सुंदरलाल बहुगुणा का नाम इनदिनों काफी चर्चा में है। आम आदमी पार्टी ने उन्हें भारत रत्न देने की मांग की है। आइए समझते हैं कि उत्तराखंड में आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह मुद्दा क्यों अहम है।
उत्तराखंड में इस बार अगला विधानसभा चुनाव दो ध्रुवीय न होकर त्रिकोणीय होगा। जी हां, आम आदमी पार्टी ने महंगी बिजली जैसे मुद्दों को लपककर मुफ्त देने की घोषणा कर दी है और इस दिशा में फॉर्म भी भराए जा रहे हैं। चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में आम आदमी पार्टी के प्रदेश में नेता रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल जनसभाएं और दौरे शुरू कर चुके हैं। वे गांव-गांव सुदूर इलाकों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याओं को सुनकर उनका निपटारा करने का आश्वासन दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर लाइव वीडियो चल रहे हैं, वीडियो और ट्वीट के जरिए राजनीतिक दुष्प्रचार दिया जारहा है। ये सब हो रहा है क्योंकि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराना चाहती है।
इस बीच,अरविंद केजरीवाल ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने उत्तराखंड के सपूत और मशहूर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा को भारत रत्न देने की मांग कर पहाड़ से भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की है। दिल्ली विधानसभा में तो गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से मांग की गई कि बहुगुणा को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाए।
Delhi Assembly में स्व. Sunderlal Bahuguna जी को Bharat Ratna सम्मान देने का प्रस्ताव पारित!
दिल्ली विधानसभा अकेली विधानसभा, जहां मरणोपरांत स्व. बहुगुणा जी के चित्र को स्थापित किया गया
पूरे देश की चाहत है, स्व. बहुगुणा जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए 🇮🇳 -CM @ArvindKejriwal pic.twitter.com/85zkhI3Iur
— AAP (@AamAadmiParty) July 30, 2021
दरअसल, उत्तराखंड ही नहीं, देश का बच्चा-बच्चा यह नाम पूरे सम्मान के साथ लेता है। विधानसभा में अपने संबोधन में केजरीवाल ने कहा कि 60-70 के दशक में कौन पर्यावरण की बात करता था, उस समय बहुगुणा जी ने हमें समझाया कि प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलना होगा तभी हमारा जीवन सुरक्षित रह सकता है।
चिपको आंदोलन, छुआछूत प्रथा का उन्मूलन जैसे कई अभियान चलाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। बात ऐसे महान शख्स की हो रही थी तो भाजपा को भी प्रस्ताव का समर्थन करना पड़ा। दरअसल, यह मुद्दा सामने रख AAP ने ऐसा तीर छोड़ा है जिसके सटीक निशाने पर न लगने पर भी जीत उन्हीं की होगी। अगर केंद्र सरकार मांग मान लेती है तो इसका आप लेगी और अगर मांग नहीं सुनी जाती है तो पार्टी चुनाव में इसे मुद्दा बना सकती है कि हमने पहाड़ के सपूत को भारत रत्न देने की मांग की लेकिन केंद्र सरकार ने अनसुना कर दिया।
सुंदरलाल बहुगुणा महात्मा गांधी के अनुयायी थे। टिहरी में उनका जन्म हुआ था और उन्होंने 13 साल की उम्र से जनसेवा शुरू कर दी थी। जब उनकी शादी हुई तो उन्होंने पत्नी से वादा लिया था कि वह गांव में ही रहकर जीवन-यापन करेंगे। पहाड़ में आश्रम खोला और टिहरी के आसपास के इलाके में शराब की दुकानों को बंद करने का अभियान चलाया।
चिपको आंदोलन में उनका अहम योगदान था। उन्होंने हिमालय की 5 हजार किमी की यात्रा की और लोगों को पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दिया। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलकर पेड़ों को काटने पर 15 साल का प्रतिबंध लगाने की मांग की और आखिरकार ऐसा ही हुआ।
आम आदमी पार्टी इस मुद्दा को आगे धार दे सकती है। हाल में केजरीवाल ने इस बाबत पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था। सुंदरलाल बहुगुणा के पुत्र को स्मृति चिन्ह और शॉल भेंटकर सम्मानित भी किया गया। सम्मानस्वरूप परिवार को एक लाख का चेक भी दिया गया।
अब यह मुद्दा ऐसा है कि उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस भी असमंजस में हैं कि इसका तोड़ क्या निकालें।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *