01 जुलाई 2023 को, सेना शारीरिक प्रशिक्षण कोर, जिसको उसके उपनाम रेड स्टॉकिंगस से भी पहचाना और बुलाया जाता है, उसका 77वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस कोर की स्थापना 01 जुलाई 1946 को पुणे, महाराष्ट्र में लेफ्टिनेंट कर्नल मोहिंद्र सिंह चोपड़ा द्वारा की गयी थी।
ब्रिगेडियर सर्वेश दत्त डंगवाल
रेड स्टॉकिंगस की मात्र संस्था, सेना शारीरिक प्रशिक्षण इन्स्टीट्यूट (ए.आई.पी.टी.) पुणे में स्थापित है और यहां से प्रशिक्षण पाकर इस कोर के प्रशिक्षक (उस्ताद), जो की समस्त सेना, भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला, समस्त सैनिक और मिलिट्री स्कूल और राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कालेज (आर.आई.एम.सी.), देहरादून में प्रशिक्षणार्थियों को आलिमोतरीन शारीरिक प्रशिक्षण देते हैं और योग्य सैनिक अधिकारी और योद्धा बनाते हैं। शारीरिक क्षमता और योग्यता सशस्त्र सेना और खासकर सेना के समस्त प्रशिक्षण की आधारशिला है और इस पर निर्भर करता है की हमारे रणबांकुरे अपने कर्तव्य को किस दक्षता और हौसले से हासिल करते हैं।
रेड स्टॉकिंगस के बलिष्ठ उस्ताद, अपने प्रशिक्षुओं के सबसे प्रिय होते हैं और वह ना ही उनको शारीरिक दम खम में अव्वल बनाते हैं, अपितु उनके चरित्र निर्माण में उत्कृष्ट योगदान देकर उनको एक निपुण लीडर भी बनाने में अनुकरणीय और अभूतपूर्व काम करते हैं। यह लाल जुराब धारी गुरुजन, इन्स्ट्रकटर और उस्ताद अपने चेलों के लिए एक प्रेरणा स्रोत होते हैं। इसमें कोई संशय नहीं है कि, यह सेना को योग्याय युद्धस्य (फाइटिंग फिट) रखकर उसको हर समय युद्ध के लिए तत्पर रखते हैं।
इस कोर के भूतपूर्व मुख्या और मार्गदर्शक ब्रिगेडियर सर्वेश दत्त डंगवाल, विशिष्ट सेवा पदक, जो उत्तराखंड के लाल हैं, ने अपने कोर के उस्तादों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए और उनको प्रोत्साहित करने के लक्ष्य से, इस कोर के स्थापना दिवस, 09 जुलाई 2023 को, अपने द्वारा लिखी सार्गर्भित पुस्तक’ उस्ताद – रेड स्टॉकिंगस का मौखिक इतिहास’ का विमोचन कर उनको सम्मानित किया है।
इस पुस्तक में, उस्तादों के ज्ञान वर्धन हेतु गहन विचारों से सुसज्जित लेख, सैन्य नेतृत्व के उद्धहारण, कोर का इतिहास, व्यवसायिक विचार, प्रोत्साहित करने वाली कहानियां और पत्राचार है जो की हमारी युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही ज्ञानवर्धक और लाभदायक है।
महान ब्रिटिश लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने लिखा है कि, “राष्ट्र मिट गये हैं और उनका नामों निशान नहीं रहा, और इतिहास इसका नग्न कारण देता है – सभी परिस्थितियों में केवल एक ही वजह थी। वह इस कारण लुप्त हुए क्योंकी उसके लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं थे“। (उनके अंग्रेज़ी के उद्धरण का हिन्दी में तर्जुमा) यह पुस्तक सेबर और क्युइल द्वारा प्रकाशित की गयी है और इसका वितरण बुकमार्ट द्वारा निहित है।
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