इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स के अंतर्गत देहरादून में आयोजित चार-दिवसीय उत्तराखंड ‘श्री अन्न’ (मिलेटस) महोत्सव-2023 कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय एवं अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना-कृषि में महिलाएं द्वारा स्टॉल लगाकर विभिन्न मोटे अनाजों (मिलेट) के महत्व को दर्शाया गया।
स्टॉल में परियोजना के अंर्तगत विकसित किए गए खाद्य उत्पादों जैसे मंडुवा लड्डू, झंगोरा केक, मंडुआ फाना, झंगोरा पुलाव, झंगोरा इडली आदि की विधियां बता कर इनके संवर्धन के लिए प्रेरित किया गया। इसके अतिरिक्त आगंतुकों को मोटे अनाजों के फायदे भी बताए गए। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तराखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही उपस्थित रहे।
स्टॉल के माध्यम से बताया गया कि सभी मोटे अनाज प्रोटीन, फाइबर, विटामिन, कैल्शियम, आयरन, मैंग्नीज, मैग्निशियम, फासफोरस, जिंक जैसे बहुत से पोषक तत्वों से भरपूर है। इनके प्रयोग से हमारी सेहत को बहुत फायदा होता है। इन्हें खाने वाले लोगों में मोटापा, हृदय रोग, पाचन की समस्या कम होती है। इसके साथ ही यह एनीमिया, मधुमेह से भी लड़ने में सहायक होते हैं। मोटे अनाजों का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा कर हड्डियों को मजबूत बनाते है।
अन्तर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष 2023 में ज्वार की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास
हमारे देश में गैर दलहनी भोजन और चारे की फसलों में ज्वार (सारघम) का मुख्य स्थान है। अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष 2023 में इन फसलों की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इन्हें किसानों के बीच में खेती के लिए बढ़ावा देने हेतु विभिन्न गतिविधियां एवं कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हैं।
पंतनगर विश्वविद्यालय में संचालित अखिल भारतीय ज्वार उन्नयन परियोजना द्वारा विश्वविद्यालय के ढकरानी (देहरादून) एवं धनौरी (हरिद्वार) कृषि विज्ञान केन्द्रों पर किसान गोष्ठियों का आयोजन किया गया और ज्वार की उन्नत प्रजातियों के बीज एवं पैम्फलेट जिसमें चारा ज्वार उत्पादन की उन्नत तकनीक, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में मोटे आनाजों का महत्व की जानकारी दी गयी है, का वितरण किया गया।
गोष्ठियों में आये हुए किसानों ने खेती के लिए ज्वार की उन्नत किस्में/संकर बीज मिलने में हो रही समस्या तथा पंतनगर की किस्मों को उगाने हेतु बीज उपलब्ध कराने की मांग की। इस कार्यक्रम में प्रभारी अधिकारी एवं ज्वार रोग वैज्ञानिक डा. योगेंद्र सिंह, अजीत कुमार तथा संबंधित कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रभारी अधिकारी एवं वैज्ञानिकों ने भी प्रतिभाग किया और अपने विचार रखे।
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