कालसी क्षेत्र में 120 मेगावाट क्षमता वाली लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोहारी गांव जलमग्न हो गया। जैसे जैसे गांव डूबने लगा यहां के लोग इसे देखकर भावुक होने लगे। अपने गांव को डूबता देख गांव वालों के आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अब यह गांव पानी में डूब गया है और गांव के खेत-खलिहान और गांव की पूरी धरोहर पानी में डूब गई है।
कालसी क्षेत्र में 120 मेगावाट क्षमता वाली लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही लोहारी गांव जलमग्न हो गया। जैसे जैसे गांव डूबने लगा यहां के लोग इसे देखकर भावुक होने लगे। अपने गांव को डूबता देख गांव वालों के आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। अब यह गांव पानी में डूब गया है और गांव के खेत-खलिहान, गांव के मकान, गौशाला और गांव की पूरी धरोहर पानी में डूब गई है।
गांव के लोग पहाड़ के ऊपर बैठकर अपने गांव को जलमग्न होते हुए देखते रहे और यह देखकर उनकी आंखे भर आई। अब वह अपने गांव की पुरानी यादों के सहारे ही जीएगें। गांव वालों का आरोप है कि उन्हें गांव खाली करने के लिए केवल 48 घंटे का नोटिस दिया गया था और वह इतने कम समय में कैसे अपना गांव छोड़ सकते हैं। कुछ दिन बाद झील का पानी ग्रामीणों के खेतों तक पहुंच गया था और अगले ही दिन ग्रामीणों के घर भी पानी में डूबने लगेे।
लोहारी गांव की शादीशुदा लड़कियां भी आखिरी बार अपने गांव को देखने के लिए गांव में आई और इसे देखकर वह भी काफी भावुक हुई कि जिस गांव में पलकर वह बड़ी हुई आज उनका गांव जलसमाधि ले रहा है। यह क्षण उनके लिए काफी भावुक था। गांव के बच्चे से लेकर बुर्जुग तक सभी लोग गांव को डूबता देख काफी भावुक थे और उनकी आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने गांव खाली हो जाने के बाद पानी की मात्रा बढ़ा दी। जिससे एक ही रात में झील का जलस्तर 624 आरएल मीटर से 628 आरएल मीटर तक पहुंच गया और दो मीटर और पानी बढ़ने पर लोहारी हमेशा के लिए झील में जलमग्न हो गया। व्यासी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक ने जानकारी दी कि 15 से 16 अप्रैल तक पानी बिजली उत्पादन के स्तर पर पहुंच जाएगा और अप्रैल के अंत तक पावर हाउस से बिजली उत्पादन शुरू हो जाएगा।
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