पहाड़ों की ओर लौटने के अभियान के तौर पर साल 2013 में हिल-मेल वेबसाइट की शुरुआत हुई। इन वर्षों में हिल-मेल ने पहाड़ से जुड़े मुद्दों को इस पोर्टल और अपनी मासिक पत्रिका 'हिल-मेल' के माध्यम से बखूबी उठाने का काम किया है। हिल-मेल कई वर्षों से इन्हीं मुद्दों पर सेमिनार और विचार गोष्ठियों का आयोजन करती रही है। पहली मार्च 2014 को हिल-मेल ने केदारनाथ आपदा को लेकर ऋषिकेश में एक सेमिनार का आयोजन किया था। उसके बाद 9 मई 2015 को कांस्टीट्यूसन क्लब, नई दिल्ली में एक विचारगोष्ठी का आयोजित किया गया। इस सेमिनार में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री समेत कई वक्ताओं ने पहाड़ में आपदा से निपटने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर हिल-मेल ने ‘केदारनाथ आपदा और आगे का रास्ता’ नाम से एक विजन डॉक्यूमेंट भी प्रस्तुत किया था।

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हिल-मेल ने 30 जनवरी 2016 को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘केदारनाथ टूरिज्म समिट 2016’ का आयोजन किया। इस समिट में बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी, प्रबुद्धजन, आपदा विशेषज्ञ, आपदा के समय सेना के राहत व बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाले शीर्ष सैन्य अधिकारी, मीडियाकर्मी और उत्तराखंड में विभिन्न सरोकारों से जुड़े लोग शामिल हुए। इस दौरान केदारनाथ के उत्थान और पुनर्निर्माण को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री भी रिलीज की गई। इसके साथ ही उत्तराखंड के विकास और सरोकारों को समर्पित ‘हिल-मेल पत्रिका’ का भी विमोचन किया गया। समिट के दौरान केदारनाथ में चलाए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यो पर एक चित्र प्रदर्शनी भी रखी गई थी।

इस पोर्टल और पत्रिका के माध्यम से हिल-मेल का प्रयास जनमानस की आवाज को सही स्तर तक पहुंचाना है। हमने कोशिश की है कि हिल-मेल पहाड़ से जुड़े जनमानस के बीच एक मंच और एक अभियान के रूप में आगे बढ़े। हिल-मेल प्रयत्न कर रहा है कि हिमालय के आंचल में रोजाना की घटने वाली सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक और दैवीय घटनाओं की जानकारी जल्दी से जल्दी लोगों को मिलती रहे। हिल-मेल द्वारा भारतीय सेना और समस्त सुरक्षा बलों के बारे में भी जानकारियां दी जा रही हैं।

हिल-मेल के माध्यम से हमारा प्रयास है कि हम पहाड़ से दूर रह रहे लोगों को अपने पहाड़ों की ओर लौटने लिए प्रेरित करें। प्रवासी उत्तराखंडी अपनी मातृभूमि की ओर लौटे और पहाड़ में अपने घर-गांव लिए कुछ न कुछ योगदान करें।

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