तिमली, दाड़िम, सेमल, सेब पिलखाई… उत्तराखंड के लोग इनसे परिचित होंगे। लेकिन क्या इसकी मदद से स्वरोजगार शुरू किया जा सकता है। पहाड़ में रहते हुए आखिर शहरों में बन रहे उत्पादों से टक्कर कैसे ले पाएंगे। कितना मुश्किल ये है काम। महिलाएं किस तरह की भूमिका निभा सकती है। पढ़िए इन सबके जवाब देती उत्तरकाशी से आई ये प्रेरक कहानी।
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed