हिल मेल ब्यूरो, देहरादून उत्तराखंड में आज पारंपरिक तरीके से फूलदेई का त्योहार मनाया जा रहा है। इंसानों का प्रकृति से कितना गहरा नाता है, इसका एक जीवंत उदाहरण देखना हो तो वो दिन आज का है। जी हां, प्रकृति से प्रेम की व्याख्या है
हिल मेल ब्यूरो, देहरादून
उत्तराखंड में आज पारंपरिक तरीके से फूलदेई का त्योहार मनाया जा रहा है। इंसानों का प्रकृति से कितना गहरा नाता है, इसका एक जीवंत उदाहरण देखना हो तो वो दिन आज का है। जी हां, प्रकृति से प्रेम की व्याख्या है पहाड़ों में मनाया जाने वाला फूलदेई त्योहार। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की इस त्योहार से जुड़ी अपनी यादें हैं। आज सुबह की पहली किरण के साथ बच्चे बुरांश, भिटोर, फ्यूंली, आड़ू, खुमानी के फूल लेकर गांव में घर-घर की देहरी पूजने निकल पड़े। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के लोगों को लोकपर्व की शुभकामनाएं दी हैं।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘फूल देई, छम्मा देई, देणी द्वार, भर भकार, ये देली स बारम्बार नमस्कार, फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई’। आज फूलों को थालियों व रिंगाल की टोकरियों में सजाकर बच्चों की टोलियों ने हर परिवार के आंगन में जाकर आशीष मांगा और घर की बुजुर्ग महिलाओं ने उन बच्चों को आशीर्वाद देते हुए चावल, गुड़, रुपए दिए। बच्चों का यह उत्साह देखते ही बनता है।
फूल देई, छम्मा देई, देणी द्वार, भर भकार,
ये देली स बारम्बार नमस्कार,
फूले द्वार……फूल देई-छ्म्मा देई।आप सभी को उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई की हार्दिक शुभकामनाएँ।
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) March 14, 2020
दरअसल, उत्तराखंड की सभ्यता का प्रतीक पर्व है फूलदेई। आज जब घरों और मंदिरों की देहरी पर लाल और पीले फूल बिखेरे जा रहे हैं तो वहीं कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां अजीब सी खामोशी छाई हुई है। उत्तराखंड से बड़ी संख्या में पलायन के कारण गांव वीरान होते जा रहे हैं। अच्छी बात यह है कि सरकार के प्रयासों से अब रिवर्स पलायन की तरफ तेजी से काम किया जा रहा है, जिससे अपने उत्तराखंड को समृद्ध बनाने के साथ आने वाले पीढ़ी को संस्कृति और सभ्यता से भी रूबरू किया जा सके।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड का पारंपरिक फूल देई त्यौहार बच्चों के साथ मनाया। मुख्यमंत्री ने प्रकृति के इस त्यौहार की बच्चों को बधाई देते हुए कहा कि प्रकृति संरक्षण, हमारी संस्कृति में है। यह बड़ी खुशी की बात है कि हमारे बच्चों में अपनी संस्कृति और परम्पराओं से लगाव बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपनी प्राचीन संस्कृति को संजोकर रखने की जरूरत है। प्रकृति के इस त्यौहार को संजोए रखने के लिये सबको मिलकर प्रयास करने होंगे। फूलदेई का त्यौहार सुख शांति की कामना का प्रतीक है। उन्होंने प्रदेशवासियों को फूलदेई त्यौहार की शुभकामनाएं एवं बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने सीएम आवास आए बच्चों को उपहार भेंट किए और पौधारोपण भी किया।
आज दिल्ली, मुंबई जैसे शहरों में रहने वाले उत्तराखंडी फुलदेई के त्योहार को मिस कर रहे हैं। कुछ ने सोशल मीडिया पर अपने बचपन की कहानियां भी साझा की हैं।
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