उत्तराखंड में शर्तों के साथ चलेंगी बसें, CM त्रिवेंद्र सिंह ने बताई लॉकडाउन-4 की रणनीति
- देहरादून, उत्तराखंड न्यूज़
- May 18, 2020
हिल-मेल का प्रयास जनमानस की आवाज को सही स्तर तक पहुंचाना है। हमने कोशिश की है कि हिल-मेल पहाड़ से जुड़े जनमानस के बीच एक मंच और एक अभियान के रूप में आगे बढ़े। हिल-मेल प्रयत्न कर रहा है कि हिमालय के आंचल में रोजाना की घटने वाली सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक और दैवीय घटनाओं की जानकारी जल्दी से जल्दी लोगों को मिलती रहे।
लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद कई टीवी प्रोग्राम के लिए काम किया। एशिया डिफेंस न्यूज़ इंटरनेशनल (अडनी) से जुड़े। यह एजेंसी हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मणिपुरी और असमिया में अपनी सेवाएं देती है। इसके अलावा एशिया डिफेंस न्यूज के नाम से एक मासिक पत्रिका भी निकालती थी। वर्ष 2013 में जनसरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर हिल-मेल वेबसाइट शुरू की। फरवरी 2016 से हिल-मेल में बतौर संपादक कार्यरत। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के निवासी हैं।
PROFILEपहाड़ों की ओर लौटने के अभियान के तौर पर साल 2013 में हिल-मेल वेबसाइट की शुरुआत हुई। इन वर्षों में हिल-मेल ने पहाड़ से जुड़े मुद्दों को इस पोर्टल और अपनी मासिक पत्रिका 'हिल-मेल' के माध्यम से बखूबी उठाने का काम किया है। हिल-मेल कई वर्षों से इन्हीं मुद्दों पर सेमिनार और विचार गोष्ठियों का आयोजन करती रही है। पहली मार्च 2014 को हिल-मेल ने केदारनाथ आपदा को लेकर ऋषिकेश में एक सेमिनार का आयोजन किया था। उसके बाद 9 मई 2015 को कांस्टीट्यूसन क्लब, नई दिल्ली में एक विचारगोष्ठी का आयोजित किया गया। इस सेमिनार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत कई वक्ताओं ने पहाड़ में आपदा से निपटने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर हिल-मेल ने ‘केदारनाथ आपदा और आगे का रास्ता’ नाम से एक विजन डॉक्यूमेंट भी प्रस्तुत किया था।
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