अनुराग अग्रवाल ने बोंगाईगांव, करीमगंज, डिब्रूगढ़, मोरीगांव, कार्बी आंगलोंग जैसे कई जिलों में पुलिस अधीक्षक के रूप में काम किया है। अपने 26 साल के करियर में उन्होंने क्राइम कंट्रोल से लेकर कानून-व्यवस्था के रखरखाव, काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन की योजना और एक्जीक्यूशन पर फोकस किया है। आईपीएस अनुराग अग्रवाल कई सफल उग्रवाद विरोधी ऑपरेशनों का हिस्सा रहे हैं। उन्हें डीजीपी प्रशस्ति पदक, आंतरिक सेवा सुरक्षा पदक, विशेष कर्तव्य पदक, वीरता के लिए पदक, वीरता के लिए पुलिस पदक, मेधावी सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक जैसे सम्मान मिल चुके हैं।
अनुराग अग्रवाल से पहले संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी 1997 बैच के आईपीएस रघुबीर लाल संभाल रहे थे। उन्हें उत्तर प्रदेश शासन ने एडीजी सुरक्षा की नई जिम्मेदारी सौंपी है जिसके बाद वह 2 नवंबर 2023 को यूपी कैडर में वापस चले गये थे, उसके बाद से यह पद खाली पड़ा हुआ था। उनके जाने के कुछ दिन बाद 13 दिसंबर 2023 को संसद की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आया। दो लोग तीन लेयर वाला सुरक्षा घेरा तोड़कर संसद के भीतर घुस गए थे। उन्होंने लोकसभा में रंगीन धुएं वाला स्प्रे किया। उसके बाद पहले सांसदों और फिर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया। संसद के बाहर नारेबाजी कर रहे उनके दो अन्य साथियों को भी पकड़ लिया गया था। हमेशा कड़ी सुरक्षा के घेरे में रहने वाली संसद में ऐसी चूक से गंभीर सवाल खड़े हुए।
अनुराग अग्रवाल की शिक्षा दीक्षा रूड़की में हुई उन्होंने 1995 में आईआईटी रूड़की से सिविल इंजीनियंरिंग की और वह दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद 28 दिसम्बर 1998 को असम मेघालय कैडर के आईपीएस अधिकारी बने। वह जल्द ही संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे।
]]>उत्कृष्ट सेवा के लिए गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हुए उत्तराखंड के चार जांबाज शूरवीरों ललित मोहन नेगी एसीपी स्पेशल ब्रांच दिल्ली पुलिस, धर्मेंद्र सिंह रावत कमांडेंट होमगार्ड एवं सिविल डिफेंस एनसीटी दिल्ली, जगदीश प्रसाद मैठाणी ग्रुप कमांडर एनएसजी तथा जयेंद्र असवाल सहायक केंद्रीय इंटेलीजेंस अधिकारी भारत सरकार का उत्तराखंड की दिल्ली एनसीआर में गठित प्रवासी सामाजिक, सांस्कृतिक व बौद्धिक संस्थाओ द्वारा 7 फरवरी को भव्य नागरिक अभिनन्दन समारोह का आयोजन गढ़वाल हितैषिणी सभा के तत्वाधान में गढवाल भवन झंडेवालान में आयोजित किया गया।
आयोजित भव्य नागरिक अभिनन्दन समारोह का श्रीगणेश गढ़वाल हितैषिणी सभा अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट के सानिध्य में सम्मानित उपस्थित जाबांजो तथा उत्तराखंड अंचल की अन्य अनेकों प्रवासी संस्था पदाधिकारियों व प्रबुद्घ जनों के कर कमलों दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
गढ़वाल हितैषिणी सभा महासचिव मंगल सिंह नेगी द्वारा उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित जांबाज शूरवीर ललित मोहन नेगी, धर्मेंद्र सिंह रावत के साथ-साथ अनुपस्थित जयेंद्र असवाल के पिता जगत सिंह असवाल को मंच पर आमंत्रित कर उक्त जनों के परिचय के साथ मंचासीन किया गया। जगदीश प्रसाद मैठाणी ग्रुप कमांडर एनएसजी की अनुपस्थिति के बावत अवगत करा कर उत्तराखंड के उक्त जाबांजों द्वारा देश की सुरक्षा हेतु दिए गए उत्कृष्ट योगदान के बावत तथा गढ़वाल हितैषिणी सभा द्वारा विगत सौ वर्षो में किए गए क्रिया कलापो, संस्था उद्देश्यों व मिली सफ़लता के बावत अवगत कराया गया।
मंचासीन जाबांजो का गढ़वाल हितैषिणी सभा पदाधिकारियों में प्रमुख अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष जय सिंह राणा, महासचिव मंगल सिंह नेगी, सचिव दीपक द्विवेदी, कोषाध्यक्ष गुलाब सिंह जायडा, उप कोषाध्यक्ष अनिल पंत, संगठन सचिव मुरारी लाल खंडूरी, खेल सचिव भगवान सिंह नेगी इत्यादि इत्यादि सहित खचाखच भरे सभागार में उपस्थित दर्जनों प्रवासी संस्थाओ व संगठन पदाधिकारियों तथा प्रबुद्ध जनों द्वारा मंचासीन जाबांज शूरवीरों का शाल ओढ़ा कर, पुष्पगुच्छ भेंट कर तथा मालाएं पहना कर हर्षोल्लास व तालियों की गड़गड़ाहट के मध्य सम्मानित किया गया।
आयोजित नागरिक अभिनन्दन सामारोह में गढ़वाल हितैषिणी सभा अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी, भाजपा प्रदेश सचिव विनोद बछेती, अधिवक्ता संजय दरमोडा तथा शिक्षाविद मनवर सिंह रावत द्वारा मंचासीन सम्मानित जांबाजों की वीरता व कार्य कुशलता पर सारगर्भित प्रकाश डाल कर व्यक्त किया गया, सम्पूर्ण देश का जनमानस उत्तराखंड के जाबांज शूरवीरों के साहस पूर्ण हौसलो, निडरता व राष्ट्र की सुरक्षा हेतु दिखाए गए अद्भुत वीरता व कार्य कुशलता से रोमांचित हैं, गौरवान्वित हैं।
उक्त वक्ताओं द्वारा अवगत कराया गया, जांबाज शूरवीर ललित मोहन नेगी को उनके दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के सेवाकाल में यह पांचवा उत्कृष्ट राष्ट्रीय सेवा मैडल मिला है। अभी तक उन्होंने आतंकवादी संगठनों का सफाया करने के लिए 36 इनकाउंटर कर अपनी वीरता, निडरता व साहस का परिचय देकर अपने नाम के साथ-साथ उत्तराखंड का नाम सम्पूर्ण देश में रोशन किया है।
वक्ताओं द्वारा अवगत कराया गया, ललित मोहन नेगी द्वारा अंचल के कई स्कूल गोद लिए हैं। स्वास्थ के क्षेत्र में कार्य कर गरीबों व जरुरत मंदो की निरंतर मदद करते रहे हैं। उत्तराखंड की गठित प्रवासी संस्थाओं, संगठनों व प्रवासी समाज के लोगों के सुख दुःख में अपना भरपूर योगदान देते आ रहे हैं, मददगार बने रहते हैं। निष्ठापूर्ण क्रिया कलापों के बल जनमानस को प्रेरित कर उत्तराखंड का गौरव बढ़ाते नजर आते हैं।
वक्ताओं द्वारा व्यक्त किया गया, मंचासीन सम्मानित सभी जाबांज शूरवीरों की वीरता व कार्यशैली से आज के युवाओ को प्रेरणा प्राप्त हुई है, अंचल व देश के लिए कुछ कर गुजरने की राह मिली है।
आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में उपस्थित प्रवासी संस्थाओ व संगठनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति पदक से सम्मानित शूरवीर धर्मेन्द्र सिंह रावत द्वारा आयोजक संस्था का आभार व्यक्त करते हुए कहा गया, पूर्व में उनका सेवा कार्यकाल बीएसएफ में रहा। उनके समस्त कार्य दल का कार्य सम्पूर्ण विश्व के लिए हितैषी होता है। उनके कार्यदल से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी आशा व चाहत के कर्तव्यनिष्ठ होकर कार्य करता है।
धर्मेन्द्र सिंह रावत द्वारा कहा गया, वे सदा बिना अपेक्षा के कार्य करते आ रहे हैं। उन्हें ‘नीव की ईट’ पुस्तक पढ कर प्रेरणा मिली कि किस प्रकार निर्माणाधीन इमारत के निर्माण कार्य में नीव की ईट का सबसे बड़ा योगदान होता है। उत्कृष्ट सेवा के लिए जो राष्ट्रपति पदक कर्तव्यनिष्ठ सेवा के लिए मिला है इसका श्रेय उस ‘नीव की ईट’ पुस्तक को पढ़ कर मिली प्रेरणा को जाता है।
राष्ट्रपति पदक से सम्मानित जयेंद्र असवाल के पिता जगत सिंह असवाल द्वारा कहा गया, उनके पुत्र ने उत्तराखंड सहित देश का गौरव बढ़ाया है। कम उम्र में पुत्र को सम्मान मिला, हर्ष हुआ।
उत्तराखंड के साथ-साथ देश के गौरव एसीपी स्पेशल सेल दिल्ली पुलिस ललित मोहन नेगी द्वारा कहा गया, वे अभिभूत हैं आज अपने समाज के लोगों द्वारा नागरिक अभिनंदन सम्मान पाकर व 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक प्राप्त कर। अवगत कराया गया, विशिष्ट कार्यों के निष्पादन के बल आगामी 16 फ़रवरी को एक और राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त होना है।
सम्मानित ललित मोहन नेगी द्वारा अवगत कराया गया, वर्ष 1989 में वे सब इंस्पेक्टर स्पेशल आपरेशन सेल दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे। जांबाज इंस्पेक्टर स्व.मोहन चन्द्र शर्मा के क्लास मैट रहे हैं। खूब मेहनत की, तरह-तरह के कार्यों व वारदातों के बावत जाना। बसंत कुंज, साउथ एक्स, आर के पुरम, पटियाला हाउस कोर्ट, कापस हेडा, धोलाकुआ इत्यादि इत्यादि जगहों पर कार्य किया। निष्ठा पूर्वक निभाए गए कार्यों के बल उक्त सेल जो बाद के वर्षो में स्पेशल सेल बना, उक्त सेल में कार्यरत रह बड़े-बड़े राष्ट्र विरोधी गिराेह, कुकर्मी व पाकिस्तानी आतंकी पकड़े।
ललित मोहन नेगी द्वारा अवगत कराया गया एयर पोर्ट पर पाकिस्तानी आतंकी पकड़े, संसद हमले पर हमारी टीम सबसे पहले आतंकवादियों का सफाया करने के लिए अंदर घुसी थी। सुबह से रात भर गेट नंबर पांच व बारह पर आपरेशन चलाया था। तब कुछ गलतिया भी हुईं थीं। दो संदिग्ध भी पकड़े थे। गैंगस्टर दाऊद गैंग पर कार्य किया। जामा मस्जिद में इंडियन मुजाहिदीन ने हमारे मुल्क के लोगों को ही हथियार बना विस्फोट करवाए। 2008 में बाटला कांड हुआ, जिसमें इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा आतंकियों की गोली की जद में आकर शहीद हुए थे।
अवगत कराया गया, उनका काम देश की विभिन्न एजेंसियों से मिलकर काम करना होता है, चेहरा उनका होता है। आतंकी गिरोह बहुत चालाक होते हैं, तरह-तरह से विभिन्न प्रकार की करतूतें करते हैं। 2011 से 2018 के बीच हमारे सेल व एजेंसीज ने मिलकर इंडियन मुजाहिदीन को समाप्त किया। तकनीकी रूप से इनकाउंटर किए। अंडरवर्ड को मारा। हमारी एजेंसियां रीड की हड्डी का काम करती हैं। अन्य फोर्स अलग तरह से काम करती हैं। हमने कभी भी लक्ष्मण रेखा को क्रास नहीं किया। अवगत कराया गया, जम्मू कश्मीर व बांग्लादेश में अलग किस्म के अपराध हैं। हमारे कार्य को सदा वरिष्ठ अधिकारियों व संबंधित मंत्रालयों द्वारा सराहा जाता रहा है।
ललित मोहन नेगी द्वारा अवगत कराया गया, वे उत्तराखंड अंचल के कोलागाड़ के रहने वाले हैं। 2007 में उन्हें पहला राष्ट्रीय विशिष्ट सम्मान सराहनीय सेवा व विशिष्ट सेवा के लिए प्रदान किया गया था। जिनकी संख्या अब उत्कृष्ट सम्मान सहित पांच हो गई है। जब भी अवार्ड मिला हमारे समाज ने प्रेरित किया अच्छे काम के लिए। जाबांज शूरवीर ललित मोहन नेगी ने अवगत कराया, उनके पुलिस स्पेशल सेल में अंचल के बहुत लोग हैं, इसलिए कि वे निष्ठापूर्वक काम करना जानते हैं, दिया गया काम बखुबी निभाते हैं।
नागरिक सम्मान आयोजक संस्था गढ़वाल हितैषिणी सभा व सभागार में उपस्थित सभी प्रवासी जनों के प्रति आभार प्रकट कर ललित मोहन नेगी द्वारा वीरता व निडरता से परिपूर्ण तथा प्रेरणा युक्त संस्मरणों पर विराम लगा वक्तव्य समाप्त किया गया।
जांबाज शूरवीरों के सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह का मंच संचालन गढ़वाल हितैषिणी सभा महासचिव मंगल सिंह नेगी व सचिव दीपक द्विवेदी द्वारा व समापन संस्था वरिष्ठ सदस्य लखीराम डबराल द्वारा सभी सम्मान प्राप्त जांबाजों को बधाई देकर व सभागार में उपस्थित सभी जनों का आभार व्यक्त कर किया गया।
]]>उत्तराखंड के रहने वाले एसीपी ललित मोहन नेगी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया जायेगा। पिछले साल उन्हें वीरता के लिए पुलिस पदक से भी सम्मानित किया गया था। वह इस समय दिल्ली स्पेशल सेल में तैनात हैं। उन्होंने अपनी सेवा के दौरान दिल्ली में कई कुख्यात बदमाशों को गिरफ्तार और कईयों को मौत के घाट भी उतारा है। वह दिल्ली पुलिस में एक ईमानदार और निडर अधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं।
गौरतलब रहे कि एसीपी ललित मोहन नेगी की टीम ने आनंदमयी मार्ग पर दो बदमाशों को 17 फरवरी, 2020 को घेर लिया था। एसीपी ललित मोहन नेगी ने जिप्सी से बदमाशों की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी। टक्कर से बदमाश नीचे गिर गए। कुछ देर में बदमाशों ने पुलिस टीम पर फायरिंग करना शुरू कर दी। गोलियां एसीपी ललित मोहन नेगी, एसआई सुंदर गौतम, एसआई रघुवीर और शमशेर की बूलट प्रूफ जैकेट में लगीं। ये पुलिसकर्मी बाल-बाल बच गए। मुठभेड़ में दोनों बदमाश ढेर हो गए।
इन पुलिस अधिकारियों को इस बहादुरी पूर्ण कार्य के लिए वीरता पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। एसीपी ललित मोहन नेगी की देखरेख में एसआई मनोज भाटी (उस समय एएसआई) व शजाद खान ने बहादुरी दिखाते हुए आतंकी गुरजीत सिंह उर्फ भा और सुखदीप सिंह उर्फ भूरा को गिरफ्तार किया था।
उत्तराखंड के निवासी एसीपी ललित मोहन नेगी ने इससे पहले भी कई एनकाउंटर को अंजाम दिया है। उनको इससे पहले 2021 में गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगों की जांच करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की टैक्टर परेड के दौरान लाल किले में हुई हिंसा के मामले में यूएपीए और राजद्रोह की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
एनकाउंटर स्पेशिलिस्ट एसीपी ललित मोहन नेगी को यूएपीए का इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर नियुक्त किया गया था। उस दिन किसान आंदोलनकारी काफी उग्र हो गये थे और उन्होंने कई जगह पर तोडफोड़ और हिंसक घटनाएं की थीं।
]]>रुद्रप्रयाग में 12 फरवरी, 1970 को जन्मे रघुबीर लाल ने बीएससी की और इसके बाद वह आईपीएस बने। उत्तर प्रदेश के 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी रघुबीर लाल संयुक्त सचिव (सुरक्षा) के तौर पर यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस समय लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद की सुरक्षा का दायित्व रुद्रप्रयाग के बेटे रघुबीर लाल के हाथ में है।
पुलिस का इतिहास कई रोमांचक किस्सों और जांबाजी से भरा हुआ है। अनेक पुलिस अफसर अपने काम से सुर्खियों में रहते हैं और उनमें से रघुबीर लाल भी एक हैं जिन्होंने नागरिकों का विश्वास जीता। रघुबीर लाल की अपनी एक अलग पहचान है।
आईपीएस रघुबीर लाल ने अपने कैडर में विभिन्न क्षमताओं में काम करते हुए लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करके दिखाया है। उन्होंने एसपी सोनभद्र और चित्रकूट के रूप में संवेदनशील कार्यभार संभाला है, कई नक्सल-डकैत विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया है।
एसएसपी अलीगढ, आगरा, मेरठ, गाज़ियाबाद और एसएसपी (लॉ एंड ओ) लखनऊ के रूप में उन्होंने अनुकरणीय सेवाएं प्रदान कीं, उन्हें मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से निपटने के लिए ओएसडी के रूप में तैनात किया गया था।
आज भी उन्हें लखनऊ पुलिस का कप्तान होते हुए अपराधियों को पकड़ने के लिए थानेदार के साथ खुद दबिश देने और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए याद किया जाता है। बेहद तेजतर्रार पुलिस अधिकारी रहे रघुबीर लाल को लखनऊ में उनके जबरदस्त कार्यकाल के लिए याद किया जाता है।
लखनऊ में पुलिस कप्तान होते हुए अपराधियों को पकड़ने के लिए थानेदार के साथ खुद दबिश देने और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए आईपीएल रघुबीर लाल को याद किया जाता है।
4 फरवरी 2009 को लखनऊ में एसएसपी के स्थान पर डीआईजी की तैनाती के साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था का पद सृजित करके 1997 बैच के आईपीएस रघुबीर लाल को नियुक्ति दी गई। थानेदारों के तबादले या तैनाती का उनके पास अधिकार नहीं था।
कार्यभार संभालने के साथ रघुबीर लाल ने कानून व्यवस्था के साथ अपराधियों की धरपकड़ शुरू की। तैनाती भले ही महत्वहीन पद पर रही हो, लेकिन रघुबीर लाल हर वारदात की सूचना पर खुद जल्द मौके पर पहुंचते।
कुछ ही समय में उनके दफ्तर में फरियादियों की भीड़ उमड़ने लगी। तैनाती के चंद दिनों बाद मीडियाकर्मियों के साथ खुद भी बैंक लुटेरे के भेष में निकले। वायरलेस पर संदेश प्रसारित किया और पॉश इलाकों में गाड़ी दौड़ाकर पुलिस की मुस्तैदी परखी।
अक्टूबर 2015 में उन्होंने दिल्ली मेट्रो के सुरक्षा प्रमुख की जिम्मेदारी भी निभाई। डीएमआरसी के उपमहानिरीक्षक के रूप में उनके कार्यकाल में उत्कृष्ट पहल और उपलब्धियों के लिए कई सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें गिनीज बुक में प्रवेश भी शामिल है।
बतौर डीआईजी उन्होंने दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा में तैनात सेंट्रल इंडस्ट्रियल पुलिस फोर्स (सीआईएसएफ) के 4,500 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों का नेतृत्व किया। इससे पहले उन्होंने एसएसपी गाजियाबाद के तौर पर भी सेवाएं दी और फिर मेरठ में आईटी (कारागार) भी रहे।
उन्हें सीएम उत्कृष्ट सेवा स्वर्ण पदक, वीरता के लिए पुलिस पदक, सराहनीय सेवा पदक और नकद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सामुदायिक पुलिसिंग और पर्वतारोहण की मान्यता में दो बार 25000 रु. कर्तव्यों के निर्वहन में उनके निरंतर प्रदर्शन ने उनकी सेवाओं के दौरान 8 प्रशंसाएं और 13 प्रशंसाएं अर्जित कीं, जो राष्ट्र के लिए उनकी सेवाओं को पर्याप्त रूप से बढ़ाती हैं।
]]>शंकर जीवाल भारतीय पुलिस सेवा के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने अपने 30 साल के पुलिस करियर में विभिन्न पदों पर काम किया है। शंकर जीवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के दक्षिण क्षेत्रीय निदेशक के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वह आंतरिक सुरक्षा के आईजीपी भी रह चुके हैं।
शंकर जीवाल ने तमिलनाडु में संगठित अपराध खुफिया इकाई के गठन और राज्य खुफिया तंत्र को उन्नत निगरानी उपकरणों से लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
राष्ट्रपति पुलिस पदक से हो चुके हैं सम्मानित
आईपीएस शंकर जीवाल को साल 2019 में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। मई 2021 में उन्हें चेन्नई का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया था।
]]>अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग और ऑपरेशन के लिए स्पेस मैप तैयार कर रही दिगंतारा स्टार्टअप को जापान और भारत की कंपनियों से 83 करोड़ का फंड मिला है। अब दिगंतारा इसी साल तक स्पेस मैपिंग को लांच करने की तैयारी में है। दिगंतारा गूगल मैप की तर्ज पर अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग और ऑपरेशनल प्लेटफार्म बना रही है।
इसरो और स्पेस एज के साथ मिल कर दो बार टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन के तौर पर स्पेस लांच कर चुके हैं। वर्ष 2018 में राहुल रावत, अनिरुद्ध शर्मा और तनवीर अहमद ने मिल कर दिगंतारा स्टार्टअप कंपनी बनाई और अंतरिक्ष की स्थिति की जागरूकता के लिए स्पेस मैपिंग का काम शुरू किया। 2020 में दिगंतारा को पहली सीड फंडिंग हुई। जून 2022 में इसरो के साथ मिल कर उसने स्पेस मैपिंग का पहला प्रदर्शन किया। सात महीने के बाद ही 3 जनवरी 2023 को स्पेस एज के साथ दूसरी बार स्पेस लांच किया।
वर्ष 2021 में, कलारी कैपिटल ने 2.5 मिलियन डॉलर के सीड फंडिंग के साथ दिगंतारा का समर्थन किया. इस फंडिंग का उपयोग करते हुए, स्टार्टअप ने एक वर्ष से भी कम समय में एक एसेट को अंतरिक्ष में भेजकर अपने हार्डवेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर का एक टेक्नोलॉजी प्रदर्शन प्रस्तुत करने के लिए अपनी क्षमताओं को आक्रामक रूप से मजबूत किया.
दिगंतारा स्टार्टअप कंपनी के सह संस्थापक राहुल रावत ने बताया कि भारत की पीक एक्सवी, कलारी कैपिटल और जापान की ग्लोबल ब्रेन कंपनी से 83 करोड़ का फंड मिला है। इसी साल स्पेस मैपिंग की लॉचिंग की तैयारी कर रहे हैं। राहुल का कहना है कि अंतरिक्ष में सेटेलाइट लगातार बढ़ रहे हैं। जिस तरह से जमीन पर ट्रैफिक के लिए गूगल मैप रास्ता बताता है। उसी तर्ज पर अंतरिक्ष में सेटेलाइट लॉचिंग के लिए स्पेस मैपिंग तैयार किया जा रहा है। इससे कोई भी एजेंसी स्पेस मैपिंग से सुरक्षित सेटेलाइट को लांच कर सकती है।
हिल-मेल ने पिछले साल अप्रैल में राहुल रावत से बातचीत की थी और उन्होंने बताया था कि हम स्पेस के क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बेंगलुरु स्थित दिगंतारा, अंतरिक्ष से ही अंतरिक्ष मलबे को ट्रैक करता है। यह दुनिया की उन मुट्ठी भर कंपनियों में से एक है, जो ऐसा कर रही हैं। इन-ऑर्बिट स्पेस मलबे को मॉनिटर करते हैं। उन्होंने एक सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन के साथ हार्डवेयर को जोड़ा है। एक नैनो उपग्रह से जुड़े हार्डवेयर, जो अंतरिक्ष में जाते हैं, उनमें एक लेजर मॉड्यूल है, जो 1 सेमी और 20 सेमी आकार के बीच की वस्तुओं को ट्रैक कर सकता है। डेटा को पृथ्वी पर रिले किया जाता है और वस्तु के भविष्य के प्रक्षेपवक्र की भविष्यवाणी करने के लिए संसाधित किया जाता है।
अपने कॉलेज के वर्षों के दौरान, राहुल रावत अंतरिक्ष अन्वेषण परियोजना पर काम कर रहे साठ से अधिक अंतर-अनुशासनात्मक इंजीनियरिंग उत्साही लोगों की एक टीम का प्रबंधन किया। इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेक्टर में उनके पास पर्याप्त अनुभव है, जिन्होंने रिमोट डेटा डाउनलोड के लिए इंटरनेट टू ऑर्बिट गेटवे के साथ एक उद्योग-ग्रेड नियंत्रण केंद्र और साइबरनेटिक्स ग्राउंड स्टेशन बनाने के प्रयास का नेतृत्व किया है। दिगंतारा अंतरिक्ष संचालन और स्थितिजन्य जागरूकता की कठिनाइयों को दूर करने के लिए दो-आयामी प्रणाली विकसित कर रहा है। इसका लक्ष्य सैटेलाइट ऑपरेटरों और अन्य अंतरिक्ष हितधारकों (रक्षा, एंश्योरेंस कंपनियों, वाणिज्यिक अंतरिक्ष कंपनियों) के लिए संचालन को आसान बनाना है।
राहुल रावत ने बताया कि दिगंतारा एक इन-ऑर्बिट एलआईडीएआरसिस्टम का उपयोग करके लोअर अर्थ ऑर्बिट में 1 सेमी या उससे अधिक की निवासी अंतरिक्ष वस्तुओं का पता लगाने के लिए एक सक्रिय कक्षीय निगरानी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म बना रहा है। उत्पन्न डेटा का उपयोग अंतरिक्ष क्षेत्र के हितधारकों और नियामकों द्वारा उनकी संपत्ति से जुड़े जोखिमों की पहचान करने और उन्हें कक्षा में टकराव से बचाने के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि स्पेस एमएपी (मैप) – स्पेस मिशन एश्योरेंस प्लेटफॉर्म – गूगल मैप्स की तरह ही शक्तिशाली और परिष्कृत होगा, जो अंतरिक्ष संचालन और खगोल विज्ञान के लिए एक आधारभूत परत के रूप में काम करेगा। एस-एमएपी का उद्देश्य डेटा फीडबैक लूप के माध्यम से सभी अंतरिक्ष संचालन के लिए एक समाधान प्रदान करना है, यानी अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता के लिए सभी डेटा स्रोतों (दूरबीन, रडार, दिगंतारा सॅटॅलाइट, जीपीएस, और स्टार ट्रैकर्स) से डेटा एकत्र करना।
]]>वर्तमान स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण 31 जुलाई को सेवानिवृत हो रहे हैं उसके बाद सुधांश पंत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव का पदभार ग्रहण करेंगे।
इससे पहले सुधांश पंत को पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था। सुधांश पंत कोरोना काल में स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर भी रह चुके हैं और उन्होंने कोरोना काल में स्वास्थ्य मंत्रालय में रहते हुए प्रमुख भूमिका निभाई थी। वह एक कर्मठ, जुझारू और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी है।
सुधाश पंत के स्वास्थ्य सेक्टर के प्लान अनुभव और उसके क्रियान्वयन के अच्छे रिकॉर्ड को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन्हें प्रतिनियुक्ति पर बुलाया था। उन्होंने कोरोना के फैलते संक्रमण को कंटोल करने में मंत्रालय की मदद की। पिछले पांच साल के दौरान सुधाश पंत ने दवा और मेडिकल डिवाइस की कीमतें कम करने से लेकर कई महत्वपूर्ण बिल के डाफ्ट को तैयार किया जो अब अस्तित्व में आ चुके हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर रहते हुए पंत ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के स्थान पर नेशनल मेडिकल कमीशन का बिल तैयार किया था, यह बिल राज्यसभा में पास हो चुका है और देशभर में एक साथ 75 मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए प्लानिंग बनाने का काम भी सुधाश पंत के स्तर पर किया गया था।
सुधांश पंत ने इससे पहले जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भू जल विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रहते हुए राजस्थान के विकास में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने घर-घर नल कनेक्शन के काम करवाए ताकि लोगों को इस मिशन से पेयजल की सुविधा का पूरा लाभ मिले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जल जीवन मिशन के तहत विषम परिस्थिति को देखते हुए स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्रों को पेयजल से जोड़ने का काम करें।
मूलरूप से पिथौरागढ़ जिले के खंतोली बेरीनाग निवासी बिजली विभाग के मुख्य अभियंता रहे जेसी पंत व गृहणी वीणा पंत के बेटे हैं। 12वीं तक की शिक्षा नैनीताल के सेंट जोसेफ कॉलेज करने के बाद आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की।
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भी कोरोना महामारी में अहम् भूमिका निभाई है। जब विश्व के कई देशों में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे थे और चीन, जापान में सबसे ज्यादा कोरोना के केस सामने आ रहे थे। तब भारत सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सतर्कता बढ़ा दी थी और इन कामों को आगे बढाने में स्वास्थ्य सचिव की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
स्वास्थ्य सचिव ने केंद्र और राज्यों सरकार के बीच तालमेल बनाये रखने में अहम योगदान दिया। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें कहा गया था कि जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, कोरिया, ब्राजील और चीन में मामलों में अचानक तेजी को देखते हुए देश में आए जाने वाले पॉजिटिव केसों के सैंपल्स की की जीनोम सिक्वेंसिंग कराना जरूरी है। भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) नेटवर्क के माध्यम से कोरोना के खतरनाक वैरिएंट को ट्रैक करने के लिए ऐसा करना जरूरी था।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था ताकि जहां तक संभव हो सभी कोरोना पॉजिटिव मामलों के नमूने दैनिक आधार पर INSACOG जीनोम सीक्वेंसिंग प्रयोगशालाओं (IGSLs) को भेजे गये और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए इन प्रयोगशालाओं को मैप किया गया था। जिससे सरकार को कोरोना के मामलों को रोकने में काफी सफलता भी मिली थी।
]]>प्रश्न : आप ओएनजीसी में निदेशक अन्वेषण के पद पर कार्यरत हैं, इस महत्वपूर्ण जिम्मेदारी को आप बखूबी निभा रही हैं, आप इस चुनौती को कैसे देखती हैं ?
सर्वप्रथम मैं आपको, आपकी प्रतिष्ठित पत्रिका में अपने विचार रखने का अवसर देने के लिए धन्यवाद करना चाहती हूं। मैंने अपना बाल्यकाल पहाड़ों की गोद में बिताया है और शायद इसी वजह से ही मेरे मन में हमेशा से यह जिज्ञासा रही है कि आखिर ये पहाड़ और ये नदियां कैसे बने होंगे और इसीलिए आगे चल कर मैंने अपने ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए भूगर्भ विज्ञान विषय चुना। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे ओएनजीसी जैसे प्रतिष्ठित महारत्न संस्थान में सेवा प्रदान करने का अवसर मिला, जहां मुझे देश के दिग्गज भूवैज्ञानिकों एवं पेट्रोलियम इंजीनियरों के साथ कार्य करने का मौका मिला। उनके मार्ग दर्शन में मैंने पेट्रोलियम अन्वेषण की बारीकियों को सीखा और आज 33 से भी ज्यादा वर्षों से ओएनजीसी एवं देश के लिए अपना यथोचित योगदान देने की कोशिश कर रही हूं। आज भारत सरकार ने मुझे निदेशक अन्वेषण जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है और मेरा पूरा प्रयास है कि मैं अपने इस दायित्व का निर्वहन करूं और ओएनजीसी अन्वेषण को एक वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कंपनी बना पाऊं।
आज के वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में जहां एक तरफ वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खतरों को देखते हुए पूरा विश्व हरित ऊर्जा संसाधनों की तरफ कदम बढ़ा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ भारत को अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए ऊर्जा की नितांत आवश्यकता है और ऐसे परिदृश्य में देशहित को देखते हुए हम ऊर्जा के लिए लगातार दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रह सकते। ओएनजीसी इस चुनौती को भली-भांति समझता है, और इसीलिए हमारा ये मिशन है कि ना सिर्फ पेट्रोलियम संसाधनों के अन्वेषण एवं उत्पादन में तेजी लायी जाए बल्कि साथ में ही ऊर्जा के अन्य स्रोतों को भी खोजा जाए और उनका विकास किया जाए। पिछले कुछ वर्षों में तेल और गैस के उत्पादन में कुछ कमी आयी है परन्तु मुझे पूरा विश्वास है कि आगे आने वाले दिनों में ना सिर्फ पेट्रोलियम उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि आप ओएनजीसी को वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों जैसे भू-तापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा और अपतटीय पवन ऊर्जा जैसी परियोजनाओं में भी कार्य करते हुए देखेंगे। अपनी स्थापना के समय से ही, ओएनजीसी हमेशा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संचालित एक संगठन रहा है, और मुझे विश्वास है कि वर्तमान चुनौतियों का समाधान भी हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से ही ढूंढ पाएंगे।
प्रश्न : आप अपने ओएनजीसी के 33 साल के कार्यकाल में अपनी कॉर्पोरेट प्रगति और उत्तरदायित्व के बारे में बताएं ?
मैं वर्ष 1989 में स्नातक प्रशिक्षु के रूप में ओएनजीसी परिवार का हिस्सा बनी और तुरंत बाद ही मुझे तत्कालीन मद्रास में कावेरी बेसिन में एक कूप स्थल भूविज्ञानी (Well site Geologist) के रूप में नियुक्त किया गया। जैसा कि आपको ज्ञात होगा कि उस समय महिलाओं के लिए बाहर काम करना कितना मुश्किल था, वह भी घर से इतनी दूर। हालांकि, मैं आज भी उत्साहित हो जाती हूं जब मैं भारत के दक्षिणी सिरे के पास वेदारण्यम नामक स्थान पर 14 दिनों की अपनी शिफ्ट के पहले दिन को स्मरण करती हूं। मेरी दूसरी पोस्टिंग KDMIPE देहरादून में थी और फिर उसके बाद मैंने मुंबई में केरल-कोंकण बेसिन में कार्य किया। वर्ष 2013 में, मुझे एक बार फिर KDMIPE देहरादून में भारतीय अवसादी बेसिनों (Sedimentary Basins) के लिए बेसिन स्केल 3डी पेट्रोलियम सिस्टम मॉडल (PSM) विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई। मुझे लगता है, यह मेरे कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण चरण था क्योंकि मैंने अन्वेषण के तहत लगभग सभी अवसादी बेसिनों में काम किया और विभिन्न प्रकार के आंकड़ों और जानकारियों को एकीकृत किया। शायद यही कारण था कि मुझे भारत सरकार की विभिन्न परियोजनाओं जैसे अन्वेषित बेसिनों का मूल्यांकन, हाइड्रोकार्बन संसाधनों का पुनर्मूल्यांकन आदि के लिए जिम्मेदारियां दी गईं।
वर्ष 2020 में, मुझे लगभग पूरे पूर्वोत्तर भारत में अन्वेषण पोर्टफोलियो की देखभाल के लिए असम और असम अराकान बेसिन, जोरहाट के बेसिन प्रबंधक के रूप में नियुक्त किया गया था। अन्वेषण की गति में तेजी लाने के लिए सिर्फ यथास्थिति बनाए रखना पर्याप्त नहीं था। अतः बेसिन मैनेजर के रूप में, मैंने अन्वेषण के क्षेत्र को बढ़ाने और अब तक गैर-अन्वेषित क्षेत्र या कम अन्वेषण वाले क्षेत्रों को अन्वेषण के दायरे में लाने पर जोर दिया। सर्वेक्षण, प्रसंस्करण और व्याख्या, ड्रिलिंग और कूप लॉगिंग के क्षेत्र में कई उन्नत तकनीकियों को शामिल करने सहित बेसिन ने अन्वेषण प्रक्रिया को तेज़ करने के लिए कई कदम उठाए। विभिन्न प्रशासनिक मुद्दों जैसे वन मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, असम और नागालैंड के बीच विवादित क्षेत्रों (DAB areas) में अन्वेषण जैसे मुद्दों को हल करने के लिए मैंने असम और नागालैंड के मुख्यमंत्रियों के साथ कई बैठकें कीं ताकि उन्हें DAB क्षेत्रों के साथ-साथ नागालैंड में भारी हाइड्रोकार्बन क्षमता के बारे में आश्वस्त किया जा सके, जिसके उत्पादन का लाभ सभी हित धारकों को मिलेगा। जनवरी 2023 में निदेशक अन्वेषण का कार्यभार संभालने के बाद से, मेरे पास देश की ऊर्जा आवश्यकता के साथ समन्वय बनाये रखने के लिए, अन्वेषण परिदृश्य को मजबूत करने और स्वच्छ और हरित ऊर्जा संसाधनों की ओर ऊर्जा ट्रांज़िशन के मुद्दों को संबोधित करने का बड़ा दायित्व है।
प्रश्न : आपको निदेशक अन्वेषण जैसे महत्वपूर्ण पद तक पहुंचने के लिए किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
ओएनजीसी आज न सिर्फ हमारे देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी है बल्कि विश्व के 15 देशों में तेल गैस के अन्वेषण एवं उत्पादन परियोजनाओं पर काम कर रही है। ओएनजीसी को इस मुकाम तक पहुंचने में बहुत से लोगों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। ओएनजीसी ने देश को कई अनुभवी भूविज्ञानी और प्रौद्योगिकीविद्ने दिए हैं, जिन्होंने एक के बाद एक तेल और गैस भंडारों की खोज की और देश को विश्व के पेट्रोलियम नक्शे पर लाए हैं। ओएनजीसी में हर एक भूवैज्ञानिक के सामने चुनौती होती है कि वो स्वयं को एक सुयोग्य भू-वैज्ञानिक सिद्ध करें और देश के विभिन्न तेल भण्डारो में स्थापित पेट्रोलियम सिस्टम की एक व्यापक समझ बनाये। इसके अलावा कंपनी के वित्तीय हितों को ध्यान में रखते हुए अन्वेषण के दायरे को बढ़ाने के लिए वैश्विक ऊर्जा व्यापार की अच्छी समझ होना भी जरूरी है।
पिछले कुछ दशकों में तेल गैस उद्योग में महत्वपूर्ण तकनीकी परिवर्तन हुए हैं, आज आसान, सतह के नज़दीक में मिलने वाले तेल भण्डारों का युग समाप्त हो गया है, लगभग सभी आधुनिक अन्वेषण एवं उत्पादन कंपनियों द्वारा परिष्कृत अत्याधुनिक उपकरण और नए तरीके विकसित और अपनाए जा रहे हैं। किसी भी उम्र के पेट्रोलियम भू-वैज्ञानिकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे समय के साथ हो रहे परिवर्तनों से कदम मिला के चलें और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का उपयोग करना सीखें। साथ ही बढ़ते हुए कार्यभार के बीच अपने आप को तकनीकी और नवीनतम ज्ञान से अपग्रेडेड रखने की बड़ी चुनौती है।
मैं भाग्यशाली रही हूं, कि मैं लगभग सभी भारतीय बेसिन के पेट्रोलियम सिस्टम मॉडलिंग प्रोजेक्ट्स से जुड़ी, जिसने मुझे अन्वेषण की विभिन्न चुनौतियों का एक समग्र दृष्टिकोण दिया। मैंने तकनीकी एवं वाणिज्यिक मूल्यांकन परियोजनाएं भी की है जिससे मुझे अन्वेषण परियोजनाओं के व्यावसायिक दृष्टिकोण को समझने में मदद मिली। मैंने अपनी टीम के युवा सदस्यों से भी बहुत कुछ सीखा है, जिनकी कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर में पकड़ स्वाभाविक रूप से अच्छी होती है। आज के आधुनिक सॉफ्टवेयर में वो काम कुछ ही घंटे में हो जाते हैं जिन्हें पहले मैन्युअली करने में कई दिन लग जाते थे।
प्रश्न : ओएनजीसी के वर्तमान परिवेश में तेल की नई और बड़ी खोज की महत्त्वपूर्ण चुनौती आपके सामने है, आप इसको किस तरह देखती हैं?
हमारा देश इस समय तेज गति से विकास कर रहा है, वास्तव में यह अगले कुछ वर्षों के लिए सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। इस वृद्धि को बनाये रखने के लिए लॉजिस्टिक्स और परिवहन में सरलता बहुत महत्वपूर्ण है जो कि उपयुक्त ईंधन पर निर्भर है। वर्तमान में हम लगभग 85 प्रतिशत आवश्यक कच्चे तेल और गैस का आयात कर रहे हैं जो राष्ट्रीय हित में उपयुक्त नहीं है। ओएनजीसी जो देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी है, अपने पुराने भंडारों से उत्पादन को बनाए रखने के लिए अथक प्रयास कर रही है। हमारे लगभग सभी प्रमुख तेल भंडार 40 साल पहले खोजे गए थे जहां प्राकृतिक उत्पादन में गिरावट होना स्वाभाविक है। हालांकि, सघन अन्वेषण प्रयासों के माध्यम से हम अपने मुख्य भंडारों के आसपास की संरचनाओं में नए तेल भंडार जोड़ते जा रहे हैं। आपको बता दें कि सिर्फ मुंबई हाई फील्ड में ही, 1974 में इसकी खोज के बाद से, हमने मूल रूप से अनुमानित तेल गैस भंडार की तुलना में निरंतर अन्वेषण के माध्यम से लगभग तीन गुना भंडार जोड़ा है।
जैसा कि आपने पूछा, एक नया और बड़ा तेल और गैस भंडार खोजना हमारी कार्यसूची में सबसे ऊपर है और यही कारण है कि हम क्षैतिज और गहराई दोनों आयामों में अपने अन्वेषण क्षेत्र का विस्तार कर रहे हैं। हम विशेष रूप से श्रेणी-2 और श्रेणी-3 बेसिन में स्थल (onshore) और अपतटीय (offshore) क्षेत्रों में नए अन्वेषण पट्टों (Exploration lease areas) का अधिग्रहण कर रहे हैं, जहां पर अभी तक व्यवस्थित रूप से अन्वेषण नहीं किया गया है और साथ ही हम पहले से खोजे गए बेसिनों में और गहरी परतों में तेल की खोज का प्रयास रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमें कृष्णा गोदावरी, कावेरी और अंडमान बेसिन के गहरे पानी और अत्यधिक गहरे पानी वाले क्षेत्रों और विंध्य और बंगाल बेसिन जैसे तटवर्ती क्षेत्रों में बड़ी सफलता मिलेगी। चुनौतीपूर्ण गहरे जल क्षेत्रों और गहरी परतां में तेल का पता लगाने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी की उपलब्धता भी महत्वपूर्ण है। ओएनजीसी गहरी परतों की इमेजिंग के साथ-साथ गहरे कुओं की ड्रिलिंग के लिए उच्च तकनीक वाले रिग एवं अन्य उपयुक्त उपकरणों के अधिग्रहण की दिशा में कार्य कर रहा है। इसके अतिरिक्त, ओएनजीसी भारतीय अपतटीय क्षेत्रों में अन्वेषण के लिए ऐसी प्रतिष्ठित वैश्विक कंपनियों के साथ साझेदारी कर रहा है, जिन्हें गहरे समुद्र में अन्वेषण का अच्छा अनुभव है। कुल मिलाकर घरेलू संसाधनों को बढ़ाने के प्रयासों और उपयुक्त भागीदारों के सहयोग से बेहतर क्षमता का निर्माण होगा और एक बहुत बड़े भूभाग का तेजी से अन्वेषण संभव होगा।
प्रश्न : एक महिला होने के नाते आपको करियर में किन किन विशेष मुश्किलों का सामना करना पड़ा?
इस सवाल का जवाब मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि मेरा महिला होना कभी भी मेरे लिए या ओएनजीसी की प्रगति में बाधक रहा हो। ओएनजीसी एक बहुत ही पेशेवर संगठन है और यहां पर एक अधिकारी की पेशेवर क्षमता, सत्यनिष्ठा और नेतृत्व क्षमता ही हमें करियर के अगले पायदान तक लेके जाते हैं। हां ये जरूर है, कि एक भूवैज्ञानिक होने के साथ ही मैं एक गृहिणी भी हूं और 2 बच्चों की मां भी हूं। जब मैं देहरादून में कार्यरत थी, और विशेषकर जब मेरे बच्चे छोटे और मेरे पति मसूरी में कार्यरत थे तो घर और काम के बीच समन्वय बिठाने के लिए मुझे बहुत भाग दौड़ करनी पड़ती थी। परन्तु अगर लक्ष्य बड़ा है तो मेहनत भी तो ज्यादा करनी पड़ेगी। यद्यपि जब मैं अपने बचपन को स्मरण करती हूं तो हमेशा से ही मुझे एक साहसिक और तेज रफ़्तार जीवन जीना पसंद था शायद इसी वजह से मुझे जियोलॉजी विषय इतना पसंद आया जिसमें आउटडोर फील्ड सर्वे एक अभिन्न अंग होता है। आज मैं जरूर कहूंगी कि मुझे अपने करियर के लक्ष्य हासिल करने में अपने परिवार का भरपूर सहयोग मिला है, जिसके लिए मैं उनकी शुक्रगुज़ार हूं।
ये बात सही है कि हमारे देश में आज भी बच्चों की परवरिश और घर के रोज़मर्रा के कामों को करने की जिम्मेदारी स्त्री के कंधो पर ही ज्यादा है, जिससे शायद कुछ महिलाएं वर्क-लाइफ में उचित सामंजस्य नहीं बिठा पाती हैं। हालांकि, यदि आपके जीवन के लक्ष्य स्पष्ट हैं और आप उन्हें प्राप्त करने के लिए दृढ़ हैं, तो आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहिए। एक सहायक और प्रेरक परिवार होने से यह सुनिश्चित होगा कि आप सभी बाधाओं को पार कर लेंगे और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेंगे।
प्रश्न : आप उत्तराखंड से आती हैं, आपकी उत्तराखंड राज्य के विकास को लेकर क्या सोच है तथा उत्तराखंड की महिलाओं को आप क्या संदेश देना चाहती हैं?
देवभूमि उत्तराखंड मेरा जन्म स्थान है, इसलिए स्वाभाविक रूप से मेरे हृदय में इसका विशेष स्थान है। अपने जन्म से लेकर आजतक मैंने उत्तराखंड को अपनी आंखों के सामने बदलते देखा है। एक लम्बे संघर्ष के बाद अंततः वर्ष 2000 में उत्तराखंड एक नए राज्य के रूप में स्थापित हुआ, उसके बाद से ही हमारा राज्य बहुत तेजी से प्रगति पथ पर अग्रसर है। सरकार ने भी कई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना में मदद की है। दूसरी ओर अपनी अंतर्निहित प्राकृतिक सुंदरता के कारण राज्य पर्यटन स्थल के रूप में सभी उम्र एवं क्षेत्रों के लोगों को आकर्षित करता रहा है चाहे वह एडवेंचर टूरिज्म हो या आध्यात्मिक। बिजली और जलापूर्ति परियोजनाओं, केदारनाथ, बद्रीनाथ आदि जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के पुनर्विकास और साथ ही अच्छी सड़कों, चारधाम रेलवे परियोजना, विभिन्न रोपवे परियोजनाओं के माध्यम से बेहतर संपर्क पर सरकार के ज़ोर से भविष्य में अधिक पर्यटकों के उत्तराखंड आने की उम्मीद है। इसलिए राज्य में पर्यटन और आतिथ्य उद्योग में स्पष्ट रूप से बहुत बड़ा अवसर है।
हालांकि, यह उत्तराखंड के सभी लोगों की जिम्मेदारी है कि वे इन पवित्र पहाड़ियों की नाजुक पारिस्थितिक और पर्यावरणीय स्थिति के बारे में जागरूक बनें। पर्यावरण और हमारी प्राचीन पहाड़ियों और जंगल को किसी भी तरह की क्षति से बचाने के लिए हमें अपनी योजनाओं को पर्यावरण के अनुकूल ही बनाना चाहिए। पर्यटन के अलावा, उत्तराखंड धीरे-धीरे एक शिक्षा केंद्र के रूप में भी उभर रहा है, इसलिए हमें आधुनिक प्रयोगशालाओं और भविष्य के पाठ्यक्रम के साथ विश्व स्तरीय संस्थानों का विकास करना चाहिए, जो वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, शिक्षाविदों और प्रबंधकों की अगली पीढ़ी का विकास कर सके।
उत्तराखंड की महिलाएं दुनिया में सबसे मेहनती, निडर और निस्वार्थ भाव से काम करने वाली होती हैं। चाहे वह पर्यावरण संरक्षण के लिए चिपको आंदोलन हो, अलग राज्य के लिए आंदोलन हो या एक साधारण पहाड़ी महिला का दैनिक संघर्ष, उत्तराखंड की महिलाओं ने बहुत ही दृढ़ता और साहस दिखाया है। मैं उत्तराखंड की महिलाओं को सिर्फ इतना कहूंगी कि ‘आप वो सब कुछ, जो मानवीय रूप से संभव है करने में सक्षम हैं, इसलिए बड़े सपने देखें और उन्हें पाने के लिए कड़ी मेहनत करती रहें’।
प्रश्न : आप ओएनजीसी जैसी महारत्न कंपनी में निदेशक होने के नाते उत्तराखंड के युवा जो कॉरपोरेट ज्वाइन करना चाहते हैं, उन्हें व्यवसायिक सफलता का क्या मंत्र देना चाहती है?
युवा देश का भविष्य हैं। उत्तराखंड के युवाओं को ऊर्जा, उत्साह और अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त है, यही कारण है कि उत्तराखंड के कई लोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं। हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और हमारे पूर्व सेनाध्यक्ष स्व. जनरल बिपिन रावत, जिन पर हम सभी गर्व महसूस करते हैं, समकालीन प्रमुख उदाहरण हैं। जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह कला हो, संस्कृति हो, पर्यावरण संरक्षण हो, खेल हो, सिनेमा हो, आध्यात्म हो, शिक्षा हो, व्यवसाय हो या रक्षा, उत्तराखंड के लोगों ने अपार योगदान दिया है। उन सभी युवाओं के लिए जो कॉर्पोरेट क्षेत्र या उद्यमिता में अपनी पहचान बनाने के इच्छुक हैं, मेरे पास कुछ सुझाव हैं, जैसे :-
अंत में मेरी यही कामना है कि उत्तराखंड की आने वाली पीढ़ियां अपने जीवन में प्रगति की नित नई ऊंचाइयां छुएं और राज्य और देश दोनों को गौरवान्वित करें।
]]>आईएएस विनीत जोशी को चुनौतीपूर्ण कार्य को आसानी से सुलझाने का हुनर आता है इसीलिए विनीत जोशी को केंद्र सरकार ने जल्दी ही हिंसाग्रस्त मणिपुर रवाना किया। जहां उन्हें मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। इससे पहले राज्य सरकार के अनुरोध पर उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि को खत्म करते हुए केंद्र ने उन्हें मणिपुर के लिए रिलीव कर दिया था। जहां पहुंचने के बाद राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने उन्हें तुरंत ही मुख्य सचिव नियुक्ति करने की मंजूरी भी दे दी।
मूलतः मणिपुर कैडर के 1992 बैच के अधिकारी जोशी मौजूदा समय में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के डीजी के साथ शिक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके पास शिक्षा मंत्रालय में केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों का जिम्मा था। एनटीए के गठन के बाद से वह इसके डीजी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इस बीच उन्होंने देश में एनटीए का एक मजबूत ढांचा खड़ा किया और नीट, जेईई मेन और सीयूईटी जैसे बड़ी परीक्षाओं का भी सफलतापूर्वक संचालन किया। इस दौरान इन परीक्षाओं को लेकर जो भी चुनौती आयी, उसे उन्होंने कुशलता के साथ निपटाया। केंद्र सरकार ने उन्हें ऐसे समय मणिपुर जाने के लिए कहा, जब वह नीट परीक्षा की तैयारियों में जुटे हुए थे।
आपको बता दें कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को 10 पहाड़ी जिलों में ’आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई। अब तक, 23,000 लोगों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से बचाया गया है और उन्हें सैन्य छावनियों में ले जाया गया है।
केंद्र में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके विनीत जोशी मणिपुर के स्थानीय आयुक्त रह चुके हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा संयुक्त उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद से हुई। विनीत जोशी ने इलाहाबाद स्थित एनी बेसेंट स्कूल और जीआईसी से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने आईआईटी कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद भारतीय विदेश व्यापार संस्थान से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री ली। उन्होंने मणिपुर में युवा मामले एवं खेल विभाग में सेवा शुरू की। वह 1999 में युवा मामले और खेल मंत्रालय में निजी सचिव के रूप में शामिल हुए। 2000 से 2001 तक वह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में निजी सचिव बने।
]]>उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग की बेटी प्रीति नेगी ने साइकिल से अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी को फतह करके नया विश्व रिकार्ड बनाकर पूरे विश्व में भारत का डंका बजवाया है. प्रीति नेगी ने रूद्रप्रयाग और उत्तराखंड ही नहीं देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया. प्रीती ने 18 दिसम्बर को अफ्रीकी महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो को साइकिल से 3 दिन में फतह कर तिरंगा फहराया और असंभव काम को संभव कर दिखाया.
अपनी इस सफलता के पीछे बाबा केदारनाथ की कृपा मानने वाली प्रीति ने 18 दिसम्बर को सुबह 6 बजे साउथ अफ्रीका के तंजानिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो पर भारत देश का तिंरगा लहराते हुए एक नया विश्व रिकार्ड कायम किया. इससे पूर्व पाकिस्तान की समर खान ने 4 दिन में समिट पूरा किया था. उन्हीं का रिकॉर्ड ब्रेक करके प्रीति ने 3 दिन में ही समिट पूरा करके नया विश्व रिकार्ड भारत के नाम कर दिया.
प्रीती नेगी ने अपने इस रिकॉर्ड को शहीद माउंटेनियर एवरेस्टर सविता कंसवा, नोमी रावत और भारतीय सेना के जाबांज सिपाही अपने शहीद पिता को श्रद्धाजंली स्वरूप समर्पित किया है. प्रीती नेगी ने कहा कि मैं इंडियन आर्मी से बहुत प्यार करती हूं. मैंने अपना समिट तीन दिन पूरा कर पाकिस्तान का रिकॉर्ड ब्रेक किया है. उनकी इस सफलता में कृष ने भी काफी मेहनत की. प्रीती ने रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित महिला कल्याण विकास अधिकारी दीपिका कर्णपाल का भी धन्यवाद ज्ञापित किया.
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