चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालु सरकार द्वारा बताये गये गाइड लाइन का पालन करें – राजेंद्र सिंह

चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालु सरकार द्वारा बताये गये गाइड लाइन का पालन करें – राजेंद्र सिंह

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा बड़ी जोर शोर से चल रही है 21 मई तक 12 लाख 35 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालु चारधाम यात्रा कर चुके हैं। इससे इस बात का पता चलता है कि इस बार चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है और इस बार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का रिकार्ड टूट जायेगा। चारधाम यात्रा के दौरान एनडीएमए राज्य सरकार के साथ मिलकर किस प्रकार से काम कर रहा है और यात्रा के दौरान किन-किन बातों का ध्यान दिया जाना चाहिए इन्हीं विषयों को लेकर एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह के साथ हिल-मेल के संपादक वाई एस बिष्ट ने खास बातचीत की। बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार से हैं :-

चारधाम यात्रा को सुगम और सुव्यवस्थित बनाने के लिए राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की मानव क्षति न हो इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने एनडीएमए से मदद मांगी है। यह पहली बार है जब एनडीएमए ने राज्य सरकार के अनुरोध पर चारधाम यात्रा के दौरान आपदा आकस्मिकताओं से निपटने के लिए एक साथ काम कर रहे है और इसके लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर मॉक अभ्यास भी किया है।

चारधाम यात्रा की व्यवस्था करने और संचालित करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है और उत्तराखंड एसडीएमए की आपदा संबंधी आकस्मिकताओं की देखभाल करने और इसके लिए दिशानिर्देश जारी करने की जिम्मेदारी है। यह पहली बार है कि एनडीएमए ने राज्य सरकार के अनुरोध पर चारधाम यात्रा के दौरान आपदा आकस्मिकताओं से निपटने के लिए तैयारियों का परीक्षण करने के लिए मॉक एक्सरसाइज करने की पहल की है। यह एक्सरसाइज 18-20 अप्रैल 2023 तक आयोजित की गई। सेना, एनडीआरएफ, आईएमडी, सीएपीएफ, स्वयंसेवी संगठन जैसे एनसीसी, एनजीओ संबंधित राज्य के विभागों, सात जिलों के संबंधित अधिकारियों, जिनके माध्यम से यात्रा आयोजित की जाती है और एसडीआरएफ सहित सभी ने इसमें भाग लिया। एनडीएमए और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने मॉक एक्सरसाइज का पर्यवेक्षण किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने व्यक्तिगत रूप से संचालन की समीक्षा की। इसमें चारधाम यात्रा के प्रबंधन की प्रणाली के प्रासंगिक पहलुओं की समीक्षा की गई।

चारधाम यात्रा शुरू हो गई है इसके लिए एनडीएमए ने क्या-क्या गाइड लाइन जारी की हैं। यात्रा के दौरान केन्द्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न संस्थानों को किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए ?

चारधाम यात्रा को लेकर दिशानिर्देश जारी करने की जिम्मेदारी उत्तराखंड एसडीएमए की है। हालांकि, एनडीएमए ने मॉक एक्सरसाइज के दौरान आपदा मोचन के लिए सभी व्यवस्थाओं की समीक्षा की और उत्तराखंड एसडीएमए को विभिन्न एसओपी और प्रक्रियाओं के संबंध में सलाह दी, जिसमें सभी हितधारकों के बीच समन्वय और फुल प्रूफ संचार सुनिश्चित करना शामिल है।

एनडीएमए द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले बिंदु इस प्रकार से हैं :-

  • विभिन्न आकस्मिकताओं के मोचन के लिए जिम्मेदारी की स्पष्ट विवरण, प्रत्येक क्षेत्र के लिए चारधाम यात्रा मार्गों पर आपदा मोचन के लिए सभी संसाधनों का मैपिंग आवश्यक है, प्रासंगिक केंद्रीय एजेंसियों के साथ कार्यात्मक संचार लिंक, आपातकालीन प्रबंधन सहित हेलीकॉप्टर आधारित यात्रा मूवमेन्ट के प्रबंधन के लिए एसओपी।
  • मेडिकल स्क्रीनिंग : केंद्रित आईसीई गतिविधियों को सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों और 55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए चिकित्सा जांच को सुदृढ़ करना चाहिए। इस तथ्य का भी व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए कि यमुनोत्री धाम और केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा करने से पहले आधार शिविर (जलवायु अनुकूलन के लिए) पहुंचने के बाद यात्रियों को कम से कम 24 घंटे का अंतराल देना चाहिए।
  • प्रतिकूल मौसम चेतावनी : मौसम की 24ग्7 निगरानी और तत्काल कार्रवाई के साथ-साथ छितराव (प्रभावित यात्रियों सहित), विशेष रूप से रात के समय, प्रणाली को सुव्यवस्थित और फूलप्रूफ बनाया जाना चाहिए।
  • जोखिम चेतावनी बोर्ड : इन्हें बाढ़, भूस्खलन आदि की दृष्टि से संवेदनशील सभी स्थानों पर, विशेष रूप से तीर्थस्थलों की ओर जाने वाली पैदल पटरियों के प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
  • अग्नि सुरक्षा : तम्बू वाले शिविर, होटल, धर्मशाला आदि में संवेदनशील क्षेत्रों जैसे अग्नि सुरक्षा ऑडिट और पर्याप्त सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिए।
  • यातायात नियंत्रण : पुलिस द्वारा महत्वपूर्ण सुविधाओं जैसे अस्पतालों और अप्रिय घटना स्थल (घटना होने पर) में संकने प्रवेश/निकास बिंदुओं पर उचित यातायात और पहुंच नियंत्रण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
  • दैनिक तीर्थयात्री सीमा : यह अनुशंसा की जाती है कि राज्य द्वारा निर्धारित दैनिक तीर्थयात्री सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
  • सुनिश्चित करें कि मोबाइल कम्युनिकेशन डेड जोन में वैकल्पिक संचार साधन मौजूद हैं। एनडीएमए इन क्षेत्रों में मोबाइल कवर प्रदान करने के मामले को संबंधित केंद्रीय मंत्रालय के पास भेज रहा है।

चारधाम यात्रा के दौरान प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके यात्रा को कैसे सुरक्षित बनाया जा सकता है ?

चारधाम यात्रा के दौरान हम प्रौद्योगिकी का उपयोग कई प्रकार से कर सकते हैं और इन उपायों को करके यात्रा के संचालन में भी सुविधा हो सकती है। बेहतर चारधाम यात्रा प्रबंधन के लिए नेटवर्क और क्यूआर कोड आधारित यात्री निगरानी प्रणाली नियंत्रण केंद्रों को वास्तविक समय इनपुट प्रदान करेगी। बैक अप संचार के लिए उपग्रह फोन और रेडियो सेट का उपयोग, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है। घटना प्रबंधन के दौरान ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी का उपयोग किया जाना चाहिए – उदाहरण के लिए : यात्रा व्यवधान, भूस्खलन, अचानक बाढ़ आदि। वीडियोग्राफरों सहित नागरिक एजेंसियों के साथ ड्रोन की मैपिंग की जानी चाहिए और संकट के दौरान इनका उपयोग किया जाना चाहिए। यात्रा प्रगति और घटनाओं के एकीकृत प्रदर्शन के लिए जीआईएस का उपयोग करने से निर्णय लेने में सुविधा होगी। भविष्य के लिए – परिदृश्य सिमुलेशन और निर्णय में सहायता के लिए एआई आधारित मॉडल विकसित किए जाने चाहिए। चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों और वाहनों की आरएफआईडी आधारित निगरानी शुरू की जानी चाहिए।

चारधाम यात्रा के दौरान यात्री इन बातों का पालन अवश्य करें जैसे राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी होने वाले नियम अलर्ट के लिए सचेत ऐप डाउनलोड़ करें। यात्रा के अनुकूल बनाये गये विभिन्न फ्रीचर्स पर जाने के लिए मैप माई इंडिया ऐप डाउनलोड़ करें। इन फ्रीचर्स में टैफिक जाम, अलर्ट्स, अभिरूचि के महत्वपूर्ण स्थान जैसे अस्पताल, पुलिस थाने, शेल्टर्स आदि शामिल हैं। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के लिए एनडीएमए द्वारा उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर कई कार्रवाई की गई। जैसे मैप माई इंडिया ऐप पर रीयल-टाइम स्थिति जागरूकता के लिए मैप माई इंडिया ऐप और उत्तराखंड सरकार के बीच सहयोग स्थापित किया गया। उत्तराखंड पुलिस वायरलैस नेटवर्क आधार पर सभी हितधारकों के मध्य वायरलैस संचार का समन्वय किया गया। दूर संचार विभाग को कहा गया कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को निर्देश जारी करें कि वे ऐसे स्थानों पर संसाधन उपलब्ध करवाएं जहां जीएसएम नेटवर्क कवरेज नहीं है।

चारधाम यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए किन-किन बातों पर और ध्यान दिया जाना चाहिए ?

चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों को इन बातों का विशेष ध्यान में रखना चाहिए। क्या करें और क्या न करें का विस्तृत विवरण राज्य सरकार द्वारा पहले ही जारी किया जा चुका है और इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा चुका है। इसके अलावा, राज्य को इन बातों को और मौसम संबंधी चेतावनियों को चारधाम यात्रा ऐप में शामिल करने की सिफारिश की गई है। यात्रियों को इन कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए :-

(क) यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं यात्रियों की होती है – इसलिए उन्हें चारधाम यात्रा और क्या करें और क्या न करें के दौरान खतरों के बारे में पूरी तरह से अवगत होना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आप चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण करें और ऐप डाउनलोड करें।
(ख) मेडिकल स्क्रीनिंग : चारधाम यात्रा के दौरान सबसे ज्यादा मौतें चिकित्सकीय कारणों से होती हैं। सह-रुग्णता वाले व्यक्तियों और 55 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को चिकित्सा जांच करवानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए। इसके अलावा, यात्रियों को बेस कैंप में आने के बाद यमुनोत्री धाम और केदारनाथ धाम की पद यात्रा के लिए कम से कम 24 घंटे का अंतराल देना चाहिए।
(ग) प्रतिकूल मौसम चेतावनी : मौसम की चेतावनियों पर नज़र रखें और सुनिश्चित करें कि आप आवश्यक पूर्व सावधानी बरतें।
(घ) खतरा चेतावनी बोर्ड : सुनिश्चित करें कि आप आकस्मिक बाढ़, भूस्खलन आदि के लिए चेतावनी बोर्ड वाले स्थानों से बचें, सावधानीपूर्वक यात्रा करें, विशेष रूप से तीर्थस्थलों पर जाने वाले पैदल रास्तों पर इस बात से अवगत रहें कि यदि आप ऐसी परिस्थिति में फंस जाते हैं तो आपको क्या करना चाहिए।
(ङ) जूते उचित रूप से पहने और सही जूते पहनें। आपात स्थिति के लिए हमेशा अपने साथ कुछ पानी और ऊर्जा स्रोत, जैसे चॉकलेट या चना और गुड़ आदि रखें।
(च) आपात स्थिति के दौरान किससे और कैसे संपर्क करना है, यह जानें।

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए किन-किन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ?

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए निम्न बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा बहुल राज्य है जैसे भूस्खलन और हिमस्खलन, भूकंप, बाढ़, बादल फटना और भू-धसांव आदि। आपदा प्रबंधन मुख्य रूप से राज्य की जिम्मेदारी है। केंद्र सरकार का कार्य उनके प्रयासों में (कम्पलीमेन्ट एवं सप्लीमेन्ट) मदद करना है। आपदा प्रबंधन (डीएम) अधिनियम – 2005 में त्रि-स्तरीय संस्थागत तंत्र की परिकल्पना की गई है :-

क) एनडीएमए – राष्ट्रीय स्तर पर
ख) एसडीएमए – राज्य स्तर पर
ग) डीडीएमए – जिला स्तर पर

आपदा प्रबंधन 2009 के लिए राष्ट्रीय नीति और 2019 में संशोधित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना में आपदा प्रबंधन राहत केंद्रित दृष्टिकोण के स्थान पर तैयारी और शमन की सक्रिय व्यवस्था में आमूल परिवर्तन की परिकल्पना है। राष्ट्रीय योजना, राज्य योजना और जिला योजना के साथ-साथ प्रभावी, कुशल और व्यापक आपदा प्रबंधन के लिए समय-समय पर जारी विभिन्न दिशानिर्देशों और मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) के माध्यम से नीति का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इन योजनाओं और एसओपी से आपदा प्रबंधन चक्र के सभी चरणों में सभी स्तरों पर सभी हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को रेखांकित किया गया है। आपदाओं की रोकथाम एवं प्रशमन गतिविधियां सभी हितधारकों द्वारा सक्रिय रूप से क्रियान्वित की जा रही हैं। सतत विकास के लिए विकासात्मक योजनाओं में आपदा प्रशमन को समाहित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, मोक एक्सरसाइज, आईआरएस प्रशिक्षण, साजो-सामान, प्रौद्योगिकी का लाभ एवं वित्त पोषण आदि द्वारा सभी हितधारकों और उनके मोचकों की तैयारी एवं क्षमता निर्माण किया जा रहा है।

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