वर्ष 2023 भारतपे के टॉप मैनेजमेंट के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ। कंपनी के को फाउंडर अशनीर ग्रोवर और टॉप मैनेजमेंट के बीच चली कानूनी लड़ाई के बाद ग्रोवर ने कंपनी छोड़ दी थी और इसके बाद समीर सुहैल ने भी इस्तीफा दे दिया। सुहैल के जाने के बाद से ही नलिन नेगी अंतरिम सीईओ के रूप में काम कर रहे थे। मैनेजमेंट भी उनके काम की प्रशंसा करता रहता है।
कंपनी ने एक बयान में कहा, नलिन नेगी के नेतृत्व में, भारतपे ने वित्त वर्ष 2023 में परिचालन से राजस्व में 182 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और अक्टूबर में इसका पहला एबिटा-सकारात्मक महीना था। इसमें कहा गया है कि भारतपे अब एक नया सीएफओ नियुक्त करने पर विचार करेगा।
2018 में स्थापित, भारतपे के पास 450 से अधिक शहरों में 13 मिलियन से अधिक व्यापारियों का नेटवर्क है। कंपनी ने अब तक इक्विटी में 583 मिलियन डालर से अधिक जुटाए हैं, और पीक एक्सवी पार्टनर्स (पूर्व में सिकोइया कैपिटल इंडिया), रिबिट कैपिटल, बीनेक्स्ट और टाइगर ग्लोबल को निवेशकों के रूप में गिना जाता है।
नलिन नेगी के पास बैंकिंग और फिनटेक क्षेत्र में काम करने का 28 साल से ज्यादा का अनुभव है। सीईओ बनने के बाद नलिन नेगी ने कहा कि वे नई जिम्मेदारी मिलने पर बहुत ख़ुश हैं। उन्होंने कहा, “मैं भारतपे में इस नई भूमिका को लेकर उत्साहित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं। हमारा रणनीतिक ध्यान निरंतर लाभप्रदता, ऋण देने वाले व्यवसायों को बढ़ाने और नए व्यापारी-केंद्रित उत्पादों को लॉन्च करने पर होगा। हम मजबूत नींव पर निर्माण करने, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और अपने व्यापारियों, भागीदारों और हितधारकों को मूल्य प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारतपे में शामिल होने से पहले नलिन नेगी एसबीआई कार्ड और जीई कैपिटल सहित प्रसिद्ध वित्तीय सेवा संगठनों में कई वरिष्ठ नेतृत्व पदों पर कार्य कर चुके हैं जहां उन्होंने लाभप्रदता बढ़ाने, व्यवसायों के साथ रणनीतिक साझेदारी और एसबीआई कार्ड आईपीओ को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
]]>केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। चारोंधाम के कपाट खुलने की तिथि तय होने के बाद पर्यटन विभाग ने पंजीकरण की तैयारी पूरी कर ली है। इस बार चारधाम यात्रा शुरू होने से 25 दिन पहले यात्रियों को पंजीकरण की सुविधा दी जा रही है।
चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 15 अप्रैल से पंजीकरण शुरू किया जा रहा है। 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं को पंजीकरण अनिवार्य रूप से करना है।
– सचिन कुर्वे, सचिव पर्यटन
प्रयर्टन विभाग का मानना है कि बाहर से आने वाले श्रद्धालु अपना प्लान बनाकर ही यात्रा करने के लिए आयें जिससे कि उनको यहां आने में परेशानी न हो। यात्रा करने से पूर्व वह अपना पंजीकरण अवश्य करा लें जिससे कि उन्हें यात्रा के दौरान किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। इस बार भी चार माध्यमों से देश के किसी कोने से तीर्थयात्री अपना पंजीकरण का सकते हैं। पंजीकरण के लिए नाम, मोबाइल नंबर के साथ यात्रा करने वाले सदस्यों का ब्योरा, निवास स्थान के पत्ते के लिए आईडी देनी होगी।
पंजीकरण कैसे करें
पर्यटन विभाग की वेबसाइट www.registrationandtouristcare.uk.gov.in पर लॉगिन कर पंजीकरण किया जा सकता है। इसके अलावा व्हाट्सएप नंबर-8394833833 पर yatra (यात्रा) लिख कर मैसेज करके भी पंजीकरण कर सकते हैं। जो यात्री वेबसाइट पर पंजीकरण नहीं कर पाते हैं, उनके लिए पर्यटन विभाग ने टोल फ्री नंबर- 0135-1364 पर कॉल करने पर पंजीकरण की सुविधा दी है। साथ ही स्मार्ट फोन पर touristcareruttarakhand मोबाइल एप से पंजीकरण कर सकते हैं।
पिछले साल चारधाम यात्रा में 74 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने पंजीकरण कराया था। इसमें पूरे यात्रा काल में 56 लाख यात्रियों ने चारधामों के दर्शन किए। इस बार भी विभाग को श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
घर बैठे आनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा
देवभूमि उत्तराखंड में तीर्थ यात्रा करने वाले श्रद्धालु घर बैठे रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं, लेकिन प्रदेश में प्रवेश करने वाले यात्रियों को भी जगह-जगह पंजीकरण की सुविधा दी जाती है। इसके लिए विभाग की ओर से पंजीकरण काउंटर खोले जाते हैं। इसमें धर्मनगरी में भी काउंटर स्थापित किए जाते हैं।
इस साल शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा के लिए भी पर्यटन विभाग कार्यालय परिसर में काउंटर खोलने की तैयारी शुरू कर दी गई है। काउंटरों पर इंटरनेट सुविधा, लाइट, बिजली, बैठने की व्यवस्था की जा रही है। चारधाम यात्रा के लिए रेल मार्ग और सड़क मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं को यात्रा पंजीकरण का लाभ दिया जा सके।
]]>भाजपा के संकल्प पत्र में 14 वादे शामिल हैं। इसमें महिला सशक्तिकरण, युवाओं और गरीबों के उत्थान पर जोर दिया गया है। संकल्प पत्र में ज्ञान को लक्ष्य किया गया है – गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी आदि शामिल हैं।
ये हैं मोदी की 14 गारंटी…
1. एक राष्ट्र, एक चुनाव और सामान्य मतदाता सूची लाएंगे।
2. गरीबों के लिए मुफ्त राशन, पानी और गैस कनेक्शन।
3. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू की जाएगी।
4. पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत शून्य बिजली बिल।
5. तीन करोड़ लखपति दीदियां।
6. महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस पर विशेष ध्यान।
7. महिलाओं के लिए शौचालयों की संख्या में वृद्धि और महिला शक्ति वंदन अधिनियम का कार्यान्वयन।
8. वंदे भारत रेल नेटवर्क का विस्तार, वेटिंग लिस्ट खत्म होगी।
9. अमृत भारत और नमो भारत ट्रेनें आएंगी।
10. नए हवाई अड्डे, राजमार्ग, मेट्रो और जल मेट्रो का निर्माण होगा।
11. ई-श्रम पोर्टल पर गिग श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों, टैक्सी चालकों, घरेलू सहायकों को शामिल किया जाना है।
12. राजमार्गों पर ट्रक चालकों के लिए आधुनिक सुविधाएं।
13. दुनिया भर में मनाया जाएगा रामायण उत्सव।
14. अयोध्या में पर्यटन एवं उससे जुड़ी सुविधाओं का विस्तार।
मुफ्त राशन योजना अगले पांच वर्षों तक जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह मोदी की गारंटी है कि मुफ्त राशन योजना अगले 5 साल तक जारी रहेगी। संकल्प पत्र जारी होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुद्रा योजना के तहत लोन की सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की भी बात कही, पहले ये सीमा 10 लाख थी।
बुजुर्ग और ट्रांसजेंडर्स आयुष्मान योजना में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जिनको किसी ने नहीं पूछा, उनको मोदी पूजता है। यही सबका साथ, सबका विकास का भाव है और यही भाजपा के संकल्प पत्र की आत्मा है। भाजपा ने संकल्प लिया है कि 70 वर्ष की आयु से ऊपर के हर बुजुर्ग को आयुष्मान योजना के दायरे में लाया जाएगा। 70 साल से ऊपर का हर बुजुर्ग, चाहे वो गरीब हो, मध्यम वर्ग का हो या फिर उच्च मध्यम वर्ग से ही क्यों न हो, उन्हें 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। भाजपा ने ट्रांसजेंडर साथियों को भी अब आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाने का निर्णय लिया है।
जो कहा वो किया : राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने पिछले पांच वर्षों में ‘संकल्पित भारत, सशक्त भारत’ के संकल्प को पूरा करने पर सफलतापूर्वक काम किया है। अब हम भारत के 140 करोड़ नागरिकों के सामने अपना नया संकल्प पत्र प्रस्तुत करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम जो कहते हैं, वो हम करते हैं। यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमने अनुच्छेद 370 समाप्त करने का वादा किया, महिलाओं को संसद में आरक्षण का वादा किया, उसे पूरा किया। राम मंदिर निर्माण का वादा किया था, आज नौ एकड़ में भव्य राम मंदिर स्थापित हो चुका है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि समिति के पास करीब पंद्रह लाख सुझाव आये, समिति ने इसकी स्क्रीनिंग की और उनके सारांश तैयार किये। उनमें से मुख्य मुद्दे ढूंढे गये और उस पर चर्चा हुई कि इन मुद्दों पर हम क्या कर सकते हैं। इस बात पर भी विचार हुआ कि हम जो संकल्प लेंगे उनके वित्तीय संभावनाएं क्या होंगी ?
]]>आधुनिक दौर में परंपरागत सांस्कृतिक धरोहर का क्षय धीरे-धीरे होता दिख रहा है। फिर भी दिल्ली एनसीआर में रच बस गए उत्तराखंडी प्रवासी बन्धुओं द्वारा अंचल की समृद्ध सांस्कृतिक होली गायन परंपरा के संरक्षण व संवर्धन का भरसक प्रयास किया जा रहा है। उत्तराखंडी प्रवासी बहुल इलाकों के घरां, भवनों व सभागारों में प्रवासी जनों को बड़ी संख्या में इकठ्ठा होकर बैठ व खड़ी होली गायन की महफिल सजा, परिपाठी को संजोए हुए देखना, सुनना सुकून देता नजर आता है। इस क्रम में गढ़वाल भवन, अल्मोड़ा भवन व नेहरू स्टेडियम के साथ-साथ समस्त उत्तराखंडी बहुल इलाकों में होली गायन की धूम मची रही। इस क्रम में हिंडन घाट किनारा भी होल्यारों से अछूता नहीं रहा। उक्त सब आयोजनों का अवलोकन कर समझा जा सकता है, उत्तराखंड के प्रवासी जनों में अपनी पारंपरिक लोक धरोहर को संजोए रखने के प्रति कितनी अगाध श्रद्धा व प्रेम भावना निहित है, इस आसमान को छूती महंगाई व बहुमूल्य समयाभाव के युग में भी।
होली के गीत-संगीत से सराबोर भव्य होली मिलन कार्यक्रम का एक ऐसा ही भव्य आयोजन 23 मार्च को नेहरु स्टेडियम के वीआईपी लांच में उत्तराखंड के सिविल सर्विस से जुडे़ अधिकारियों द्वारा ’छबीलो गढ़वाल मेरो रंगीलो कुमाऊं’ होली मिलन समारोह अयोजित किया गया था। होली गीत, संगीत के साथ-साथ उत्तराखंड की लोकगायन की विभिन्न विधाओं के इस आयोजन का संगीत निर्देशन किया था विरेंद्र नेगी ’राही’ द्वारा। गायक, गायिकाओं में प्रमुख थे नैन नाथ रावल, कमला देवी, भुवन रावत, भुवन गोस्वामी, मधु बेरिया साह, दीपा पंत पालीवाल, सौरव मैठानी तथा जौनसार के सुल्तान सिंह तोमर, चमन रावत, तिलक राम शर्मा तथा राम सिंह तोमर।
आयोजित होली मिलन समारोह गणेश वंदना से आरंभ किया गया। होली गायन के गीतों में उपस्थित गायक कलाकारों द्वारा-
अखियन पड़त गुलाल….।
मोरी आंखो में डारी गुलाल….।
चल उड़ी जा भंवर तुझे मारंगे…।
मेरो री मन मोहन ललना…।
भर मुठ्ठी मारो गुलाल मेरो पिया..।
इत्यादि इत्यादि होली गीतों ने होली मिलन समारोह में उपस्थित उत्तराखंड के सिविल सर्विस से जुडे़ आईएएस, आईआरएस, आईपीएस, आईएफएस इत्यादि इत्यादि शीर्ष अधिकारियों को झूमने, नाचने व गाने को बाध्य किया। दीपा पंत पालीवाल के मिश्रित गायन, कमला देवी के लोकगायन व मधु बेरिया साह के शास्त्रीय होली गायन के साथ-साथ अल्मोड़ा के बुजुर्ग कैलाश चंद्र पांडे द्वारा लोकगायन की विभिन्न विधाओं में प्रस्तुत लोकगीतों ने करीब पांच घंटे तक चलायमान होली मिलन समारोह को यादगार बनाया।
सिविल सर्विस अधिकारियों द्वारा आयोजित समारोह को मुख्य आयोजन कर्ता व संयोजक हीरा बल्लभ जोशी (आईआरएस) द्वारा संबोधित कर अयोजन के मकसद के बावत अवगत करा, कहा गया, बाल्यकाल में उत्तराखंड के सुदूर ग्रामीण गांव में पाटी-दवात पकड़ शिक्षा की शुरुवात की थी। अंचल की लोक संस्कृति से रूबरू जरुर हुआ था, लेकिन उसकी जड़ व महत्ता तथा उससे जुड़े सामाजिक ताने बाने को बाद के दिनों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही जान पाया, उससे जुड़ पाया। अवगत कराया गया, अंचल विभिन्न स्मृद्ध विधाओं से ओतप्रोत है। बहुत से वाद्ययंत्र हैं, जो हमारी समृद्ध लोक संगीत के द्योतक हैं, इन वाद्ययंत्रों का जनक भी हमारा अंचल ही है। गायन विधा ऐसी है जो सवाल भी करती है, जवाब भी देती है और हंसी ठिठोली भी करती नजर आती है। लेकिन आज उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल से हो रहे भारी पलायन की वजह से गायन व वादन की अनेकों विधाएं समाप्ति की ओर अग्रसर हैं। ग्रामीण अंचल में आयुर्वेद से जुड़ी वैद्य इलाज की परंपरा का उन्मूलन कष्ट दायक है। अंचल में उपचार हेतु जड़ी-बूटियां मौजूद हैं, परंतु ज्ञान हास की कगार पर है, जो कष्ट दायक है। अवगत कराया गया, आज के आयोजन में अंचल के कुछ ऐसी लोकगायन की विभूतियों को आमंत्रित कर उनका गायन उस विधा के संरक्षण व संवर्धन हेतु करवाया जा रहा है, जिससे आज की प्रवासी युवा पीढ़ी को एक संदेश पहुंचाया जा सके। अंचल के लोग लोकगायन व वादन से जुडे़ कलाकारों को अहमियत दे, उनकी आर्थिक मदद कर अंचल की विभिन्न विधाओं का संरक्षण व संरक्षण कर अपनी आंचलिक सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में अपनी भूमिका का निर्वाह करें।
आयोजित होली मिलन समारोह का प्रभावशाली मंच संचालन नीति आयोग से जुडे़ अधिकारी युगल जोशी द्वारा संजय पंत (आईएएस), आर सी जोशी (आईआरएस), अरुण विजलवान (आईआरएस), भूपेंद्र कैंथोला (आईआरएस), दिनेश फुलारा, खुशाल सिंह रावत इत्यादि इत्यादि के सानिध्य में बखूबी किया गया।
होली मिलन समारोह का एक और प्रभावशाली आयोजन 23 मार्च की रात्रि को मीडोस क्लब, सैक्टर 108 नोएडा में उद्योग जगत की प्रमुख कंपनी टाटा व देश की कई अन्य कंपनियों में प्रमुख रूप से जुडे़ रहे उत्तराखंड की विभूतियों में प्रमुख रविंद्र जोशी और उनकी धर्म पत्नी ज्योति के सौजन्य से आयोजित किया गया। उक्त होली गायन के आयोजन में उत्तराखंड के जाने माने लोक गायकों व गायिकाओं में प्रमुख डॉक्टर कुसुम भट्ट, दिवान कनवाल व दीपा पंत पालीवाल द्वारा मोती साह के संगीत निर्देशन में होली गीतों ने ऐसा यादगार समां बांधा जो आमंत्रित श्रोताओं के दिलो दिमाग में लंबे समय तक संजोया रहेगा।
दिल्ली प्रवास में उत्तराखंडी प्रवासी जनों द्वारा अयोजित होली गीत-संगीत के आयोजनों में शास्त्रीय रागों से ओतप्रोत होली गायन में श्रोताओं को गाते-झूमते व सराहते देख सुकून मिलता है। इसी सुकून की प्राप्ति रविन्द्र जोशी व उनकी धर्मपत्नी ज्योति द्वारा आयोजित भव्य होली मिलन में बड़ी संख्या में उपस्थित प्रबुद्घ आमंत्रित अतिथियों के मध्य दृष्टिगत हुआ जो उक्त श्रोताओं की यादों में लम्बे अर्से तक रमा रहेगा।
उत्तराखंड के प्रवासी जनों के लिए होली महापर्व दिल में उमंग और खुशियों की सौगात लेकर आता है। अंचल के प्रवासी जनों के लिए होली रंगों के साथ-साथ रागों के संगम का अनूठा महापर्व है। दो माह तक प्रवासी बन्धु अपने घरों में बैठकी होली का उत्साह पूर्वक आयोजन कर न सिर्फ भरपूर आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं, उत्तराखंड की इस समृद्ध लोकगायन व संगीत विधा का संवर्धन व संरक्षण भी करते नजर आते हैं।
उत्तराखंड की बैठकी व खड़ी होली को सांस्कृतिक विशेषता के तौर पर पूरे देश व वैश्विक फलक पर जाना जाता रहा है। विभिन्न रागों पर आधारित शास्त्रीय गायन बैठकी होली में ब्रज के साथ-साथ उर्दू का प्रभाव भी झलकता है। होली गायन की इस लोकविधा ने हिंदुस्तानी गीत-संगीत को समृद्ध करने के साथ-साथ समाज को एक नई समझ भी दी है। इस विशेषता के कारणवश इस होली का अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के नाते उत्तराखंडी गायन होली का प्रचलन व ख्याति सिर्फ उत्तराखंड तथा दिल्ली मे प्रवासरत अंचल वासियों तक ही सीमित न रह कर बढ़ते भू-मंडलीकरण के दौर में राष्ट्रीय व अन्तर्रराष्ट्रीय फलक पर भी उत्तराखंड के प्रवासी जनों के साथ-साथ अन्य समाज के लोगों के बीच भी प्रभावशाली पैठ जमाए हुए है।
उत्तराखंड की बैठकी होली कद्रदानों व कलाकारों दोनों का साझा मंच रहा है। दिल्ली प्रवास में उत्तराखंडी होली का शुभारंभ ऐतिहासिक रहा है। देश के गृहमंत्री रहे भारत रत्न स्व. पंडित गोबिंद बल्लभ पंत के सरकारी आवास पर आयोजित होने वाले होली समारोह से दिल्ली प्रवास में उत्तराखंड के होली गीत-संगीत का शुभारंभ माना जाता है। जिसका क्रम नब्बे के दशक तक लाल किले के प्रांगण तक पहुंच, निर्बाध चलायमान रहा। प्रति वर्ष बिना आयोजकों वाले इस होली उत्सव का समापन उत्तराखंड के प्रवासी जनों द्वारा छलड़ी के दिन लालकिले के प्रांगण मे सूर्य अस्त होने के साथ साज-बाज की गूंज के मध्य कर दिया जाता था।
सन् 1974 से मंडी हाउस स्थित श्रीराम भारतीय कला केंद्र द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित ख्यातिप्राप्त राष्ट्रीय होली महोत्सव जो विगत 2015 तक निर्बाध आयोजित किया जाता रहा, उक्त होली उत्सव में उत्तराखंड की सु-विख्यात सांस्कृतिक संस्था पर्वतीय कला केंद्र द्वारा उत्तराखंड की पारंपरिक खड़ी होली ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली धाक जमाए रखी थी।
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते उनके आवास पर आयोजित होली उत्सव में भी पर्वतीय कला केंद्र दिल्ली को खड़ी होली की धूम मचाने का अवसर मिला था। उक्त खड़ी होली आयोजन में अटल सरकार के कैबिनट मंत्रियों, विपक्षी दलों के नेताओं अनेक राज्यों के मुख्यमंत्रियों तथा कैबिनेट सचिव तथा अन्य जानेमाने पत्रकारों को नाचते-झूमते देखा जा सकता था। विश्व के अनेक देशों में भी इस संस्था द्वारा उत्तराखंड की पारंपरिक होली गीत-संगीत का मंचन सु-विख्यात रंगमंच संगीत निर्देशक स्व.मोहन उप्रेती के निर्देशन में मंचित कर होली गायन की इस समृद्ध विधा को अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति दिलवाई थी। 2024 माह फरवरी देश में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय रंगमंच महोत्सव ’भारंगम’ के समापन दिवस पर पर्वतीय कला केंद्र द्वारा उत्तराखंड की खड़ी होली गायन शैली में कार्यक्रम मंचित कर राष्ट्रीय व वैश्विक फलक पर ख्याति अर्जित करने का गौरव हासिल किया है।
पारंपरिक तौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी अंचल में होली पर्व को बैठकी होली व खड़ी होली के साथ-साथ बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में तथा पहाड़ों में ठिठुरती कड़क ठंड के अंत और खेतों में नई बुआई के मौसम की शुरुआत के प्रतीक रूप में उमंग व हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।
पारंपरिक तौर पर उत्तराखंड में माह पौष से बैठकी गायन होली का शुभारंभ कर फाल्गुन तक गाई जाती है। जिसके तहत पौष से बसंत पंचमी तक आध्यात्मिक तथा बसंत पंचमी से शिव रात्रि तक अर्धश्रंगारिक और उसके बाद श्रंगार रस में डूबी होली गायन की परंपरा का प्रचलन रहा है। होली गायन के रसों में भक्ति, वैराग्य, विरह, कृष्ण गोपियों की हंसी ठिठोली, प्रेमी-प्रेमिका की अनबन, देवर-भाभी की छेड़ छाड़ इत्यादि के रसों का तानाबाना होता है। इस होली गायन में वात्सल्य, श्रंगार व भक्ति रस की एक साथ मौजूदगी इसकी मुख्य विशेषताओं में स्थान रखती है।
गायन में शास्त्रीय राग दादरा और ठुमरी ज्यादा प्रचलित रही हैं। होल्यार हारमोनियम के मधुर सुरों तबले व हुड़के की थाप तथा मंजीरे की खनक पर बैठकी होली मुक्त कंठ से भाग लगा गाते नजर आते हैं, जिस पर श्रोतागण झूम उठते हैं। राग धमार से होली गायन का आह्वान किया जाता है। राग श्याम कल्याण से बैठकी होली की शुरुआत व राग भैरवी से होली बैठकी के समापन की परंपरा का पालन होल्यारों द्वारा किया जाता है।
राग आधारित शास्त्रीय गीत-संगीत बैठकी होली परंपरा की शुरुआत पंद्रहवी शताब्दी में चंपावत के चंद राजाओं के महल तथा इसके आसपास के क्षेत्रों से मानी जाती है। माना जाता है चंद वंश के राज्य विस्तार के साथ-साथ शास्त्रीय होली गायन विधा का भी क्षेत्र विस्तृत होता चला गया। जिसका मुख्य केंद्र बाद के वर्षो में अल्मोड़ा बन गया था। स्मृद्धि की ओर बढ़ यह गायन विधा एक परंपरा सी बन गई थी, जिसका पालन कद्रदान व कलाकार आयोजित होली महफिलों में वर्तमान तक करते चले आ रहे हैं। जिसका नजारा कुछ हद तक सु-विख्यात लोकगायिका डॉक्टर कुसुम भट्ट, दीपा पंत पालीवाल तथा पर्वतीय कला केंद्र व हुक्का क्लब अल्मोड़ा से जु़ड़े लोक गायक दिवान कनवाल द्वारा विगत रात्रि उनके गीत-संगीत में देखने-सुनने को मिला।
]]>इस अवसर पर अजीत डोभाल ने कहा कि मैं इस अवसर पर अपने युवा दोस्तों को भी बधाई देता हूं जो आगे एक शानदार करियर बनाने जा रहे हैं। उन्होंने दीक्षांत समारोह में छात्रों से कहा कि यह आपको तय करना है कि आप इस देश के साथ क्या करने जा रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है… यह केवल इतना ही नहीं है कि इस राष्ट्र ने आपके विकास, आपके आत्म-साक्षात्कार, आपकी शिक्षा और पेशे के लिए क्या योगदान दिया है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भविष्य में बेहतर भारत का नेतृत्व करने के लिए इस देश को आपसे बहुत उम्मीदें हैं।
एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि आप सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि आप उस पीढ़ी के सदस्य हैं जो एक बहुत शक्तिशाली, बहुत समृद्ध और बहुत प्रगतिशील भारत देखने जा रहे हैं, जिसका राष्ट्रों के समूह में बहुत बड़ा स्थान होगा।
]]>एक मुठभेड़ विशेषज्ञ और केंद्रीय गृह मंत्री पदक प्राप्तकर्ता, बहादुर विनोद बडोला, जिन्हें 1,320 करोड़ रुपये मूल्य की 330 किलोग्राम हेरोइन जब्त करने का श्रेय भी दिया जाता है, दिल्ली पुलिस के इतिहास में यह सबसे बड़ी बरामदगी है, विनोद बडोला ने दो को काबू करके बहादुरी का एक और उत्कृष्ट कारनामा दिखाया।
स्नैचरों ने उन पर बंदूक तान दी थी और चाणक्यपुरी के नेहरू पार्क में उनकी सोने की चेन छीन ली थी, जहां वह जॉगिंग के लिए गए थे। उन्हें क्या पता था कि निकट भविष्य में बुरी तरह पीड़ित होने के लिए वे एक गलत व्यक्ति के रूप में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में झपटमारी की घटनाएं आम बात हो गई हैं, आमतौर पर महिलाएं इनका खास और आसान निशाना बनती हैं, जिससे पार्कों, गलियों, सड़कों और बाजार क्षेत्रों में चलते समय सबसे ज्यादा असुरक्षित होती हैं।
व्यक्तिगत नहीं, एक अन्य अपराधी की तलाश में थी – उसे एक फव्वारे के नीचे अन्य व्यक्तियों के साथ गुप्त रूप से बैठे देखा गया था, लेकिन उसे पकड़ लिया गया।
डीसीपी नई दिल्ली देवेश महला के अनुसार, दोनों स्नैचरों की पहचान सरोजनी नगर के निवासी और तुगलकाबाद के स्लम क्लस्टर के गौरव और पवन देव के रूप में की गई।
इन दोनों पर डकैती और स्नैचिंग के तहत कड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों स्नैचरों को कानून के दायरे में लाने के लिए आपकी समय पर की गई कार्रवाई और बहादुरी के लिए विनोद बडोला को बधाई।
]]>उत्तराखंड के तीन सीटों पर भी उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। जिसमें नैनीताल-उधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र से केंद्रीय रक्षा एवं प्रयर्टन मंत्री अजय भट्ट, अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र से अजय टम्टा और टिहरी संसदीय क्षेत्र से माला लक्ष्मी शाह शामिल हैं।
आज घोषित किए गये बीजेपी उम्मीदवारों में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम की घोषणा की गई उन्हें वाराणसी सीट से प्रत्याक्षी बनाया गया है। इसके अलावा बीजेपी की पहली सूची में 34 केंद्रीय मंत्रियों को टिकट दिया है।
इसके अलावा जिन राज्यों के उम्मीदवारों की सूची जारी की गई वह इस प्रकार से है। उत्तर प्रदेश से 51, मध्य प्रदेश से 24, पश्चिम बंगाल से 20, गुजरात से 15, राजस्थान से 15, केरल से 12 असम से 11, झारखंड से 11, छत्तीसगढ़ से 11, तेलंगाना से 9, दिल्ली से 5, उत्तराखंड से 3, जम्मू कश्मीर एवं अरूणाचल प्रदेश से 2, गोवा 1, त्रिपुरा 1, अंडमान और निकोबार 1, दमन दीव 1 सीट पर नाम का ऐलान किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी की इस लिस्ट में 28 महिलाएं, 50 से कम उम्र के 47 उम्मीदवार, एससी-27, एसटी-18, ओबीसी-57 प्रत्याक्षी को पहली सूची में मौका दिया गया है।
]]>कल ही राज्यसभा चुनाव के लिए वोट पड़े थे फिर देर शाम मतगणना हुई। इसमें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सभी आठों प्रत्याशी सुधांशु त्रिवेदी, तेजवीर सिंह, अमरपाल मौर्य, संगीता बलवंत, आरपीएन सिंह, साधना सिंह, नवीन जैन, संजय सेठ ने जीत दर्ज की।
]]>हिल-मेल पिछले वर्षों से उत्तराखंड के प्रवासियों के साथ समारोह का आयोजन करता रहता है इस साल भी 25 फरवरी को उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासियों को लेकर दिल्ली में समारोह का आयोजन किया गया गया। जिसमें उत्तराखंड की कई प्रबुद्ध हस्तियों ने हिस्सा लिया। जिसमें केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, गीतकार और चेयरमैन सेंसर बोर्ड प्रसून जोशी, कोस्ट गार्ड के पूर्व महानिदेशक और मेंबर एनडीएमए राजेंद्र सिंह, पूर्व रॉ एवं एनटीआरओ चीफ आलोक जोशी, भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट, पूर्व सीओएम वाइए एडमिरल संदीप नैथानी, जीबी पंत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान, अस्टिंट चीफ ऑफ एयर स्टाफ एयर वाइस मार्शल राजेश भंडारी, एयर वाइस मार्शल संदीप रावत, एनएससीएस में संयुक्त सचिव अक्षय जोशी, आईटीबीपी के पूर्व एडीजी मनोज रावत, आरएनआई के प्रेस रजिस्ट्रार भूपेंद्र कैंथोला, पर्यावारण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव अरविंद नौटियाल, यूकेएसएसएससी के चेयरमैन जीएस मर्तोलिया, रामा स्वामी हिमालय यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ विजय धस्माना, पूर्व आईजी बीएसएफ एसएस कोठियाल, पूर्व डीआईजी बीएसएफ वीपी लखेड़ा, मेजर जनरल वीके त्रिपाठी, मेजर जनरल टीपीएस रावत, मेजर जनरल जानकी पंत, ब्रिगेडियर अमित नौटियाल, सैनिक स्कूल घोडाखाल के प्रिसिपल ग्रुप कैप्टन विजय सिंह डंगवाल, कर्नल आशीष कंडवाल, कर्नल अमित बिष्ट, ले कर्नल दिवांग यादव, ले कर्नल हरी दत्त पोखरीयाल, सीआरपीएफ के आईजी अनुराग अग्रवाल, प्रोफेसर अशोक डिमरी, जागर गायिका पदमश्री बसंती बिष्ट, लोक गायिका रेखा धस्माना, शिवानी बिष्ट, तारिणी रावत, स्ट्रार्टअप्स एंड बिजनेस गुप्स के मेंटोर पूरन टम्टा, ट्राइडेंट टेकलैब्स के संस्थापक सुकेश नैथानी, एसकेपी प्रोजेक्ट के सीएमडी सुरेश चन्द्र पांडेय, सुयस न्यूट्रासिटिकल प्रा.लि. के फाउंडर एव चेयरमैन एमपी भट्ट, हेरिटेज एविएशन के सीईओ रोहित माथुर, उद्यमी अनिमेष सिन्हा, मनमोहन बहुखंडी, रंजन मिश्रा, आज तक के एडिटर मनजीत नेगी समेत रक्षा-सुरक्षा और विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों ने हिस्सा लिया।
हिल मेल के सहयोग से सीडीएस जनरल अनिल चौहान के घर पर उत्तराखंडी भोज का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जागर गायिका पदमश्री बसंती बिष्ट और लोक गायिका रेखा धस्माना ने अपने गीतों से प्रवासी उत्तराखंडियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके अलावा हिल-मेल द्वारा टॉप 50 उत्तराखंडियों पर बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई।
इस अवसर पर सीडीएस अनिल चौहान द्वारा एनएसए अजीत डोभाल, गीतकार प्रसून जोशी और लोक गायिका रेखा धस्माना को केदारनाथ मंदिर का स्मृतिचिन्ह भेंट किया। इस कार्यक्रम के दौरान सभी अतिथियों द्वारा पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाया गया। कार्यक्रम के समापन पर सभी लोगों को पहाड़ का अरसा और सुयस न्यूट्रासिटिकल प्रा.लि. की ओर से हर्बल इम्युनिटी बूस्टर की बोतल भेंट की गई। इस कार्यक्रम में आने के लिए हिल-मेल द्वारा सभी प्रबुद्ध लोगों को धन्यवाद दिया गया।
]]>परीक्षाओं के समय अधिक शोर की शिकायतों को और अधिक मुस्तैदी से अटेन्ड करने के निर्देश जारी किए है। शोर शराबे के खिलाफ सर्वाधिक शिकायतें बड़े शहरों से मिल रही हैं। आंकड़े बताते हैं कि फरवरी माह के 15 दिनों में 3585 शिकायतें प्रदेश के विभिन्न शहरों से 112 को मिली। जबकि जनवरी माह के 31 दिनों में इन शिकायतों की संख्या महज 1415 थी। 75 दिनों में ध्वनि प्रदूषण की सर्वाधिक 739 शिकायतें लखनऊ से मिलीं, जबकि इसी अवधि में 734 शिकायतें गौतमबुद्धनगर से आयी हैं। गाजियाबाद और कानपूर से क्रमशः 590 और 376 शिकायतें 75 दिन में 112 को मिली हैं।
नीरा रावत ने बताया कि बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहर काफी शांत रहे। 75 दिनों में श्रावस्ती से कुल तीन शिकायतें 112 को मिली। यहां से जनवरी में एक और 15 फरवरी तक दो शिकायतें मिली हैं। इसी तरह 75 दिनों में औरैया से 10 और एटा व कौशाम्बी से 12-12 शिकायतें 112 को मिली हैं।
आकड़ों पर गौर किया जाए तो सबसे ज्यादा अंशाति की समस्या बड़े शहरों में है। दिसंबर महीने के 15 दिनों में 1558 शिकायतें ध्वनि प्रदूषण की 112 को मिलीं। जबकि जनवरी के 31 दिनों में यह आंकड़ा 1415 शिकायतों का रहा। परीक्षाओं के करीब आते ही फरवरी के 15 दिनों में शिकायतों का आंकड़ा 3585 तक पहुंच गया। इसी को देखते हुए 112 द्वारा यह अनोखी पहल की जा रही है।
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