बदल रही तस्वीर, विकास की रफ्तार पकड़ रहा 20 साल का युवा उत्तराखंड

बदल रही तस्वीर, विकास की रफ्तार पकड़ रहा 20 साल का युवा उत्तराखंड

20 साल के कालखंड में उत्तराखंड ने कई बाधाओं के साथ अपना सफर तय किया। गठन के साथ राजनीतिक अस्थिरता रही तो सफर के बीच में हुई सबसे बड़ी हिमालयन सुनामी का सामना किया। प्रकृति की मार से रोजाना दोचार हुए तो पलायन की पीड़ा भी सही। लेकिन यंग उत्तराखंड ने अब अपनी रफ्तार पकड़ ली है…।

20 साल…कहने को एक लंबा कालखंड होता है, लेकिन अगर कहें कि अस्तित्व में आने के बाद के 20 साल…तो शायद ये वक्त उन सपनों को हकीकत में तब्दील करने के लिए कम लगे, जिनके लिए ये राज्य बना। एक नए सूबे को 20 साल की कसौटी पर कसना शायद जल्दबाजी होगी। अब उत्तराखंड उम्र के उस पड़ाव पर है, जहां से उसे कई मंजिलें हासिल करनी है। एक युवा उत्तराखंड को एक समृद्ध, सशक्त और सफल राज्य बनना है।

राज्य गठन के दौर में जन्मी एक पूरी पीढ़ी जवान हो चुकी है, बेशक इस पीढ़ी ने उत्तराखंड आंदोलन का दौर नहीं देखा, लेकिन सुना खूब है। जिस पीढ़ी ने इस आंदोलन को देखा और उससे जुड़े, वो अक्सर यह कहते सुने जा सकती हैं कि जिस मकसद से अलग राज्य की लड़ाई लड़ी, वह अभी पूरा नहीं हो सका है। ये सच भी है, क्योंकि उत्तराखंड अभी तो तरुणाई से बाहर आया है। हमने वो रफ्तार नहीं पकड़ी जो होनी चाहिए थी। यह कहना आसान है कि 20 साल में कुछ नहीं हुआ, हकीकत यह है कि जिस स्तर पर प्रयास होने चाहिए थे, वे शायद नहीं हुए।

20 साल के कालखंड में उत्तराखंड ने कई बाधाओं के साथ अपना सफर तय किया। गठन के साथ राजनीतिक अस्थिरता रही तो सफर के बीच में हुई सबसे बड़ी हिमालयन सुनामी का सामना किया। प्रकृति की मार से रोजाना दोचार हुए तो पलायन की पीड़ा भी सही। लेकिन यंग उत्तराखंड ने अब अपनी रफ्तार पकड़ ली है…।

गठन के समय से ही उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ पर होने की मांग एक बड़ा मुद्दा रही। अब लोगों की भावनाओं से जुड़ा गैरसैंण राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को इस ऐतिहासिक फैसले के लिए हमेशा याद किया जाएगा। यहां आजीविका का एक बड़ा जरिया चारधाम यात्रा है। जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे सुविधाएं बढ़ाने की मांग हो रही है। इसी को देखते हुए चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से एक लाख करोड़ रुपये की योजनाएं चलाई जा रही हैं। केदारनाथ में पुनर्निर्माण का काम तेजी से जारी है। बद्रीनाथ में मास्टरप्लान के अनुसार काम शुरू होने जा रहा है। नमामि गंगे में उत्तराखंड ने अच्छे परिणाम दिए हैं। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का काम तेज रफ्तार से चल रहा है। चारों धामों को रेलमार्ग से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

किसी भी राज्य की प्रगति को वहां की सड़कों, बिजली-पानी की सप्लाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा की कसौटी पर कसा जाता है। पिछले तीन साल में ही देखें तो उत्तराखंड में प्रधानमंत्री सड़क योजना में अब तक 6409 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। 657 बसावटें सड़क से जुड़ी हैं। राज्य सरकार ने 3500 किलोमीटर की दूरी की 1160 नई सड़कें बनाई हैं। सौभाग्य योजना के तहत उत्तराखंड के सभी गांवों तक बिजली की लाइनें पहुंचा दी गई हैं। अब राज्य सरकार हर घर तक पीने का पानी पहुंचाने के लिए एक रुपये में कनेक्शन का महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है।

उत्तराखंड ऐसा राज्य है, जिसने सभी परिवारों को 5 लाख रुपये सालाना की फ्री मेडिकल फैसिलिटी दी है। आयुष्मान योजना में 39 लाख से अधिक लोगों के गोल्डन कार्ड बने हैं। अभी तक सवा दो लाख लोग इनसे निशुल्क इलाज करा चुके हैं। देश भर में 22 हजार से ज्यादा अस्पताल इसके पैनल में हैं। उत्तराखंड में देहरादून, श्रीनगर, अल्मोड़ा, हल्द्वानी, रुद्रपुर के साथ ही हरिद्वार और पिथौरागढ़ में भी मेडिकल कॉलेज हैं। सभी जिलों में आईसीयू स्थापित हो चुके हैं। किसानों को 3 लाख और महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को 5 लीख रुपये तक का कर्ज बिना किसी ब्याज के दिया जा रहा है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3900 क्लस्टरों पर काम शुरु हुआ है। सेब और कीवी के उत्पादन पर खास ध्यान दिया जा रहा है।

उत्तराखंड में रोजगार एक बड़ी चुनौती रही है। यहां से होने वाले पलायन का एक बड़ा कारण रोजगार के विकल्प न होना है। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। राज्य के सभी 13 जिलों में 13 नए टूरिस्ट डेस्टीनेशन तैयार करने पर काम हो रहा है। कई जगहों पर रोप-वे का निर्माण चल रहा है। राज्य सरकार ने अभी तक 2200 होमस्टे का रजिस्ट्रेशन किया है। उत्तराखंड को एडवेंचर स्पोर्ट्स हब के तौर पर विकसित करने के लिए कई तरह की पहल की जा रही हैं।

कोरोना संक्रमण के चलते उत्तराखंड में बड़ी संख्या में प्रवासियों की वापसी हुई है। इन लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार का विकल्प देकर रोकने की कोशिश हो रही है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में छह लाख से ज्यादा प्रवासियों को 150 क्षेत्रों के लिए आर्थिक मदद देने की व्यवस्था की गई है। राज्य में 10 हजार युवाओं को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार देने की कोशिश हो रही है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना पर काम शुरू हो गया है। राज्य में 104 ग्रोथ सेंटर के जरिये 30 हजार लोगों को रोजगार देने का सपना है। पिछले तीन साल में उत्तराखंड में 14450 इंडस्ट्रियल यूनिट लगीं, इनमें हजारों लोगों ने रोजगार पाया।

युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में सबसे ज्यादा जोर पशुपालन और डेयरी पर दिया जा रहा है। राज्य सरकार इस बार पूरे उत्तराखंड में 7000 डेयरी दे रही है। बेरोजगार नौजवानों को तीन और पांच गाय से डेयरी शुरू करने का विकल्प दिया गया है। इस डेयरी का खर्च करीब 2.50 लाख रुपये है, इसमें से राज्य सरकार 1.25 लाख रुपये की सब्सिडी दे रही है। इन डेयरियों के लिए गाय दूसरे राज्यों से लाई जाएगी। इन डेयरियों से दूध की खरीदारी आंचल द्वारा की जाएगी। दूध की कीमत के अलावा राज्य सरकार 4 रुपये प्रति लीटर की प्रोत्साहन राशि भी देगी। राज्य सरकार ने 7000 लोगों को 20,000 गाय देने की व्यवस्था की है। अभी तक 1300 लोगों ने इस योजना के तहत डेयरी खोल दी है। डेयरी के लिए सरकार ने कोऑपरेटिव बैंकों से तीन साल तक के लिए तीन लाख रुपये तक का कर्ज बिना किसी ब्याज के उपलब्ध कराने की व्यवस्था भी की है।

उत्तराखंड की गिनती आज मोस्ट फिल्म फ्रेंडली डेस्टीनेशन के तौर पर हो रही है। राज्य में हाल के वर्षों में 300 से ज्यादा फिल्मों और सीरियल्स की शूटिंग हो चुकी है। सुविधाएं बढ़ाने के लिए 27 हेलीपोर्ट विकसित किए जा रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड में सबकुछ अच्छा हो रहा है…। सबकुछ बदल गया है। एक राज्य के तौर पर अभी बहुत सी चुनौतियां हैं, जिनसे पार पाना है। राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की जरूरत है। रोजगार एक बड़ी चुनौती है। हेल्थ सेक्टर में काफी काम होना है। ये सब होगा जब उत्तराखंड की सोच पॉजिटिव होगी। कोरोना काल में सामने आई सफलता की कहानियां सबके सामने हैं। उत्तराखंड अब रुकेगा नहीं, 20 साल का युवा उत्तराखंड पॉजिटिव सोच के साथ दौड़ने को तैयार है।

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