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Trivendra Singh Rawat – Hill Mail https://hillmail.in Thu, 17 Mar 2022 04:11:20 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.3 https://i0.wp.com/hillmail.in/wp-content/uploads/2020/03/250-X-125.gif?fit=32%2C16&ssl=1 Trivendra Singh Rawat – Hill Mail https://hillmail.in 32 32 138203753 सीडीएस जनरल बिपिन रावत की स्मृति में दून विवि में व्याख्यान माला की शुरुआत, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह बोले, सीमांत इलाकों की करते थे सबसे ज्यादा चिंता https://hillmail.in/doon-university-uttarakhand-started-memorial-lecture-series-in-the-memory-of-cds-general-bipin-rawat/ https://hillmail.in/doon-university-uttarakhand-started-memorial-lecture-series-in-the-memory-of-cds-general-bipin-rawat/#respond Wed, 16 Mar 2022 19:35:45 +0000 https://hillmail.in/?p=31454 देश को हर क्षेत्र में विजनरी लीडरशिप की जरूरत होती है, फिर चाहे वह राजनीति हो, रक्षा-सुरक्षा हो, शासन-प्रशासन हो या शिक्षा का क्षेत्र। देहरादून स्थित दून विश्वविद्यालय में सीडीएस जनरल रावत स्मृति व्याख्यान माला की शुरुआत के मौके पर कई ऐसे लम्हे आए जब उनके विजनरी और मजबूत लीडरशिप की मिसालें दी गईं। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर देश के पहले सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत के 64वें जन्मदिन पर दून विश्वविद्यालय ने इस मैमोरियल लेक्चर की शुरुआत की है और हर साल 16 मार्च को इसका आयोजन किया जाएगा।

यह सीडीएस जनरल रावत की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उपायों को तेजी से आगे बढ़ाया। पहले सेना प्रमुख और फिर सीडीएस के तौर पर उनकी प्राथमिकताओं में रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता शीर्ष मुद्दा थी। फिर वह चाहे हथियारों के उत्पादन की बात हो या मिसाइल प्रौद्योगिकी की। देश के अलावा सीडीएस रावत के मन में अपने गृहराज्य उत्तराखंड के कुछ करने की ललक थी। वह उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों की सबसे ज्यादा चिंता करते। बाहरी खतरे से देश की सुरक्षा के लिए अहम सीमांत क्षेत्रों में बसावट बनाए रखना, वहां के लोगों को स्वरोजगार उपलब्ध कराना, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध करना अक्सर उनकी चर्चाओं का हिस्सा होता। इन चिंताओं को उन्होंने अपने लगभग सभी करीबियों के साथ समय-समय पर साझा भी किया। बुधवार को आयोजित इस खास कार्यक्रम के दौरान सीडीएस जनरल रावत के साथ करीब से काम करने वाले पूर्व और मौजूदा सैन्य अधिकारियों, परिजनों ने उनके विजनरी व्यक्तित्व से जुड़े कई किस्से साझा किए।

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर दून विश्वविद्यालय की ओर से दिवंगत सीडीएस जनरल रावत की स्मृति में व्याख्यान माला शुरू की गई है। इसके पहले आयोजन में आईएमए के पूर्व कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल जेएस नेगी (रिटा.), ब्रिगेडियर शिवेंद्र सिंह (रिटा.), आईटीबीपी की पश्चिमी कमान के एडीजी मनोज रावत, रियर एडमिरल ओपीएस राणा (रिटा.), डीआरडीओ की आईआरडीई के निदेशक डा. बी के दास, यूसैक के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट, मेजर जनरल गुलाब सिंह रावत समेत कई कॉलेजों के प्रधानाचार्य, बुद्धिजीवी शामिल हुए।

इस पहल के बारे में बताते हुए दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा, सीडीएस जनरल बिपिन रावत इस देश और उत्तराखंड के एक मेटाफर (रूपक) हैं। जब यह कहा जाता है कि उत्तराखंड की सबसे बड़ी यूएसपी, क्रेडिट क्या है तो अक्सर हमारे उच्च गुणवत्ता वाले मानवीय संसाधन का जिक्र होता है। हमारी ईमानदारी, देशभक्ति की बात की जाती है। हम सीमाओं में रहते हैं। जब-जब यह बात होगी सीडीएस जनरल बिपिन रावत का नाम स्वर्णिम अक्षरों में बार-बार लिया जाएगा। जब भी हम अपने मानव संसाधन की बात करेंगे तो साथ ही यह भी बताएंगे की सीडीएस जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड से थे। हम इसलिए भावुक हैं क्योंकि जब एक मजबूत राष्ट्र के रूप में भारत को एक दृढ़ सैन्य लीडरशिप की जरूरत थी, सीडीएस जनरल बिपिन रावत असमय चले गए। अक्सर कहा जाता कि वह खरी-खरी कहने वाले सेना प्रमुख थे, वह बार-बार हमें आश्वस्त करते थे कि भारत की सेना हमेशा तैयार है। वह उत्तराखंड से पलायन को लेकर चिंतित थे। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपने गांव में एक घर बनाने की बात कही थी। इस राज्य को लेकर एक चिंता उनके मन में थी। वह उत्तराखंड के लिए कुछ करें, इसके लिए उनके पास एक विजन था। विजनरी लीडरशिप की बात करते हुए प्रो. डंगवाल ने कहा कि हमेशा उसी लीडर को याद किया जाता है, जो संस्थाओं को निर्माण करता है। उन्होंने बताया कि दून विश्वविद्यालय को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह की एक सोच थी। इसका मुख्य द्वार उनके ही विजन की देन है। परिसर में बन रहा नित्यानंद सेंटर उनका अपने गुरू के प्रति सम्मान को दर्शाता है। उनके सीएम रहते इसके लिए दून विश्वविद्यालय को 22 करोड़ रुपये की धनराशि दी गई। इसके अलावा उनके कार्यकाल में एफटीआईआई पुणे की मदद से दून विश्वविद्यालय में एक फिल्म ट्रेनिंग सेंटर का विचार आगे बढ़ा। उम्मीद है ये परिकल्पना जल्द पूरी होगी।

 इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि  देश की सुरक्षा में उत्तराखंड का एक विशेष स्थान है। यह हमेशा रहेगा। जब आज हम जनरल बिपिन रावत को याद कर रहे हैं, तो उसके पीछे केवल एक दिन याद करने का नहीं है। मैं चाहता हूं कि जनरल रावत हमेशा हमारे बीच में रहे। इसके लिए हम विचार करें। मुझे जनरल रावत को नजदीक से देखने का मौका मिला। वह बहुत ही खुली सोच के जनरल थे, इसलिए उन्हें ‘जनता का जनरल’ कहा जाता था। जब हमने उनसे कहा कि टिंबरसैंण महादेव जनता के लिए खुलना चाहिए, उन्होंने कहा, मैं सहमत हूं। इसकी शुरुआत भी हो गई। इसके बाद हमने कहा कि जादोंग गांव 1962 में खाली करा दिया गया था, उस गांव में फिर बसावट होनी चाहिए। मैंने वहां के कुछ बुजुर्गों को बुलाया, ये लोग अब हर्षिल के पास रहते हैं। जब मैंने उनसे पूछा कि आप अपने गांव जाना चाहेंगे तो उन्होंने हामी भरी। इसके बाद मैंने जनरल रावत से बात की। इस पर सोच आगे बढ़ रही थी। देश की सुरक्षा के लिए सीमांत क्षेत्रों में आम नागरिकों का रहना उतना ही जरूरी है, जितना सेना का रहना। हमें एक ऐसा इतिहास रचने का अवसर मिला कि प्रथम सीडीएस हमारे राज्य से हुए। यह इतना बड़ा दायरा है कि इसके नीचे हम सबको जोड़ने का काम कर सकते हैं। सीडीएस जनरल रावत की इच्छा थी कि दो बढ़िया स्कूल उत्तराखंड में बनें। स्वरोजगार को लेकर उनका बड़ा जोर रहा। जनरल रावत के समय में सीमांत क्षेत्रों में लोगों को अखरोट के पौधे देकर स्वरोजगार की पहल की गई। उत्तराखंड में राज्य सरकार ने सीमांत विकास निधि की शुरुआत की। उसकी प्रेरणा भी जनरल बिपिन रावत ही थे। इसके पीछे यह सोच थी कि लोग सीमांत इलाकों में रुके रहें।

लेफ्टिनेंट जनरल जयवीर सिंह नेगी (रिटा.) ने सीडीएस जनरल बिपिन रावत की जीवन यात्रा और उनके साथ नजदीक से काम करने के अनुभव बांटे। मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने सीडीएस जनरल रावत के भारतीय सेनाओं को सशक्त बनाने, चीन और पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान रोमांचक कठिन सफल ऑपरेशन से जुड़े बातों को साझा किया।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत के भाई ब्रिगेडियर शिवेंद्र सिंह (रिटा.) ने उनके साथ व्यक्तिगत और बतौर सैन्य अधिकारी कई यादों को साझा किया। आईटीबीपी के एडीजी मनोज रावत ने सीमांत क्षेत्रों के विकास पर जोर देने और सीमा प्रबंधन के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने के प्रयास किए जाने की जरूरत बताई। डीआरडीओ के आईआरडीई के निदेशक डा. बीके दास ने स्वदेशी हथियारों के निर्माण को लेकर सीडीएस जनरल रावत के प्रयासों को सामने रखा और बताया कि आज देश में बड़े पैमाने पर स्वदेशी हथियारों के उत्पादन का काम हो रहा है। रियर एडमिरल ओपीएस राणा ने जनरल बिपिन रावत के सेना प्रमुख लेने के दौरान उनके साथ काम करने के अनुभवों को साझा किया। वहीं यूसैक के निदेशक प्रो. एमपीएस बिष्ट ने उत्तराखंड की दुर्गम और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आपदाओं और उनके प्रभावों को वैज्ञानिक व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय परिसर में वीरभूमि फाउंडेशन की ओर से एक रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं, एनसीसी कैडेट्स और वॉलंटियर्स ने हिस्सा किया। इस शिविर में 140 यूनिट ब्लड एकत्रित किया गया।

 

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प्रचार के अंतिम दिन जनसंपर्क के दौरान डोईवाला में भाजपा ने दिखाई सांगठनिक मजबूती https://hillmail.in/uttarakhand-election-bjp-hold-fort-in-doiwala-constituency/ https://hillmail.in/uttarakhand-election-bjp-hold-fort-in-doiwala-constituency/#respond Sat, 12 Feb 2022 11:32:53 +0000 https://hillmail.in/?p=30988 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का शोर थम गया है। अब 14 फरवरी को उत्तराखंड के मतदाता अपनी नई सरकार का चयन करेंगे। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन डोईवाला से भाजपा प्रत्याशी ब्रज भूषण गैरोला ने जनसंपर्क कर खुद के लिए समर्थन मांगा। भाजपा कार्यालय से शुरू हुए इस जनसंपर्क में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता जुटे। इस जनसंपर्क के जरिये भाजपा ने डोईवाला सीट पर अपनी सियासी पकड़ भी दिखाई। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी माने जाने वाले ब्रज भूषण गैरोला को यहां बड़ी संख्या में महिलाओं का समर्थन मिलता दिख रहा है। इसका एक बड़ा कारण डोईवाला में त्रिवेंद्र सिंह की महिलाओं के बीच लोकप्रियता भी है।

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इस जनसंपर्क के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं जुटीं। भाजपा ने प्रचार के अंतिम दिन अपनी सांगठनिक मजबूती दिखाकर बड़ा संदेश दिया है। देहरादून जिले में डोईवाला एक ऐसी सीट रही, जिस पर लोगों की दिलचस्पी शुरू से बनी रही। इस सीट से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक हैं। उनके सीएम रहते डोईवाला में कई ऐसे काम हुए जिन्होंने इस जगह को चर्चा के केंद्र में लाने का काम किया। ऐसे में जब त्रिवेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव न लड़ने की इच्छा से पार्टी को अवगत करा दिया तो सभी के मन में यह सवाल था कि यहां से उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। इस दौरान लगातार कई नाम चलते रहे। अंत में पार्टी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद को तरजीह देते हुए ब्रजभूषण गैरोला को प्रत्याशी बनाया।

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यह भी देखें – उत्तराखंड चुनावः डोईवाला में बोले जेपी नड्डा, भाजपा ने जो विजन रखा, उसका रिपोर्ट कॉर्ड भी पेश किया

हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी बालावाला में ब्रज भूषण गैरोला के समर्थन में बड़ी रैली की थी। त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के कई दूसरे हिस्सों में प्रचार के साथ-साथ डोईवाला में भी लगातार जनसंपर्क कर रह हैं। यही वजह है कि यह सीट भाजपा के लिए काफी मजबूत बनी हुई है। शनिवार को जनसंपर्क अभियान के दौरान जुटी भीड़ ने भी इस सीट पर भाजपा की सांगठनिक मजबूती को दिखाया है। डोईवाला उन सीटों में है, जहां भाजपा अपनी सरकार के विकास कार्य के नाम पर चुनाव मैदान में उतरी है।

डोईवाला का चुनाव इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि कांग्रेस की ओर से इस सीट पर पहले हां हरक सिंह के लड़ने की अटकलें लगीं। उसके बाद कांग्रेस ने युवा मोहित उनियाल को टिकट दिया, लेकिन नॉमिनेशन से पहले प्रत्याशी बदल दिया। इसके बाद मोहित की जगह गौरव चौधरी को टिकट दिया गया। ऐन वक्त पर प्रत्याशी बदलकर कांग्रेस की बेचैनी भी साफ नजर आई। भाजपा के लिए परेशानी का एक सबब बागी होकर निर्दलीय मैदान में उतरे जितेंद्र नेगी हैं। इस सीट पर राज्य गठन के बाद वर्ष 2002, 2007 और 2017 में भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत विजयी रहे थे। जबकि 2012 में भाजपा के टिकट पर रमेश पोखरियाल निशंक जीते। निशंक के सांसद बनने पर 2014 में उप चुनाव में यहां कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट विजयी हुए।

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उत्तराखंड चुनावः डोईवाला में बोले जेपी नड्डा, भाजपा ने जो विजन रखा, उसका रिपोर्ट कॉर्ड भी पेश किया https://hillmail.in/bjp-president-jp-nadda-rally-in-doiwala-uttarakhand-takes-dig-at-rahul-gandhi/ https://hillmail.in/bjp-president-jp-nadda-rally-in-doiwala-uttarakhand-takes-dig-at-rahul-gandhi/#respond Sun, 06 Feb 2022 17:36:59 +0000 https://hillmail.in/?p=30842 उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार में अब एक सप्ताह का ही समय बचा है। इसलिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने प्रचार के आखिरी दौर में अपने सभी स्टार प्रचारकों को उतार दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी दो दिन के दौरे पर उत्तराखंड में हैं। उन्होंने रविवार को उत्तरकाशी की गंगोत्री में सभा को संबोधित किया। इसके बाद उन्होंने देहरादून के सहसपुर में जनंसपर्क किया। शाम को नड्डा डोईवाला पहुंचे और यहां पार्टी प्रत्याशी ब्रजभूषण गैरोला के समर्थन में एक सभा की।

पीएम मोदी ने की गरीबों, वंचितों की चिंता

उन्होंने इस दौरान कहा कि भाजपा ने देश के सामने जो विजन पेश किया, उसका रिपोर्ट कार्ड भी रखा। वहीं कांग्रेस ने आज तक अपनी सरकारों का रिपोर्ट कार्ड पेश नहीं किया। यह हर बार चुनाव में नई बात लेकर आते हैं। भाजपा ही ऐसी सरकार है जिसने अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करने की संस्कृति देश में पेश की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का विजन जनता के सामने रखा गया। उन्होंने कहा कि भाजपा ही एकमात्र दल है जो गरीबों ,वंचितों, शोषितों, दलितों के उत्थान के लिए निरंतर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने गरीब के मर्म को समझा और लाकडाउन में मुफ्त राशन देने की व्यवस्था की। साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं के खाते में धनराशि दी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नड्डा का पारंपरिक उत्तराखंडी टोपी पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डोईवाला सीट से भाजपा रिकॉर्डतोड़ जीत अर्जित करने जा रही है।

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कांग्रेस पर बोले, हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और

इससे पहले, दो दिन के दौरे पर उत्तराखंड पहुंचे जेपी नड्डा ने उत्तरकाशी में अपने संबोधन की शुरुआत स्वर कोकिला लता मंगेशकर को याद कर की। नड्डा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, कुछ लोग गंगा-यमुना की आरती और पूजा कर रहे हैं। ये लोग वही हैं, जिनके हाथी के दांत खाने के कुछ और दिखाने के कुछ और है। ये वही लोग हैं, जो राम मंदिर निर्माण के विरोधी थे। पर, इन्हें देखकर उन्हें खुशी हो रही है कि इसी बहाने भारतीय संस्कृति को तो जाना। उन्होंने कहा विकास करने वाली केवल भाजपा ही है। उन्होंने राज्य सरकार के काम गिनाते हुए कहा, आयुष्मान योजना से सालाना पाांच लाख रुपये का इलाज किया जा रहा है। ये दुनिया की सबसे बड़ा हेल्थ योजना है। उन्होंने ये भी कहा कि सैन्य धाम उत्तराखंड में बन रहा है। जेपी नड्डा ने कहा कि 15 लाख रुपये की व्यवस्था की पर्वत माला योजना के तहत हिमाचल और उत्तराखंड को बडा लाभ होगा। रोपवे का काम चल रहा है । रोपवे योजना पर्यटन, तीर्थाटन और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। आलवेदर रोड विकास का रास्ता है। उत्तरकाशी से नड्डा सहसपुर पहुंचे और वहां घर-घर जनसंपर्क किया। नड्डा सात फरवरी को बागेश्वर, पिथौरागढ़ व देहरादून कैंट में पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में सभाओं को संबोधित करेंगे।

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आखिरकार कांग्रेस की तरफ ‘फरक’ गए हरक, अब डोईवाला में होगा सबसे बड़ा मुकाबला ! https://hillmail.in/uttarakhand-election-2022-cabinet-minister-harak-singh-rawat-may-join-congress-will-contest-from-doiwala-againt-trivendra-singh-rawat/ https://hillmail.in/uttarakhand-election-2022-cabinet-minister-harak-singh-rawat-may-join-congress-will-contest-from-doiwala-againt-trivendra-singh-rawat/#respond Sun, 16 Jan 2022 15:06:18 +0000 https://hillmail.in/?p=30464 कहते हैं सियासत में तब तक कुछ फाइनल नहीं होता, जब तक हो न जाए। लेकिन चुनावी महासमर से पहले सियासी तापमान बढ़ाने के लिए अटकलें ही काफी हैं। अब खबर है कि सियासी सौदेबाजी के माहिर माने जाने वाले कोटद्वार के विधायक और पांच साल भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे डा. हरक सिंह रावत को आखिरकार 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले ‘प्लान बी’ अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। सोमवार को उनके कांग्रेस में शामिल होने की सूचना लगभग कंफर्म है और अपने लिए दो तय सीटों की शर्त पर वह भाजपा से कुछ और विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में ले जा रहे हैं। फौरी तौर पर हरक का यह दांव भाजपा के लिए बड़ा झटका लग रहा है। इससे चुनाव से ऐन पहले पार्टी का मोमेंटम निश्चित तौर पर बिगड़ेगा।

लंबे समय से अपनी बहू अनुकृति गुसाईं को लैंसडाउन विधानसभा से सियासत में लांच करने की कोशिश कर रहे हरक सिंह भाजपा हाईकमान को साध नहीं पाए। पार्टी ने भी साफ कर दिया कि एक परिवार से दो लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके बाद हरक सिंह के पास कांग्रेस में ही जाने का विकल्प था। हालांकि हरीश रावत हरक सिंह को कांग्रेस में वापस लिए जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन टीम के साथ आ रहे हरक को नकार कर वह पार्टी में अपने खिलाफ विरोध खड़ा नहीं होने देना चाहते। दूसरा यह कि हरीश रावत के लिए अब हरक एक बड़ा हथियार हैं। वह जीतने और हारने दोनों स्थितियों में उनके ही काम आएंगे।

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हरक सिंह कांग्रेस ज्वाइन करेंगे, इसमें किसी को संदेह नहीं था। शनिवार को हुई भाजपा कोर कमेटी और चुनाव समिति की बैठकों से भी वह नदारद थे। हालांकि उनका कहना था कि पार्टी से कोर कमेटी की बैठक के लिए निमत्रण नहीं मिला था। इससे पहले कैबिनेट बैठक के दौरान कोटद्वार में मेडिकल कालेज के मुद्दे पर इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके हरक मानमनोव्वल के बाद पार्टी में बने रहे।

हरक सिंह के लिए दो बर्थ ‘कंफर्म’

हरक सिंह के कांग्रेस में जाने का मतलब साफ है कि वह कोटद्वार से चुनाव नहीं लड़ेंगे और लैंसडाउन से उनकी बहू को टिकट मिलेगा। ऐसे में हरक सिंह को कांग्रेस किस सीट से टिकट देगी यही सबसे दिलचस्प सवाल है। तो कुल जमा बात यह है कि हरक सिंह को डोईवाला से मैदान में उतारा जा सकता है। इससे कांग्रेस एक तीर से दो शिकार करना चाहती है। पहला यह कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरक सिंह की सियासी अदावत जगजाहिर है। इसलिए हरक सिंह यहां पूरा जोर लगा देंगे। दूसरा यह कि राज्य में भाजपा के बड़े चेहरे और सबसे लंबे समय तक सीएम रहे त्रिवेंद्र सिंह को घर में घेरकर बड़ा संदेश दिया जा सकता है। यहां उन्हें एक ऐसे वर्ग का भी समर्थन मिल सकता है, जो भाजपा में होते हुए भी त्रिवेंद्र सिंह रावत का धुर विरोधी है। इसलिए हरक सिंह के लिए यह सीट ऑफर की जा सकती है। वह खुद भी यहां से लड़ना चाहते हैं। हरक खुद भी कोटद्वार से चुनाव नहीं लड़ना चाहते, क्योंकि उन्हें इस सीट पर खतरा दिख रहा है।

त्रिवेंद्र सिंह भी कर रहे पूरी तैयारी

भाजपा ने अभी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं की है। यह तो तय है कि भाजपा इस बार कई सीटों पर चेहरों को बदलने जा रही है। इसके अलावा कुछ बड़े चेहरे की सीटों को बदला भी जा सकता है। भाजपा के लिए ‘एक परिवार एक टिकट’ की नीति को लागू करना इसलिए आसान हो गया कि हरक के अलावा कोई दूसरा विधायक इसके लिए जोर नहीं लगा रहा था और यशपाल आर्य अपने बेटे के साथ पहले ही कांग्रेस में चले गए हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत के चुनाव लड़ने पर सस्पेंस की बातें बनावटी लगती हैं। त्रिवेंद्र सिंह खुद इस बार चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में पार्टी के लिए उन्हें इनकार करना मुश्किल होगा। सीएम पद से हटाने के बाद त्रिवेंद्र सिंह ने संगठन में किसी पद के लिए जोर नहीं लगाया। अमूमन सीएम पद से हटाने पर पार्टी उपाध्यक्ष जैसा पद दिया जाता है। इसलिए उनका चुनाव लड़ने का दावा मजबूत दिखता है। वह लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय भी हैं।

कांग्रेस धामी को नहीं त्रिवेंद्र को मानती है खतरा!

दरअसल, कांग्रेस भी पुष्कर सिंह धामी से बड़ा खतरा त्रिवेंद्र सिंह रावत को मानती है। ऐसे में पांच साल तक भाजपा सरकार में मंत्री रहे हरक सिंह के कांग्रेस में आकर भाजपा पर किए जाने वाले हमले तीखे होंगे। वहीं सियासी समझ रखने वाला एक बड़ा वर्ग मानता है कि अगर भाजपा त्रिवेंद्र सिंह को दोबारा मैदान में उतारती है तो क्या इसका यह मतलब नहीं है कि आगे उनके लिए कुछ बड़ा सोचा जा रहा है। कई लोग मानते हैं कि त्रिवेंद्र सिंह को पद से हटाना भाजपा की सबसे बड़ी रणनीतिक चूक थी। उस समय तक त्रिवेंद्र सिंह का एक वर्ग के विरोध के अलावा भाजपा के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नहीं था। लेकिन भाजपा ने नेतृत्व परिवर्तन कर विरोधियों को मौका दे दिया। अब कांग्रेस भी चाहती है कि भाजपा से किसी बड़े और अनुभवी चेहरे को न जीतने दिया जाए। इससे स्पष्ट जनादेश न मिलने की स्थिति में पुष्कर सिंह धामी के मुकाबले में हरीश रावत जैसे अनुभवी नेता के चेहरे पर समर्थन जुटाना आसान होगा।

 

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सीएम धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने सीडीएस जनरल रावत के आवास पर जाकर शोक संवेदना प्रकट की https://hillmail.in/uttarakhand-cm-pushkar-singh-dhami-and-former-cm-trivendra-singh-expressed-condolences-at-cds-general-bipin-rawat-residence/ https://hillmail.in/uttarakhand-cm-pushkar-singh-dhami-and-former-cm-trivendra-singh-expressed-condolences-at-cds-general-bipin-rawat-residence/#respond Thu, 09 Dec 2021 16:56:38 +0000 https://hillmail.in/?p=29851 उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में सीडीएस जनरल बिपिन रावत के आवास 3 कामराज मार्ग पर जाकर उनके परिवारजनों से भेंट कर शोक संवेदना जताई। मुख्यमंत्री धामी ने जनरल बिपिन रावत और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मधुलिका रावत के तमिलनाडु में हुए एक हेलीकॉप्टर क्रैश में असामयिक निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की।

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मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जनरल बिपिन रावत का निधन बहुत बड़ी अपूरणीय क्षति है। उनका निधन देश के लिए विशेषकर उत्तराखंड राज्य की बहुत बड़ी हानि है, साथ ही मेरे लिए भी। सैनिक पुत्र होने के नाते हमेशा मेरा मार्गदर्शन करते रहते थे। उनकी सादगी, सहजता हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। कभी लगता नहीं था कि किसी जनरल से मिल रहे हैं। पहली बार मुख्य सेवक बनने के बाद जब मिले तो मेरे पिताजी की रेजीमेंट (महार रेजिमेंट) सागर जाने का कार्यक्रम उन्होंने बनाया हुआ था। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। भगवान उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे।

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यह भी देखें – अलविदा पर्वतपुत्र: सीडीएस जनरल रावत ने मेडिकल पर दी थी परिवार की सैन्य परंपरा को तरजीह

वहीं सीडीएस जनरल रावत के परिजनों से मिलने के बाद पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, दिवंगत जनरल बिपिन रावत के परिजनों से भेंट कर शोक संवेदना व्यक्त की और इस असहनीय पीड़ा को सहन करने के लिए ढांढस बंधाया। बहादुर पिता की बहादुर बेटियों को देखा। ऐसी विकट घड़ी में भी स्वयं को संभालते हुए आगंतुकों को मिलना, उनकी चिंता करते देख अपार गौरव की अनुभूति हुई। यही है भारत की श्रेष्ठ शौर्य परंपरा। जय हिंद!

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स्थानीय उत्पादों को आधुनिक बाजार की सौगात है रानीपोखरी में बना ‘उत्तरा’ स्टेट एम्पोरियम https://hillmail.in/chief-minister-pushkar-singh-dhami-inaugurated-uttara-state-emporium-and-rural-haat-bazaar-at-ranipokhari/ https://hillmail.in/chief-minister-pushkar-singh-dhami-inaugurated-uttara-state-emporium-and-rural-haat-bazaar-at-ranipokhari/#respond Wed, 17 Nov 2021 18:42:45 +0000 https://hillmail.in/?p=29404 मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को रानीपोखरी में ‘उत्तरा’ स्टेट एम्पोरियम एवं ग्रामीण हाट बाजार के पुनरोद्धार कार्य का लोकार्पण किया। इसमें 161.47 लाख रुपये की लागत से उत्तरा स्टेट इम्पोरियम का निर्माण, 138 लाख की लागत से ग्रामीण हाट बाजार का पुनरुद्धार कार्य किया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूह सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत समूहों को अनुदान राशि के चेक भी वितरित किए गए। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ‘उत्तरा’ स्टेट एम्पोरियम के निर्माण से लोगों को अपने स्थानीय उत्पादों के लिए बाजार मिल गया है। स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इससे जहां लोगों की अजीविका में वृद्धि होगी, वहीं उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं को सशक्त एवं स्वावलंबी बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जा रहा है। समाज के सर्वांगीण विकास के लिए पुरूषों के साथ महिलाओं को भी आर्थिक रूप से सशक्त होना जरूरी है। कोरोना काल में हमारी बहनों को कार्य करने में अनेक बाधाएं आई। उनकी समस्याओं को कम करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों एवं संगठनों को 119 करोड़ रूपये का राहत पैकेज दिया है।

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर घोषणा की कि ग्रामसभा डांडी में झीलवाला नहर को भूमिगत एवं सड़क का निर्माण कार्य किया जाएगा। घमंडपुर-जीवनवाला के मध्य पुल का निर्माण किया जाएगा। सौड़ा सिरोली में आंतरिक सड़कों का निर्माण किया जाएगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र थानो को अपग्रेड किया जाएगा। ग्राम पंचायत कुडियाल में प्रकाश पंत मार्ग से थानो भोगपुर तक 2 किमी मार्ग का निर्माण किया जाएगे। मुख्यमंत्री ने क्षेत्रांतर्गत धर्मेंद्र रावत के पोल्ट्री फार्म में आग लगने से हुई क्षति का आकलन कर उपजिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए।

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ‘उत्तरा’ स्टेट एम्पोरियम के निर्माण से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। इस व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार हो। उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ’उत्तरा’ स्टेट एम्पोरियम इसके लिए अच्छा प्लेटफॉर्म साबित होगा।

कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों एवं संगठनों से जुड़ी माताओं एवं बहनों को आर्थिक मजबूती प्रदान करने की कोशिश हो रही है। कोरोना काल में हर क्षेत्र में लोगों को राहत देने के प्रयास किए गए हैं। इस अवसर पर पूर्व दर्जा मंत्री करन बोरा, बृज भूषण गैरोला, मुख्य विकास अधिकारी देहरादून सुश्री नितिका खंडेलवाल, स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।

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त्रिजुगीनारायण के मुख्य पुजारी ने खुलकर किया देवस्थानम बोर्ड का समर्थन, त्रिवेंद्र बोले – विरोध करने वाले दस साल बाद करेंगे तारीफ https://hillmail.in/trijuginarayan-chief-priest-supported-uttarakhand-devasthanam-board-former-cm-trivendra-said-those-who-oppose-will-praise-after-ten-years/ https://hillmail.in/trijuginarayan-chief-priest-supported-uttarakhand-devasthanam-board-former-cm-trivendra-said-those-who-oppose-will-praise-after-ten-years/#respond Mon, 01 Nov 2021 18:46:03 +0000 https://hillmail.in/?p=29047 देवस्थानम बोर्ड को लेकर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते पूर्व मुख्यमंत्री बाबा केदार के दर्शन नहीं कर पाए। लेकिन जब वह सोनप्रयाग के निकट प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर पहुंचे तो पुजारियों और स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। यही नहीं इन सभी ने देवस्थानम बोर्ड में त्रिजुगीनारायण मंदिर को सम्मिलित किए जाने पर खुशी जताई।

त्रिजुगीनारायण के मुख्य पुजारी सूरज मोहन सेमवाल ने कहा, देवस्थानम बोर्ड बहुत बढ़िया फैसला है। हमारा त्रिजुगीनारायण इसके अंदर आ गया है, इससे हम पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसमें हमारे हक हमारे पास हैं, उनसे कोई वंचित नहीं कर रहा है। मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी सूरज मोहन सेमवाल एवं अन्य पुजारियों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पुष्पमाला पहनाई और पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कराई। मंदिर समिति एवं ग्रामीणों का कहना था कि देवस्थानम बोर्ड में जुड़ने से मंदिर में तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत बढ़ेगी। इससे पूरे गांव की आय बढ़ेगी।

 

क्या बोले त्रिजुगीनारायण के पुजारी देखें Video

 

वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने फिर दोहराया कि देवस्थानम बोर्ड अब तक का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है। आज भले ही कुछ लोग जानबूझकर इसका विरोध कर रहे हो लेकिन आने वाले 10 साल बाद सभी को इसकी अहमियत पता लगेगी, और यही लोग आगे आकर इसका समर्थन करेंगे, इसकी तारीफ करेंगे।

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उन्होंने कहा कि सरकार का काम अपने अतिथियों को सुविधाएं देना होता है। अतिथि देवो भव: को सर्वोपरि मानते हुए ही देवस्थानम की नींव रखी गई। ताकि यहां से जाने के बाद यात्री यहां की व्यवस्थाओं का गुणगान हर जगह करें और देवभूमि में तीर्थ यात्रियों का आना जाना लगा रहे इसी उद्देश्य को लेकर की इसका गठन किया गया।

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रुद्रप्रयाग के सोनप्रयाग के निकट ही प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। प्राचीन काल से ही यहां अखंड धुनी जलती रहती है। इसका शिल्प भी केदारनाथ मंदिर की ही तरह कत्यूरी शैली का है। मंदिर के निकट ही गांव है जिसमें 250 के लगभग ग्रामीण लोग रहते हैं।

 

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किसी को मंदिर में पूजा करने से रोकने पर हो सकती है 6 महीने की सजा https://hillmail.in/devsthanam-board-act-uttarakhand-if-someone-is-stopped-from-going-to-the-temple-there-can-be-a-punishment-of-6-months/ https://hillmail.in/devsthanam-board-act-uttarakhand-if-someone-is-stopped-from-going-to-the-temple-there-can-be-a-punishment-of-6-months/#respond Mon, 01 Nov 2021 18:20:00 +0000 https://hillmail.in/?p=29042 उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ मंदिर में तीर्थ पुरोहितों द्वारा दर्शनों से रोके जाने पर बवाल मचा हुआ है। देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को केदारनाथ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाए, उनके साथ बदसलूकी की और उन्हें पूजा नहीं करने दी गई। ऐसे में यह जानना अहम हो जाता है कि किसी धार्मिक स्थल पर किसी व्यक्ति को दर्शन करने से रोका जाता है तो उसके लिए कानून में क्या प्रावधान हैं।

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नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 इसे स्पष्ट करता है। इस अधिनियम की धारा 3 में साफ कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति को मंदिर में पूजा स्थान में जाने से रोका जाता है तो ऐसा करने वालों को एक से 6 महीने तक की सजा हो सकती है। वहीं जनप्रतिनिधि कानून 1951 के अनुसार यदि कोई नागरिक अधिकार संरक्षण कानून 1955 में दोषी पाया जाता है, तो वह 6 वर्ष चुनाव नहीं लड़ सकेगा।

क्या कहता है अधिनियम

नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 [अस्पृश्यता का प्रचार और आचरण करने] और उससे उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करने और, उससे संबंधित बातों के लिए दंड विहित करने के लिए अधिनियम…

भारण गणराज्य के छठे वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो: –

(1) यह अधिनियम [सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम,] 1955 कहा जा सकेगा ।

(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है ।

धार्मिक निर्योग्यताएं लागू करने के लिए दंड-जो कोई किसी व्यक्ति को, –

(क) किसी ऐसे लोक-पूजा स्थान में प्रवेश करने से, जो उसी धर्म को मानने वाले या उसके किसी विभाग के अन्य व्यक्तियों के लिए खुला हो, जिसका वह व्यक्ति हो, अथवा

(ख) किसी लोक पूजा-स्थान में पूजा या प्रार्थना या कोई धार्मिक सेवा अथवा, किसी पुनीत तालाब, कुएं, जलस्रोत या [जल-सरणी, नदी या झील में स्नान या उसके जल का उपयोग या ऐसे तालाब, जल-सरणी, नदी या झील के किसी घाट पर स्नान] उसी रीति से और उसी विस्तार तक करने से, जिस रीति से और जिस विस्तार तक ऐसा करना उसी धर्म को मानने वाले या उसके किसी विभाग के अन्य व्यक्तियों के लिए अनुज्ञेय हो, जिसका वह व्यक्ति हो,

अस्पृश्यता” के आधार पर निवारित करेगा [वह कम से कम एक मास और अधिक से अधिक छह मास की अवधि के कारावास से और ऐसे जुर्माने से भी, जो कम से कम एक सौ रुपये और अधिक से अधिक पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा, दंडनीय होगा] ।

स्पष्टीकरण-इस धारा और धारा 4 के प्रयोजनों के लिए बौद्ध, सिक्ख या जैन धर्म को मामने वाले व्यक्ति या हिन्दू धर्म के किसी भी रूप या विकास को मानने वाले व्यक्ति, जिनके अंतर्गत वीरशैव, लिंगायत, आदिवासी, ब्राह्मो समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज और स्वामी नारायण संप्रदाय के अनुयायी भी हैं, हिन्दू समझे जाएंगे ।

 

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देवस्थानम बोर्ड: तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह को दर्शनों से रोका, गंगोत्री में बंद https://hillmail.in/uttarakhand-devsthanam-board-teerth-priests-stopped-former-cm-trivendra-singh-from-kedarnath-darshan/ https://hillmail.in/uttarakhand-devsthanam-board-teerth-priests-stopped-former-cm-trivendra-singh-from-kedarnath-darshan/#respond Mon, 01 Nov 2021 09:14:52 +0000 https://hillmail.in/?p=29026 देवस्थानम बोर्ड से संबंधित एक्ट वापस नहीं लेने के विरोध में चारधाम के तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को गंगोत्री धाम में बंद रखा। यही नहीं सोमवार को केदारनाथ दर्शनों के लिए पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का तीर्थ पुरोहितों ने विरोध किया और उन्हें दर्शन नहीं करने दिए। दरअसल, 30 अक्टूबर की समयसीमा बीत जाने के बाद भी देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होने से केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों में रोष है। यही वजह रही कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को संगम स्थित पुल से आगे नहीं जाने दिया गया। तीर्थ पुरोहित एवं हक-हकूकधारियों ने इस दौरान खूब नारेबाजी की। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत बिना दर्शन किए जीएमवीएन गेस्ट हाउस में चले गए। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि त्रिवेंद्र रावत ही देवस्थानम बोर्ड को लाने वाले हैं।

हालांकि सोमवार को ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी केदारनाथ धाम पहुंचे थे। उन्हें भी देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों का विरोध झेलना पड़ा, हालांकि उन्होंने धाम में दर्शन किए। उधर, राज्य सरकार के आश्वासन के बाद भी देवस्थानम बोर्ड और एक्ट वापस नहीं होने पर तीर्थ पुरोहितों ने सोमवार को गंगोत्री बंद रखा। गंगोत्री में बाजार बंद है। धाम में भी पूजा सामग्री सहित अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। गंगोत्री धाम में नियमित पूजा-पाठ और दर्शन सामान्य दिनों की तरह ही हो रहे हैं लेकिन भागीरथी घाट पर पूजा संपन्न कराने वाले पुरोहित विरोध स्वरूप पूजा नहीं करा रहे हैं। पूजा प्रसाद की दुकानें बंद होने से तीर्थयात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच नवंबर को केदारनाथ आ रहे हैं। ऐसे में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत समिति ने सभी तीर्थपुरोहित व हक-हकूकधारियों से आगामी तीन नवंबर को केदारनाथ कूच का आह्वान किया है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर मांग को अनसुना करने का आरोप भी लगाया है।

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रायपुर में अपने बनाए ग्रोथ सेंटर पर जाकर महिला समूह का त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बढ़ाया हौसला, बोले – वोकल फॉर लोकल मुहिम से ऐसे प्रयासों को मिलती है हिम्मत https://hillmail.in/former-uttarakhand-cm-trivendra-singh-rawat-encouraged-women-group-of-growth-center-set-up-in-raipur-said-vocal-for-local-campaign-gives-courage-to-such-efforts/ https://hillmail.in/former-uttarakhand-cm-trivendra-singh-rawat-encouraged-women-group-of-growth-center-set-up-in-raipur-said-vocal-for-local-campaign-gives-courage-to-such-efforts/#respond Sat, 30 Oct 2021 05:14:26 +0000 https://hillmail.in/?p=28970 अपने लगाए पौधे को बड़े होकर फलदार होते देखना किसी भी बागवान के लिए सबसे सुकून भरा लम्हा होता है। दो साल पहले जब उत्तराखंड के सीएम रहते त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एलईडी ग्रोथ सेंटर योजना को आगे बढ़ाया तो यह सवाल सबके जेहन में था कि क्या महिलाएं इस तरह के काम में रूचि दिखाएंगी। लेकिन शुक्रवार को देहरादून के रायपुर विकास खंड की कोटी मयचक ग्राम पंचायत में महिलाओं को बड़े इत्मिनान से स्वदेशी झालरों की सोल्डरिंग करते देखना एक अलग अनुभव रहा। खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत इन महिलाओं का हौसला बढ़ाने पहुंचे और उनसे एलईडी ग्रोथ सेंटर के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल की जो मुहिम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही है, उसने इस तरह के प्रयासों को बड़ी हिम्मत दी है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन महिलाओं से दीपावली के लिए झालरें भी खरीदीं।

दरअसल, ग्रोथ सेंटर योजना पर उत्तराखंड सरकार ने काफी काम किया। इससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं की झिझक टूटी और उन्होंने अलग-अलग तरह के कामों में रुचि दिखाई। आज इनके पास स्थानीय बाजार से कापी अच्छे ऑर्डर हैं। ये महिलाएं यहां चार से पांच घंटे देकर महीने में अपने लिए 4-5 हजार रुपये कमा लेती हैं। यह उनकी छोटी-छोटी जरूरतों के लिहाज से बड़ी आमदनी है।

खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि जब यह काम शुरू किया गया था तब ये गांव की महिलाओं के लिए एकदम नया काम था। उसके बाद अगर इनके काम को देखा जाए तो इनमें क्वालिटी आई है। जिस मैटेरियल का ये लोग इस्तेमाल कर रहे हैं वो भी बहुत ही अच्छा है, क्योंकि रॉ मैटेरियल यहां पर नहीं बनता है। ये लोग गुजरात से इसे ला रहे हैं, जिसके कारण इनको लागत ज्यादा आती है और सामान का इंतजार भी करना पड़ता है। बावजूद इसके इन महिलाओं की प्रोग्रेस काफी अच्छी है। अब जरूरत है कि इस काम में कुछ एक्सपर्ट भी जुड़ें, जैसे मार्केटिंग, डिजाइनिंग एक्सपर्ट, इलेक्ट्रॉनिक के जानकार, ताकि इनके काम को और बढ़ाया जा सके।

वह कहते हैं कि मेरी कल्पना इस ग्रोथ सेंटर के पीछे यही थी कि क्या यह हमारे घर-घर का उद्योग बन सकता है? क्या यह एक कुटीर उद्योग बन सकता है। इस कल्पना के साथ हमने इस तरह के ग्रोथ सेंटर बनाए हैं। मुझे लगता है कि यहां महिलाएं हिम्मत से काम करती रहेंगी तो आगे बहुत अच्छा होगा। कोई भी व्यवसाय शुरू में बहुत अच्छा प्रॉफिट नहीं देता है, लेकिन नुकसान नहीं होना चाहिए जिससे हम आगे बढ़ते चले जाते हैं। मैं इन बहनों से यही कहना चाहूंगा कि आप सब सहयोग के लिए मुझे बोलते रहिए, सहयोग लेते रहिए और हिम्मत के साथ काम करिए, क्योंकि कोई भी काम जब हम शुरू करते हैं तो मार्केट में कंपटिशन होता है, ईर्ष्या भी होती है तो इस तरह की कई बातें सामने आती हैं। इसलिए शुरू में हमें यह मानकर चलना चाहिए कि यह काम हम कर रहे हैं तो बाधाएं भी आती रहेंगी। इन बाधाओं को हमें पार करना है। भविष्य में भी यह महिलाएं अच्छा काम करेंगी, ऐसी मैं आशा करता हूं।

उन्होंने कहा, यह उत्पाद हमारी बहु-बेटियां, बहनें बना रही हैं, यह उत्पादन लोकल हैं। आज सभी कंज्यूमर गुड्स पर चाइना का कब्जा है, पूजा की सामग्री हो या लक्ष्मी की मूर्ति सब चाइना से बनकर आ रही हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए। हमें अपने लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि उन लोगों को लाभ मिल सके। मैं सन् 1979 से स्वदेशी की मुहिम से जुड़ा हुआ हूं और मेरी कोशिश यही है कि कपड़ा, पेन, कागज यह सब स्वदेशी हो। ताज्जुब की बात है कि भारत में जितना बॉस पेपर है, वो सब चाइना से आता है। मैं धन्यवाद करना चाहूंगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कि उन्होंने बांस को एक क्रॉप में सम्मिलित किया, पहले यह वन संपदा मानी जाती थी। जिस कारण उसकी कटिंग में बहुत समस्या आती थी और 135 करोड़ वाले भारत में जहां कागज की इतनी आवश्यकता होती है वहां इसका पूरा उद्योग बंद हो गया था। आज पीएम मोदी ने उन उद्योगों को दोबारा शुरू किया है। जिससे लोकल उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, किसानों को फायदा होगा। इसी तरह जब हम स्वदेशी का इस्तेमाल करते हैं तो जो पैसा विदेशों में जा रहा है, हम उसे रोक सकते हैं। मैं सबसे यही कहूंगा कि स्वदेशी उत्पादनों का ही इस्तेमाल करें और देश को मजबूती दें।

ग्रोथ सेंटर में काम करने वाली महिलाओं ने अपने अनुभव बांटते हुए कहा कि उन्हें यहां काम करके अच्छा लगा। उनके काम का सफर उतार-चढ़ाव वाला रहा। लेकिन नुकसान और फायदे को न देखते हुए, उन्हें काम करना है और आगे बढ़ना है। सरकार की तरफ से ग्रोथ सेंटर बनाकर दिए गए हैं और सेटअप लगाकर दिया गया है। इसके अलावा रॉ मैटेरियल खुद के संसाधनों से जुटा रहे हैं। इसके साथ ही उनके प्रोडक्टस् को मार्केट में पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा अच्छा रिस्पांस मिला है। इस ग्रोथ सेंटर में 45 महिलाएं काम कर रही हैं। इसके साथ ही कुछ महिलाएं घर से भी काम करती हैं।

उन्होंने बताया कि एलईडी ग्रोथ सेंटर के चलते वे घर से बाहर निकलकर नया काम सीख रही हैं। कहा जाता था कि लाइट्स बनाने का काम पुरुषों का होता है लेकिन जब हमने इसे बनाने की ट्रेनिंग ली तो यह पता चला कि यह काम कोई भी कर सकता है। हम बिजली के काम करने से डरते थे लेकिन अब हम इस काम को बड़े आसानी से कर रहे हैं। हम यहां चार से पांच घंटे काम करते हैं। हमारे लिए यहां बिजली का काम करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा है, क्योंकि बिजली का काम है पहले हर महिला इस काम को करने में डरती थी। लेकिन इस काम को अब सभी महिलाएं अच्छे से कर रही हैं। पिछले साल सीजन में हमने यहां पूरे दिनभर काम किया था। लेकिन इस बार हमें अनुभव है तो हमने पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था।

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह ग्रोथ सेंटर ड्रीम प्रोजेक्ट भी था ऐसे में वह पहली बार यहां आए, हमारा हौसला बढ़ाया, हमें बहुत अच्छा लगा। हमें उनका सपोर्ट मिलेगा और कुछ नया सीखने का मौका भी मिलेगा। इस बार अभी तक हमारे पास साढ़े तीन हजार लाइट्स का प्रोडक्शन हो चुका है। जिसमें कुछ बिक भी चुका है और कुछ स्टॉक किया है। इन लड़ियों की डिमांड बाहर भी है। पिछले साल लाइट्स की डिमांड दिल्ली, उत्तरकाशी, टिहरी सहित देहारदून में थी। इस साल भी काफी जगहों पर इनको भेजा गया है।

ये महिलाएं सजावट के लिए प्रयोग में आने वाली LED झालरें, दुकानों, कार्यालयों या भवनों के अंदर की LED डाउन लाइटिंग, LED स्ट्रीट लाइट्स एवं विभिन्न पावर के LED बल्ब्स भी बना रही हैं। इन लाइटों को न सिर्फ बनाती हैं बल्कि रिपेयर वर्क भी कर सकती हैं। त्रिवेंद्र सिंह सरकार के दौरान ही ये निर्णय लिया गया था कि सरकारी विभागों द्वारा रु 5 लाख तक के आर्डर स्थानीय संस्थाओं, उत्पादों को प्रदान किए जाएंगे। यदि सरकार से इन्हें यह सपोर्ट मिल जाए तो ऐसी अनेक संस्थाओं, स्वयं सहायता समूहों के जीवन में बड़ा बदलाव आना तय है।

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