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Ranking – Hill Mail https://hillmail.in Fri, 03 Dec 2021 15:37:46 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5.3 https://i0.wp.com/hillmail.in/wp-content/uploads/2020/03/250-X-125.gif?fit=32%2C16&ssl=1 Ranking – Hill Mail https://hillmail.in 32 32 138203753 पौड़ी के डा. मनमोहन सिंह चौहान की अगुवाई में देश का शीर्ष कृषि संस्थान बना NDRI करनाल, जीबी पंत यूनिवर्सिटी को चौथा स्थान https://hillmail.in/icar-agricultural-universities-ranking-2020-ndri-karnal-tops-gb-pant-university-place-fourth/ https://hillmail.in/icar-agricultural-universities-ranking-2020-ndri-karnal-tops-gb-pant-university-place-fourth/#respond Fri, 03 Dec 2021 15:28:27 +0000 https://hillmail.in/?p=29726 उत्तराखंड के बेटे डा. मनमोहन सिंह चौहान ने एक बार फिर देवभूमि को गौरवान्वित किया है। उनकी अगुवाई में लगातार दूसरी बार पंजाब के करनाल स्थित राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान – NDRI को देश में सबसे बेहतर कृषि संस्थान आंका गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – ICAR ने देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि संस्थानों की रैंकिंग तैयार की है। उत्तराखंड के पंतनगर स्थित जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को देश में चौथा स्थान मिला है।

ICAR की साल 2020 की रैंकिंग में NDRI के बाद दूसरे पायदान पर ICAR-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली को रखा गया है। तीसरा स्थान भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर, बरेली, चौथा स्थान जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर और पांचवां स्थान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना को मिला है।

डा. चौहान की गिनती देश के शीर्ष पशु विज्ञानियों में होती है। इससे पहले, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के निदेशक रहे डा. मनमोहन सिंह चौहान भारत में जानवरों की क्लोनिंग के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं। उन्हें कृषि और दुग्ध पालन के क्षेत्र में इनोवेटिव पहल के लिए जाना जाता है। डा. चौहान ने NDRI में निदेशक बनने से पहले शुरुआती दौर में प्रधान वैज्ञानिक (पशु जैव प्रौद्योगिकी) के पद पर काम किया। गाय, भैंस, याक एवं बकरी से जुड़े अनुसंधान के क्षेत्र में उन्हें काफी ख्याति हासिल है। उन्होंने अनुसंधान के 32 वर्षों में पशुधन कार्यकुशलता के लिए अनेक क्षमतावान जनन जैव प्रौद्योगिकी विकसित की हैं।

पौड़ी गढ़वाल के जामल गांव के रहने वाले

डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का जन्म 5 जनवरी, 1960 को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर के जामल गांव में हुआ। जयहरीखाल से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और बीएससी करने के बाद डा. चौहान ने 1981 में श्रीनगर, गढ़वाल से एमएससी की। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी जाकर पीएचडी का थीसिस लिखा। मनमोहन सिंह चौहान को 1986 में पीएचडी की डिग्री मिली।

यह भी पढ़ें – एनडीआरआई के डॉ. मनमोहन सिंह चौहान को मिली भारतीय विज्ञान अकादमी की फेलोशिप

हाल ही में डा. चौहान को भारतीय विज्ञान अकादमी की फेलोशिप मिली है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि अनुसंधान क्षेत्र में 1935 से अब तक केवल दस वैज्ञानिकों को यह स्थान प्राप्त हुआ है। NDRI से डा. चौहान पहले वैज्ञानिक हैं, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह फेलोशिप भारत में वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए दी जाती है, जिसमें राष्ट्रीय कल्याण की समस्याओं के व्यावहारिक अनुप्रयोग भी शामिल हैं। डा. चौहान नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के फेलो, नेशनल एकेडमी ऑफ डेयरी साइंसेज के फेलो व सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन के फेलो हैं।

यमकेश्वर में किसानों के लिए NDRI की बड़ी पहल

NDRI के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान के प्रयासों से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर में एक बड़ी पहल की गई है। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में ज्यादा से ज्यादा किसानों को कृषि और दूध के उत्पाद तैयार करने कीआधुनिक तकनीकों के प्रति जागरुक करने के लिए तल्ला बनास में बनाई गई गोमुख डेयरी को विशेष मदद की गई है। यहां आधुनिक तकनीकों का प्रयोग गायों के दूध, उनकी देखरेख और दूध से बनने वाले उत्पादों के लिए किया जा रहा है। NDRI के वैज्ञानिक नियमित रूप से यहां आ रहे हैं। आने वाले दिनों में एनडीआरआई इस क्षेत्र में कई तरह गतिविधियां कराएगा।

यहां देखें पूरी रैंकिंग –

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योगी आदित्यनाथ फिर नंबर वन, ‘शिखर पर उत्तराखंडी टॉप-50’ वार्षिक रैंकिंग जारी https://hillmail.in/yogi-adityanath-tops-hillmail-shikhar-par-uttarakhandi-top-50-ranking/ https://hillmail.in/yogi-adityanath-tops-hillmail-shikhar-par-uttarakhandi-top-50-ranking/#respond Sat, 12 Dec 2020 17:39:45 +0000 https://hillmail.in/?p=21851 उत्तराखंड के बेटे-बेटियां किस तरह देश के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग पदों पर रहते हुए महती भूमिका निभा रहे हैं, यह समूचा विश्व देख रहा है। आज राजनीति और कूटनीति, रक्षा और सुरक्षा, गीत-संगीत, कला, योग पर्यावरण, साहित्य और सेवा, हर क्षेत्र में पहाड़ के सपूत सफलता के नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। हिल-मेल पत्रिका ने पहाड़ के ऐसे ही सपूतों पर आधारित अपनी वार्षिक शिखर पर उत्तराखंडी टॉप-50 रैंकिंग जारी कर दी है।

यह सिलसिला देश की राजनीति के फलक पर तेजी से चमक बिखेर रहे यूपी के मुख्यमंत्री और पौड़ी के बेटे योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बनाए गए जनरल बिपिन रावत, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, अनिल बलूनी से होता हुआ कई ऐसे लोगों तक जाता है, जिन्होंने अपने कार्य से लोगों के मन मस्तिष्क को प्रभावित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे हों या समाज सेवा का पर्याय बन चुकी मंगला माता हों, एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह हों, देश सेवा और समाजसेवा के प्रतीक कर्नल अजय कोठियाल हों या सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और प्रख्यात गीतकार प्रसून जोशी। सभी की कहानी कमोबेश एक जैसी तो है, सभी ने संघर्षों के लंबे दौर से गुजरते हुए शीर्ष मुकाम हासिल किया है। यह विशेषांक हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने वाले पहाड़ के सपूतों को समर्पित है।

ये रहे टॉप-10 उत्तराखंडी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर सबसे चर्चित उत्तराखंडियों की सूची में शीर्ष पायदान पर हैं। दूसरे नंबर पर देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं। तीसरे पायदान पर सीडीएस बनाए गए जनरल बिपिन रावत हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस सूची में चौथा स्थान मिला है। पांचवें नंबर पर शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हैं। वहीं छठे स्थान पर आध्यात्मिक गुरुमाता और हंस फाउंडेशन की संस्थापक माताश्री मंगला हैं। भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को इस सूची में सातवां स्थान मिला है। आठवें नंबर पर महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे को इस सूची में नौंवा और एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह को दसवां स्थान मिला है। 11वें पायदान पर गीतकार प्रसून जोशी और 12वें स्थान पर समाजसेवी और यूथ फाउंडेशन के संस्थापक कर्नल (रिटा.) अजय कोठियाल हैं। सफलता और बुलंदियों पर पहुंचे उत्तराखंडियों की सूची बहुत लंबी है।शीर्ष 50 में ऐसे लोग शामिल हैं, बीते एक साल के दौरान कुछ ज्यादा चर्चा में रहे। हालांकि यह सूची अंतिम नहीं है, यह तो महज सिलसिले की शुरुआत है, जो साल-दर-साल आगे बढ़ता जाएगा।

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