दयारा बुग्याल में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों ने जमकर खेली दूध, मक्खन और मट्ठा की होली

दयारा बुग्याल में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों ने जमकर खेली दूध, मक्खन और मट्ठा की होली

उत्तराखंड के लोग पुराने समय से ही प्रकृति के साथ जुड़कर अनेक त्योहार मनाते हैं। प्रकृति के अनूठे मिलन से जुड़े ‘घी संक्रांद’ और उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल का ‘बटर फेस्टिवल’ दुनिया के अनोखे और पौराणिक त्योहारों में अलग स्थान रखते हैं। आज यह दोनों त्योहार उत्तराखंड में बड़े धूमधाम से मनाए गए।

उत्तराखंड में पौराणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े तीज-त्योहारों की लंबी सूची है। यहां गढ़वाल और कुमाऊं में हर माह कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। लेकिन पशुपालन और प्रकृति के अनूठे मिलन से जुड़े ‘घी संक्रान्द’ और उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल का ‘बटर फेस्टिवल’ दुनिया के अनोखे और पौराणिक त्योहारों में अलग स्थान रखते हैं। आज यह दोनों त्योहार उत्तराखंड में बड़े धूमधाम से मनाए गए। दयारा बुग्याल में पहुंचे स्थानीय लोगों और देश दुनिया से जुटे पर्यटकों ने जमकर दूध, मक्खन और मट्ठा की होली खेली। साथ ही श्रीकृष्ण और राधा का शानदार नृत्य भी बटर फेस्टिवल में आकर्षण का केंद्र रहा।

बटर फेस्टिवल दुनिया के तीज त्योहारों में अनोखा

उत्तरकाशी के रैथल गांव से लगे दयारा बुग्याल में करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित 28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले दयारा बुग्याल में मनाए जाने वाला बटर फेस्टिवल इस क्षेत्र में खुशी और सांस्कृतिक उत्साह की एक अलग झलक है। इस पर्व को पहले अंडूडी उत्सव के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसको स्थानीय लोगों ने बटर फेस्टिवल नाम दिया है।

दयारा पर्यटन उत्सव समिति के बैनरतले यह फेस्टिवल पिछले 20 सालों से बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस साल भी दयारा बुग्याल की मखमली घास में इस पर्व का आयोजन ग्रामीणों ने पारंपरिक रूप से दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेलते हुए किया। साथ ही स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना कर क्षेत्र की सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की। प्रकृति का आभार जताने वाले यह उत्सव ग्रामीणों और प्रकृति के बीच के मधुर संबंध का भी प्रतीक है।

यह त्योहार दयारा बुग्याल के खुले घास के मैदानों में चरते समय मवेशियों को बुरी ताकतों से बचाने के लिए भगवान कृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करने का एक तरीका है तथा समृद्ध पशुपालन की कामना का लोकपर्व है। इस बार बटर फेस्टिवल में दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल के साथ नटीण, भटवाड़ी, क्यार्क, बंद्राणी पांच गांव के ग्रामीण भी शमिल हुए। भारी बारिश के चलते इस बार त्योहार बड़ी सादगी के साथ मनाया गया।

स्थानीय लोगों ने दयारा बुग्याल क्षेत्र तक पर्यावरण संरक्षण का भी संकल्प लिया। समिति के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि अंडूडी यानी बटर फेस्टिवल देश और दुनिया में प्रकृति और पशुपालन के प्रति आभार जताने वाला अनोखा त्योहार है। इस दिन ग्रामीण भगवान श्रीकृष्ण का प्रकृति और पशुपालन की समृद्धि की कामना करते हैं।

ग्रामीण इसलिए मनाते बटर फेस्टिवल

रैथल गांव के ग्रामीण हर वर्ष अपने मवेशियों के साथ गर्मियों की दस्तक के साथ ही रैथल गांव से 7 किमी की पैदल दूरी पर स्थित दयारा बुग्याल स्थित छानियों में चले जाते हैं। बुग्याल में कई किमी तक फैले बुग्याल मवेशियों के आदर्श चारागाह होते हैं और यहां उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर पौधों से दुधारू मवेशियों के दुग्ध उत्पादन में गांव के मुकाबले अप्रत्याशित वृद्धि होती है।

मानसून बीतने के साथ ही जब बुग्याल में सर्दियां दस्तक देने लगती है तो ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ वापस गांव लौटने की तैयारियों में जुट जाते हैं लेकिन इससे पूर्व ग्रामीण दयारा बुग्याल में मवेशियों और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए, दुधारू पशुओं के दूध में वृद्धि के लिए प्रकृति व स्थानीय देवताओं का आभार जताना नहीं भूलते। प्रकृति का आभार जताने के लिए ही ग्रामीण सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

हर साल मनाया जाता अढूंडी पर्व

दयारा पर्यटन उत्सव समिति हर वर्ष भाद्रपद माह की संक्राति यानि अगस्त महीने के मध्य में दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव का भव्य आयोजन करती आ रही है। पूरी दुनिया में मक्खन मट्ठा दूध की यह अनोखी व अनूठी होली का आयोजन सिर्फ दयारा बुग्याल में ही होता है। दयारा पर्यटन उत्सव समिति बिगत दो दशकों से दयारा बुग्याल में इसे भव्य रूप से ग्रामीणों के साथ मिलकर मना रही है जिस कारण इस अढूडी उत्सव को अपने अनाखे रूप के कारण बटर फेस्टिवल का नाम मिला तो देश विदेश से हजारों पर्यटक भी हर साल इस अनोखे उत्सव में हिस्सा लेने के लिए रैथल व दयारा बुग्याल पहुंचते हैं।

दयारा पर्यटन सर्किट से जुड़ेंगे ये गांव

अब तक रैथल के ग्रामीणों की ओर से ही बटर फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा था लेकिन इस साल दयारा सर्किट में स्थित व रैथल समेत पांच गांव इसका संयुक्त रूप से आयोजन कर रहे हैं। रैथल, नटीण, बंद्राणी, क्यार्क, भटवाड़ी पारंपरिक रूप से पंचगाईं के रूप में संबोधित होते हैं और इन पांचों गांव को शामिल किया गया है।

बारिश ने किया मजा किरकिरा

दयारा बुग्याल में कई किमी तक फैली मखमली बुग्याल और इस पर उगे रंगबिरंगे फूलों को देखकर हर कोई आकर्षित होते हैं। इसके अलावा हिमालय की बर्फ से लकदक सुंदर चोटियां और सुंदर नजारे भी खासे आकर्षण है। लेकिन बारिश के चलते इस साल भी दयारा पहुंचे पर्यटकों को प्रकृति के नजारे न दिखने से खासी मायूसी लगी। हालांकि कुछ देर मौसम खिला तो लोगों ने दूध, मट्ठा, मक्खन की होली जमकर खेली।

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this