चालदा महाराज की यात्रा में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, क्षेत्र की खुशहाली के लिए अपने इष्ट देव से प्रार्थना की

चालदा महाराज की यात्रा में उमड़ा आस्था का जनसैलाब, क्षेत्र की खुशहाली के लिए अपने इष्ट देव से प्रार्थना की

यह यात्रा समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर थी जिसे विरमोऊ डांडा कहते हैं। उत्तराखंड के पर्यटन एवं तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस यात्रा में भाग लिया। इसके अलावा कोस्ट गार्ड के पूर्व डीजी राजेंद्र सिंह भी इस यात्रा में मौजूद थे।

जौनसार बावर, उत्तरकाशी एवं हिमाचल क्षेत्र के आराध्य महासू महाराज के प्रति यहां के स्थानीय लोगों की अपार श्रद्धा व आस्था है। विगत दिनों चालदा महाराज की मोहना मे 2 वर्ष रुकने के पश्चात जब प्रवास यात्रा समालटा के लिए प्रस्थान की तो हजारों लोगों की आंखें नम थी, की अब महाराज वापस कब आएंगे? यात्रा प्रारंभ हुई और 23 नवंबर की रात को चालदा महाराज समालटा गांव खत मझियारना में विराजित हुए, इस यात्रा में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा, हजारों लोगों ने देव दर्शन किए, मन्नते मांगी व क्षेत्र की खुशहाली के लिए अपने इष्ट देव से प्रार्थना की।

यात्रा का प्रारंभ जौनसार बावर के मोहना गांव से हुआ जहां हजारों लोगों ने चालदा महाराज को समालटा के लिए विदा किया। यात्रा के आगे-आगे देव के प्रतीक के रूप में गाडवे (देवता के नाम के बकरे) चल रहे थे उसके पीछे हजारों का जनसैलाब कंधे पर महाराज की डोली और मुंह पर छतरधारी की जय के उद्घोष थे! मोहना गांव में हजारों लोगों के भोजन प्रसाद और रुकने की व्यवस्था मोहन खत के तमाम लोगों द्वारा की गई साथ ही 2 वर्ष तक आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई।

 

महाराज की प्रवास यात्रा चकराता पहुंची तो वहां पर हजारों लोगों के लिए प्रसाद, जलपान की व्यवस्था चकरातावासियों की। रात्रि में महाराज जौनसार बावर के प्रतिष्ठित गांव थाणा में पहुंचे जहां महाराज रात्रि विश्राम के लिए रुके, थाणावासियों ने भंडारे की अत्यंत सुव्यवस्थित व्यवस्था की थी जिसमें इस खत के प्रत्येक नव युवक ने तन, मन और धन से अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इस गांव के बारे में कहा जाता है कि यह गांव पढ़ा लिखा है, इसी गांव के निवासी श्रद्धेय स्वर्गीय कृपाराम गुरु जी जो अब हमारे बीच में नहीं है परंतु उनके द्वारा संस्कारित की गई टीम ने इस यात्रा को भोजन, लाइट, पानी आदि की व्यवस्था को अद्भुत तरीके से संपादित किया।

दूसरे दिन थाणा गांव से समालटा के लिए यात्रा प्रारंभ हुई रामताल गार्डन जहां शहीद केसरी चंद का प्रत्येक वर्ष शहीदी मेला आयोजित किया जाता है इस स्थान पर देवता व देशभक्ति एक साथ दिखाई दी यहां पर जलपान और प्रसाद की व्यवस्था खत सैली के 24 गांववासियों ने की थी यह व्यवस्था भी अद्भुत थी इस रमणीक स्थान का लाभ उठाते हुए स्थानीय लोगों ने देव डोली के स्वागत में खूब सांस्कृतिक कार्यक्रम किए।

यात्रा समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर थी जिसे विरमोऊ डांडा कहते हैं यहां पर प्रसाद व जलपान की व्यवस्था कोस्ट गार्ड के पूर्व डायरेक्टर जनरल राजेंद्र सिंह तोमर जी ओर से हुई यहां पर भी बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर जहां देवता के दर्शन किए वही प्रसाद व जलपान भी ग्रहण किया।

सूर्य पश्चिम दिशा की ओर प्रस्थान कर रहे थे और महाराज की प्रवास यात्रा देव डोली के साथ पर्वतों की उच्च श्रृंखलाओं को लागंते हुए माख्टी पोखरी की ओर प्रस्थान कर रही थी। अपार जनसैलाब छतरधारी की जय, महासू महाराज की जय के उद्घोष के साथ यात्रा आगे बढ़ती गई।
रात्रि 2 बजे समालटा देव यात्रा पहुंची जहां हजारों लोग देव डोली के स्वागत में हाथ जोड़े खड़े थे देव डोली ने लगभग 3 बजे रात्रि को नवनिर्मित फूलों से सुसज्जित मंदिर में जयघोष के साथ प्रवेश किया।

हजारों-हजार लोगों के लिए भोजन, पानी रहन-सहन की व्यवस्था के लिए खत समालटावासियों ने विगत 6 महीने से व्यवस्था की थी इस अद्भुत व्यवस्था के लिए खत समालटा के सभी 9 गांव सहित आसपास के गांव वासियों का भी बड़ा योगदान रहा। समालटा में जिस सुव्यवस्थित एवं आधुनिक तरीके से श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की गई थी वह अद्भुत थी इसके लिए खत मझियारना वासियों का हृदय की गहराइयों से अभिनंदन।

देवता के प्रति यह आस्था व श्रद्धा देखकर उत्तराखंड सरकार के पर्यटन एवं तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज ने यात्रा के प्रारंभ में मोहना पहुंचकर इस यात्रा को अद्भुत कहा! उन्होंने चालदा महाराज के प्रति अपनी आस्था व श्रद्धा भी प्रकट की। यात्रा के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेम चंद अग्रवाल ने भी 24 नंबर को सपरिवार समालटा पहुंचकर महाराज के मंदिर में माथा टेका और प्रदेश की खुशहाली की कामना की। दर्शकों का तांता लगा हुआ है अब लगभग डेढ वर्ष तक देवता समालटा मे ही विराजित रहेंगे।

खत समालटा मंदिर समिति ने निर्णय लिया है कि नियमित आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की व्यवस्था की जाएगी। इस अद्भुत यात्रा के सफल संचालन में देवता के कारिंदे- देव वजीर, राजगुरु, ठाणी, पुजारी, माली, बाजगी, प्रशासन सभी क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों ने इस यात्रा को ऐतिहासिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

साभार – भारत चौहान

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