उत्तराखंड सरकार ने पैरेंट्स को दी बड़ी राहत, इस साल फीस नहीं बढ़ा सकेगा कोई भी स्कूल

उत्तराखंड सरकार ने पैरेंट्स को दी बड़ी राहत, इस साल फीस नहीं बढ़ा सकेगा कोई भी स्कूल

जिलाधिकारियों को जारी आदेश में कहा गया है कि जो छात्र-छात्राएं लॉकडाउन में आर्थिक तंगी के कारण फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं, उनका नाम न काटा जाए। स्थिति सामान्य होने तक उन पर फीस के लिए दबाव न बनाया जाए। सभी तरह के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों का नियमित वेतन मिले।

उत्तराखंड सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पैरेंट्स को बड़ी राहत दी है। राज्य में इस साल के शैक्षिक सत्र में किसी भी तरह से फीस नहीं बढ़ाई जा सकेगी। यही नहीं स्कूल लॉकडाउन के दौरान किसी भी पैरेंट्स पर फीस जमा करने के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। लॉकडाउन के दौरान फीस जमा करना पैरेंट्स की इच्छा पर निर्भर करेगा। स्कूल किसी भी अभिभावक से आगामी महीनों की फीस नहीं वसूलेंगे। यानी एक बार में एक महीने की फीस ही ले सकेंगे।

शिक्षा सचिव आर मिनाक्षी सुंदरम ने बुधवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश जारी कर राज्य में इस साल फीस बढ़ोत्तरी पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके अलावा शिक्षक-कर्मचारियों का वेतन न देने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन आदेशों का कड़ाई से पालन कराएं।

निजी स्कूलों को नया शिक्षा सत्र अप्रैल महीने से शुरू हो जाता है। आमतौर पर स्कूल तीन महीने की शुल्क एक साथ ले लेते हैं। हर साल स्कूल फीस में इजाफा किया जाता है। इसके साथ ही वार्षिक शुल्क और अन्य तरह की फीस वसूली जाती है। सरकार के पास ऐसी शिकायतें पहुंच रही थीं कि लॉकडाउन को लेकर जारी आदेश के बावजूद कई निजी, गैर सरकारी और अन्य स्कूल फीस जमा करने और किताबें खरीदने के लिए परिजनों पर दबाव बना रहे हैं। फीस जमा न करने पर स्कूल से नाम काटने की चेतावनी भी दी जा रही है।

इसके बाद शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बुधवार को आदेश जारी करते हुए अभिभावकों को बड़ी राहत दी है। सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के सभी सरकारी, गैर सरकारी, सहायता प्राप्त और प्राइवेट स्कूलों में छात्र और छात्राओं के अभिभावक अपने इच्छा अनुसार शुल्क जमा करा सकते हैं। शिक्षा सचिव ने जिलाधिकारियों को जारी आदेश में यह भी कहा है कि जो छात्र-छात्राएं लॉकडाउन में आर्थिक तंगी के कारण फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं, उनका नाम न काटा जाए। स्थिति सामान्य होने तक उन पर फीस के लिए दबाव न बनाया जाए। जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी तरह के स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों एवं कर्मचारियों को नियमित रूप से भुगतान किया जाए। स्कूलों में ऑनलाइन और दूसरे संचार माध्यमों से पढ़ाई जारी रखी जाए।

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