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पिथौरागढ़ – Hill Mail https://hillmail.in Mon, 15 Apr 2024 10:03:49 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.2 https://i0.wp.com/hillmail.in/wp-content/uploads/2020/03/250-X-125.gif?fit=32%2C16&ssl=1 पिथौरागढ़ – Hill Mail https://hillmail.in 32 32 138203753 उत्तराखंडी प्रवासी जन समाज द्वारा सु-प्रसिद्ध दिवंगत लोकगायक प्रहलाद मेहरा को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि https://hillmail.in/uttarakhandi-pravasi-jan-samaj-paid-emotional-tribute-to-the-famous-late-folk-singer-prahlad-mehra/ https://hillmail.in/uttarakhandi-pravasi-jan-samaj-paid-emotional-tribute-to-the-famous-late-folk-singer-prahlad-mehra/#respond Mon, 15 Apr 2024 10:02:13 +0000 https://hillmail.in/?p=48964 सी एम पपनैं

इस अवसर पर सभागार में उपस्थित प्रवासी जनों द्वारा दिवंगत लोकगायक प्रहलाद मेहरा के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गीत-संगीत, रंगमंच तथा उत्तराखंडी फिल्म जगत से जुड़े कलाकारों, साहित्यकारों, पत्रकारों व समाज सेवियों में प्रमुख चंदन भैसोडा, बिशन हरियाला, मनोज चंदोला, हेम पंत, डॉ.सतीश कालेश्वरी, चारू तिवारी, राकेश गौड, डॉ. विनोद बछेती, के एन पांडे, सत्येंद्र फरन्डिया, चन्द्र मोहन पपनैं तथा सुरेंद्र हलसी द्वारा दिवंगत लोकगायक द्वारा जीवन पर्यंत अंचल के लोकगायन, लोकसंगीत व लोकगीतों की रचना कर उत्तराखंड की सांस्कृतिक विधा के संवर्धन व संरक्षण में दिए गए योगदान पर सारगर्भित प्रकाश डाल कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।

लोकगायक प्रहलाद मेहरा का आकस्मिक निधन विगत 10 अप्रैल को 53 वर्ष की उम्र में हृदय गति रुक जाने से हल्द्वानी के कृष्णा हस्पताल में हो गया था। 11 अप्रैल रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उनके पुत्र मनीष मेहरा, नीरज मेहरा और कमल मेहरा द्वारा चिता को मुखाग्नि दी गई थी।

दिवंगत प्रहलाद मेहरा उत्तराखंड के सीमांत पिथौरागढ़ जिले की तहसील मुनस्यारी स्थित चामी भेंसकोट में जन्मे थे। बचपन से उन्हें वाद्ययंत्र बजाने व गाने का शौक रहा था। वे ताउम्र उत्तराखंड के लोकगीत संगीत को समर्पित रहे। उन्हें गीत, झोड़ा, चांचरी, न्योली इत्यादि इत्यादि विधाओं में महारत हासिल थी। उनकी गायन प्रतिभा का ही प्रतिफल था वर्ष 1989 में उन्हें आकाशवाणी अल्मोड़ा में ए ग्रेड कलाकार का दर्जा प्राप्त हो गया था।

दिल्ली में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में विद्वान वक्ताओं द्वारा व्यक्त किया गया, दिवंगत प्रहलाद मेहरा के आकस्मिक निधन से उत्तराखंड के रंगमंच व सांस्कृतिक जगत की एक अपूरणीय क्षति हुई है, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती है। अंचल ने एक ऐसी सोच के समर्पित लोकगायक को खोया है जिसकी रचनाओं व गायन में पहाड़ की नारी की वेदना का बखान होता था। अंचल से जुड़े गीत-संगीत की रचना व गीत गायन पर उनकी अच्छी पकड़ व गहरी संवेदनशील सोच थी। वे अंचल की पारंपरिक लोक संस्कृति के प्रहरी व मर्मज्ञ थे।

वक्ताओं ने कहा, अंचल की लोक संस्कृति के संवर्धन की चाहत उनकी सदा बनी रही। चैती गायन के साथ-साथ अन्य अनगिनत सुपरहिट गीत उन्होंने गाए। उनके गीतों में कुमाऊनी संस्कृति का रंग बिखरता था। बाल उम्र से ही अंचल के लोकगीत गायन, संगीत तथा बोली-भाषा में उनका बड़ा आलोक था। वे अपनी व समाज की बातों को गीतों के माध्यम से आगे रखते थे। अपने ग्रामीण अंचल दानपुर की प्रकृति का बखान अपने कर्णप्रिय व भावयुक्त गीतों में किया करते थे।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, दिवंगत प्रहलाद मेहरा उस परंपरा से आते हैं जहां से केशब अनुरागी आते हैं, शेरदा अनपढ़, हीरा सिंह राणा तथा नैन नाथ रावल, नरेंद्र सिंह नेगी इत्यादि इत्यादि आते हैं। वक्ताओं द्वारा कहा गया, हमारे यहां लोकगीतों में नाचने गाने की परंपरा है, उस लोकगीत के भाव क्या हैं, उसे जानने की किसी ने कोशिश नहीं की। दिवंगत प्रहलाद मेहरा के रचे व गाए गीत चेतना जगाने वाले गीत थे। उन्होंने महिलाओं के दर्द के गीतों को गाया। बहुत बड़ा आलोक उनके गीतों में रहा है।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, जब विश्व बाजार सब कुछ बना रहा है, परोस रहा है, ऐसे समय में प्रहलाद मेहरा ने अंचल की पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाया है। वे लोगों के मर्म को जानते थे, समझते थे। वे जो अपने गीतों के माध्यम से दे गए हैं एक बड़ी धरोहर है। वर्तमान व भविष्य की पीढ़ी को इस धरोहर के मायने समझने होंगे, उसे संजो कर रखना होगा।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, 2022 में उन्हें अंचल के गायन में यूका सुपरहिट गायक के सम्मान से नवाजा गया था। और भी अनेकों सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों द्वारा उन्हें समय-समय पर विभिन्न नामों के सम्मानों से नवाजा गया। सौम्य और सरल स्वभाव के इस महान व्यक्तित्व के लोकगायक व रचनाकार में अंचल के लोगों के मर्म, अभावग्रस्त जीवन तथा लोक संस्कृति से उनका कितना गहरा नाता था, यह उनके द्वारा रचित गीतों व मर्म स्पर्शी गायन में झलकता था। उनकी सहजता, मिलनसार स्वभाव से सहमत हुए बिना नही रहा जा सकता था। उत्तराखंड के जन समाज को जो संदेश उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से दिया, झकझोरने व जागरुक करने वाला रहा, अनुकरणीय रहा। उनकी स्मृति मन मस्तिष्क में बनी रहेगी।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, दिवंगत प्रहलाद मेहरा को उनके योगदान पर वह स्थान और सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वे असली हकदार थे। अंचल के जन के मध्य उनके रचित गीत व गायन पीढ़ियों तक उनकी याद दिलाते रहेंगे विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है।

सभी वक्ताओं द्वारा कहा गया, प्रहलाद मेहरा का जाना दुःख मय रहा। शोक स्थाई भाव की तरह जमा रहेगा। उनके रचे व गाए लोकगीत सदा स्मरणीय रहेंगे। उनकी रचनाओं व लोकगीतों को हम सबको मिलजुल कर आगे बढ़ाना होगा। हम किसी भी विचार धारा से जुड़े हो, परंतु अपने अंचल से जुड़ाव व नाता अवश्य रखना होगा। हम सब दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। पुण्य आत्मा की नजर बनी रहे, कामना करते हैं।

वक्ताओं द्वारा राय व्यक्त की गई, दिवंगत प्रहलाद मेहरा के नाम पर अंचल के किसी इंस्टिट्यूट का नाम रखा जाना चाहिए, यह कार्य उस दिवंगत आत्मा को सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। दिवंगत आत्मा की शांति हेतु खचाखच भरे सभागार में उपस्थित लोगों द्वारा दो मिनट का मौन रखा गया। आयोजित श्रद्धांजलि सभा के विसर्जन की घोषणा मंच संचालक उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध संगीतकार राजेंद्र चौहान द्वारा की गई।

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आदि कैलाश यात्रा 13 मई से होगी आरंभ, अब यहां से भी कर सकते हैं यात्रा… https://hillmail.in/adi-kailash-yatra-will-start-from-13th-may-now-you-can-travel-from-here-also/ https://hillmail.in/adi-kailash-yatra-will-start-from-13th-may-now-you-can-travel-from-here-also/#respond Tue, 26 Mar 2024 14:06:24 +0000 https://hillmail.in/?p=48681 आदि कैलाश यात्रा के लिए बुकिंग कि प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। मिली जानकारी अनुसार गत वर्ष 315 श्रद्धालुओं ने आदि कैलाश कि यात्रा कि थी। इस वर्ष के यात्रा के लिए अभी तक 210 श्रद्धालुओं ने केएमवीएन में बुकिंग करा लिया है। जिनमें से 5 लोग ऐसे हैं जिन्होंने टनकपुर से यात्रा के लिए बुकिंग कराई है।

काठगोदाम से आदि कैलाश यात्रा पूर्ण होने ने 8 दिन लगते हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को कैंची, जागेश्वर, पाताल भुवनेश्वर के साथ-साथ अन्य मुख्य मंदिर के दर्शन भी कराए जाते हैं। तो वहीं टनकपुर से आदि कैलाश यात्रा 5 दिन में पूर्ण होती हैं। बता दें कि टनकपुर से सड़क मार्ग से यह यात्रा चंपावत, पिथौरागढ़ होते हुए पूर्ण किया जाएगा। टनकपुर से यात्रा करने पर आपका 3 दिन बच जाएगा।

पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे के मार्गनिर्देश पर श्रद्धालु ओम पर्वत के हवाई दर्शन सेवा से पिथौरागढ़ होते हुए आदि कैलाश के दर्शन कर सकेंगे। इस वर्ष कैलाश यात्रा को हेली सेवा से भी कनेक्ट किया जा रहा है। हेली सेवा और आदि कैलाश यात्रा के लिए केएमवीएन और पिथौरागढ़ जिला प्रशासन तैयारी में जुट गई है।

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सर्वांगीण विकास और समाज के निर्माण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण – मुख्यमंत्री https://hillmail.in/education-is-most-important-in-all-round-development-and-building-of-society-chief-minister/ https://hillmail.in/education-is-most-important-in-all-round-development-and-building-of-society-chief-minister/#respond Sat, 04 Nov 2023 14:00:15 +0000 https://hillmail.in/?p=46920 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल स्थित प्रेमा जगाती सरस्वती विहार विद्यालय के वार्षिकोत्सव में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में शिक्षा ग्रहण करने का अर्थ केवल किताबी ज्ञान अर्जित करने तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें हम स्वयं की और अपने अस्तित्व की खोज करते हैं। एक व्यक्ति के रूप में हमारे सर्वांगीण विकास और एक श्रेष्ठ समाज के निर्माण में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। एक व्यक्ति बचपन में जिस प्रकार की शिक्षा और संस्कार प्राप्त करता है उसी से उसका चरित्र निर्माण होता है।

उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि किताबी ज्ञान तक सीमित ना रहें स्वयं के अस्तित्व की खोज कर अपने जीवन को सफल बनायें। उन्होंने कहा बचपन के संस्कार सम्पूर्ण जीवन में काम आते है इसलिए हमें बच्चों को बचपन से ही संस्कारवान शिक्षा प्रदान कर भविष्य के निर्माण के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय करते हुए पूर्ण मनोयोग, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करने को कहा। यही मूल मंत्र जीवन को सफल बनाएगा।

मुख्यमंत्री ने स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि प्रत्येक मनुष्य में अनंत ऊर्जा शक्ति का भण्डार है उसे सिर्फ जानने व दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में कभी कोई परेशानी आती है तो उसे सकारात्मक सोच के साथ समस्या का समाधान करें। उन्होंने बच्चों से कहा कि यह शिक्षा का कालखण्ड दोबारा आपके जीवन में कभी नहीं आयेगा, समय बहुमूल्य है इसकी महत्ता को सभी को समझना होगा, एक-एक पल जीवन के लिए उपयोगी है अगर हम समय को समझ लेते हैं तो अपने जीवन के साथ ही देश व प्रदेश नाम रोशन कर सकते है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है, गुरुकुलों की भूमि है, यहां ऐसे ऋषि-मुनि हुए जिन्होंने सनातन ग्रंथो की रचना की। वीरभट्टी की इस महान धरती पर पढ़ने वाले आप सभी विद्यार्थी भी ऋषि संतानें हैं और अवश्य ही आप लोग अपना, अपने परिवार का और अपने प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे छात्र देश का भविष्य है। देश व प्रदेश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज नए भारत का निर्माण हो रहा है, जिसके अंतर्गत देश में अभूतपूर्व रूप से नित-नए कार्य किए जा रहे हैं। वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री द्वारा वर्तमान समय के अनुसार बनाई गई नई शिक्षा नीति को हमारे सम्मुख रखा गया। नई शिक्षा नीति से स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा को नए आयाम प्राप्त होंगे, इससे सभी वर्ग के लोगों को समानता के आधार पर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर भी मिलेंगे। स्कूली स्तर पर ’’कौशल विकास’’ से ’’युवा कुशलता’’ के साथ कार्य करने में सक्षम होंगे। साथ ही इससे शोध एवम् अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड स्कूली शिक्षा में नई शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य है। हमारी सरकार उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के अपने ’’विकल्प रहित संकल्प’’ को पूर्ण करने हेतु प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यालय के इस गरिमामय समारोह में आकर वे अभिभूत हैं। यहां आकर उनकी छात्र जीवन की स्मृतियां जीवंत हो गयी। विद्यालय अत्यंत ही कठिन परिस्थितियों में स्थापित हुआ परंतु आज ये विद्यालय एक विशाल वट वृक्ष का रूप ले चुका है। जगाती परिवार ने इस शिक्षण संस्थान के लिए अपनी भूमि दान कर जो शिक्षा सेवा का पुण्य कमाया है, उसके लिए जगाती परिवार बधाई का पात्र है।

पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार स्कूल के 36 वें वार्षिकोत्सव समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बच्चों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को बधाई दी। उन्होंने कहा इस विद्यालय के विद्यार्थी आज इंजीनियर, कारोबारी, प्रशासनिक अधिकारी व राजनीतिज्ञ बनकर अपनी बुलंदियों को छू रहे हैं। विद्यालय परिवार द्वारा इस स्थान पर एक विश्वविद्यालय बनाए जाने का संकल्प लिया है। उनका संकल्प अवश्य पूर्ण होगा, इस संबंध में राज्य सरकार के स्तर पर जो भी सहयोग होगा वह किया जायेगा। भूमि चिन्हीकरण कार्य के लिए पूर्ण प्रयास कर परिकल्पना को साकार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विद्यालय की सड़क मार्ग को दुरुस्त करने का कार्य लोनिवि द्वारा किया जा रहा है।

इस अवसर पर केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि इस विद्यालय से पढ़कर विद्यार्थी देश के विभिन्न क्षेत्रों में सेना, प्रशासन व आदि स्थानों पर कमान संभाल रहे है। उन्होंने अध्ययनरत विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य और गुरुजनों का हृदय से आभार व्यक्त किया।

महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य और गुरुजनों की मेहनत से यहाँ के विद्यार्थियों ने देश के विविध क्षेत्रों में अपनी सुगंध फैलाई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मूल मंत्र विद्या भारती से लिए गया है। इस शिक्षा नीति से विद्या भारती ही नहीं अपितु देश के समस्त सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों को इंडिया से भारत बनने की संकल्पना को पूरा किया जाएगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक विषयों पर जोर दिया गया है। इससे देश को कौशल युक्त उच्च कोटि के मानव संसाधन मिलेंगे जो राष्ट्र को विश्व गुरु बनने में पूर्ण सहयोगी बनेंगे। उन्होंने युवा पीढ़ी के सर्वागींण विकास के लिए आध्यात्मिक इंटेलिजेंस से जोड़ने की बात पर जोर दिया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा विद्यालय के 12वी के तीन और 10वी के 15 मेधावियों को पुरस्कृत किया।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ सूर्या प्रकाश ने विद्यालय की आगामी वार्षिक कार्ययोजना के साथ ही विद्यालय की सम्पूर्ण गतिविधियों, उपलब्धियों की जानकारी दी। वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में शिव तांडव, हनुमान, गणेश वंदना नृत्य और नाटक सिक्का बदल गया मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ माधव प्रसाद के साथ ही विद्यार्थी रक्षित कर्नाटक और कृष्णा त्यागी ने किया।

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पीएम मोदी ने पिथौरागढ़ को दी 4200 करोड़ रूपए की सौगात, बोले विश्व के लोगों ने भारतीयों का लोहा माना https://hillmail.in/pm-modi-gave-a-gift-of-rs-4200-crore-to-pithoragarh-said-that-the-people-of-the-world-recognized-the-iron-power-of-indians/ https://hillmail.in/pm-modi-gave-a-gift-of-rs-4200-crore-to-pithoragarh-said-that-the-people-of-the-world-recognized-the-iron-power-of-indians/#respond Thu, 12 Oct 2023 14:01:45 +0000 https://hillmail.in/?p=46598 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य की जिन योजनाओं का शिलान्यास किया उनमें 21 हजार 398 पॉलीहाउस निर्माण, उच्च घनत्व वाले सघन सेब बागानों की योजना, राष्ट्रीय राजमार्गों पर 02 लेन एवं ढलान उपचार के 05 कार्य, राज्य में 32 पुलों का निर्माण, एसडीआरएफ के तहत अग्नि सुरक्षा बुनियादी ढांचे और बचाव उपकरणों को मजबूत करना, देहरादून में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र का अपग्रेडेशन, बलियानाला, जनपद नैनीताल में भूस्खलन की रोकथाम हेतु उपचार, 20 मॉडल डिग्री कॉलेजों में हॉस्टल और कंप्यूटर लैब का निर्माण, सोमेश्वर, अल्मोडा में 100 बिस्तरों वाला उप जिला अस्पताल, चंपावत में 50 बिस्तरों वाले अस्पताल ब्लॉक का निर्माण, रूद्रपुर में वेलो-ड्रोम निर्माण कार्य, स्पोर्ट्स स्टेडियम, हल्द्वानी में एस्ट्रो टर्फ हॉकी मैदान का निर्माण, चारधाम की भांति मानसखंड के मंदिर क्षेत्रों का विकास, मानसखंड मंदिर माला मिशन के अंतर्गत जागेश्वर धाम, हाट कालिका एवं नैना देवी मंदिर में अवस्थापना सुविधाओं का विकास शामिल हैं।

प्रधानमंत्री द्वारा जिन योजनाओं का लोकार्पण किया गया उनमें पीएमजीएसवाई के तहत 76 सड़कें, पीएमजीएसवाई के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 25 पुल, 09 जिलों में 15 ब्लॉक कार्यालय भवन, केन्द्रीय सड़क निधि के अन्तर्गत 03 सड़क सुदृढ़ीकरण कार्य, कौसानी – बागेश्वर रोड, धारी – डोबा – गिरेचिना रोड, नगला – किच्छा एस एच रोड डबल लेन, राष्ट्रीय राजमार्गों को 2 लेन एवं सुदृढ़ीकरण करने का कार्य, एन एच 309 बी-अल्मोड़ा – पेट्सल – पनुआनौला – दन्या एन एच – टनकपुर – चल्थी, प्रदेश में 39 पुल एवं देहरादून में यूएसडीएमए भवन, 38 ग्रामीण पंपिंग पेयजल योजनाएं और 03 ट्यूबवेल आधारित पेयजल योजनाएं, 419 ग्रामीण ग्रेविटी पेयजल योजनाएं, थरकोट, पिथौरागढ़ में कृत्रिम झील, 132 केवी पिथौरागढ़-लोहाघाट-चंपावत ट्रांसमिशन लाइन के कार्य शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ दौरे के दौरान एक जनसभा को संबोधित किया। पिथौरागढ़ स्पोर्ट्स स्टेडियम पहुंचने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंडी टोपी पहनाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इस अवसर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा निर्मित नारायण आश्रम की कलाकृति प्रधानमंत्री मोदी को भेंट की गई। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उतराखंड में आकर मैं धन्य हो जाता हूं। इस दौरान उन्होंने नंदा देवी, गुरना, हाट कालिका, कैंची धाम का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जी-20 का शानदार आयोजन हुआ है। इसमें विश्व के लोगों ने हम भारतीय का लोहा माना। उन्होंने कहा कि वन रैंक-वन पेंशन की उनकी दशकों पुरानी मांग को हमारी ही सरकार ने पूरा किया है। अब तक वन रैंक-वन पेंशन के तहत 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि हमारी सरकार पूर्व सैनिकों को दे चुकी है। इसका लाभ उत्तराखंड के भी 75 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिकों के परिवार को मिला है।

उन्होंने कहा कि इस साल लाल किले से मैंने महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन देने की घोषणा की है। ड्रोन के माध्यम से खेतों में दवा-खाद, बीज, ऐसे अनेक काम किए जा सकेंगे। उतराखंड में डगर-डगर पर शिव शक्ति दिख रही है। चंद्रयान जहां पहुंचा है वहां कोई नहीं पहुंचा। इसलिए हमने इसे शिव शक्ति नाम दिया। उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत बॉर्डर एरिया का विकास तेज गति से हो रहा है। बॉडर एरिया पर 4200 किमी सड़कें बनाई, 250 पुल 22 सुरंगे बनाई हैं। यहां अब ट्रेन लाने की तैयारी कर रहे हैं। बॉडर एरिया पर गांवों को फिर से बसाया जाएगा। पहाड़ का पानी और जवानी काम नहीं आती है, अब इस कहावात को बदलने का समय है। हम मोटे अनाज श्री अन्न को देश के कोने-कोने में पहुंचाना चाहते हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की सवा करोड़ देवतुल्य जनता की ओर से दो अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केदारखंड में मंदिरों तथा पौराणिक स्थलों का विकास हो रहा है। उनकी मानसंखंड की इस यात्रा द्वारा इस क्षेत्र का भी संपूर्ण विकास सुनिश्चित होगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज भारत पुनः विश्वगुरू बनने की ओर अग्रसर है। आज जहां एक ओर देश में आंतरिक सुरक्षा मजबूत हुई है, वहीं विश्व में भारत का मान-सम्मान बढ़ रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध के समय भारत द्वारा दिखाई गई कूटनीतिक परिपक्वता हो या जी-20 सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में विश्व के सभी प्रमुख देशों को एक मंच पर लाकर दिल्ली घोषणा पत्र पर सहमति स्थापित करना हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 09 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की। यह स्वर्णिम कालखंड भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना के पुनरुत्थान का कालखंड भी है। आज नया भारत न केवल एक राष्ट्र के रूप में संपन्न और समर्थ बन रहा है, बल्कि विश्व का नेतृत्व करने के लिए भी तैयार हो रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का उत्तराखंड से विशेष लगाव किसी से छुपा नहीं है। पिछले 09 वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के लिए 01 लाख 50 हजार करोड़ रूपये से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की गई, जिनमें से अनेक योजनाओं पर तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने का विकल्प रहित संकल्प के साथ कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को नारायण आश्रम की प्रतिकृति, ऐपण स्टॉल और बोधिसत्व विचार श्रृंखला – एक नई सोच, एक नई पहल पुस्तक भेंट की।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, गणेश जोशी, प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत, रेखा आर्या, सौरभ बहुगुणा, सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, अजय टम्टा, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, कल्पना सैनी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट उपस्थित थे।

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आदि कैलाश की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने मोदी https://hillmail.in/modi-becomes-the-first-indian-prime-minister-to-visit-adi-kailash/ https://hillmail.in/modi-becomes-the-first-indian-prime-minister-to-visit-adi-kailash/#respond Thu, 12 Oct 2023 06:51:04 +0000 https://hillmail.in/?p=46570 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 अक्टूबर को भारत की आध्यात्मिक भूमि आदि कैलाश पहुंचे। यहां शिव मंदिर में पूजा करते हुए प्रधानमंत्री ने आदि कैलाश के विराट दर्शन किए और देश की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना की। शिव धाम आदि कैलाश आगमन पर प्रधानमंत्री मोदी का जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे।

प्रधानमंत्री मोदी अपने निर्धारित कार्यक्रम के तहत 12 अक्टूबर, 2023 को सुबह 8ः45 बजे हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ जनपद में ज्योलिंगकांग हेलीपैड पर उतरे। यहां से दाहिनी ओर करीब डेढ़ किमी की दूरी कार से तय करते हुए हिमालय की चोटी पर स्थित पार्वती सरोवर और शिव मंदिर पहुंचे। करीब 25 मिनट तक शिव की पूजा और ध्यान किया। आदि कैलाश मंदिर में रं-समुदाय के लामा पुजारियों ने पौराणिक काल से प्रसिद्ध शिव-पार्वती की ’माटी पूजा’ पूरे विधि विधान के साथ संपन्न की।

इसके बाद पीएम मोदी ने आदि कैलाश पर्वत और पार्वती सरोवर के दर्शन भी किए। आदि कैलाश और पार्वती सरोवर के दर्शन कर प्रधानमंत्री अभीभूत हो उठे। उन्होंने कहा कि आदि कैलाश के दर्शन कर उनका मन प्रसन्न और जीवन धन्य हो गया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है। यहां कण-कण में देवी देवताओं का वास है। भगवान आदि कैलाश के दर्शन कर उन्हें परम आनंद की अनुभूति हुई है। उन्होंने कहा कि देवभूमि के मंदिर आस्था ही नही आर्थिकी का भी केंद्र हैं। इन मंदिरों से हजारों लोगों की आर्थिकी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़ी है। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सभी मंदिरों को एक सर्किट के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को आदि कैलाश और आसपास के क्षेत्र के बारे जानकारी दी।

प्रधानमंत्री के भ्रमण से चीन सीमा पर तैनात सेना के जवानों के साथ ही सीमा पर बसे गांव कुटी, नाबि, रोंगकांग, गुंजी, नपल्चयू, गर्व्यांग, बूंदी के ग्रामीणों में गजब उत्साह देखने को मिला। आदि कैलाश के दर्शन करने के बाद पीएम मोदी ज्योलिंगकांग हैलीपेड से गुंजी के लिए रवाना हुए।

प्रधानमंत्री मोदी आदि कैलाश की यात्रा करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री भी बन गए है। तीन देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगी इस भूमि से प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व को अध्यात्म और वैश्विक क्षेत्र में उभरती भारत की शक्ति का संदेश भी दिया। प्रधानमंत्री के भ्रमण से आदि कैलाश क्षेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन की संभावनाएं बढ गई है।

पिथौरागढ़ जनपद में आदि कैलाश 14 हजार फुट से अधिक ऊंचाई पर चीन और नेपाल की सीमा से सटा है और भारत की आध्यात्मिक भूमि है। आदि कैलाश के बारे में मान्यता है कि यह स्थान भगवान शिव के परिवार का निवास स्थान है। आदि कैलाश मार्ग पर मुख्य आकर्षण ओम पर्वत है। इस पर्वत पर ओम की आकृति उभरी हुई है। ओम पर्वत कैलाश यात्रा मार्ग में नावीढांगा में स्थित है। ओम पर्वत को आदि कैलाश का छोटा कैलाश भी कहा जाता है।

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पीएम मोदी के दौरे को लेकर सीएम धामी ने किया स्थलीय निरीक्षण, लिया तैयारियों का जायजा https://hillmail.in/cm-dhami-conducted-on-site-inspection-regarding-pm-modis-visit-took-stock-of-preparations/ https://hillmail.in/cm-dhami-conducted-on-site-inspection-regarding-pm-modis-visit-took-stock-of-preparations/#respond Tue, 10 Oct 2023 15:28:32 +0000 https://hillmail.in/?p=46519 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी 12 अक्टूबर को प्रस्तावित पिथौरागढ़ भ्रमण के दृष्टिगत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यहां चल रही तैयारियों का जायजा लिया।

मुख्यमंत्री खुद स्थिति का जायजा लेने के लिए यहां पहुंच गये हैं और उनकी देखरेख में सारी तैयारियां चल रही है। उन्होंने नैनी सैनी एयरपोर्ट पर वायुयान लैंडिंग व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था एवं अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

इसके बाद उन्होंने जनसभा स्थल पिथौरागढ़ स्थित एसएस वल्दिया स्पोटर्स स्टेडियम में मंच व्यवस्था, सीटिंग अरेंजमेंट, साउंड व्यवस्था, सुरक्षा व्यवस्था, टेंट, पेयजल, शौचालय आदि व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को सभी व्यवस्थाएं त्रुटि रहित और समय पर पूर्ण करने के निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री का यह उत्तराखंड दौरा देवभूमि के विकास को और गति देने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न धार्मिक पर्यटन क्षेत्रों को भी वैश्विक स्तर पर नई पहचान देने का कार्य करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जागेश्वर धाम जाने का भी कार्यक्रम है इसको देखते हुए अल्मोड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में बाहरी व्यक्तियों की एंट्री भी पूरी तरह से बैन कर दी गई है। जागेश्वर धाम में 12 अक्टूबर तक किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड पर है। पीएम की सुरक्षा को लेकर एसपीजी सहित स्थानीय पुलिस तैयारियां में लगी हुई है।

इस अवसर पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी, सांसद अजय टम्टा, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा, विधायक बिशन सिंह चुफाल, जिलाधिकारी रीना जोशी, मुख्य विकास अधिकारी वरुण चौधरी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का सरमोली गांव बना देश का श्रेष्ठ पर्यटन गांव https://hillmail.in/sarmoli-village-of-pithoragarh-district-of-uttarakhand-becomes-the-best-tourist-village-of-the-country/ https://hillmail.in/sarmoli-village-of-pithoragarh-district-of-uttarakhand-becomes-the-best-tourist-village-of-the-country/#respond Sat, 23 Sep 2023 15:15:27 +0000 https://hillmail.in/?p=46091 भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने श्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता में उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के सरमोली गांव का चयन किया है। 27 सितंबर को सरमोली गांव को श्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार दिया जाएगा। हिमनगरी के नाम से मशहूर मुनस्यारी का यह गांव जहां एक ओर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है तो वही यहां के लोगों ने पर्यटकों के ठहरने के लिए होमस्टे में जो काम किया है वो पूरे देश के लिए एक नजीर पेश कर रहा है।

सरमोली गांव उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मुनस्यारी के ऊपर स्थित एक छोटा सा गांव है। इसकी सीमाएं तिब्बत और नेपाल से लगती हैं। यहां से हिमालय, नंदा देवी, राजरंभा, पंचाचूली, नंदा कोट चोटियों का दृश्य हर किसी को आकर्षित करता है पिथौरागढ़ जिले का सरमोली गांव जल्द ही देश का श्रेष्ठ पर्यटन गांव घोषित किया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय ने श्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता में सरमोली गांव का चयन किया है। 27 सितंबर को इसकी आधिकारिक तौर घोषणा के साथ गांव को श्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार भी दिया जाएगा। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने श्रेष्ठ पर्यटन गांव प्रतियोगिता शुरू की है।

इस प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी के समीप सरमोली गांव का चयन किया गया। पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी ने बताया कि देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 795 गांवों ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन किया था। जिसमें से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गांव स्तर पर किए गए बेहतर कार्यों को लेकर सरमोली गांव को श्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में चयनित किया गया।

पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति चंद्र आर्य ने भी इस बात पर खुशी जताई है उन्होंने कहा कि इससे मुनस्यारी क्षेत्र में पर्यटन की और गतिविधियां बढ़ेंगी और देश विदेश के पर्यटन यहां पर अधिक से अधिक संख्या में पहुंचेंगे।

मुनस्यारी के सरमोली का श्रेष्ठ पर्यटन गांव के रूप में चयनित होने से ग्रामीण खाफी खुश है। ग्रामीणों ने कहा कि इस गांव के लोगों द्वारा मुनस्यारी आने वाले पर्यटकों के लिए पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने का जो कार्य किया यह उसी का परिणाम है। उन्होंने आशा जताई है कि सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव घोषित होने के बाद सरमोली के साथ ही पूरे मुनस्यारी क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियां बढ़ेगी जिससे देश-विदेश के पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकेंगे।

जगत मर्तोलिया, जिला पंचायत सदस्य सरमोली का कहना है कि पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी का सरमोली गांव अपने आप में समृद्ध संस्कृति और नैसर्गिक सुंदरता को समेटे हुए है। पर्यावरण संरक्षण के साथ गांव के लोगों ने ग्रामीण पर्यटन को स्वरोजगार बनाया है। ईको टूरिज्म और साहसिक पर्यटन के लिए पर्यटक सरमोली गांव आते हैं।

यहां से हिमालय, नंदा देवी, राजरंभा, पंचाचूली, नंदा कोट चोटियों की सुन्दरता सबको अपनी ओर आकर्षित करता है। गांव में होमस्टे पर्यटकों की पहली पसंद है। ऐसे में गांव को देश का सबसे बेहतरीन पर्यटन गांव होने का खिताब मिलने से यहां पर पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का हौसला बढ़ेगा और यहां के लोग अच्छी तरह से यहां आने वाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करेंगे और इससे इनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होगी।

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धारचूला से कैलास मानसरोवर को जाने वाली रोड़ कई दिनों से बंद https://hillmail.in/road-leading-from-dharchula-to-kailas-mansarovar-closed-for-several-days/ https://hillmail.in/road-leading-from-dharchula-to-kailas-mansarovar-closed-for-several-days/#respond Sun, 13 Aug 2023 12:10:40 +0000 https://hillmail.in/?p=45172 धारचूला से कैलास मानसरोवर को जाने वाली बॉर्डर रोड़ तवाघाट से दारमा वैली तथा नारायण आश्रम वाली रोड जगह जगह पर अवरूद्ध हो गई है।

दोवाट से लेकर तवाघाट तक जगह जगह में लैंडस्लाइड होने के कारण आने जाने वाले लोगों को काफी परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। लगभग एक सप्ताह से रोड़ बंद होने के कारण आवाजाही बंद है लोग एक ओर से दूसरी ओर नहीं जा पा रहे हैं।

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एक सप्ताह से रोड़ बंद होने के कारण लोग फंसे हुए हैं। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

बताया जा रहा है कि तीन-चार दिन से रोड़ के सुधारीकरण को लेकर कोई कार्य नहीं चल रहा है। जिससे रोड़ खुलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है। परेशान जनता शासन प्रशासन से रोड़ खोलने की गुहार लगा रही है।

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पिथौरागढ़ में किताब कौतिक का आयोजन, ऐसे कार्यक्रम उत्तराखंड के हर जिले में होने चाहिए https://hillmail.in/kitab-kautik-organized-in-pithoragarh-such-programs-should-be-held-in-every-district-of-uttarakhand/ https://hillmail.in/kitab-kautik-organized-in-pithoragarh-such-programs-should-be-held-in-every-district-of-uttarakhand/#respond Thu, 20 Jul 2023 06:14:07 +0000 https://hillmail.in/?p=44633 किताबों की दुनियां शिक्षाप्रद, मनोरंजक और संवेदनशील रही है। किताब के साथ कौतिक का समन्वय इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि किताबों के साथ ही साहित्य, संस्कृति, नाट्य, रंगमंच, कैरियर काउंसलिंग से जुड़ी विभिन्न जानकारियों से भी लोग परिचित हो सकें। खासकर सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के विद्यालयी बच्चों के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल थी जिनकी उपस्थिति एवम सहभागिता इस मेले में प्रमुख रूप से उभर कर आई थी जो सिर्फ स्कूली शिक्षा तक ही सीमित रह जाते हैं।

टनकपुर, चंपावत, बागेश्वर के बाद किताब कौतिक का यह तीन दिवसीय आयोजन इस बार पिथौरागढ़ में 4, 5, 6 जुलाई को जिला प्रशासन पिथौरागढ़ के तत्वावधान और किताब कौतिक के संयोजन (संयोजक हेम पंत) में नव निर्मित नगर पालिका भवन में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम का मुख्य उदघाटन जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ रीना जोशी द्वारा किया गया। जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोरा, नगरपालिका अध्यक्ष राजेंद्र रावत व मुख्य विकास अधिकारी वैभव चौधरी द्वारा उदघाटन कार्यक्रम संपन्न हुए।

आयोजन के पहले दिन 4 जुलाई को विशेषज्ञों द्वारा बच्चों से सीधे संवाद किए गए। जिनमें वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी (लखनऊ), आई.ए.एस देवेश शासनी (एस.डी..एम धारचूला) राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त ललित पोखरिया (रंगमंच), चर्चित लेखक अशोक पांडे, युवा वैज्ञानिक संजय उपाध्याय, वन्यजीव विशेषज्ञ राजेश भट्ट, शांतनु शुक्ल, लखनऊ और प्रयागराज से आए विशेषज्ञ, प्रधानाध्यापक नीरज पंत द्वारा कुछ चिन्हित स्कूलों में जाकर स्कूली बच्चों से साहित्य, पर्यावरण, नाट्य विधा, कैरियर काउंसलिंग आदि विषयों पर सीधे संवाद किए गए और जानकारी दी गई।

शाम के वक्त कुमार कैलाश द्वारा ‘हटमाला के उस पार’ नाट्य का सफल मंचन किया गया। कुमार कैलाश जो नाट्य अकादमी भारत सरकार द्वारा ‘उस्ताद बिस्मिल्लाहखां’ सम्मान प्राप्त हैं और ‘भाव राग ताल नाट्य अकादमी’ के संस्थापक और डायरेक्टर हैं।

अगले दिन इस अवसर पर अनेक प्रकाशकों द्वारा उत्तराखंड की जानकारी सहित अनेक पुस्तकें बिक्री हेतु उपलब्ध कराई गई थीं। जिनमें हिमालय अध्ययन सहित अध्यात्म, पर्यटन, विज्ञान, इतिहास, बालसाहित्य सहित पाठकों की रुचि के अनुसार हर तरह का साहित्य उपलब्ध किया गया था।

आमंत्रित लेखक और साहित्यकारों से सीधी बातचीत का कार्यक्रम 5 जुलाई को रखा गया। जिसमें डॉ. शेखर पाठक, बद्री दत्त कसनियाल, एस पी सेमवाल, डॉ. अशोक पंत, नवीन जोशी, डॉ. हेमा उनियाल, अशोक पांडे, सिद्धेश्वर सिंह, प्रतिभा कटियार, अनिल कुमार यादव, डॉ. दीप चौधरी आदि की उपस्थिति रही। इनसे वार्ताकार रहे – दिनेश भट्ट, राजीव जोशी, उमेश पंत, महेंद्र रावत, दीप्ति भट्ट, महेश पुनेठा, मोहन जोशी। नैनीताल समाचार संपादक राजीव लोचन साह, स्वतंत्र पत्रकार जगमोहन रौतेला उसमें शामिल रहे।

वरिष्ठ पत्रकार बद्री दत्त कसनियाल और प्रो. शेखर पाठक ने पहले सत्र में ‘पिथौरागढ़ का वैभवशाली इतिहास और भविष्य की संभावना’ विषय पर अपना सारगर्भित व्याख्यान दिया। ‘प्रारंभिक शिक्षा में स्थानीय भाषा का महत्व’ विषय पर एस. पी. सेमवाल, डॉ. अशोक पंत, ‘हिंदी कथा साहित्य में पहाड़’ विषय पर लखनऊ से पधारे वरिष्ठ लेखक, पत्रकार नवीन जोशी, ’21वीं सदी में उत्तराखंड का हिंदी साहित्य’ विषय पर सिद्धेश्वर सिंह, ‘शिक्षा और साहित्य’ पर प्रतिभा कटियार, ‘अस्कोट का किसान आंदोलन’ विषय पर डॉ. दीप चौधरी, ‘साहित्य, घुमक्कड़ी और यात्रा लेखन’ पर अशोक पाण्डे, अनिल कुमार यादव का वक्तव्य महत्वपूर्ण रहा। इन पंक्तियों की लेखिका द्वारा ‘मानसखंडः नये संदर्भ’ पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए।

6 तारीख को प्रातः ‘नेचर वॉक’ के अंतर्गत कौशल्या देवी मंदिर (हुडैती) पिथौरागढ़ तक की यात्रा महत्वपूर्ण, जानकारीपरक रही। सभी ने उसका खूब आनंद लिया। इसमें राजेश भट्ट (बर्ड वाचिंग) और वनस्पति वैज्ञानी डॉ. बी एस कालाकोटी द्वारा जड़ी बूटियों और पूर्व निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य (उत्तराखंड) डॉ. ललित मोहन उप्रेती द्वारा रक्तदान, नेत्रदान और अंगदान की जरूरत पर जानकारी प्रदान की गई।

दूसरे सत्र में इस दौरान लगभग 25 स्कूलों के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेंटिंग प्रतियोगिता, ऐपण प्रतियोगिता, कविता वाचन, फोटोग्राफी, चित्रकारी प्रतियोगिता, दूरबीन अध्ययन व अन्य गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भागीदारी की।

इस दौरान कई महत्वपूर्ण पुस्तकों के लोकार्पण सहित ‘न्यौलि कलम – पिथौरागढ़’ किताब का विमोचन हुआ, जिसमें पिथौरागढ़ जिले के स्कूली बच्चों के 125 स्वरचित लेख / कविता आदि प्रकाशित हैं।

साथ ही इस अवसर पर जिले के 5 वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया गया जिनमें – सर्वश्री कच्चाहारी बाबा, बद्री दत्त कसनियाल, परमानंद चौबे, पद्मादत्त पंत और लोक कलाकार जगत राम जी रहे।

लगभग 10 नई पुस्तकों का आमंत्रित अतिथियों द्वारा लोकार्पण हुआ। जी.आई.सी भड़कटिया द्वारा छोलिया नृत्य और मानस अकादमी द्वारा हिलजात्रा की प्रभावशाली प्रस्तुति की गई।

स्थानीय और बाहर से आमंत्रित लगभग 25 कवियों ने ‘कवि सम्मेलन’ में अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। सभी को सम्मानित किया गया।

सांस्कृतिक संध्या में लोकगायक प्रहलाद मेहरा, कैलाश कुमार, गोविंद डिगारी और ‘नाद भेद टीम’ ने मनभावन गीतों की प्रस्तुति से सुंदर समा बांध दिया।

इस तीन दिवसीय आयोजन के अवसर पर आमंत्रित अतिथियों को स्थानीय भोज खिलाए गए, जिसकी व्यवस्था अपनी रसोई के हेम चन्द्र खोलिया द्वारा की गई जिसमें, बिच्छू घास की सब्जी, गहत, भट्ट, पहाड़ी रायता, भंगीरे की चटनी और स्थानीय उत्पाद शामिल रहे।

कार्यक्रम में विविधता लिए नक्षत्र, अल्मोड़ा द्वारा आधुनिक दूरबीनों के साथ बच्चों व लोगों को खगोल विज्ञान से जुड़ी जानकारी दी गई। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने सरलता से विज्ञान के सिद्धांत समझाने वाले मॉडल्स प्रदर्शित किए।

‘पहरू’ द्वारा स्थानीय भाषाओं की किताबों का स्टॉल लगाया गया। जिसमें महेंद्र ठकुराठी उपस्थित रहे। प्रसिद्ध कुमाऊनी मासिक पत्रिका ‘आदलि कुशलि’ की प्रकाशक और संपादक डॉ. सरस्वती कोहली जो आयोजन टीम से भी जुड़ी रहीं हैं, पूरी सहभागिता निभाती रहीं। समय साक्ष्य प्रकाशन, देहरादून के प्रवीण भट्ट भी पुस्तकों के साथ उपस्थित रहे। पहाड़ प्रकाशन, नैनीताल की शोधपरक पुस्तकें भी वहां दिखाई दीं। बच्चों के लिए विविध पुस्तकों की कमी न थी।

खाने-पीने के स्टालों में त्म्म्च् द्वारा लगाए गए स्टॉल पर मडुवा के बिस्कुट, नमकीन, अचार आदि अच्छी मात्रा में बिके। बेडू के बने उत्पादों को जिलाधिकारी रीना जोशी द्वारा लॉन्च किया गया।

पुष्पा फर्त्याल जो शहरफाटक से पधारी थी उनके द्वारा कठपुतलियों के माध्यम से परंपरागत वेशभूषा और महिलाओं के दैनिक कार्यों का सुंदर चित्रण किया गया। साथ ही नेचर वॉक के अंतर्गत समापन में एक सुंदर न्योली भी उन्होंने सुनाई। स्थानीय युवा ऐपण कलाकार यामिनी और कविता खड़ायत द्वारा हस्तशिल्प प्रदर्शनी लगाई गई थी।

स्मृति चिह्न के रूप में पिथौरागढ़ जिले के विशिष्ट त्यौहार, लोक परम्परा, प्राकृतिक दृश्य आदि चित्र भेंट किए गए, जिनमें 20 स्थानीय फोटोग्राफर्स के चयनित फोटो लिए गए थे।

कुल मिलाकर तीन दिवसीय यह आयोजन, जिला प्रशासन और किताब कौतिक टीम का समन्वित सुंदर और सफल आयोजन रहा। जिस पर उत्तराखंड के तेरह जिलों में आगे भी कार्य होते रहने की आवश्यकता है।

किताब कौतिक के संयोजक हेम पंत सहित, दयाल पाण्डे, हेम चन्द्र खोलिया, जगमोहन रौतेला, हर्षिता (बुलबुल), जनार्दन उप्रेती, नरेंद्र बंगारी, अध्यापक खिलानंद खोलिया, प्रहलाद मेहरा, महेश पुनेठा, डॉ. एल.एम उप्रेती, डॉ पीतांबर अवस्थी, हरिहर लोहुमी, गिरीश चंद्र पांडे ‘प्रतीक’, गोविंद सिंह कफलिया, डॉ. गजेंद्र बटोही, प्रेम पुनेठा, महेंद्र ठकुराठी, अतुल कुमार पाण्डे, विप्लव भट्ट, डॉ. सरस्वती कोहली, दिनेश भट्ट आदि की भूमिका इस आयोजन में महत्वपूर्ण रही।

इस आयोजन में बतौर लेखिका (मानसखंड, केदारखंड ..) मुझे आमंत्रित कर, एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया गया। यात्राएं और इस तरह के सेमीनार बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।

– हेमा उनियाल

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अब भारत से भी होंगे कैलाश पर्वत के दर्शन https://hillmail.in/now-kailash-will-be-visible-from-india-too/ https://hillmail.in/now-kailash-will-be-visible-from-india-too/#respond Thu, 29 Jun 2023 02:21:44 +0000 https://hillmail.in/?p=44159 उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन संभव है। स्थानीय लोगों ने जब चीन सीमा पर बसे ओल्ड लिपुपास की पहाड़ी से कैलाश पर्वत के दर्शन किये। उसके बाद उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में बताया। जिसके बाद जिला प्रशासन इस इलाके में धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं की तलाश में जुट गया है।

पिथौरागढ़ राज्य के साथ ही यह पूरे भारत के लिए गौरव की बात है जो भी श्रद्धालु काफी समय से कैलास मानसरोवर यात्रा नहीं होने से मायूस है वे यात्री अब पिथौरागढ़ से ही कैलास दर्शन कर सकते हैं यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे हमारा सीमांत क्षेत्र पयर्टन के क्षेत्र में आगे बढेगा और जो कैलास मानसरोवर को लेकर पिथौरागढ़ की जो पहचान थी वह दोबारा उसको मिल सकेगी। सरकार और प्रशासन को इस ओर जल्दी से जल्दी ध्यान देना चाहिए ताकि ऐसा रास्ता निकाला जाये कि पिथौरागढ़ से ही कैलास के दर्शन हो सके।

पयर्टन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के टूरिज्म अधिकारियों की टीम गुंजी, आदि कैलाश और ओम पर्वत पयर्टन स्थलों का दौरा कर चुकी है और इन स्थानों को कैसे पयर्टन के क्षेत्र में विकसित किया जा सकता है उसके लिये विचार विमर्श किया गया। सेना और अन्य सुरक्षा बलों के अधिकारियों के साथ बातचीत की जा रही है। इन सारी बातों पर एक रिपोर्ट तैयार की जायेगी और यह रिपोर्ट प्रशासन को भेजी जायेगी जिससे कि यहां के पयर्टन को और बेहतर किया जा सके।

दरअसल कैलाश पर्वत की यात्रा यानि कैलाश मानसरोवर यात्रा भारत में एक पर्व के रूप में देखी जाती है। यहां लोग बड़े ही उत्साह से यात्रा में शामिल होते हैं। जानकारों का कहना है कि यात्रा का कुछ हिस्सा बेहद संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरता है। वहीं दुर्गम पहाड़ इसे और खतरनाक बनाते हैं। लेकिन भगवान भोले की धुनी में रमे भक्त इन सबसे बेपरवाह यात्रा पूरी कर लौटते हैं।

केंद्र सरकार इस यात्रा को लेकर बेहद गंभीर रहती है और इसके लिए कुछ आवश्यक मानक भी तय किये गये हैं। इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा मई और सितंबर के बीच आयोजित की जायेगी। यात्रा को सड़क और हेलीकॉप्टर से पूरा किया जाता है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से जरूरी नार्म्स तय किये हैं। मानसरोवर यात्रा के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी करने में 10 से 30 दिन लग जाते हैं।

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