कोरोना के अब रोज साढ़े तीन लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं। कई राज्यों में हालात गंभीर है। स्वास्थ्य एवं अन्य संसाधनों पर भारी दबाव है। सरकार ऑक्सीजन की समस्या से निपटने के लिए एयरफोर्स की मदद ले रही है। अब सेना के रिटायर्ड डॉक्टरों को भी बुलाया जा रहा है।
देश में कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। अस्पतालों में भारी भीड़ है, डॉक्टर, नर्स और पूरा हेल्थ स्टाफ दिन-रात लोगों की जान बचाने में जुटा है। अब हालात की गंभीरता को देख सेना पूरी तरह से कोरोना के खिलाफ जंग में उतर आई है। सशस्त्र बलों के डॉक्टर पहले से सहयोग कर रहे हैं, अब रिटायर हुए डॉक्टरों को भी बुलाया जा रहा है।
पीएम से मिले सीडीएस रावत
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस फैसले की जानकारी दी। पिछले दो साल में सेवानिवृत्त या समय पूर्व रिटायरमेंट लेने वाले सशस्त्र बलों के सभी चिकित्साकर्मियों को उनके संबंधित घर के आसपास कोविड केंद्रों में काम करने के लिए वापस बुलाया जा रहा है।
सेना अपने संसाधन भी जनता को दे रही
CDS ने पीएम मोदी को बताया कि इससे पहले रिटायर हुए डॉक्टरों व अन्य स्टाफ से भी अनुरोध किया है कि वे परामर्श के लिए हेल्पलाइन के माध्यम से अपनी सेवाएं दें। रावत ने बताया कि सशस्त्र बलों के पास मौजूद ऑक्सीजन सिलेंडरों को अस्पतालों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
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सेना, नौसेना और वायुसेना के मुख्यालयों में तैनात चिकित्सा कर्मियों को अस्पतालों में तैनात किया जा रहा है। बड़ी संख्या में चिकित्सा केंद्र बन रहे हैं और जहां तक संभव होगा सेना की स्वास्थ्य सुविधाएं आम लोगों को उपलब्ध कराई जा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने वायुसेना द्वारा भारत के अंदर और विदेश से ऑक्सीजन और अन्य वस्तुओं के परिवहन के लिए चलाए जा रहे अभियानों की समीक्षा की। इस तरह से देखें तो सेना के तीनों अंग कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अब उतर चुके हैं।
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