लॉकडाउन में न हो कोई दिक्कत, उत्तराखंड के 1 लाख श्रमिकों के खातों में पहुंचे पैसे

लॉकडाउन में न हो कोई दिक्कत, उत्तराखंड के 1 लाख श्रमिकों के खातों में पहुंचे पैसे

उत्तराखंड के दिहाड़ी मजदूरों और अन्य गरीब कामगारों को लॉकडाउन में खाने-पीने की दिक्कत न हो, इसके लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार उनके खातों में पैसे भेज रही है। एक हजार रुपये की यह मदद अब तक एक लाख से ज्यादा श्रमिकों के खातों में पहुंच गई है।

कोरोना वायरस के प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए चल रहे लॉकडाउन से गरीब और दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। उन्हें मदद पहुंचाने के लिए सरकारें खाने-पीने की व्यवस्था कर रही हैं, साथ ही उन्हें वित्तीय मदद भी पहुंचाई जा रही है। इस क्रम में उत्तराखंड सरकार एक लाख से ज्यादा श्रमिकों के बैंक खातों में एक-एक हजार रुपये की धनराशि पिछले एक हफ्ते में भेज चुकी है।

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को लगातार वित्तीय मदद पहुंचाई जा रही है। अधिकारियों ने बताया है कि करीब एक हफ्ते में अब तक 1,01,492 श्रमिकों के बैंक खातों में पैसे भेजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को योजना का लाभ मिले, इसके लिए नियमों में भी ढील दी गई है। दरअसल, सहायता राशि के लिए वह शर्त हटा ली गई है, जिसमें पात्रता के लिए 90 दिन की बाध्यता थी।

आपको बता दें कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने 23 मार्च को उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को एक-एक हजार रुपये की सहायता राशि देने का निर्णय लिया था, जिससे लॉकडाउन के दौरान उन्हें भोजन आदि की दिक्कत न हो। उत्तराखंड में बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों की संख्या 3,02,600 है। 24 मार्च से इनके बैंक खातों में सहायता राशि भेजने का सिलसिला शुरू हुआ, जो अभी तक जारी है।

श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया है कि 30 मार्च तक 1,01,292 श्रमिकों के बैंक खातों में सहायता राशि भेजी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को यह लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। यह भी तय किया गया है कि जिन श्रमिकों ने 23 मार्च तक निर्माण श्रमिक के रूप में पंजीकरण और नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है, वे भी इस सहायता के लिए पात्र होंगे। इसके अलावा जिन श्रमिकों का पिछले वर्ष नवीनीकरण होना था और किसी कारणवश नवीनीकरण नहीं हो पाया, ऐसे श्रमिकों को छह माह की छूट देते हुए उन्हें भी आर्थिक सहायता के लिए पात्र माना गया है।

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