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सरोकार – Hill Mail https://hillmail.in Wed, 01 May 2024 07:12:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://i0.wp.com/hillmail.in/wp-content/uploads/2020/03/250-X-125.gif?fit=32%2C16&ssl=1 सरोकार – Hill Mail https://hillmail.in 32 32 138203753 एनडीएमए के सदस्य ले. जनरल सैयद अता हसनैन ने परखीं चारधाम यात्रा की तैयारियां https://hillmail.in/member-of-ndma-general-syed-ata-hasnain-examined-the-preparations-for-chardham-yatra/ https://hillmail.in/member-of-ndma-general-syed-ata-hasnain-examined-the-preparations-for-chardham-yatra/#respond Wed, 01 May 2024 07:12:13 +0000 https://hillmail.in/?p=49114 आगामी चारधाम यात्रा की आपदा प्रबंधन की दृष्टि से तैयारियों को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) की ओर से आयोजित टेबल टॉप एक्सरसाइज में ले. जनरल सैयद अता हसनैन ने कहा कि चारधाम यात्रा से जुड़े जनपदों में 2 मई 2024 को मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है। इस ड्रिल का उद्देश्य चारधाम यात्रा की तैयारियों को पुख्ता करना है ताकि यात्रा में किसी तरह का व्यवधान न आए और हादसों में जान-माल के नुकसान को कम से कम किया जा सके।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इन दिनों जंगलों की आग ने चिंताएं बढ़ा रखी हैं और एनडीएमए लगातार इन घटनाओं पर नजर बनाए हुए है और यूएसडीएमए के लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा और जम्मू-कश्मीर की अमरनाथ यात्रा प्रमुख धार्मिक यात्राएं हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर को एक मंच पर आकर धार्मिक यात्राओं को आयोजित करने के अनुभवों को साझा करना चाहिए ताकि और अच्छे ढंग से इन यात्राओं का संचालन किया जा सके। उन्होंने आपदाओं से निपटने में उत्तराखंड सरकार और यूएसडीएमए के प्रयासों की सराहना की। कहा, जिस तरह से सिलक्यारा टनल हादसे में आपदा प्रबंधन विभाग ने कार्य किया, वह बहुत सराहनीय है।

सभी विभागों के बीच आपसी सामंजस्य जरूरी

इंडियन कोस्ट गार्ड के पूर्व डीजी तथा एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए सभी विभागों के बीच आपसी सामंजस्य होना जरूरी है। चारधाम यात्रियों को सभी जरूरी जानकारियां दी जानी चाहिए। सभी संबंधित विभागों को एसओपी बनानी चाहिए ताकि उनका पालन कर तीर्थयात्री एक सुरक्षित माहौल में अपनी यात्रा कर सकें। उन्होंने तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए आपदा मित्रों की मदद लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि वे आज दिल्ली में उत्तराखंड में वनाग्नि को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक में शिरकत कर रहे हैं और एनडीएमए लगातार उत्तराखंड में जल रहे जंगलों की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। राज्य को इससे निपटने के लिए हर तरह की सहायता प्रदान की जाएगी।

सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास तथा यूएसडीएमए डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि उत्तराखंड के लिए चारधाम यात्रा का महत्व काफी बड़ा है। यह आस्था के साथ-साथ तीर्थाटन, पर्यटन तथा आर्थिकी का आधार भी है। यूएसडीएमए का उद्देश्य चारधाम यात्रा को पूरी तरह से सुरक्षित बनाना है। इन्हीं तैयारियों को 2 मई को प्रस्तावित मॉक ड्रिल के जरिये परखा जाएगा और अगर कहीं कोई गैप रहेगा तो तुरंत उसे दूर किया जाएगा।

इस मौके पर एनडीएमए वरिष्ठ सलाहकार मेजर जनरल सुधीर बहल, कर्नल नदीम अरशद (अप्रा), कर्नल केपी सिंह, सचिव पंकज कुमार पांडेय, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (प्रशासन) यूएसडीएमए आनंद स्वरूप, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (परिचालन) यूएसडीएमए/ डीआईजी राजकुमार नेगी, आईजी गढ़वाल करन सिंह नगनयाल, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मो. ओबैदुल्लाह अंसारी, अधिशासी निदेशक यूएसडीएमए डॉ. पीयूष रौतेला के साथ ही अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

शैडो एरिया में नेटवर्क को मजबूत करें

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बीएसएनएल को निर्देश दिए कि चारधाम यात्रियों की सुविधा तथा किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए शैडो एरिया, जहां नेटवर्क या कनेक्टिविटी की दिक्कत है, वहां इसका समाधान किया जाए। उन्होंने बीआरओ के प्रतिनिधियों से कहा कि जोशीमठ स्थित ज्वाइंट कंट्रोल रूम में बेहतर समन्वय के लिए बीआरओ से किसी कर्मचारी की तैनाती की जाए। उन्होंने कहा कि बीआरओ, एनएच, लोक निर्माण विभाग आदि विभागों को स्पष्ट होना चाहिए कि सड़क का कौन सा हिस्सा किसके पास है ताकि रोड ब्लॉक होने पर भ्रम की स्थिति कतई न रहे।

जिलों ने बताया, तैयार हैं हम

टेबल टॉप एक्सरसाइज में सभी जिलों ने आगामी चारधाम यात्रा तथा मॉक ड्रिल को लेकर अपनी तैयारियों का खाका पेश किया। बीकेटीसी से रमेश रावत ने बताया कि यात्रा के सुगम संचालन के लिए भूतपूर्व सैनिकों तथा स्वयं सेवकों की सहायता ली जा रही है। सीडीओ चमोली अभिनव शाह ने बताया कि इस बार पांडुकेश्वर में ही यात्रियों का पंजीकरण और जांच की जा रही है। पहले यह बदरीनाथ धाम में ही होती थी, जिससे धाम में जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती थी। इस बार व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। जिलाधिकारी उत्तरकाशी मेहरबान सिंह बिष्ट, रुद्रप्रयाग के अपर जिलाधिकारी श्याम सिंह राणा, देहरादून की सीडीओ झरना कमठान के अलावा मौसम केंद्र, देहरादून, एनडीआरएफ, एयर फोर्स, यूटीडीबी, बीआरओ, पीडब्ल्यूडी आदि विभागों के अफसरों ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर अपना प्लान पेश किया।

एनडीएमए ने परखी जिलों की तैयारियां

टेबल टॉप एक्सरसाइज के जरिये एनडीएमए के वरिष्ठ सलाहकार मेजर जनरल सुधीर बहल ने चारधाम यात्रा को लेकर जिलों की तैयारियों को परखा। उन्होंने यात्रा के दौरान भगदड़, चारधाम यात्रियों को मेडिकल इमरजेंसी, बस दुर्घटना, बाढ़, भूस्खलन, मौसम संबंधी एलर्ट मिलने पर कैसे राहत और बचाव कार्य किए जाएंगे, इसे लेकर जिलों की कार्ययोजना की समीक्षा की।

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प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की कला ही वास्तु शास्त्र है – आचार्य सुशील बलूनी https://hillmail.in/vastu-shastra-is-the-art-of-living-life-in-harmony-with-nature-acharya-sushil-baluni/ https://hillmail.in/vastu-shastra-is-the-art-of-living-life-in-harmony-with-nature-acharya-sushil-baluni/#respond Mon, 29 Apr 2024 11:23:41 +0000 https://hillmail.in/?p=49077 इस कथा कार्यक्रम में आज के मुख्य अतिथि विधायक तरबगंज प्रेम नारायण पाण्डेय तथा डॉ. एस. के. सिंह, राज्य सलाहकार, (उत्तर प्रदेश सरकार) रहे। कथा व्यास आचार्य सुशील बलूनी ने सभी सुनने वालें तथा बजाज परिवार का इस आयोजन को करवाने के लिए धन्यवाद देते हुए अगले छः दिनों के कार्यक्रमों के बारे में श्रोताओं को अवगत कराया।

प्रथम दिवस आचार्य सुशील बलूनी ने बताया कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन को जीने की कला ही वास्तु शास्त्र है। वास्तु शास्त्र में आध्यात्मिक व प्रयोगात्मक पक्षों पर विशेष चर्चा हुई। प्रभु श्रीराम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आचार्य सुशील बलूनी ने समभाव में कैसे जीवन को जीना चाहिए तथा माताओं, बहनों को अपना समग्र विकास कर अपनी संतानों व समाज में कैसे संस्कार प्रेषित करने चाहिए, इस पर श्रद्धालुओं को अवगत कराया गया।

कथा के बीच में यूनिट के बच्चों ने सुन्दर प्रस्तुति दी तथा पूरे मनोभाव से कथा में भाग लिया। वहीं यूनिट हेड पी.एन. सिंह एवं जोनल एच.आर. हेड एन.के. शुक्ला ने संयुक्त रूप से बताया कि प्रतिदिन सायंकाल 4.00 बजे से हरि इच्छा तक कथा चलेगी।

आचार्य सुशील बलूनी ने श्रृष्टि के निर्माण में विष्णु जी तथा योग माया के बारे में बताते हुए कहा कि वास्तु पुरूष के वैज्ञानिक विषयों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सनातन परंपरा में किस प्रकार भवन, राजप्रासाद, मंदिर तथा विद्यालयों के निर्माण के साथ-साथ कैसे नगरों के निर्माण में भी वास्तुशास्त्र का उपयोग किया जाता था।

इसके अतिरिक्त चौरासी लाख योनियों की चर्चा करते हुए आचार्य सुशील बलूनी जी ने कहा कि ‘आत्मा के परिष्कृत होने में प्रकृति उसको परिष्कृत करने के लिए कितने क्रिया कलापों से गुजरती है’ आत्मा पाषाणों से लेकर वृक्षों, जलचर, थलचर, उभयचर, नभचर फिर चतुष्पाद व द्विपाद तक की अपनी क्लिष्ट यात्रा को कैसे-कैसे पार करती है। अन्योन्य जीवों में मानव किस प्रकार भिन्न है कथा में आचार्य सुशील बलूनी जी ने आत्मा-परमात्मा से संबंधित अनेकों मार्मिक किन्तु गूढ़ विषयों पर चर्चा की। कथा समापन से पूर्व दिशाओं, कोणों, ब्रह्म स्थान, भवन वास्तु, व्यावसायिक वास्तु, कृषि वास्तु तथा संयंत्र वास्तु संबंधी नियमों पर भी प्रकाश डाला गया है। आखिरी दिन आरती व भजनों के साथ कथा का समापन किया गया।

कथा में जीएम केन एन.के. दुबे, उत्पादन हेड राघवेन्द्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ गन्ना प्रबंधक निखिलेश सिंह, सुरक्षा प्रमुख धर्मेन्द्र मिश्रा, कमलेश कुमार, राम मूरत पाठक, अखिलेश तिवारी, अवधराज सिंह, द्वारिका प्रसाद तिवारी, निर्भय सिंह, मथंकर सिंह, सत्येंद्र सिंह, विक्रम सिंह, अरूणेश कुमार यादव, दिलीप कुमार सिंह, प्रहलाद, विष्णु पाण्डेय, परमेश्वर दत्त मिश्र, बबलू प्रधान, चीनी मिल के अधिकारियों, कर्मचारियों सहित सैकड़ों माताओं, बहनों व बच्चों ने कथा का श्रवण किया।

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जानेमाने राजनेता, साहित्यकार व शिक्षाविद स्व. कुलानन्द भारतीय के जन्म शताब्दी पर पुस्तक लोकार्पण https://hillmail.in/well-known-politician-litterateur-and-educationist-late-book-launch-on-the-birth-centenary-of-kulanand-bhartiya/ https://hillmail.in/well-known-politician-litterateur-and-educationist-late-book-launch-on-the-birth-centenary-of-kulanand-bhartiya/#respond Mon, 29 Apr 2024 05:41:16 +0000 https://hillmail.in/?p=49065 सी एम पपनैं

मूर्धन्य साहित्यकार एवं प्रबुद्ध शिक्षाविद स्व. कुलानन्द भारतीय की जन्म शताब्दी (1924-2024) के सु-अवसर पर डिप्टी स्पीकर हाल कांस्टीट्यूशन क्लब में 28 अप्रैल को मंचासीन मुख्य अतिथि पद्मभूषण डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी तथा विशिष्ट अतिथियों में पूर्व राज्यसभा सांसद जनार्दन द्विवेदी, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष दिल्ली विधानसभा डॉ. योगानन्द शास्त्री, उप कुलपति दिल्ली शिक्षक विश्वविध्यालय दिल्ली सरकार डॉ. धनंजय जोशी तथा सचिव दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग दिल्ली सरकार कुलानन्द जोशी (आईएएस) के कर कमलों “मानवीय मूल्यों को समर्पित एवं प्रेरक व्यक्तित्व स्व. श्री कुलानन्द भारतीय” पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

स्व. कुलानन्द भारतीय जन्म शताब्दी समिति भारती शिक्षण संस्थान द्वारा आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह का श्रीगणेश मंचासीन अतिथियों के कर कमलों दीप प्रज्वलित कर तथा आयोजन समिति द्वारा मुख्य व विशिष्ट अतिथियों का स्वागत अभिनंदन शाल ओढ़ा कर तथा पौंध के गमले व स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया।

आयोजन के इस अवसर पर समिति प्रमुख संजय भारतीय द्वारा सभी मंचासीन अतिथियों व सभागार में उपस्थित शिक्षा, साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और सामाजिक जीवन से जुड़े सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनंदन कर कहा गया, आज का दिन गौरवशाली दिन है। “मानवीय मूल्यों को समर्पित एवं प्रेरक व्यक्तित्व स्व. श्री कुलानन्द भारतीय” पुस्तक का लोकार्पण डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी के कर कमलों संपन्न होना उनकी समिति के लिए गौरव की बात है। अवगत कराया गया, पुस्तक के संपादक रमेश कांडपाल हैं।

मूर्धन्य साहित्यकार एवं प्रबुद्ध शिक्षाविद स्व. कुलानन्द भारतीय के कृतित्व व व्यक्तित्व पर मंचासीन विशिष्ट अतिथियों द्वारा विचार व्यक्त कर कहा गया, एक छोटे से गांव से निकल कर देश की राजधानी दिल्ली में इतना बड़ा मुकाम कुलानंद भारतीय जी ने हासिल किया था। सद्गुण व सद विचारों से असंभव को संभव बनाने में वे सिद्धहस्त थे, तभी इतिहास पुरुष बने। उन्होने अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत किया। वे राजनेता से पूर्व अपने को शिक्षक मानते थे। ओजस्वी व्याख्यान देते थे। वे राष्ट्रीय एकता एवं राष्ट्रीय प्रेम के उपासक थे। उनका यही राष्ट्रप्रेम उनकी रचनाओं में दृष्टिगत होता था। एक साहित्यकार के रूप में भारतीय जी ने कविता, लेख, उपन्यास, संस्मरण इत्यादि इत्यादि विधाओं में अपनी लेखनी चलाई। फर्श से अर्श तक की विकास यात्रा उन्होने पूर्ण की थी।

प्रबुद्घ वक्ताओं ने कहा, कुलानन्द भारतीय जी अधिकांशतया राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय रहे, किंतु राजनीति के दुष्चक्र से वे सदेव दूर रहे। यह उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। वक्ताओं द्वारा अवगत कराया गया, 1952 शक्ति नगर दिल्ली में कुलानंद भारतीय द्वारा विद्यालय की स्थापना की गई थी। 1969 में वे दिल्ली युवा कांग्रेस राष्ट्रीय एवं 1971 से 1980 तक जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केंद्र के अध्यक्ष रहे थे। 1962 से 1975 तक नगर निगम सदस्य रहे, साथ ही कई समितियों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष पदों को उन्होंने सुशोभित किया था। 1972 से 1975 तक वे विद्वत परिषद के सदस्य रहे थे। 1983 से 1990 तक दिल्ली प्रशासन शिक्षा विभाग में कार्यकारी पार्षद (शिक्षा मंत्री) रहे थे। वक्ताओं द्वारा कहा गया, एक शिक्षामंत्री के रूप में कुलानंद भारतीय द्वारा भारत की शिक्षा व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन करने हेतु तथा शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने में मत्वपूर्ण योगदान दिया गया था। उनके अथक परिश्रम के फलस्वरुप देश में शिक्षा की उन्नति हुई थी।

प्रबुद्घ वक्ताओं ने कहा, गांधी जी के आदर्श व उद्देश्य पर संचालित स्कूल प्रेम विद्यालय ताड़ीखेत (रानीखेत) की स्वरोजगार से जुड़ी शिक्षा पद्धति से वे सदा प्रभावित रहे थे। देश की आजादी के आंदोलन में भागीदारी की थी। आजीवन खादी के कपड़े पहन कर खादी को अहमियत दी थी। कुलानन्द भारतीय जी ने कठिन परिस्थितियों में जीवन जी कर जन के अभावों व चुनौतियों को समझा था। वे सामाजिक आंदोलनों में अहिंसक भाव से संघर्ष किया करते थे। साहित्यिक, सामाजिक कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति सहज रहती थी। वे कोई मुद्दा नहीं रखते थे, जो उनकी सहजता का पक्ष रखता था।

प्रबुद्ध वक्ताओं द्वारा कहा गया, आज अगर मुद्दों पर संघर्ष किया जा रहा है, तो समझना होगा आंतरिक विकास कितना हुआ है? आज राजनैतिक स्वार्थ बढ़ने से बदलाव हुआ है। कुलानन्द भारतीय जी सचमुच भारतीय थे। उन्होने उस जमाने में प्रतिमान हासिल किया था, जब वे कुछ नहीं थे। वे संघर्ष के बल आगे बढ़े थे। उनका जीवन मूल्यों को समर्पित था। उनके जीवन दर्शन को शब्दों में सीमित नहीं किया जा सकता, इतने गुण थे उनमें। व्यक्ति चला जाता है, उसके विचार नहीं जाते हैं। भारतीय जी के विचार दर्शन को आगे बढ़ाना होगा। आज की पीढ़ी का दायित्व बनता है। उनके आदर्शो, विचारों, संस्कारों को अपने जीवन में उतारें।

आयोजन मुख्य अतिथि भाजपा वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा, मेरे दृष्टि से आयोजित कार्यक्रम का महत्व है। कुलानन्द भारती अल्मोड़ा जिले के जिस गांव में पैदा हुए थे वह क्रांतिकारियों का गांव था। सल्ट और स्याल्दे में जाकर स्वाधीनता की लड़ाई में अंग्रेजों को उन गांवो में गोलियां चलानी पड़ी थी, इस घटना से उन गांवों के आंदोलन को समझा जा सकता था। उन्होंने कहा, एक समय था उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल के इन गांवों में कुछ नही था। जाना कठिन था। स्वाधीनता सेनानियों ने त्याग किया था, बलिदान दिया था। कुलानंद भारतीय जी के माध्यम से उन स्वाधीनता सेनानियों को याद करता हूं, श्रद्धांजलि देता हूं।

डॉ. जोशी ने कहा, सच है, आज के वातावरण में कुलानन्द भारतीय राजनीति में रह सकता है, असंभव है। भारतीय जी समाज के लिए समर्पित थे, ऐसे व्यक्ति आज ढुढ़े नहीं मिल सकते हैं। उस समय समर्पित लोग राजनीति में होते थे। उन्होंने कहा गया, कुलानन्द भारतीय का मुख्य कार्य था राजधानी दिल्ली में संस्कृत अकादमी की स्थापना करवाना। संस्कृत को उसका उचित स्थान मिले जानना जरूरी है, उनकी यह सोच रही। डॉ. जोशी ने कहा, विश्वगुरु हम बन सकते हैं, संस्कृत का अध्ययन, उन्नयन सबसे महत्वपूर्ण है। अंग्रेजों ने संस्कृत को भारत के जीवन से हटाया। दुनिया के विद्वानों ने कहा, भारत विश्वगुरु है। किसी देश के विद्वान ने अपने रचित ग्रंथ में कहा था, सबसे विद्वान देश भारत है, समस्त विद्याओं का ज्ञाता है। भारत के लोग जो जानते हैं उसका अपने ग्रंथ में बखान किया।

उन्होंने कहा, हम जिस कालखंड में विश्वगुरु कहे जाते थे उसे जानना होगा। आज हम स्वयं कहे हम विश्वगुरु हैं, बात अलग है। अंग्रेजों ने भारत की संस्कृति व संस्कृत को सबसे पहले नष्ट किया था। अंग्रेजों ने अंग्रेजी के पठन-पाठन को हर विषय में बल दिया। हमारा संविधान कहता है, हम जो भी शब्द लेते हैं, उनका श्रोत संस्कृत है। वहीं से हर विषय के शब्द लिए जा सकते हैं। संस्कृत को स्मरण करना चाहिए जो आवश्यक भी है।

डॉ. जोशी ने कहा, भारत तब विश्वगुरु था जब वेद उपनिषद पढ़े जाते थे। उन्हीं ग्रंथो से भारत विश्वगुरु कहलाया जाता था। वेद का ज्ञान बताने वाले ब्राह्मण हैं। विज्ञान का मूल श्रोत भी संस्कृत है। हर राष्ट्र का मूल खोजने पर संस्कृत ही मिलेगी। भारतीय संस्कृति को कुलानन्द भारतीय के दृष्टिकोण से देखना होगा, जानना होगा, आप क्या थे? कहा गया, साहित्य से संस्कृत को निकाल देंगे, तो क्या मिलेगा? आवश्यकता है, इस बात को जानने की भारत क्या है ? क्या था ? आज कहां तक जा सकता है?

उन्होंने कहा, देश की राजधानी दिल्ली में कुलानंद भारतीय द्वारा संस्कृत अकादमी की स्थापना करना दूरदर्शी सोच थी। जो उद्देश्य के लिए खोली गई थी, जिससे भारत की आत्मा को जाना जा सके। कहा गया, भारतीय ज्ञान परंपरा व्यापक है, भारतीय शिक्षा प्रणाली में। जिन्होंने शिक्षा नीति लिखी है, उन्हें ही मालूम नहीं है। हमारे देश की जो न्याय पद्धति चलती थी उसका अता पता नहीं है। ब्रिटिश कानून चलायमान हैं। डॉ. जोशी ने कहा, कुलानान्द भारतीय जी ने बताया संस्कृत के बिना भारत का ज्ञान अधूरा व असंभव है। संविधान निर्माण के वक्त भी संविधान की भाषा संस्कृत हो जोर दिया गया था। तब मौका था अगर कुछ बड़े कद के लोग संस्कृत भाषा का समर्थन करते तो बात कुछ और होती। देवनागिरी को माना गया जिससे काम चल रहा है। कहा गया, हमें की गई गलतियों के बावत सोचना चाहिए। जो बीज बोया था आगे बढ़ेगा। समय आयेगा आगे आना ही होगा। तभी व्यवस्थाए ठीक होंगी।

डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा, उपभोग पर आधारित व्यवस्थाए विनाशकारी हैं। विकास को और उपभोग को समानार्थी मान लिया जाए यह और भी ज्यादा विनाशकारी है। प्रतिस्पर्धा के दौर में एक दूसरे को पटकनी देकर ही मात दी जा सकती है। व्यवस्थाए संयुक्त राष्ट्र की देन हैं वही रोक रहा है पटकनी को। आज का दर्शनशास्त्र विनाशकारी है। जो प्रेरित नहीं कर सकता यह अधिक से अधिक संघर्ष करने को प्रेरित करता है। उन्होंने कहा गया, राह उपनिषद से मिलेगी। वक्तव्य स्माप्त करने से पूर्व डॉ. जोशी ने कहा, स्मरण करता हूं, कुलानंद भारतीय के आदर्शो को साकार करने की शक्ति मिले, प्रार्थना करता हूं। उन्हें श्रद्धांजलि।

सभी मंचासीन अतिथियों व खचाखच भरे डिप्टी स्पीकर हाल में उपस्थित प्रबुद्घ जनों का आयोजन में सम्मिलित होने हेतु आभार व्यक्त करने तथा आयोजित कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा करने से पूर्व लोकार्पित पुस्तक संपादक रमेश कांडपाल द्वारा अवगत कराया गया, उत्तराखंड में भी संस्कृत अकादमी की स्थापना कुलानंद भारतीय की सलाह पर ही राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा की गई थी। आयोजित जन्म शताब्दी कार्यक्रम का प्रभावशाली मंच संचालन प्रमोद घोड़ावत द्वारा बखूबी किया गया। राष्ट्रीय गान के के साथ आयोजित जन्म शताब्दी आयोजन का समापन हुआ।

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रंग लाई अनिल बलूनी की पहल, गढ़वाल के कई क्षेत्रों में भारती एयरटेल लिमिटेड लगायेगी मोबाइल टॉवर https://hillmail.in/anil-balunis-initiative-bore-fruits-bharti-airtel-limited-will-install-mobile-towers-in-many-areas-of-garhwal/ https://hillmail.in/anil-balunis-initiative-bore-fruits-bharti-airtel-limited-will-install-mobile-towers-in-many-areas-of-garhwal/#respond Mon, 15 Apr 2024 05:27:53 +0000 https://hillmail.in/?p=48954 उत्तराखंड में 19 अप्रैल को लोकसभा का चुनाव होना है इसके लिए सभी पार्टियों ने अपना चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। इन चुनावों में यहां के आम लोगों ने जनप्रतिनिधियों को अपनी कई समस्याओं के बारे में बताया है जिसमें से एक समस्या यहां पर मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी भी है।

लोगों की इस समस्या को दूर करने के लिए गढ़वाल लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी अनिल बलूनी ने इसका संज्ञान लिया और इस समस्या को दूर करने के लिए भारती एयरटेल लिमिटेड को पत्र लिखा। उसके बाद भारती एयरटेल लिमिटेड ने कहा कि लोगों की इस समस्या को जल्द से जल्द दूर किया जायेगा।

अनिल बलूनी ने कहा कि उन्होंने देश भर में मोबाइल इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने वाली प्रतिष्ठित संचार कंपनी एयरटेल इंडिया से गढ़वाल के रुद्रप्रयाग, चमोली और पौड़ी गढ़वाल जनपदों के सभी स्थानों पर निर्बाध एवं सुचारु मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। इस अनुरोध को भारती एयरटेल लिमिटेड ने स्वीकार कर लिया है।

उन्होंने कहा कि मैं भारती एयरटेल लिमिटेड को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं कि उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र के 150 स्थानों पर मोबाइल टॉवर लगाने की सहमति दी है। जिससे हमारे इंटरनेट आधारित उद्योग, छात्रों की वर्चुअल क्लासेस और आमजन को बेहतर मोबाइल सेवा प्राप्त होगी।

पिछले कई समय से उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क की बड़ी समस्या बनी हुई है इन टॉवरों के लग जाने से यहां पर रह रहे लोगों को इससे काफी फायदा होगा और वह इंटरनेट सुविधा का लाभ ले सकेंगे।

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उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर नए नाटक ‘देवभूमि’ का प्रभावशाली मंचन https://hillmail.in/impressive-staging-of-new-play-devbhoomi-on-the-backdrop-of-uttarakhand/ https://hillmail.in/impressive-staging-of-new-play-devbhoomi-on-the-backdrop-of-uttarakhand/#respond Tue, 19 Mar 2024 08:31:30 +0000 https://hillmail.in/?p=48588 उत्तराखंड की पृष्ठभूमि पर गीत, संगीत, नृत्य व संवाद आधारित मंचित किए गए ‘देवभूमि’ नामक हिंदी नाटक का कथासार उत्तराखंड के आध्यात्म, जनजीवन, वीरता की मिशाल, पर्यावरण, महिलाओं के कठिन परिश्रम तथा ग्रामीणों की अंचल की परंपराओं के प्रति निष्ठा व विश्वास, रोजगार व उद्योगों के अभाव, व्याप्त विकृतियों व उनके समाधान से परिपूर्ण था। मंचित नाटक रंगमंच की हर विधा से ओतप्रोत, अति प्रभावशाली व उच्च स्तरीय था। खचाखच भरे सभागार में दर्शकों द्वारा समय-समय पर बजाई जा रही तालियों की गड़गड़ाहट व नाटक मंचन की समाप्ति पर श्रोताओं द्वारा कलाकारों के अभिनय, गायन, नृत्य, संगीत, नाट्य निर्देशन व नाटक के आलेख पर जो प्रतिक्रिया व्यक्त की गई, स्पष्ट संकेत था लंबे अर्से के बाद रंगमंच जगत को इस नए मंचित नाटक के माध्यम से एक नया आयाम मिला है। मंचित नाटक का संदेश रंगमंच से जुडे़ लोगों व पारखियों के मध्य तक जाएगा।

पतरौल की भूमिका में महेंद्र सिंह लटवाल, दुर्गा की भूमिका में चंद्रा बिष्ट, गंभीर सिंह की भूमिका में डॉक्टर सतीश कालेश्वरी, हरिया व रमूआ की भूमिका में क्रमशः खिलानंद भट्ट व दीपक राणा के साथ-साथ आशा नेगी का लोकगायन, सावित्रि क्षेत्री शर्मा के नृत्य निर्देशन, मधु बेरिया साह के संगीत निर्देशन तथा सुमन वैद्य के सधे हुए नाट्य निर्देशन ने मंचित नाटक को सफलता के शिखर पर पहुंचाने का काम किया है। मंच पर लगा सैट व मीता मिश्रा द्वारा की गई प्रकाश परिकल्पना दर्शकों द्वारा सराही गई है।

मंचित इस नए नाटक का श्रीगणेश उत्तराखंड के प्रबुद्ध जनों में प्रमुख पद्मश्री शेखर पाठक, विश्व ब्राह्मण संघ अध्यक्ष के सी पांडे, विश्व के सुविख्यात जादूगर डॉ. के सी पांडे, उद्योग जगत से जुड़े उद्यमी सुरेश पांडे, सुकेश नैथानी, संजय जोशी, नरेंद्र लडवाल, चंदन डांगी, पर्वतीय कला केंद्र मुख्य संरक्षक रमा उप्रेती इत्यादि इत्यादि द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मंचित नाटक के दो शो दिन में तीन बजे व सांय सात बजे विभिन्न प्रायोजकों में प्रमुख ओएनजीसी, जेडीएस, सीएआई, मैटप्लास्ट, आर टी इत्यादि इत्यादि के द्वारा दिए गए आर्थिक सहयोग से मंचित किए गए। पर्वतीय कला केंद्र के करीब तीस कलाकारों द्वारा करीब नब्बे मिनट के मंचित नाटक में प्रतिभाग किया गया।

चंद्र मोहन पपनै द्वारा रचित संदेश परक मौलिक नाटक ‘देवभूमि’ के आलेख, पिरोए गए उत्तराखंड के गीत, संगीत व नृत्य तथा सुमन वैद्य के प्रभावशाली नाट्य निर्देशन व नाटक के पात्रों द्वारा निभाई गई प्रभावशाली भूमिका ने जो छाप सैकड़ों रंगमंच प्रेमियों के मध्य छोडी है, इस संदेश परक मौलिक नाटक के अनेकों शो आयोजित होने चाहिए, प्रत्यक्षदर्शी नाट्य प्रेमियों की राय रही है।

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पूर्व केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल कार्मिक संगठन की बैठक में लिये गये कई निर्णय, प्रधानमंत्री से भी किया गया अनुरोध https://hillmail.in/many-decisions-were-taken-in-the-meeting-of-the-former-central-armed-police-forces-personnel-organization/ https://hillmail.in/many-decisions-were-taken-in-the-meeting-of-the-former-central-armed-police-forces-personnel-organization/#respond Sat, 02 Mar 2024 08:19:02 +0000 https://hillmail.in/?p=48446 पूर्व केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल कार्मिक संगठन की बैठक में उपस्थित वरिष्ठ अर्द्धसैनिकों द्वारा इस अवधि में सभी बलों के शहीद एवं दिवंगत हुए अर्द्धसैनिकों को एक मिनट का मौन धारण करके विनम्र श्रद्धांजलि दी गयी, इसके बाद सभा को प्रारम्भ किया गया। संगठन महासचिव सेनानी, जे.एस. तड़ियाल (से.नि.) द्वारा पिछले सभी मुद्दों पर निवारण हेतु की गयी कार्यवाही एवं इस अवधि में निर्गत कल्याणकारी आदेशों से सभा को अवगत कराया गया।

अध्यक्ष संगठन द्वारा विस्तृत रूप में अर्द्धसैनिकों के हितों के लिए कृता कार्यवाही, भविष्य की योजना तथा सरकार द्वारा पारित विभिन्न कल्याणकारी आदेशों पर प्रकाश डाला गया। वर्तमान में अर्द्धसैनिक संगठन पूर्ण रूप से अर्द्धसैनिकों तथा समय-समय पर राज्य सरकार, केन्द्र सरकार (गृह मंत्रालय) से विभिन्न माध्यमों से सेवानिवृत अर्द्धसैनिकों, वीरागनाओं तथा शहीद परिवार के कल्याण के लिए मुद्दे उठाती है, तथा उनका निवारण करने के लिए तत्पर रहती है।

बैठक में चर्चा के पश्चात निम्न निर्णय लिये गये :-

1. मुख्यमंत्री को प्रदेश में सेवारत तथा सेवानिवृत्त अर्द्धसैनिकों, विरांगनाओं तथा परिवार के सदस्यों को 8 फरवरी 2014 के शासनोदश के अनुसार, आर्मी की तरह सब सुविधाओं को जल्दी से जल्दी लागू कर, सुविधायें देने का अनुरोध किया गया।
2. उत्तराखंड सरकार से अर्द्धसैनिकों के लिए ‘‘अर्द्धसैनिक कल्याण बोर्ड’’ का गठन करने का आग्रह।
3. सैनिकों तथा अर्द्धसैनिकों को एक ही मंत्री के अधीन रखने पर मुख्यमंत्री से विचार करने का अनुरोध।

4. प्रधानमंत्री से अनुरोध :-

(क) 11 जनवरी 2023 को 82 रिट पिटिशन पर लिये गये, दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय, जिसमें सभी अर्द्धसैनिक बलों को ‘‘आर्मड फोर्स ऑफ यूनियन ऑफ इंडिया’’ घोषित करते हुये, निर्णय लिया गया कि 1 जनवरी 2004 से भर्ती सभी कार्मिकों को ‘पुरानी पेंशन’ लागू किया जाये जैसे आर्मी, नेवी व एयरफोर्स के कार्मिकों पर लागू है।

(ख) सेवानिवृत्त, अर्द्धसैनिकों को भी ‘‘आर्मड फोर्सेज ऑफ यूनियन ऑफ इंडिया’’ घोषित किये जाने के पश्चात ओआरओपी दी जाये।

(ग) अर्द्धसैनिक बलों तथा पुलिस कार्मियों के लिए बनाई गई सेंटल पुलिस कैंटीन जिनको अब ‘‘केन्द्रीय पुलिस कल्याण भंडार’’ से जाना जाता है, उसमें सीएसडी की भांति जीएसटी में 50 प्रतिशत छूट दी जाये।

इस सभा की विशेष खुबसूरती यह रही कि सभा में संजय गुन्जयाल (भा.पु.से.), महा निरीक्षक, उत्तरी फ्रंट, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल, उप महानिरीक्षक, आर.के. वर्मा (उत्तर फ्रंट) तथा सेनानी, पियूष पुष्कर ने भी सभा में भाग लिया। आई.जी. एस.एस. कोठियाल (से.नि.) अध्यक्ष संगठन द्वारा अतिथियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया। आई.जी. संजय गुन्जयाल, आई.पी.एस., नार्दन फ्रंटियरए भारत तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा अभिवादन स्वीकार करते हुए, पूर्व अर्द्धसैनिकों के कल्याण हेतु अपना विजन और विचारों का इजहार किया तथा प्रथम बार सभा में आने पर खुशी जाहिर की।

संजय गुन्जयाल ने वरिष्ठ अर्द्धसैनिक कल्याण के लिए जैसे – कैन्टीन सुविधा, परिवारिक समारोह में बल के उपलब्ध संसाधनों की मदद, वाहनों की आवश्यकता पढ़ने पर मदद तथा निर्देशों के अनुरूप जो भी कल्याणकारी सुविधा सम्भव होगी मुहैया करायी जायेगी, उन्होंने भविष्य में समस्त उत्तराखंड गढ़वाल-कुमायुं मंडल के अर्द्धसैनिकों से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा करने व विचार रखने की भी इच्छा जाहिर की। अन्त में उन्होंने पूर्व अर्द्धसैनिकों के लिए भविष्य में और कई सुविधायें उपलब्ध कराने की भी अपनी इच्छा व्यक्त की तथा उपस्थित सभी वरिष्ठ अर्द्धसैनिकों का धन्यवाद करते हुए भाषण समाप्त किया।

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उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार बने खेल विश्वविद्यालय राई के नए कुलपति https://hillmail.in/former-dgp-of-uttarakhand-ashok-kumar-becomes-the-new-vice-chancellor-of-sports-university-rai/ https://hillmail.in/former-dgp-of-uttarakhand-ashok-kumar-becomes-the-new-vice-chancellor-of-sports-university-rai/#respond Thu, 29 Feb 2024 08:04:37 +0000 https://hillmail.in/?p=48424 उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार को हरियाणा खेल विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है वह 1 मार्च को अपना पदभार ग्रहण करेंगे। अभी तक उन्होंने खाकी वर्दी पहनकर अपनी सेवाएं दीं थी और अब अशोक कुमार खेल के क्षेत्र में खिलाड़ियों को तराशने का काम करेंगे। पूर्व आईपीएस अशोक कुमार ने हरियाणा खेल विश्वविद्यालय का कुलपति बनाने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार जताया है।

अशोक कुमार 1989 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं और साल 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन होने पर वह वहां चले गए। उन्होंने करीब 34 सालों तक खाकी वर्दी पहनकर देश की सेवा की। पिछले साल 30 नवंबर 2023 को अशोक कुमार उत्तराखंड के डीजीपी पद से रिटायर हुए थे। इससे पहले साल 2020 में आईपीएस अशोक कुमार ने बतौर उत्तराखंड डीजीपी की कमान संभाली थी। उस वक्त पूरे विश्व में कोरोना महामारी का प्रकोप चल रहा था।

डीजीपी रहते हुए अशोक कुमार ने उत्तराखंड में कानून व्यवस्था को लेकर कई अहम काम किए हैं। साथ ही उन्होंने आम जनता की समस्याओं को दूर करने का भी प्रयास किया। उन्होंने पुलिस की छवि बेहतर बनाने में एक अहम भूमिका निभाई है। यही वजह है कि उनकी छवि बेहतर पुलिसिंग के जानी जाती रही है। उनके कार्यकाल के दौरान हरिद्वार महाकुंभ, कांवड़ यात्रा और चारधाम यात्राएं अच्छी तरह से चली। जिसमें पुलिस की कड़ी परीक्षा होती है, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान हमको बेहतरीन पुलिसिंग व्यवस्था देखने को मिली।

इसके अलावा इसके अशोक कुमार ने ऑपरेशन स्माइल, ऑपरेशन प्रहार, ऑपरेशन मर्यादा, ड्रग्स फ्री देवभूमि जैसे समाज के लिए कई अहम अभियान भी चलाए। उन्होंने ’खाकी में इंसान’ पुस्तक भी लिखी। जिसके जरिए पुलिस के दर्द को उकेरने के साथ ही चुनौतियों को भी सामने रखा। वहीं, अशोक कुमार ने साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए भी प्रयास किए। अशोक कुमार मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं।

हरियाणा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाये जाने के बाद अशोक कुमार ने एक्स पर एक पोस्ट साझा की। जिसमें उन्होंने लिखा है कि ’बतौर आईपीएस अधिकारी 34 वर्षों से अधिक समय तक देश और समाज की सेवा की। अब हरियाणा स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के कुलपति के रूप में एक नयी यात्रा शुरू करने जा रहा हूं। किशोरावस्था से ही खेल मेरे जीवन का अभिन्न अंग रहा है, मैं इस भूमिका के लिए अपना अधिकतम समर्पण और आप सभी के सहयोग से स्पोर्ट्स को एक नए आयाम तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा।’

अशोक कुमार पानीपत के गांव कुराना के मूल निवासी हैं। उनकी उच्च शिक्षा सोनीपत के हिंदू महाविद्यालय से हुई है। कुलपति अशोक कुमार राष्ट्रपति अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। वह तीन साल तक बीएसएफ में तो एक साल तक सीआरपीएफ में भी सेवाएं दे चुके हैं।

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हिल-मेल द्वारा प्रवासी प्रबुद्धजनों के साथ उत्तराखंडी मिलन समारोह का आयोजन https://hillmail.in/hill-mail-organizes-uttarakhand-meeting-with-expatriate-intellectuals/ https://hillmail.in/hill-mail-organizes-uttarakhand-meeting-with-expatriate-intellectuals/#respond Sun, 25 Feb 2024 16:32:15 +0000 https://hillmail.in/?p=48368

हिल-मेल पिछले वर्षों से उत्तराखंड के प्रवासियों के साथ समारोह का आयोजन करता रहता है इस साल भी 25 फरवरी को उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासियों को लेकर दिल्ली में समारोह का आयोजन किया गया गया। जिसमें उत्तराखंड की कई प्रबुद्ध हस्तियों ने हिस्सा लिया। जिसमें केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, गीतकार और चेयरमैन सेंसर बोर्ड प्रसून जोशी, कोस्ट गार्ड के पूर्व महानिदेशक और मेंबर एनडीएमए राजेंद्र सिंह, पूर्व रॉ एवं एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी, भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट, पूर्व सीओएम वाइए एडमिरल संदीप नैथानी, जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान, अस्टिंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर वाइस मार्शल राजेश भंडारी, एयर वाइस मार्शल संदीप रावत, एनएससीएस में संयुक्त सचिव अक्षय जोशी, आईटीबीपी के पूर्व एडीजी मनोज रावत, आरएनआई के प्रेस रजिस्ट्रार भूपेंद्र कैंथोला, पर्यावारण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरविंद नौटियाल, यूकेएसएसएससी के चेयरमैन जीएस मर्तोलिया, रामा स्वामी हिमालय यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ विजय धस्माना, पूर्व आईजी बीएसएफ एसएस कोठियाल, पूर्व डीआईजी बीएसएफ वीपी लखेड़ा, मेजर जनरल वीके त्रिपाठी, मेजर जनरल टीपीएस रावत, मेजर जनरल जानकी पंत, ब्रिगेडियर अमित नौटियाल, सैनिक स्कूल घोडाखाल के प्रिसिपल ग्रुप कैप्टन विजय सिंह डंगवाल, कर्नल आशीष कंडवाल, कर्नल अमित बिष्ट, ले कर्नल दिवांग यादव, ले कर्नल हरी दत्त पोखरीयाल, सीआरपीएफ के आईजी अनुराग अग्रवाल, प्रोफेसर अशोक डिमरी, जागर गायिका पदमश्री बसंती बिष्ट, लोक गायिका रेखा धस्माना, शिवानी बिष्ट, तारिणी रावत, स्ट्रार्टअप्स एंड बिजनेस गुप्स के मेंटोर पूरन टम्टा, ट्राइडेंट टेकलैब्स के संस्थापक सुकेश नैथानी, एसकेपी प्रोजेक्ट के सीएमडी सुरेश चन्द्र पांडेय, सुयस न्यूट्रासिटिकल प्रा.लि. के फाउंडर एव चेयरमैन एमपी भट्ट, हेरिटेज एविएशन के सीईओ रोहित माथुर, उद्यमी अनिमेष सिन्हा, मनमोहन बहुखंडी, रंजन मिश्रा, आज तक के एडिटर मनजीत नेगी समेत रक्षा-सुरक्षा और विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया।

हिल मेल के सहयोग से सीडीएस जनरल अनिल चौहान के घर पर उत्तराखंडी भोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जागर गायिका पदमश्री बसंती बिष्ट और लोक गायिका रेखा धस्माना ने अपने गीतों से प्रवासी उत्तराखंडियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा हिल-मेल द्वारा टॉप 50 उत्तराखंडियों पर बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।

इस अवसर पर सीडीएस अनिल चौहान द्वारा एनएसए अजीत डोभाल, गीतकार प्रसून जोशी और लोक गायिका रेखा धस्माना को केदारनाथ मंदिर का स्मृतिचिन्ह भेंट किया। इस कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों द्वारा पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाया गया। कार्यक्रम के समापन पर सभी लोगों को पहाड़ का अरसा और सुयस न्यूट्रासिटिकल प्रा.लि. की ओर से हर्बल इम्युनिटी बूस्टर की बोतल भेंट की गई। इस कार्यक्रम में आने के लिए हिल-मेल द्वारा सभी प्रबुद्ध लोगों को धन्यवाद दिया गया।

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अयोध्या को मिली वाटर मेट्रो की सौगात, पीएम मोदी ने वाराणसी से किया अयोध्या में वॉटर मेट्रो का वर्चुअल शुभारंभ https://hillmail.in/ayodhya-got-the-gift-of-water-metro-pm-modi-virtually-inaugurated-the-water-metro-in-ayodhya-from-varanasi/ https://hillmail.in/ayodhya-got-the-gift-of-water-metro-pm-modi-virtually-inaugurated-the-water-metro-in-ayodhya-from-varanasi/#respond Fri, 23 Feb 2024 14:33:54 +0000 https://hillmail.in/?p=48343 अयोध्या आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक अब सरयू नदी में वाटर मेट्रो के जरिए जलविहार का आनंद ले सकेंगे। योगी सरकार द्वारा अयोध्या में पर्यटन को और समृद्ध करने के लिए तथा जल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए वाटर मेट्रो का संचालन संत तुलसीदास घाट से गुप्तार घाट तक किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान वर्चुअल माध्यम से अयोध्या में वाटर मेट्रो का शुभारंभ किया।

तकनीकी सहायक बी गुप्ता ने बताया कि सरयू के किनारे संत तुलसी घाट से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस वाटर मेट्रो करीब 14 किलोमीटर का सफर गुप्तार घाट तक तय करेगी। जिसमें एक साथ लगभग 50 यात्री जलविहार का आनंद उठा सकेंगे। पर्यावरण का ध्यान रखते हुए इस वाटर मेट्रो का संचालन किया जाएगा। अयोध्या में चलाई जाने वाली वॉटर मेट्रो में 50 सीटें हैं, जिसे दोनों किनारों पर स्थापित किया किया गया है। फाइबर की बनी इन सीटों को मजबूती के साथ फिक्स किया गया है, ताकि किसी तरह के हादसे की आशंका न रहे।

कोचीन शिपयार्ड में बनी यह वॉटर मेट्रो सरयू नदी के ऊपर किसी क्रूज की तरह दिखाई देगी। मेट्रो पूरी तरह एयर कंडीशन है। उन्होंने बताया कि संत तुलसीदास घाट से गुप्तार घाट तक दोनों प्वाइंटों पर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सरयू किनारे जेटी की स्थापना की है, जहां पर वाटर मेट्रो के चार्जिंग के लिए बकायदा पॉइंट बनाए गए हैं और यहीं से यात्री वाटर मेट्रो पर सवार होंगे।

वाटर मेट्रो की खासियत

– 50 सीटर एमवी (मोटर व्हिकल) बोट यानी वाटर मेट्रो का नाम कैटा मेरन वैसेल बोट है।
– इस वाटर मेट्रो बोट को पूरा एयरकंडीशन बनाया गया है, जिसमें यात्रियों की जानकारी के लिए डिस्प्ले भी लगाया गया है।
– यात्रियों के केबिन के आगे बोट पायलट का केबिन अलग बनाया गया है।
– एक बार में इलेक्ट्रिक से चार्ज होकर यह वाटर मेट्रो बोट एक घंटे की यात्रा करने मे सक्षम है। इस दौरान यह एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन यानी अयोध्या के संत तुलसी घाट से गुप्तार घाट तक 14 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर लेगी।
– किसी भी आपात अवस्था हेतु इस बोट में जीवन रक्षक जैकेट्स व अन्य उपकरण भी रखे गये हैं।

तकनीकी सहायक बी गुप्ता ने बताया केंद्रीय जलमार्ग मंत्रालय द्वारा इसको अगले कुछ दिनों में राज्य सरकार को हैंडओवर किया जायेगा। इसके बाद इसका परिचालन राज्य सरकार करवाएगी। इस वाटर मेट्रो की लागत वाराणसी एवं अयोध्या में प्राधिकरण के द्वारा दिए गये इलेक्ट्रिक कैटामरान नौका की लागत 36 करोड़ रुपए हैं।

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यूपी पुलिस ने विद्यार्थियों की असुविधा को देखते हुए शुरू की नायाब पहल https://hillmail.in/keeping-in-view-the-inconvenience-of-students-up-police-started-a-unique-initiative/ https://hillmail.in/keeping-in-view-the-inconvenience-of-students-up-police-started-a-unique-initiative/#respond Fri, 23 Feb 2024 08:42:43 +0000 https://hillmail.in/?p=48327 देश में विभिन्न बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। जिसमें लाखों की संख्या में छात्र-छात्राएं शामिल हो रहे हैं। परीक्षा के दौरान बच्चों की पढ़ाई में कोई व्यवधान न पड़े इसके लिए यूपी-112 की एडीजी नीरा रावत ने विद्यार्थियों को हो रही असुविधा के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया है। जिसके अंतर्गत शोर शराबे की शिकायत मिलते ही यूपी-112 की पीआरवी मौके पर जाकर तत्काल शोर-शराबा बंद करवायेगी। ताकि बच्चों को पढाई के लिए बेहतर वातावरण मिल सके।

परीक्षाओं के समय अधिक शोर की शिकायतों को और अधिक मुस्तैदी से अटेन्ड करने के निर्देश जारी किए है। शोर शराबे के खिलाफ सर्वाधिक शिकायतें बड़े शहरों से मिल रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि फरवरी माह के 15 दिनों में 3585 शिकायतें प्रदेश के विभिन्न शहरों से 112 को मिली। जबकि जनवरी माह के 31 दिनों में इन शिकायतों की संख्या महज 1415 थी। 75 दिनों में ध्वनि प्रदूषण की सर्वाधिक 739 शिकायतें लखनऊ से मिलीं, जबकि इसी अवधि में 734 शिकायतें गौतमबुद्धनगर से आयी हैं। गाजियाबाद और कानपूर से क्रमशः 590 और 376 शिकायतें 75 दिन में 112 को मिली हैं।

नीरा रावत ने बताया कि बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहर काफी शांत रहे। 75 दिनों में श्रावस्ती से कुल तीन शिकायतें 112 को मिली। यहां से जनवरी में एक और 15 फरवरी तक दो शिकायतें मिली हैं। इसी तरह 75 दिनों में औरैया से 10 और एटा व कौशाम्बी से 12-12 शिकायतें 112 को मिली हैं।

आकड़ों पर गौर किया जाए तो सबसे ज्यादा अंशाति की समस्या बड़े शहरों में है। दिसंबर महीने के 15 दिनों में 1558 शिकायतें ध्वनि प्रदूषण की 112 को मिलीं। जबकि जनवरी के 31 दिनों में यह आंकड़ा 1415 शिकायतों का रहा। परीक्षाओं के करीब आते ही फरवरी के 15 दिनों में शिकायतों का आंकड़ा 3585 तक पहुंच गया। इसी को देखते हुए 112 द्वारा यह अनोखी पहल की जा रही है।

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