प्रकृति में संतुलन बना रहे, इसके लिए इंसानों के साथ-साथ जानवरों की भी अपनी भूमिका है। बाघों की आबादी बढ़ाने और उन्हें बचाने के लिए सरकारें काफी प्रयास कर रही हैं। इस बीच एक रिपोर्ट आई है, जिससे पता चलता है कि उत्तराखंड में यह काम काफी अच्छा है।
आज विश्व बाघ दिवस है। इस मौके पर उत्तराखंड के लिए गौरव करने की खबर आई है। बाघ गणना पर आई विस्तृत रिपोर्ट में पता चला है कि कार्बेट टाइगर रिजर्व बाघों की संख्या और घनत्व के आधार पर देश के सभी 50 टाइगर रिजर्व में सबसे आगे है। कार्बेट परिक्षेत्र में इस समय 266 बाघ हैं, जिनमें 231 इसी रिजर्व में रहते हैं। यहां बाघों के आहार में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अगर इनके मिलने की बात करें तो यहां 100 वर्ग किमी पर 14 बाघ हैं।
यह स्टेटस रिपोर्ट एक तरह से उत्तराखंड में चल रहे बाघ संरक्षण के प्रयासों पर भी मुहर लगाती है। हालांकि अगर संख्या के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में और उसके बाद कर्नाटक में हैं। 442 बाघों के साथ उत्तराखंड का नंबर तीसरा आता है।
कार्बेट में बाघ का आहार बनने वाले जानवरों जैसे हिरण, बारहसिंघा आदि की संख्या भी बढ़ी है। यहां बाघों का रहने का ठिकाना बेहतर है। उत्तराखंड के दूसरे राजाजी टाइगर रिजर्व के परिक्षेत्र में 52 बाघ पाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 38 रिजर्व में रहते हैं।
किस रिजर्व में कितने बाघ
सबसे ज्यादा कार्बेट में 231, नागरहोल में 127, बांदीपुर में 126, बांधवगढ़ में 104, काजीरंगा में 104, मुदुमलाई में 103, कान्हा में 88, सुंदरबन में 88, तदोबा में 83, दुधवा में 82 बाघ रहते हैं।
देश के वे राज्य, जहां सबसे ज्यादा बाघ
भारत में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में 526, कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 हैं। इसके बाद महाराष्ट्र 312 और तमिलनाडु 264 बाघों के साथ चौथे व पांचवें स्थान पर है।
…तो 5 गुना बढ़ जाएंगे भारत में बाघ
दुनिया के 70 फीसदी बाघों का घर भारत इनकी संख्या को 5 गुना तक और बढ़ा सकता है। वन्यजीव विशेषज्ञों की मानें तो अधिक संरक्षित रहने के ठिकाने के निर्माण, सुरक्षित गलियारे और संसाधनों पर खर्च के जरिए देश 10-15 हजार बाघों को रखने में सक्षम है। सरकार की सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघों के अधिकांश आवासीय गलियारे संरक्षित क्षेत्र नहीं हैं। ताजा सर्वे रिपोर्ट बताती है कि देश में करीब 3.81 लाख वर्ग किमी क्षेत्र बाघों के लिए उपयुक्त है, जबकि करीब 90 हजार वर्ग किमी क्षेत्र में ही बाघों की मौजूदगी है। इसका मतलब यह है कि बाघों के आवास का दायरा बढ़ाने की काफी गुंजाइश है।