाकरण (गोट-पॉक्स टीका) माह सितम्बर 2022 में पूर्ण किया जा चुका है। यह टीका पशु को एक वर्ष की प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है। आगामी एक से दो दिनों में डेरी फार्म पर पालित तीन माह से ऊपर के सभी पशुओं में लम्पी बीमारी से बचाव हेतु द्वितीय चरण (बूस्टर डोज) का टीकाकंरण प्रारम्भ किया जायेगा, जिसको एक सप्ताह के अन्दर पूर्ण कर लिया जायेगा। वर्तमान में डेरी फार्म पर सभी पशु स्वस्थ हैं एवं फार्म पर आवश्यक औषधियां, टीका, कीटाणु रोधक लोशन आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

भविष्य के लिये कुछ और औषधियों, रसायनों आदि के क्रय हेतु प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेजा जा रहा है। बीमारी की रोकथाम हेतु सभी जैव सुरक्षा उपाय जैसे पशुओं के बाड़ों में फॉगिंग, फ्यूमिगेशन आदि किया जा रहा है। इसके साथ-साथ डेरी फार्म में बाहरी व्यक्तियों और किसानों की आवाजाही पर पूर्ण रोक रहेगी, केवल फार्म की अतिआवश्यक दैनिक गतिविधियां केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप जारी रहेगी।

अधिष्ठाता द्वारा बताया गया कि विश्वविद्यालय कुलपति के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय, पशुपालन विभाग उत्तराखंड़ के लगातार सर्म्पक में है। पशुचिकित्सा महाविद्यालय के अन्तिम वर्ष के इर्न्टनशिप छात्रों को पन्तनगर विश्वविद्यालय की परिधि में पालित पशुओं के टीकाकंरण अभियान में उत्तराखंड़ पशु पालन विभाग के सहयोग हेतु भेजा जायेगा एवं निकटवर्ती क्षेत्र में पशु पालन विभाग के साथ पशुचिकित्सा शिविरों में सहयोग देने को भी पशुचिकित्सा महाविद्यालय की चिकित्सकीय टीम तैयार रहेगी।

इस बैठक में अधिष्ठाता, पशु चिकित्सा महाविद्यालय डा. एस.पी. सिंह, विभागाध्यक्ष वी.पी.एच., डा. ए.के. उपाध्याय, विभागाध्यक्ष वी.एम.डी., डा. जे.एल. सिंह, सयुक्त निदेशक डेरी फार्म डा. एस. के. सिंह, सहायक निदेशक डेरी, सहायक निदेशक कुक्कुट एवं डेरी फार्म पशु चिकित्सालय अधीक्षक डा. संदीप तलवार आदि उपस्थित रहे।

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