एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी का जन्म 15 मई 1964 को हुआ। दिनेश कुमार त्रिपाठी सैनिक स्कूल रीवा के छात्र रहे हैं। वह 1 जुलाई, 1985 को भारतीय नौसेना में शामिल हुए। संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी का करीब 40 वर्ष का लंबा करियर रहा है।
संभाल चुके हैं आईएनएस विनाश की कमान
नौसेना के उप प्रमुख का पद संभालने से पहले वह पश्चिमी नौसैन्य कमान के फ्लैट ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रह चुके हैं। उन्होंने आईएनएस विनाश की भी कमान संभाली थी। इसके अलावा, रियर एडमिरल के तौर पर वह ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैट ऑफिसर कमांडिंग रह चुके हैं। वहीं, वह भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला के कमांडेंट भी रह चुके हैं।
आत्मनिर्भरता पर जोर
भारतीय नौसेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहा, पिछले कुछ वर्षों में, हमारी नौसेना एक युद्ध-तैयार, एकजुट, विश्वसनीय और Future Ready Force के रूप में विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि समुद्री क्षेत्र में मौजूदा और उभरती चुनौतियां यह कहती हैं कि भारतीय नौसेना को शांति से समुद्र में संभावित विरोधियों को रोकने के लिए हर समय परिचालन के लिए तैयार रहना चाहिए और ऐसा करने के लिए कहे जाने पर समुद्र में और समुद्र से युद्ध जीतना चाहिए। यह मेरा एकमात्र फोकस और प्रयास रहेगा।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि मैं नई तकनीकों को पेश करने और विकसित भारत के लिए हमारी सामूहिक खोज की दिशा में राष्ट्रीय विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनने की दिशा में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में भारतीय नौसेना के चल रहे प्रयासों को भी मजबूत करूंगा।
कई मेडलों से हुए सम्मानित
सैनिक स्कूल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला के पूर्व छात्र एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने गोवा के नेवल वॉर कॉलेज और अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में भी कोर्स किया है। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और नौसेना मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।
]]>डीआईजी एसएस डसीला ने 16 फरवरी 2024 को डीआइजी वी अनबरासन से कार्यभार ग्रहण किया। डीआईजी एसएस डसीला 06 जनवरी 1991 को भारतीय तटरक्षक बल में शामिल हुए लगभग 33 वर्षों की सेवा अवधि में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, और कई जगह उनकी स्टाफ नियुक्तियां रही। वह सूचना प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने यूएससीजी प्रशिक्षण केंद्र यॉर्कटाउन वर्जीनिया से अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अधिकारी पाठ्यक्रम (आईएमओसी) प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय अंतर एजेंसी घटना प्रबंधन प्रणाली, नेतृत्व एवं प्रबंधन और विकोमा इंटरनेशनल लिमिटेड, यूके और लामोर निगम, फ़िनलैंड के साथ समुद्री प्रदूषण नियंत्रण उपकरण प्रशिक्षण लिया हैं।
उन्होंने अपनी नियुक्तियों के दौरान पांच तट रक्षक जहाज सी-06 (आईबी), नायकीदेवी (आईपीवी), रजिया सुल्ताना (एफपीवी) वरुणा (ओपीवी) और शूर (ओपीवी) की कमान संभाली है।
उनकी महत्वपूर्ण तटवर्ती नियुक्तियों में कमांडर कोस्ट गार्ड डिस्ट्रिक्ट (कर्नाटक), मुख्य कर्मचारी अधिकारी परिचालन तटरक्षक पश्चिमी समुद्री तट, क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर पश्चिम) और (उत्तर पूर्व), प्रभारी अधिकारी पीआरटी (पूर्व), तटरक्षक मुख्यालय में उप निदेशक (आईटी) और एमआरसीसी के प्रभारी अधिकारी (मुंबई) शामिल है।
उन्हें श्रीलंका तट पर ऑपरेशन ऑनबार्ड एमसीएस डेनिएला में अग्निशमन के लिए वीरता हेतु तटरक्षक पदक से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2000 में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें महानिदेशक द्वारा सम्मानित किया जा चुका है वह समुद्री डाकू जहाज एमवी की धरपकड़ में सक्रिय भूमिका में शामिल थे। यह समुद्री इतिहास में समुद्री डाकुओं का पहला ज्ञात मामला था जिसे शिपमेंट के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था।
]]>यह आयोजन बॉम्बे सैपर्स के युद्ध स्मारक के 100 पूरे होने के मौके पर किया गया। एलीट 411 (इंडिपेंडेंट) पैरा फील्ड कंपनी के सौ से ज्यादा पैराट्रूपर्स ने फ्री फॉल जंप किया।
इस कार्यक्रम में अन्य लोगों के अलावा अनुभवी अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल आरआर गोस्वामी, लेफ्टिनेंट जनरल योगेन्द्र डिमरी, ब्रिगेडियर आरजी दिवेकर और ब्रिगेडियर मझगांवकर आदि अधिकारी शामिल हुए।
]]>उत्तराखंड के लाल लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह को परम विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जायेगा। वह इस समय सेना के दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ हैं और पिछले 40 सालों से सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।उन्होंने दो साल पहले 1 नवंबर 2022 को सेना के दक्षिणी कमान की बागडोर संभाली थी। यह भारतीय सेना की सबसे बड़ी और पुरानी कमान है, जिसकी जिम्मेदारी के क्षेत्र में 11 राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश हैं। उन्हें उनकी सैन्य सेवाओं के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। सैन्य प्रशिक्षण और ऑपरेशंस में लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह का अनुभव बेहद विस्तृत है और उन्होंने शांत और अशांत सभी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दी हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह ने दिसंबर 1984 में 7/11 गोरखा राइफल्स में नियुक्त किया गया था। उनके पास उग्रवाद विरोधी क्षेत्र, आतंकवादी ग्रसित क्षेत्र और बर्फीले इलाकों सभी प्रकार के ऑपरेशन का व्यापक अनुभव है। सियाचिन के हिमाच्छादित क्षेत्र से लेकर रेगिस्तान तक उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर 1/11 गोरखा राइफल्स, पश्चिमी थिएटर में एक विशिष्ट ब्रिगेड, कश्मीर घाटी में फ्रंटलाइन काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स और उत्तर पूर्व में त्रिशक्ति कोर की कमान संभाली हुई है। लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह को उनकी सेवाओं के लिए अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल मिला है।
इसके अलावा असम राइफल्स के आईजी नार्थ मेजर जनरल विकास लखेड़ा को अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जायेगा। मेजर जनरल विकास लखेड़ा अभी लेफ्टिनेंट जनरल अप्रुव हुए हैं। लेफ्टिनेंट विकास लखेड़ा जनरल इस समय असम राइफल्स के इंस्पेक्टर जनरल (नॉर्थ) की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्हें 5 जून 2022 को आईजीएआर (नॉर्थ) नियुक्त किया गया था। उन्होंने 9 जून, 1990 को भारतीय सेना की सिख लाइट इंफैंट्री में कमीशन लिया। वह संघर्षविराम से पूर्व नगालैंड में भी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर और असम में आतंकवाद विरोधी अभियानों की योजना बनाने और संचालन का व्यापक अनुभव है। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला में डिविजनल ऑफिसर और सामरिक प्रशिक्षण अधिकारी, जीओसी-इन-सी के सैन्य सलाहकार, मुख्यालय पूर्वी कमांड, स्टाफ ऑफिसर और सेना प्रमुख के उप सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है। लेफ्टिनेंट जनरल विकास लखेड़ा को उनकी बेहतरीन सेवा के लिए सेना मेडल, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन कार्ड और दो जीओसी-इन-सी कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया है।
रक्षा मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड के लाल मेजर दिग्विजय सिंह रावत को कीर्ति चक्र पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की है वह पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) की 21वीं बटालियन के हैं। इसके अलावा इन्फेट्री के मेजर जनरल दिनेश सिंह बिष्ट को विशिष्ट सेवा मेडल, महार रेजीमेंट के बिग्रेडियर बनित सिंह नेगी को युद्ध सेवा मेडल, मद्रास रेजीमेंट के कर्नल जयदेव सिंह असवाल को वीएसएम, ले कर्नल अभिशेख जोशी को सेना मेडल से सम्मानित किया जायेगा।
]]>लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी भारतीय सेना की मध्य कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ के पद से फरवरी 2023 में सेवानिवृत हुए थे। उन्हें भारतीय सेना में 40 वर्ष से अधिक सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी के व्यापक अनुभव एवं सेवा कार्यों को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के रूप में नामित किया।
अपने पदभार ग्रहण करने के उपरांत लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने प्राधिकरण के सभी अधिकारियों घ् कर्मचारियों को संबोधित किया एवं भारतीय सेना में उनके अनुभव का उपयोग करते हुए प्रदेश में आपदा प्रबंधन के कार्यों को सुदृढ करने तथा आपसी समन्वय स्थापित करते हुए प्राधिकरण को आगे लेकर जाने हेतु प्रेरित किया।
लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने ऑपरेशन पराक्रम के दौरान असॉल्ट इंजीनियर रेजीमेंट की कमान संभालने के साथ स्ट्राइक कोर के ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले उत्तराखंड के सपूत ने 01 अप्रैल 2021 को देश की सबसे बड़ी कमान का जिम्मा संभाला था। सेना के टॉप अफसरों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल डिमरी इससे पहले चीफ ऑफ स्टाफ वेस्टर्न कमांड रहे। मध्य कमान के अंतर्गत 18 बड़े रेजीमेंटल सेंटर हैं। एनडीए खड़कवासला के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून की मेरिट में पहला स्थान मिला था। उनको राष्ट्रपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था।
लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने 17 दिसंबर 1983 को कोर ऑफ इंजीनियर्स (द बाम्बे सैपर्स) में कमीशन प्राप्त किया था। ले. जनरल योगेंद्र डिमरी को यंग ऑफिसर्स कोर्स में सिल्वर ग्रेनेड और इंजीनियर्स डिग्री कोर्स में गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। उन्होंने वेलिंगटन से डीएसएससी, ढाका में डिफेंस सर्विसेज कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, आर्मी वार कॉलेज महू और नेशनल डिफेंस कॉलेज नई दिल्ली में कई सैन्य पाठयक्रमों को पूरा किया।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर इंजीनियर ब्रिगेड, इंफेंट्री ब्रिगेड, काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स और पश्चिमी सीमा पर रेगिस्तान में एक स्ट्राइक कोर की कमान संभाली है। उन्होंने सैन्य सचिव (एमएस) शाखा में सहायक सैन्य सचिव, कोर के ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ, ऑपरेशन, सैन्य संचालन के उप महानिदेशक, अपर महानिदेशक अनुशासन और सतर्कता, महानिदेशक अनुशासन के साथ पश्चिमी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी भी निभाई है। वह रक्षा मंत्रालय के इंटीग्रेटेड मुख्यालय में डीडीजी मिलिट्री ऑपरेशन भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं बेहतरीन सैन्य सेवाओं के लिए उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया जा चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल डिमरी की ऑपरेशन और प्रशासनिक कार्यों में महारत हासिल है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल डिमरी ने राज्य के सीमांत क्षेत्रों में संचार सुविधाओं और सड़कों के विकास की जरूरत बताई थी।
]]>बीआरओ महानिदेशक श्री रघु श्रीनिवासन ने कहा कि बीआरओ द्वारा उत्तराखंड में 05 एयरफील्ड गूंजी, कालसी, टनकपुर, घनसाली और नाविढ़ांग को विकसित करने की योजना बनाई जा रही है।
बीआरओ महानिदेशक ने मुख्यमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि जोशीमठ से औली सड़क मार्ग जिसकी लम्बाई 13.40 कि.मी. है उसके 2.25 कि.मी. पर भारतीय सेना द्वारा रखरखाव किया जा रहा है।
उन्होंने सामरिक महत्व के इस मार्ग के अवशेष भाग के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण का कार्य लोक निर्माण के स्थान पर बीआरओ को हस्तांतरित कर दिया जाय। इसी प्रकार जोशीमठ के बड़गांव के हनुमान शिला से औली के लिये 15 कि.मी. वैकल्पिक मार्ग के निर्माण को भी बीआरओ को सौंपा जाए।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, चीफ इंजीनियर लोक निर्माण विभाग दीपक कुमार यादव एवं बीआरओ के अधिकारी उपस्थित थे।
]]>आठ एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर 29 अप्रैल, 2019 को रक्षा मंत्रालय और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। निर्माण रणनीति के अनुसार, चार जहाजों का निर्माण जीआरएसई, कोलकाता में किया जा रहा है और शेष चार जहाजों का उप-अनुबंध किया गया है।
पतवार और भाग की साज-सज्जा मेसर्स एल एंड टी शिपबिल्डिंग, कट्टुपल्ली को सौंपी गई है। अर्नाला श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना के सेवारत अभय श्रेणी के एएसडब्ल्यू कार्वेट की जगह लेंगे और इन्हें तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (एलआईएमओ) और खदान बिछाने के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। 900 टन के विस्थापन वाले 77 मीटर लंबे एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों की अधिकतम गति 25 समुद्री मील और लगभग 1800 एनएम की क्षमता है।
इस श्रेणी का तीसरा जहाज 13 जून, 2023 को मेसर्स एलएंडटी, कट्टुपल्ली में लॉन्च किया गया था। एक वर्ष के भीतर एक ही श्रेणी के चार जहाजों का प्रक्षेपण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में स्वदेशी जहाज निर्माण में हमारी प्रगति को उजागर करता है।
परियोजना का पहला जहाज 2024 की शुरुआत में वितरित करने की योजना है। एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन निष्पादित किया जाएगा, जिससे देश के भीतर रोजगार और क्षमता में वृद्धि होगी।
]]>राजनाथ सिंह ने तवांग में सैनिकों के साथ शस्त्र पूजा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने अपने संबोधन में सशस्त्र बलों के वीर जवानों की धार्मिकता और धर्म को विजयादशमी के त्योहार के लोकाचार का सजीव प्रमाण बताया।
रक्षा मंत्री ने इंगित किया कि सशस्त्र बलों की वीरता और प्रतिबद्धता जैसे कारणों की बदौलत ही आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का कद बढ़ा है और अब वह सबसे शक्तिशाली देशों में शुमार हो चुका है। अपने हाल के इटली दौरे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने मोंटोन स्मारक (पेरुगिया प्रांत) का दौरा किया, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध में मोंटोन को मुक्त कराने के लिए इतालवी अभियान में लड़ने वाले नाइक यशवंत घाडगे और अन्य भारतीय सैनिकों के योगदान के सम्मान में बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उस स्मारक पर केवल भारतीय ही नहीं, बल्कि इतालवी लोग भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सैनिकों की बहादुरी का वैश्विक स्तर पर सम्मान है।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि मौजूदा वैश्विक परिदृश्य के मद्देनजर देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि रक्षा उपकरणों के स्वदेशी उत्पादन के माध्यम से सरकार द्वारा देश की सैन्य शक्ति को मजबूत बनाने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में रक्षा क्षेत्र में ’आत्मनिर्भरता’ की दिशा में बड़ी प्रगति हुई है। पहले हम अपनी सेना को उन्नत बनाने के लिए आयात पर निर्भर रहा करते थे, लेकिन आज, कई प्रमुख हथियारों और प्लेटफार्मों का निर्माण देश के भीतर ही किया जा रहा है। विदेशी कंपनियों को अपनी तकनीक साझा करने और भारत में घरेलू उद्योग के साथ उपकरण का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2014 में, रक्षा निर्यात का मूल्य लगभग 1,000 करोड़ रुपये था, लेकिन आज हम हजारों करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण निर्यात कर रहे हैं।”
रक्षा मंत्री ने तवांग युद्ध स्मारक का भी दौरा कर 1962 के युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर जवानों को पुष्पांजलि और श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे; जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) पूर्वी कमान लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता; जीओसी, 4 कोर लेफ्टिनेंट जनरल मनीष एरी और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
राजनाथ सिंह ने असम के तेजपुर में 4 कोर मुख्यालय का भी दौरा किया। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने देश के सुदूर पूर्वी हिस्सों में तैनात फॉर्मेशन की परिचालन संबंधी तैयारियों का जायजा लिया। रक्षा मंत्री को एलएसी पर बुनियादी ढांचे के विकास और अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कोर के सभी रैंकों द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्य और उपयोगी सेवाओं की सराहना की।
]]>रक्षा मंत्री ने देश के सर्वाधिक भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में प्रमुख, भारतीय सेना में पूरे देश का विश्वास दोहराया। उन्होंने हर आवश्यकता के समय नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने के अलावा हमारी सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सेना कमांडरों के सम्मेलन में उपस्थित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और प्रधानमंत्री के ’रक्षा और सुरक्षा’ दृष्टिकोण को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए सेना नेतृत्व की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि ये उच्च नेतृत्व सम्मेलन न केवल सशस्त्र बलों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए लाभदायक हैं।
रक्षा मंत्री ने वर्तमान जटिल और कठिन विश्व परिस्थिति पर बात करते हुए कहा कि ये स्थितियां वैश्विक स्तर पर सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि “हाइब्रिड युद्ध सहित गैर-परंपरागत और असंयमित युद्ध, भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होगा और दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे संघर्षों में भी यह स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो रहा है। इसके लिए आवश्यक है कि सशस्त्र बलों को रणनीति और योजना बनाते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए। हमें वर्तमान और अतीत में घटी वैश्विक घटनाओं से सीखते रहना चाहिए। उन्होंने सेना का आहवान करते हुए कहा कि अप्रत्याशित स्थितियों के अनुरूप योजना तैयार करें, रणनीति बनाएं और निपटने की तैयारी करें।’’
उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति के बारे में टिप्पणी करते हुए, रक्षा मंत्री ने किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए सेना पर पूरा भरोसा व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए सभी स्तरों पर चल रही बातचीत जारी रहेगी। रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन के प्रयासों की सराहना की, जिसने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क संचार में अतुलनीय सुधार किया है।
पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का जिक्र करते हुए, उन्होंने सीमा पार से आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की जवाबी कार्रकाई की सराहना की, हालांकि सीमा पार से छद्म युद्ध जारी है। रक्षा मंत्री ने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल/पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में समन्वित अभियान इस क्षेत्र में स्थिरता और शांति बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए, और इसके लिए मैं फिर से भारतीय सेना की सराहना करता हूं।
रक्षा मंत्री ने उच्च मानक स्थापित करने और क्षमताओं के लिए सेना की सराहना की। उन्होंने कहा कि वे अग्रिम क्षेत्रों की अपनी यात्राओं के दौरान इसका प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करते रहे हैं। उन्होंने मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने विदेशी सेनाओं के साथ स्थायी सहयोगी संबंध स्थापित करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के लिए सैन्य कूटनीति में सेना द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। और हाल ही में हुए एशियाई खेल 2023 में सेना के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के लिए भारतीय सेना की सराहना की।
रक्षा मंत्री ने जीवन के हर क्षेत्र में हो रही तकनीकी प्रगति पर जोर दिया और उन्हें उपर्युक्त रूप से शामिल करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों सहित नागरिक उद्योगों के सहयोग से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और इस तरह ’स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण’ या ’आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए सेना के प्रयासों की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता के माध्यम से प्रत्येक सैनिक के लिए हथियारों का आधुनिकीकरण सरकार का मुख्य लक्ष्य है और सरकार इस कार्य में पूरी तरह से सशस्त्र बलों के साथ है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा बुनियादी ढांचे और बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर विचार किया जाना चाहिए। युद्ध की तैयारी एक सतत घटना होनी चाहिए और हमें किसी भी समय सामने आने वाली अनिश्चितताओं के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। हमें अपने युद्ध कौशल और हथियार प्रौद्योगिकियों को सुदृढ़ बनाना चाहिए ताकि जहां भी आवश्यकता हो, प्रभावी ढंग से कार्य किया जा सके। राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सेना-सुधार और क्षमता-आधुनिकीकरण की राह पर आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।
]]>भारतीय वायु सेना ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत स्वदेशी रक्षा उत्पादन के माध्यम से क्षमता विकास को प्रोत्साहित किया है। इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर, भविष्य काल में युद्ध से निपटने के लिए अंतरिक्ष और साइबर क्षमताओं का उपयोग करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित डिसीजन टूल्स और सिस्टम के रूप में शक्ति बढ़ाने की क्षमता की दिशा में एक सराहनीय प्रयास किया गया है, जिसमें स्वार्म अनमैन्ड म्यूनिशन सिस्टम जैसी नवीनतम तकनीक को शामिल किया गया है, जो भारतीय वायुसेना द्वारा परिकल्पित सफल मेहर बाबा ड्रोन प्रतियोगिता का परिणाम है।
भारतीय वायुसेना आधुनिकीकरण, नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। आइए, इस 92वें वायुसेना दिवस पर हम सभी भारतीय वायुसेना का सम्मान करें और हमारे आकाश की रक्षा करने वाले पुरुषों और महिलाओं के प्रति मिलकर आभार व्यक्त करें जो हमारे भविष्य को सुरक्षित करने के लिए ऊंची उड़ान भरते हैं। यह हमारे राष्ट्र की शक्ति और संकल्प का प्रतीक बना रहेगा।
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