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Hill Mail https://hillmail.in Fri, 26 Apr 2024 13:27:33 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 https://i0.wp.com/hillmail.in/wp-content/uploads/2020/03/250-X-125.gif?fit=32%2C16&ssl=1 Hill Mail https://hillmail.in 32 32 138203753 सीएम धामी ने अधिकारियों को दिए निर्देश, चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले सभी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली जाएं https://hillmail.in/cm-dhami-gave-instructions-to-the-officials-all-arrangements-should-be-completed-before-the-start-of-chardham-yatra/ https://hillmail.in/cm-dhami-gave-instructions-to-the-officials-all-arrangements-should-be-completed-before-the-start-of-chardham-yatra/#respond Fri, 26 Apr 2024 13:20:22 +0000 https://hillmail.in/?p=49052 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आगामी चारधाम यात्रा की तैयारियों की बैठक लेते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले यात्रा मार्गों पर सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए। चारधाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों के सचिव यात्रा मार्गों का स्थलीय निरीक्षण कर सभी व्यवस्थाएं समय पर पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा की सभी तैयारियों को लेकर साप्ताहिक समीक्षा बैठक की जाए। चारधाम यात्रा में यातायात प्रबंधन और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए डीजीपी को भी चारधाम यात्रा से पूर्व स्थलीय निरीक्षण के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये हैं। बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा मार्ग पर जग्ह-जगह प्राईवेट हेल्थकेयर टेस्टिंग किट की व्यवस्था की जायेगी।

प्लास्टिक और कूड़ा प्रबंधन के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की जाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं। यह सुनिश्चित किया जाए कि देवभूमि उत्तराखंड का अच्छा संदेश देश और दुनिया तक जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि यात्रा मार्गों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाए। प्लास्टिक और कूड़ा प्रबंधन के लिए चारधाम यात्रा से जुड़े जनपदों के जिलाधिकारियों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई जाए।

घोड़े और खच्चर चालकों का किया जायेगा वेरिफिकेशन

चारधाम यात्रा के लिए घोड़ा और खच्चर चालकों का वेरिफिकेशन कराया जाए। तथा सभी का पुलिस और आपराधिक रिकॉर्ड चेक कर लिया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि जो भी घोड़े और खच्चर चारधाम यात्रा में लगाये जाएं उनका स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही पंजीकरण किया जाए। घोड़े और खच्चरों के लिए गर्म पानी की पर्याप्त व्यवस्था रखी जाय।

श्रद्धालुओं से शालीनतापूर्ण व्यवहार किया जाए

मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा मार्गों पर विद्युत, पेयजल और सड़कों की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। यात्रा मार्गों पर जगह-जगह बने शौचालयों को दुरस्त किया जाए एवं महिलाओं के लिए पृथक शौचालय की व्यवस्था की जाए। चारधाम यात्रा से जुड़े सभी अधिकारी और कर्मचारी शालीनता एवं सहनशीलता का परिचय दें, यह सुनिश्चित किया जाए कि श्रद्धालुओं के साथ अभद्रता न हो। यात्रा ड्यूटी में तैनात सुरक्षाकर्मी अलर्ट मोड पर रहें। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रत्येक छह घंटे के बाद सुरक्षा में तैनात कर्मियों को आराम दिया जाए। यात्रा में आने वाले वाहन चालकों के रहने और सोने की उचित व्यवस्था की जाए। यह भी प्रयास हो कि चारधाम यात्रा में जाने वाले वाहनों में दो-दो वाहन चालकों की व्यवस्था हो। वाहनों की फिटनेस का विशेष ध्यान रखा जाए।

सूचना तंत्र मजबूत किया जाए

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि चारधाम यात्रा के कुशल प्रबंधन के लिए सभी विभाग अलर्ट मोड पर रहें। श्रद्धालुओं को मौसम से संबंधित जानकारी, यातायात प्रबंधन और अन्य व्यवस्थाओं की जानकारी समय पर प्राप्त हो, इसके लिए श्रद्धालुओं को आवश्यक सूचनाएं ससमय प्राप्त हो इसके लिए सोशल मीडिया का बेहतर प्रयोग किया जाए। होटल, गेस्ट हाउस एवं होम स्टे में चारधाम यात्रा संबंधित निर्देशिका विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। इस निर्देशिका में चारधाम के साथ ही अन्य पर्यटक स्थलों की जानकारी भी विस्तृत रूप से दी जाए।

10 मई 2024 को श्री केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे जबकि 12 मई 2024 को श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। अभी तक चारधाम यात्रा के लिये 15 लाख से अधिक श्रद्धालु ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन करा चुके है।

अलर्ट मोड पर रहें अधिकारी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में इस समय चारधाम यात्रा के साथ ही वनाग्नि को रोकना महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की रोकथाम के लिए वन विभाग के अलावा अन्य विभाग भी अलर्ट मोड पर रहें। वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सूचना तंत्र और मजबूत किया जाए। क्विक रिस्पांस टाईम कम से कम किया जाए। वनाग्नि पर प्रभावी रोकथाम के लिए स्थानीय स्तर पर लोगों का सहयोग लिया जाए।

बैठक में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, शहरी विकास मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल, बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, डीजीपी अभिनव कुमार, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, अरविन्द सिंह ह्यांकी, डॉ. रंजीत सिन्हा, डॉ. आर. राजेश कुमार, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी एवं चारधाम यात्रा से जुड़े विभागों के वरिष्ठ अधिकारी और वर्चुअल माध्यम से संबंधित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

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जंगलों में आग लगाने वालों पर वन विभाग की सख्त कार्रवाई, मौके से पकड़े गए तीन लोगों पर मुकदमा https://hillmail.in/forest-department-takes-strict-action-against-those-who-set-fire-to-forests-case-filed-against-three-people-caught-from-the-spot/ https://hillmail.in/forest-department-takes-strict-action-against-those-who-set-fire-to-forests-case-filed-against-three-people-caught-from-the-spot/#respond Fri, 26 Apr 2024 09:56:20 +0000 https://hillmail.in/?p=49048 इस वर्ष कुल 19 मुकदमें दर्ज, 3 मुकदमें नामजद, 16 मुकदमों में जांच गतिमान

उत्तराखंड के जंगलों में आजकल आग एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। पहाड़ के कई जंगलों में आग की लपटें देखी जा रही है जिससे कि यहां रहने वाले मनुष्यों एवं वन्य जीवों को काफी नुकसान होता है। आग की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन अपनी ओर से ठोस कार्रवाई कर रहा है।

जैसे ही वन विभाग के अधिकारियों को आग लगने की घटना की जानकारी हुई उन्होंने तुरन्त ही कार्रवाही करते हुए जंगल में आग लगाने वाले लोगों को पकड़ लिया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाही की। प्रभागीय वनाधिकारी, रुद्रप्रयाग के नेतृत्व में गठित वनाग्नि सुरक्षा दल द्वारा नरेश भट्ट पुत्र मोलाराम भट्ट को जंगल में आग लगाते हुए तडियाल गांव, तहसील-जखोली से मौके पर पकड़ा गया। अभ्यिक्त का कहना है कि बकरियों को नयी घास हेतु उसने जंगल में आग लगायी। मौके पर वन क्षेत्राधिकारी, दक्षिणी जखोली द्वारा अपराधी को हिरासत में लेकर जेल भेजने की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी तथा भारतीय वन अधिनियम 1927 के अन्तर्गत वन अपराध दर्ज किया गया। वहीं उत्तरी जखोली के डंगवाल गांव में हेमन्त सिंह पुत्र उदय सिंह एवं भगवती लाल पुत्र चंदरू लाल को जंगल में आग लगाते हुए मौके पर पकड़कर जेल भेजा गया।

प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग अभिमन्यु ने बताया कि जंगल में आग लगाने अपराधियों के विरुद्ध वन अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत अपराध दर्ज कर दंडित किया जाएगा। अपराधियों को पकड़ने के लिये प्रभाग स्तर पर वनाग्नि सुरक्षा दल गठित किया गया है। अभी तक इस वर्ष कुल 19 मुकदमें दर्ज किये गये है जिसमें से 3 मुकदमें नामजद है तथा 16 मुकदमों में जांच गतिमान है।

वनाग्नि क्रू-स्टेशन एवं मोबाईल क्रू-स्टेशन के द्वारा वनाग्नि नियंत्रण किया जा रहा है साथ ही उडनदस्ता दल द्वारा समस्त रेंजों में सेटेलाईट, कैमरों एवं दूरबीन के माध्यम से अपराधियों को पकड़ने का कार्य किया जा रहा है। वनाग्नि रोकथाम वन विभाग के प्रयासों के साथ-साथ जन सहभागिता एवं जनभागीदारिता आवश्यक है।

वनाग्नि सुरक्षा दल में उप प्रभागीय वनाधिकारी देवेन्द्र सिंह, उप प्रभागीय वनाधिकारी पवन नेगी, उप प्रभागीय वनाधिकारी मोहन सिंह, उप वन क्षेत्राधिकारी दक्षिणी जखोली केसी नैनवाल, वन आरक्षी सुरजन सिंह नेगी तथा अन्य सदस्य मौजूद थे।

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चारधाम यात्रा तोड़ेगी पिछले वर्षों के सारे रिकॉर्ड – सतपाल महाराज https://hillmail.in/chardham-yatra-will-break-all-the-records-of-previous-years-satpal-maharaj/ https://hillmail.in/chardham-yatra-will-break-all-the-records-of-previous-years-satpal-maharaj/#respond Thu, 25 Apr 2024 15:48:57 +0000 https://hillmail.in/?p=49041 प्रदेश के पर्यटन, धर्मस्व, संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से बड़ी संख्या में यात्री अपना पंजीकरण करवा रहे हैं और यात्रा शुरू होने से पूर्व ही यात्रा मार्गो पर स्थित जीएमवीएन के गेस्ट हाउसों की बुकिंग में लगातार वृद्धि हो रही है उसे देखकर संभावना है कि इस बार भी चारधाम यात्रा पिछले वर्ष के 56.31 लाख श्रद्धालुओं के रिकॉर्ड को तोड़ेगी।

सतपाल महाराज ने बताया कि चारधाम यात्रा से पूर्व यात्रा मार्गो पर स्थित जीएमवीएन के गेस्ट हाउसों के लिए श्रद्धालुओं ने 22 फरवरी 2024 से अभी तक 8,05,33,229 (आठ करोड़ पांच लाख तैंतीस हजार दो सो उनतीस) की बुकिंग करवा ली है और यह आंकड़ा लगातार बढता जा रहा है। चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 15 अप्रैल 2024 से पंजीकरण प्रारम्भ कर दिये गये थे। 25 अप्रैल तक गंगोत्री के लिए 2,73,691 यमुनोत्री 2,49,864, केदारनाथ, 5,12,976, बद्रीनाथ 4,29,949 और हेमकुंड साहिब के लिए 22,961 यात्रियों सहित कुल 14,89,441 श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण कराया है।

पर्यटन मंत्री ने चारधाम यात्रा के दृष्टिगत एक स्टेट लेवल कन्ट्रोल रूम की स्थापना देहरादून स्थित उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद मुख्यालय की गई है जो कि पूरे यात्राकाल के दौरान संचालित रहेगा। यह प्रतिदिन प्रातः 7ः00 बजे से रात्रि 10ः00 बजे तक संचालित कन्ट्रोल रूम वर्तमान में भी संचालित है।

सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटकों और यात्रियों को देव दर्शनों के दौरान लम्बी कतारों एवं अधिक समय तक प्रतिक्षा न करनी पड़े इसके लिए चारधाम यात्रा में धामों के दर्शन के लिए टोकन/स्लॉट की व्यवस्था प्रारम्भ की गयी है। इस हेतु पंजीकरण / टोकन / सत्यापन व्यवस्था हेतु कार्यरत एजेन्सी के साथ पर्यटन विभाग के अधिकारियों द्वारा धामों का स्थलीय निरीक्षण जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारियों के साथ कर स्थल भी चयनित किये जाने प्रस्तावित हैं। इस व्यवस्था के लागू हो जाने पर किसी भी यात्री को कतार/लाईन में एक घंटे से अधिक का इंतजार नहीं कराना होगा। यात्रा काल में 115 उपनल और पीआरडी के माध्यम से पर्यटक सुरक्षा, सहायता मित्रों की तैनाती की जा रही है।

चारधाम यात्रा के दौरान सफाई व्यवस्था का विशेष ध्यान रखा गया जायेगा। यात्रा मार्गो पर वर्तमान में सुलभ इन्टरनेशनल संस्था के माध्यम से 1,584 सीटों वाले 147 स्थाई शौचालयों की व्यवस्था है। इसके अतिरिकत चारधाम यात्रा मार्गो यथा गंगोत्री तथा यमुनोत्री मार्ग पर 82 सीट, जनपद रूद्रप्रयाग के अन्तर्गत विभिन्न स्थलों पर निर्मित कुल 251 सीट, जनपद चमोली के यात्रा मार्ग पर 60 सीट एवं हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग पर 80 सीट स्टील फ्रेम शौचालयों का संचालन किया जा रहा है।

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उत्तराखंड में उन्नत खेती की तकनीक विकसित करने के लिए विचार गोष्ठी का आयोजन https://hillmail.in/seminar-organized-to-develop-advanced-farming-techniques-in-uttarakhand/ https://hillmail.in/seminar-organized-to-develop-advanced-farming-techniques-in-uttarakhand/#respond Thu, 25 Apr 2024 15:27:50 +0000 https://hillmail.in/?p=49038 उत्तराखंड में कृषि की अनेक संभावनाएं हैं इसको सही तरीके से विकसित करने के लिए सरकार अनेक प्रयास कर रही है। जिससे कि यहां रहने वाले किसानों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा हो और इनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए टिहरी के सीडीओ डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने हाल ही में तहसील देवप्रयाग के भद्रासु और झन्नू गांवों का दौरा किया, जहां उन्होंने एक क्षेत्रीय विकास बैठक की अध्यक्षता की जिसमें स्थानीय उन्नति और स्थायी कृषि प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

लखनऊ के एमसीबी एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एम.पी. भट्ट और पुष्पा भट्ट के साथ उन्होंने गांवों में अपने व्यापारिक परिचालनों का कुछ भाग विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की ताकि क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

इस बैठक के दौरान डॉ. त्रिपाठी ने एम.पी. भट्ट और पुष्पा भट्ट के इस निर्णय की प्रशंसा की कि वे अपनी कुछ वाणिज्यिक गतिविधियों को अपनी पूर्वज संबंधी भूमि पर वापस ले जा रहे हैं, जिसे उन्होंने स्थानीय विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में उजागर किया। चर्चा में बांस की खेती की तकनीकों और सीडीओ द्वारा प्रस्तावित संरक्षण योजनाओं के संभावित लाभों पर विचार-विमर्श किया गया, जिसका उद्देश्य स्थानीय अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देना था।

डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने स्थानीय उत्पादन के महत्व पर भी जोर दिया, जिसे बड़े पैमाने पर करने की आवश्यकता है। चंद्रबदनी मंदिर के स्थल पर देखी गई प्रदूषण, विशेष रूप से पीईटी बोतलों और प्लास्टिक पैकेजिंग से सीडीओ डॉ. अभिषेक त्रिपाठी को अवगत कराया गया। एमपी भट्ट और पुष्पा भट्ट ने इस समस्या को कम करने के लिए चर्चा की। उन्होंने तकनीक में सहायता और प्रदूषण से संबधित टेक्नीकल सोल्युसन में अपना समर्थन देने का वादा किया।

यह पहल स्थानीय नेतृत्व और समुदाय के सदस्यों द्वारा अच्छी कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने और अपने गांवों में पर्यावरणीय मुद्दों का सामना करने के लिए एक केंद्रित प्रयास को दर्शाता है।

पुष्पा भट्ट को आर्गेनिक खेती के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने के लिए पिछले साल ही उद्यान रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। अमित सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के तत्वाधान में जलगांव महाराष्ट्र में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया। पुष्पा भट्ट काफी समय से छोटे किसानों को आर्गेनिक खेती के बारे में जागरूक कर रही हैं। इसके लिए उन्हें उद्यमिता रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है।

उपस्थित लोगों में बीडीओ वीरेंदर कजथैत, ग्राम विकास अधिकारी राजेंदर बलूनी और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि हरीश भट्ट शामिल थे, जिन्होंने तकनीकी सहायता पर चर्चा की।

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ग्राउंड रिर्पोटिंग – लोकसभा चुनावों में कितना सफल रहा ‘अपना वोट अपने गांव’ अभियान https://hillmail.in/how-successful-was-the-apna-vote-apne-gaon-campaign-in-the-lok-sabha-elections/ https://hillmail.in/how-successful-was-the-apna-vote-apne-gaon-campaign-in-the-lok-sabha-elections/#respond Thu, 25 Apr 2024 05:58:57 +0000 https://hillmail.in/?p=49031 इस बार 17 अप्रैल को निवास स्थान ग्रेटर नोएडा से अपने गांव जल्ठा, डबरालस्यू पट्टी, ब्लॉक द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड जाना हुआ। एक-डेढ़ साल पूर्व जो वोटर कार्ड बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू हुई थी, वह पूर्ण हो गई थी और वोटर कार्ड बन कर तैयार था और हमें 19 अप्रैल को अपना वोट डालने अपने गांव जाना था। इससे पूर्व कभी दिल्ली, बाद में ग्रेटर नोएडा हमारा मतदान संपन्न होता रहा है।

इस बार हम दिल्ली से 17 अप्रैल को कोटद्वार के लिए ‘उत्तराखंड परिवहन’ की बस लेते हैं और 17 की शाम अपनी दीदी (पतिदेव की बड़ी बहन, काला परिवार) के यहां रुकते हैं। अगले दिन 18 अप्रैल को पहाड़ों के लिए बसों की बड़ी समस्या थी। अधिकांश बसें, जीपें चुनाव के लिए और उस बीच शादियों के लिए लग चुकी थीं। हमें बताया जाता है कि आप सुबह जल्दी निकल जायेंगे तो जाने का कुछ साधन मिल जायेगा अन्यथा मुश्किल होगी। हम सुबह 4 बजे उठकर 4ः45 में बालासौड, कोटद्वार से पैदल ही स्टेशन की ओर निकल पड़ते हैं और हमें 5ः30 बजे एक बस जिसे कोटद्वार से द्वारीखाल पहुंचना था, मिल जाती है। इस बीच कोटद्वार सरकारी बस अड्डे का अभी भी वही अविकसित रूप और साफ-सुथरे टॉयलेट का न होना अखरता है। कितना मुश्किल है यह लिखना कि जो गढ़वाल क्षेत्र का मुख्य द्वार कोटद्वार है वहां सही से एक बस अड्डा तक नहीं, कोई ठीक प्रसाधन सुविधाएं उपलब्ध नहीं। इसलिए जब बसों से यात्रा करते हैं तो कई सच्चाइयों से भी व्यक्ति रूबरू हो जाता है।

द्वारीखाल पहुंचकर बस में बैठे अन्य लोग भी हमारी तरह अटक जाते हैं जिन्हें चैलूसैण, देवीखेत या आगे तक जाना था। आधा, एक घंटा बसों का इंतजार करने के बाद द्वारीखाल में एक टैक्सी उपलब्ध हो पाती है जो हमें 800 रुपए में देवीखेत से 3, 4 किलोमीटर आगे जौलीधार तक छोड़ती है। वहां से जंगल की लगभग दो किलोमीटर की, मनभावन पैदल यात्रा करके हम अपने गांव सुबह 10, 11 बजे के बीच पहुंच जाते हैं। इस बार जंगलों में आग के कारण घास, झाड़ियां जली हुई थी और रास्ता साफ दिखाई दे रहा था, इसलिए जंगली जानवरों का भय कम था। गांव में अपने पैतृक घर में हम पहुंचते हैं और मदन भाई उनकी पत्नी, बहू रेनू का आतिथ्य हमें मिलता है। सभी गांव वालों से मुलाकात होती है, स्नेह, आदर से हमारे मन अभिभूत हो जाते हैं। गांव की स्थिति पर दो दिनों तक कुछ चर्चा भी हो जाती है।

यह तो हमारे गांव तक पहुंचने की यात्रा का विवरण था। मुख्य बात यह भी है कि हम शहरों की सुविधाओं को छोड़कर पुनः गांवों की ओर क्यों बढ़ रहे हैं…? इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है और आगे भी रहेगा, वह है गांव और शहर के बीच आबादी का संतुलन न होना। गांव खाली होते जा रहे हैं और शहरों में अतिरिक्त भार बढ़ रहा है, प्रदूषण बढ़ रहा है। बीमारियां बढ़ रही हैं। आज भी गांवों में कोई सुविधा न होते हुए भी शुद्ध हवा, पानी, थोड़ा बहुत घर के आगे खेती तो है ही, जो यहां के लोगों के लिए पर्याप्त है। पानी की, बिजली की समस्या भी अब बहुत हद तक दूर होने लगी है। घर-घर नल लग चुके हैं। पानी को घर-घर पहुंचाने के लिए सरकारी और ‘हंस फाउंडेशन’ की योजना चल रही है। गैस सिलिंडर घरों तक पहुंचने लगे हैं या पहुंचा दिए जाते हैं। गांवों में जब कुछ हलचल होने लगी तब तक गांव खाली हो गए..!

शायद सुविधाएं देने वाले हाथ, गांव तक देर से पहुंचे… लोगों को जरूरत थी, जीवन जीने का एक जज़्बा था, इस संघर्ष के बीच वो इंतजार न कर सके और चले गए। शहरों में भी उन्होंने जीवन जीने के लिए खूब संघर्ष किया किंतु अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दी। मकानों ने अपनी भव्यता बहुत समय तक बारिश, तूफानों के संघर्ष के बीच बचा कर रखी फिर एक दिन ऐसा आया वह गिर गए, हार मान ली…। आगे कुछ लोगों ने कहा कि हम 4 /5 भाई हैं, आपस की साझेदारी है चलो मिलकर इसे पुनः खडा कर देते हैं… किंतु फिर भी उनमें सहमति नहीं बन पाई… न मेरा है न तुम ही बना पाओगे…। दो परिवारों से पहले छह हुए, फिर दस फिर अनेक हो गए, नए गांव बस गए, पुराने छूटते चले गए। कुछ लोग कोटद्वार भाबर जाकर निवास करने लगे और गावों को छोड़ दिया। कुछ शहरों में भी रहे तो गांव आते-जाते रहे। एक लंबी अंतहीन कथा यूं ही चलती रही। आज जो है कल फिर कुछ नवीन होगा… यह सिलसिला चलता रहेगा…!

फिर भी गांवों में जो रहना चाहते हैं उनके लिए कुछ बातें जरूरी लगती हैः-

(1) जो कम संसाधनों में भी अपनी गुजर-बसर करने में संतुष्ट हों।
(2) जिनके हाथ, पैरों की स्थिति सही हो। क्योंकि यहां चढ़ना, उतरना आम बात होती है। साथ ही यहां अधिकतर टॉयलेट हिंदुस्तानी ही बने होते हैं और घर के अलग, पीछे की तरफ बने होते हैं।
(3) गांव में रहना है तो स्वयं की आत्मनिर्भरता भी जरूरी है क्योंकि कब तक रिश्तेदारों के या दूसरों के घर में रहा और खाया जा सकता है।
(4) यहां शहरों की तरह न शोर-शराबा है न प्रदूषण। शुद्ध हवा, पानी और शांति है और सुकून है… और जिनमें थोड़े में जीने की कला है, उनके लिए उत्तम स्थान। साथ ही थोड़ा ऊंचाई पर चले जाइए तो ठंडी हवा का क्या कहने….!
(5) साथ ही यहां रहने के लिए यह भय भी त्यागना होगा कि कहीं कुछ हो गया तो आसपास कोई डॉक्टर भी नही। यहां के व्यक्ति संतुलित खाते हैं, और शुद्ध वातावरण में रहते हैं। और कई लोग ऐसे हैं जो लंबे समय से बिना मेडिकल सुविधा के यहां रह रहे हैं और अभी तक स्वस्थ हैं। यहां अस्पताल बनना, स्कूल बनना, सड़कें बनना यह सब सरकारी परियोजनाएं हैं जिनसे गांव के प्रत्येक व्यक्ति का सरोकार तो है पर उस पर उनका कोई बस नहीं चलता। योजनाओं के इंतजार में रहते-रहते लोग यहां से पलायन कर गए। इंसान वही कर सकता है, जो उसके नियंत्रण में है। यदि गांवों के सही विकास के विषय में पहले से ही सोचा गया होता, नीतियां बनाई गई होती तो आज गांव इस तरह खाली नहीं होते और शहरों पर अतिरिक्त भार न होता। जंगली जानवरों का आतंक एक अलग विकट समस्या है।

इस बार गांव में वोटिंग प्रतिशत भी कम देखा गया जिसके कई कारण रहे होंगे। जिनमें प्रमुख कारण इस बीच बड़े लगन व शादी समारोहों का होना रहा। लोग इधर-उधर फंसे रहे और वाहनों की भी कमी रही। वोटिंग की तिथि निर्धारित करते समय शासन-प्रशासन की ओर से, एक बड़ी भूल इसे कहा जा सकता है कि उन्होंने शादी के इस बड़े लगन को नजरअंदाज किया या उनकी जानकारी दुरुस्त नहीं थी।

अन्य कारणों में जो समझ में आए उनमें स्थानीय नेताओं का गांव से जनसंपर्क ठीक से न होना, गांव से 2 किलोमीटर वोटिंग सेंटर तक बड़े-बूढ़ों के आने-जाने के लिए वाहन की सुविधा सही से न हो पाना तथा आपसी समन्वय की कमी रहना आदि। लोगों में बच्चों के रोजगार को लेकर चिंतित रहना और उदासीन रहना भी एक कारण रहा किंतु उनके द्वारा वोट फिर भी डाले गए। जिन लोगों द्वारा वोट नहीं डाले गए उन्हें आगे कुछ कहने का अधिकार भी नहीं होना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति राष्ट्रीय कर्तव्य भूल जाए और सिर्फ आलोचना करें, यह स्वीकार्य नहीं होगा। कुछ वर्षों में गांव का जो विकास हुआ है उसे सभी मानते हैं। कोरोना काल को यहां के सभी लोग अभी तक नहीं भूले हैं। उनका कहना है कि उस समय सरकार हर तरह की अन्न-धन की मदद न करती तो आधे गांव भूख से मर गए होते। मेरी जानकारी में इस गांव की ग्राम प्रधान रेनू उनियाल और ग्राम सभा खेड़ा की प्रधान सुषमा रावत (सुमा देवी) बहुत कर्मठ और जागरूक महिलाएं हैं, जिन्होंने खूब सहयोग किया और कर रही हैं।

हमारा गांव आना-जाना लगा रहेगा। हो सकता है आगे लंबे समय तक वहां ठहरा जाये और कुछ सार्थक कार्य वहां से किए जा सकें। गांव की बसासत को लेकर और समृद्धि को लेकर बहुत कुछ भीतरी चिन्तन क्रियाशील है जिसे ईश्वर ने चाहा तो कुछ साकार रूप मिल सके।

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में पहुंची, अधिकारियों को प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित https://hillmail.in/president-indira-gandhi-arrived-at-the-convocation-ceremony-of-the-national-forest-academy-honored-the-officers-by-giving-them-certificates/ https://hillmail.in/president-indira-gandhi-arrived-at-the-convocation-ceremony-of-the-national-forest-academy-honored-the-officers-by-giving-them-certificates/#respond Wed, 24 Apr 2024 15:52:59 +0000 https://hillmail.in/?p=49024 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय वन सेवा के 2022 बैच के सभी प्रशिक्षु अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि इस बैच में 10 महिला अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक हैं। राष्ट्रीय वन अकादमी की पर्यावरण के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये अधिकारी अपने इस अप्रतिम दायित्व के प्रति सजग और सचेत होंगे एवं पूर्ण निष्ठा से अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने कहा की हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे हमें अति शीघ्र करना है। वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है। भारतीय वन सेवा के पी. श्रीनिवास, संजय कुमार सिंह, एस. मणिकन्दन जैसे अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्राण न्योछावर किए हैं। देश को भारतीय वन सेवा ने बहुत अधिकारी दिये हैं, जिन्होंने पर्यावरण के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं। उनकी चर्चा बहुत सम्मान से की जाती है। उन सभी को आप अपना रोल मॉडल बनाएं एवं उनके दिखाए आदर्शों पर आगे बढ़ें।

राष्ट्रपति ने भारतीय वन अकादमी के विशेषज्ञों से अपेक्षा की कि जलवायु की आपातकालीन स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षार्थियों के पाठ्यक्रम में यथोचित संशोधन करने पर विचार करें। विश्व के कई भागों में वन संसाधनों की क्षति बहुत तेजी से हुई है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की मदद से हम क्षति-पूर्ति तेज गति से कर सकते हैं। विभिन्न विकल्पों का आकलन करके भारत की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप समाधान विकसित करने की आवश्यकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि विकास-रथ के दो पहिये होते हैं – परंपरा और आधुनिकता। आज मानव समाज पर्यावरण संबंधी कई समस्याओं का दंश झेल रहा है। इसके प्रमुख कारणों में विशेष प्रकार की आधुनिकता है, जिसके मूल में प्रकृति का शोषण है। इस प्रक्रिया में पारंपरिक ज्ञान को उपेक्षित किया जाता है। जनजातीय समाज ने प्रकृति के शाश्वत नियमों को अपने जीवन का आधार बनाया है। जनजातीय जीवन शैली मुख्यतः प्रकृति पर आधारित होती है। इस समाज के लोग प्रकृति का संरक्षण भी करते हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सदियों से जनजातीय समाज द्वारा संचित ज्ञान के महत्व को समझा जाए और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए उसका उपयोग किया जाए।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय वन सेवा के सभी अधिकारियों को भारत के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन ही नहीं करना है, बल्कि परंपरा से संचित ज्ञान का मानवता के हित में उपयोग करना है। आधुनिकता एवं परंपरा का समन्वय करके वन संपदा की रक्षा करनी है तथा वनों पर आधारित लोगों के हितों को आगे बढ़ाना है। जब भी आप किसी दुविधा में हों, तब आप संविधान के मूल्यों और भारत के लोगों के हितों को ध्यान में रख कर फैसला लें।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह के अवसर पर कहा कि यह समारोह हमारे राष्ट्रीय वन धरोहर के संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में नए योग्य नेतृत्व का उत्थान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय वन्य जीवन और वन्यजीव अध्ययन में उत्कृष्टता के लिए एक प्रमुख संस्था के रूप में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने अपने क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस संस्था ने वन्य जीवन के प्रबंधन और संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्टता के मानकों को स्थापित किया है और नए अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड, हिमालय की गोद में बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य की एक अतुलनीय धरोहर प्रदान करता है। उत्तराखंड अपनी समृद्ध और विविध वन संपदा के लिए जाना जाता है। हमारे राज्य की प्रमुख संपत्ति इसके वन हैं, जो बहुत समृद्ध जैव विविधता का घर हैं। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड जड़ी-बूटियों और सुगंधित पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है। उत्तराखंड के आम जन मानस वनों को देवतुल्य स्थान देते हुए इन्हें पूजते हैं, वास्तव में वनसंरक्षण के मामले में हमारा राज्य देश के अग्रणी राज्यों में शामिल है। भारतीय वन सेवा एक सम्मानित सेवा है जिसके साथ राष्ट्रसेवा की गौरवशाली परंपरा जुड़ी है। पश्चिमी घाट के घने जंगलों से लेकर विशाल हिमालय तक, सुंदरवन के मैंग्रोव क्षेत्रों से लेकर राजस्थान की मरुभूमि तक, आप अनेक विविधतापूर्ण स्थानों पर अपनी सेवाएं देंगे।

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टिहरी झील में चार दिवसीय नेशनल पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी चैंपियनशिप का आयोजन https://hillmail.in/four-day-national-paragliding-accuracy-championship-organized-in-tehri-lake/ https://hillmail.in/four-day-national-paragliding-accuracy-championship-organized-in-tehri-lake/#respond Wed, 24 Apr 2024 08:38:06 +0000 https://hillmail.in/?p=49019 डीएम मयूर दीक्षित ने चैंपियनशिप के शुभारम्भ की घोषणा कर आयोजक टीम, जज एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजनों से टिहरी झील को दुनिया के पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान मिलेगी।

चार दिवसीय नेशनल पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने हेतु भारत के लगभग 15 राज्यों के 105 प्रतिभागियों द्वारा पंजीकरण करवाया गया है। जनपद में एंडवेंचर स्पोर्स्ट्स के लिए उपयुक्त स्थान होने के चलते यहां पर्यटन एवं रोजगार की अपार सम्भावनाएं है, इस दिशा में और अच्छे प्रयास किये जायेंगें।

विगत माह नवम्बर, 2023 में जनपद टिहरी में एक्रो पैराग्लाइडिंग फेस्टिवल आयोजित किया गया जिसमें टेक ऑफ प्वांईट प्रतापनगर तथा लेंडिंग प्वाईंट कोटी कॉलोनी रहा, जिसमें पैराग्लाइडिंग के अच्छे रूझान आने के चलते यूटीडीए, टीएचडीसी और जिला प्रशासन के माध्यम से एक्यूरेसी चैंपियनशिप करवाई जा रही है। प्रतियोगिता के प्रथम दिवस कर्नाटक, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड से 72 प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहे हैं, जिसमें 8 महिलाएं भी शामिल हैं।

अपर मुख्य कार्याधिकारी (साहसिक विंग) यूटीडीए कर्नल अश्विनी पुण्डीर ने बताया कि नेशनल पैराग्लाइडिंग एक्यूरेसी चैंपियनशिप का आयोजन मंत्रा के सहयोग से उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के तत्वाधान में किया जा रहा है। प्रतियोगिता 25 अप्रैल, 2024 तक आयोजित की जायेगी, जिसमें टेक ऑफ प्वांईट कुठ्ठा तथा लेंडिंग प्वाईंट कोटी कॉलोनी है। प्रतियोगिता में पहली बार उत्तराखंड के स्थानीय प्रतिभागियों द्वारा भी प्रतिभाग किया जा रहा है। उत्तराखंड के स्थानीय बच्चों को एक साल से टिहरी में पैराग्लाइडिंग के ट्रेनिंग प्रोग्राम करवाए जा रहे हैं, जिसमें पैराग्लाइडिंग के पी-1, पी-2, पी-3, पी-4 की ट्रेनिंग करवाई गई। बताया कि एडवेंचर स्पोट्स में वाटर स्पोर्ट्स पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।

जिला पर्यटन विकास अधिकारी एस.एस. राणा ने बताया कि पैराग्लाइडरों द्वारा 05-05 राउण्ड किये जायेंगे तथा अंतिम दिवस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विजेता हेतु 01 लाख, द्वितीय विजेता को 75 हजार तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले को 50 हजार का प्राइज मनी दिया जायेगा।

इस मौके पर अधिशासी निदेशक टीएचडीसी एल.पी. जोशी, प्रधानाचार्य नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी कर्नल अंशुमान भदौरिया, सीडीओ अभिषेक त्रिपाठी, मंत्रा से ताना जी ताकवे, प्रतियोगिता के चीफ जज सिक्किम से राजू राय, पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित महाराष्ट्र से शीतल महाजन, सहासिक खेल अधिकारी के.एस. नेगी, पर्यटन से मनोज जोशी, पैराग्लाइडर, मीडिया बन्धु एवं स्थानीय लोग मौजूद रहे।

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केदारनाथ यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के रात्रि विश्राम पर प्रतिबंध https://hillmail.in/ban-on-overnight-stay-of-horses-and-mules-on-the-yatra-route-during-kedarnath-yatra/ https://hillmail.in/ban-on-overnight-stay-of-horses-and-mules-on-the-yatra-route-during-kedarnath-yatra/#respond Wed, 24 Apr 2024 07:33:17 +0000 https://hillmail.in/?p=49013 केदारनाथ धाम के लिए यात्रा की तैयारी तेज हो गई है। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने श्री केदारनाथ धाम से गौरीकुंड तक यात्रा मार्ग का पैदल निरीक्षण कर व्यवस्थाओं एवं तैयारी का जायजा लिया। यात्रा मार्ग पर सेंचुरी एरिया एवं वन क्षेत्र में घोड़े-खच्चरों की लीद से घास के मैदान एवं वन संपदा को हो रही क्षति पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने पूरे यात्रा मार्ग में घोड़े-खच्चरों के रात्रि विश्राम को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही संवेदनशील एवं डेंजर जोन में किसी भी हाल में दुकान एवं फड़ न लगने देने के निर्देश भी संबंधित विभागों को दिए।

सौरभ गहरवार ने श्री केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण एवं विकास कार्यों का निरीक्षण करते हुए संबंधित एजेंसियों से प्रगति रिपोर्ट जानी। इस दौरान उन्होंने मंदिर परिसर से लेकर गोल चबूतरे, मंदाकिनी एवं सरस्वती घाट पर चल रहे निर्माण कार्यों के अलावा अन्य निर्माण कार्य का जायजा लेते हुए आगामी यात्रा से पहले सभी प्राथमिक सुविधाएं दुरुस्त करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए। इसके साथ ही आस्था पथ, वाटर एटीएम सहित अन्य कार्य भी यात्रा शुरू होने से पहले पूर्ण करने के निर्देश दिए। इसके बाद गौरीकुंड तक यात्रा मार्ग का पैदल निरीक्षण कर बिजली-पानी, स्ट्रीट लाइट, रेन शेड, रेलिंग एवं मार्ग से जुड़े सभी कार्य यात्रा शुरू होने से पहले पूर्ण करने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए।

जिलाधिकारी ने यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की लीद से घास के मैदान एवं वन संपदा को हो रही क्षति की भरपाई एवं सेंचुरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए गौरीकुंड से लेकर श्री केदारनाथ धाम स्थित घोड़ा पड़ाव तक घोड़े-खच्चरों के रात्री विश्राम पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही टेंट या दुकानों की आड़ में भी घोड़े-खच्चरों को यात्रा मार्ग पर रुकने की अनुमति नहीं होगी। बताया कि न्यायालय ने सेंचुरी क्षेत्रों में घास के मैदानों का दोहन किसी भी हाल में न होने देने के आदेश दिए हैं। ऐसे में श्री केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चर एवं उनके मालिकों द्वारा अवैध रूप से नियमों का उल्लंघन कर वन संपदा के दोहन को रोकने के लिए यह निर्णय लिया जा रहा है।

इस वर्ष से घोड़े-खच्चर केवल घोड़ा पड़ावों पर ही विश्राम कर सकेंगे। इन नियमों का उल्लंघन करने वाले घोड़े-खच्चर मालिकों एवं व्यवसाइयों पर भारी जुर्माना एवं लाइसेन्स रद्द करने तक की कार्रवाई का प्रावधान रखा जाएगा। जिलाधिकारी ने घोड़े-खच्चरों एवं उनके मालिकों की सुविधा के लिए छोटी लिंचोली के समीप घोड़ा पड़ाव बनाने का प्रस्ताव भी तैयार करने के निर्देश लोनिवि को दिए हैं। ताकि अवैध जगहों के स्थान पर प्रशासन द्वारा बनाए जा रहे सुविधाजनक स्थानों पर घोड़े-खच्चर रह सकें।

जिलाधिकारी ने आपदा प्रबंधन अधिकारी नन्दन सिंह रजवाड़ एवं राजस्व विभाग को संयुक्त रूप से पूरे यात्रा मार्ग का निरीक्षण कर रोजगार की दृष्टि से महत्पूर्ण स्थानों को चिह्नित करते हुए दुकान एवं टेंट के लिए प्रस्तावित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही संवेदनशील एवं डेंजर जोन चिन्हित करने के निर्देश देते हुए सभी स्थानों पर साईनेज लगाने एवं ऐसे स्थानों पर किसी भी हाल में दुकान एवं फड़ न लगने देने के निर्देश भी संबंधित विभागों को दिए। पैदल निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी ने स्वयं एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारियों के साथ मिलकर प्लास्टिक की बोतल सहित अन्य प्लास्टिक कचड़ा भी एकत्रित करना शुरू किया। स्वच्छता अभियान के दौरान गौरीकुंड तक करीब 50 किलो कुड़ा एकत्रित कर कलेक्शन सेंटर में लाया गया। जिलाधिकारी ने आपदा प्रबंधन अधिकारी को सुलभ इंटरनेशनल के साथ मिलकर गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक वृहद स्वच्छता अभियान चलाते हुए सभी प्लास्टिक कचड़ा गौरीकुंड कलेक्शन सेंटर पहुंचाने के निर्देश देते हुए नियमित प्रगति रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

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सुगम और सुरक्षित चारधाम यात्रा का लक्ष्य, 50 जगह होगी तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य जांच – डॉ आर राजेश कुमार https://hillmail.in/the-aim-of-easy-and-safe-chardham-yatra-health-checkup-of-pilgrims-will-be-done-at-50-places-dr-r-rajesh-kumar/ https://hillmail.in/the-aim-of-easy-and-safe-chardham-yatra-health-checkup-of-pilgrims-will-be-done-at-50-places-dr-r-rajesh-kumar/#respond Wed, 24 Apr 2024 04:30:49 +0000 https://hillmail.in/?p=49007 – बद्री-केदार में स्थित अस्पतालों के लिए उपकरणों की खरीद शुरू, मेडिकल रिलीफ प्वाइंट में स्वास्थ्य मित्रों की तैनाती
– 11 भाषाओं में जारी की गई एसओपी, अन्य राज्यों के डॉक्टर भी दे सकेंगे अपनी सेवायें
– यात्रा मार्गों पर जगह-जगह स्थापित होंगे हैल्थ एटीएम, टेलीमेडिसन की भी मिलेगी सुविधा

चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों को पहले से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर सचिवालय में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार यात्रा को सुगम एवं व्यवस्थित बनाने के लिए हरसंभव तरीके से प्रयासरत् है। पर्यटन विभाग की बेबसाइट लाइव हो गई है। इसमें हैल्थ पैरामीटर का कॉलम रखा गया है। जिसमें यात्री अपनी हैल्थ से सबंधित पूरी जानकारी भरेंगे तो उन्हें जरूरत के समय इलाज में आसानी रहेगी।

 

बद्री-केदार में स्थित अस्पतालों के लिए उपकरणों की खरीद शुरू

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा इस बार तीर्थयात्रियो को यात्रा मार्ग पर पहले से बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। राज्य सरकार का विशेष फोकस बद्रीनाथ धाम व केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहत्तर बनाने पर है। इन दोनों जगहों में स्थापित किये गये अस्पतालों के लिए उच्च गुणवत्तायुक्त उपकरणों की खरीद शुरू हो गई है। जल्द उपकरण अस्पतालों में पहुंच जायेंगे।

11 भाषाओं में तैयार की गई एसओपी

डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि चारधाम यात्रा के लिए एसओपी 11 भाषाओं में तैयार की गई है। तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने हिंदी, अंग्रेजी के साथ गुजराती, मराठी, तेलगू समेत नौ स्थानीय भाषाओं में मानक प्रचलन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर बाहरी राज्यों को भेज दी है। उन्होंने अवगत कराया कि बाहरी राज्यों को एसओपी भेज दी गई है। जिससे दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं अपनी भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधित दिशा-निदेर्शों का पालन कर सकें।

यात्रा मार्गों पर 50 स्क्रीनिंग प्वाइंट

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि तीर्थयात्रियों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए यात्रा मार्ग पर 50 स्क्रीनिंग प्वाइंट बनाये गये हैं। इन स्क्रीनिंग प्वाइंट को रजिस्ट्रेशन प्वाइंट के साथ ही रखा गया है। इसमें तीर्थयात्रियों की उच्च रक्तचाप, मधुमेह सहित 28 पैरामीटर की जांच की जायेगी। इसमें हंस फांउडेशन की टीम भी मद्द कर रही है।

अन्य राज्यों के डॉक्टर से अपील

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि चारधाम यात्रा में उत्तराखंड के अतिरिक्त अन्य राज्यों के भी डॉक्टर अपनी सेवायें देने को इच्छुक रहते हैं। इसलिए इस बार सभी स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों को पत्र लिखकर चारधाम यात्रा में कार्य करने को इच्छुक डॉक्टरों के संबध में जानकारी मांगी गई है। इसके साथ ही राज्य की डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टॉफ की तैनाती यात्रा शुरू होने से पूर्व हो जायेगी।

मेडिकल रिलीफ प्वाइंट पर स्वास्थ्य मित्रों की तैनाती भी

तीर्थयात्रियों के लिए मेडिकल रिलीफ प्वाइंट महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इस बार इनकी स्थिति पहले की अपेक्षा और बेहत्तर की गई है। डॉक्टर व अन्य मेडिकल स्टॉफ के साथ ही यहां पर आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य मित्रों की तैनाती भी की जायेगी। इसके साथ ही मेडिकल रिलीफ प्वाइंट में दवाओं का स्टॉक, ऑक्सीजन सिलेंडर व अन्य सामान सहित सभी जरूरी उपकरण मौजूद रहेंगे। प्रत्येक मेडिकल रिलीफ पोस्ट में चिकित्सकों के साथ ही लगभग आधा दर्जन प्रशिक्षित मेडिकल स्टॉफ तैनात किया गया है। वहीं सीएचसी में विशेषज्ञ चिकित्सों के साथ ही एक दर्जन से अधिक प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती की गई है।

तीर्थयात्रियों को महत्वपूर्ण सलाह

स्वास्थ्य विभाग ने एसओपी में यात्रियों को सलाह दी कि कम से कम सात दिन के लिए चारधाम यात्रा की योजना बनाएं। केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद 5 से 10 मिनट तक विश्राम करें। यात्रा के लिए गरम कपड़े, बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, छाता, स्वास्थ्य जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ में रखें। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित यात्री जरूरी दवा और डॉक्टर का नंबर अपने पास रखें। यात्रा के दौरान सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, उल्टी आने पर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में प्राथमिक उपचार लें।

केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर विशेष फोकस

केदारनाथ यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य विभाग को विशेष फोकस है। विगत वर्ष यहां 10 मेडिकल रिलीफ पोस्ट के साथ ही दो पीएचसी सेटर भी स्थापित किये गये थे। केदारनाथ यात्रा मार्ग पर यात्रियों को हेल्थ एटीएम की सुविधा भी मिलेगी। विगत वर्ष की तरह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुप्तकाशी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फाटा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गौरीकुंड और माधव चिकित्सालय नारायणकोटी में हेल्थ एटीएम की स्थापना के निर्देश दिये गये हैं। डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, ऑक्सीजन सिलेंडर और दवाओं की प्रयाप्त व्यवस्था है।

यात्रा मार्गों पर स्थापित होंगे हैल्थ एटीएम

स्वास्थ्य सचिव ने डॉ आर राजेश कुमार ने अवगत कराया कि यात्रा मार्गों पर हैल्थ एटीएम स्थापित होंगे। सभी जिलों के सीएमओ, सीएमएस के इस संबध में निर्देशित कर दिया गया है। हेल्थ एटीएम में ब्लड प्रेशर, शुगर, वजन, लंबाई, शरीर का तापमान, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा आदि की जांच की जाएगी। हेल्थ एटीएम में कार्य करने वाले तकनीकि स्टॉप को प्रशिक्षण दिया गया है।

टेलीमेडिसन की भी सुविधा

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने कहा तीर्थयात्रियों के लिए टेलीमेडिसन सेवा की भी सुविधा रखी गई है। स्वास्थ्य संबधी गंभीर परिस्थिति उत्पन्न होने पर यह यात्रियों के लिए वरदान साबित होगा। इसके द्वारा किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति में 24 घंटे विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह प्राप्त की जा सकती है। जिससे बीमारी का तुंरत उपचार शुरू हो सकेगा।

श्रद्धालुओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के इंतजाम

स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने बताया कि यात्रा मार्ग पर ऐसे डाक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गयी है जो कि हृदय संबंधी रोगों के उपचार और निदान में पारंगत हों। उन्होंने कहा कि हम चारधाम यात्रा को पूरी तरह से सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए संकल्पित हैं। यात्रा मार्गों पर मौजूद अस्पतालों में डाक्टर, स्टाफ, आक्सीजन सिलेंडर और दवाओं की व्यवस्था की गयी है। चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के इंतजाम किए गए हैं। इस बार किसी भी यात्री को स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। उन्होंने चारधाम यात्रा ड्यूटी में तैनात होने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों-कर्मचारियों को पूर्ण सेवाभाव और मनोयोग से यात्रियों की स्वास्थ्य जांच व सहयोग करने की अपील की।

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एम्स सर्वोत्तम और किफायती उपचार प्रदान कराने में अग्रणी – राष्ट्रपति https://hillmail.in/aiims-is-a-leader-in-providing-best-and-affordable-treatment-president/ https://hillmail.in/aiims-is-a-leader-in-providing-best-and-affordable-treatment-president/#respond Tue, 23 Apr 2024 17:24:12 +0000 https://hillmail.in/?p=49001 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व स्तरीय शिक्षा और सेवा प्रदान करना एम्स ऋषिकेश सहित सभी एम्स की एक बड़ी राष्ट्रीय उपलब्धि है। सभी एम्स सर्वोत्तम और किफायती उपचार प्रदान करने के लिए पहचाने जाते हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में कई एम्स की स्थापना इस उद्देश्य से की जा रही है कि अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके और अधिक से अधिक मेधावी छात्र एम्स में शिक्षा प्राप्त कर सकें।

राष्ट्रपति ने कहा कि एम्स ऋषिकेश में विद्यार्थियों की कुल संख्या में छात्राओं की संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है, यह जानकर उन्हें प्रसन्नता हुई। भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़े नीति निर्धारण से लेकर, टर्सरी हेल्थ केयर जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागेदारी एक बहुत बड़े और अच्छे सामाजिक बदलाव की तस्वीर प्रस्तुत करती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हित में आधुनिकतम तकनीकि का उपयोग करना, एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। एक्स ऋषिकेश CAR T-cell therapy और Stem Cell Research के क्षेत्र में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक की भूमिका डायग्नोस्टिक तथा उपचार में निरंतर बढ़ती रहेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एम्स, ऋषिकेश द्वारा इन बदलावों का तेजी से सक्षम उपयोग किया जाएगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में धूप की कमी के कारण तथा स्थानीय खान-पान के कारण ऑस्टियोपोरोसिस तथा एनीमिया जैसी बीमारियों से लोग, विशेषकर महिलाएं प्रभावित होती हैं। ग्लोबल मेडिसन के इस युग में भी मेडिसन से जुड़ी राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं के बारे में अनुसंधान करना तथा उनका समाधान करना एम्स, ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे अग्रणी संस्थान स्वस्थ भारत और विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के देवभूमि उत्तराखंड आगमन पर स्वागत किया। एम्स ऋषिकेश के चतुर्थ दीक्षांत समारोह के अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह अवसर न केवल उपाधि प्राप्तकर्ताओं के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव का संदर्भ है, बल्कि यह भारतीय समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विकास की दिशा में, हमारे देश को नई ऊँचाई पर ले जाएगा। यह केवल उपाधि प्राप्त करने का समारोह नहीं है, बल्कि यह एक नई शुरुआत है।

उन्होंने कहा कि एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ, डॉक्टर्स, और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों ने अपने समर्पण और संघर्ष से इसे एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थान बनाने का संकल्प प्रदर्शित किया है। उत्तराखंड का भौगोलिक क्षेत्र, स्वास्थ्य सेवाओं एवं देखभाल के लिए चुनौतियों को प्रस्तुत करता है, जिस कारण प्रदेशवासियों के लिए उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की पहुंच सीमित रही है, ऐसे में एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड में परिवर्तनकारी स्वास्थ्य सेवा पहलों के लिए प्रेरणा का एक स्रोत है, जो उत्तराखंड के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करता है।

राज्यपाल ने कहा कि चारधाम यात्रा मार्गों पर आवश्यक दवाओं की ड्रोन के माध्यम से डिलीवरी करना, एम्स ऋषिकेश की एक अभिनव पहल है। यह एक प्रकार से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में तकनीक के माध्यम से तीर्थ यात्रियों को एक जीवन रेखा प्रदान करने जैसा है। पर्वतीय क्षेत्रों में हेली एम्बुलेंस सेवा का संचालन करना यह दर्शाता है कि एम्स ऋषिकेश चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के साथ-साथ उत्तराखंड के स्थानीय निवासियों को भी, आपदा के समय में उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

आज एम्स ऋषिकेश, रोबोटिक सर्जरी जैसी सुविधा से युक्त है। कैंसर जैसे जटिल रोगों के उपचार के लिए उत्तराखंड के साथ-साथ हमारे आस-पास के अन्य राज्यों के रोगियों को भी सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है। राज्य संस्थानों और एम्स ऋषिकेश के बीच सहयोग, सभी वर्गों के लिए, विशेषकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थी अपने कार्य में पूरा मन, समर्पण और संवेदनशीलता से काम करते रहने का संकल्प लेंगे।

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य डॉ वी.के पॉल, अध्यक्ष एम्स, ऋषिकेश प्रो. समीर नंदी, निदेशक एम्स, ऋषिकेश प्रो. मीनू सिंह उपस्थित थे।

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