उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर भाजपा सरकार पर आरोप लगाया है कि वह इस बहाने समाज में विभाजन और विभेद पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने चेताया कि भाजपा आग से खेलना बंद करे, अन्यथा उस आग में उसका झुलसना तय है।
राजीव महर्षि ने आज जारी वक्तव्य में कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है। भाजपा सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए यह शिगूफा लाई थी, अब उसका कोई औचित्य नहीं है और न ही इस कानून से प्रदेश का किसी तरह का भला होने वाला है।
उन्होंने सवाल किया कि सरकार यह स्पष्ट करे कि इस पूरी कसरत से राज्य को क्या लाभ होगा। अपनी ऊर्जा निरर्थक बातों में लगाने के बजाय भाजपा सरकार को लोगों के कल्याण पर फोकस करना चाहिए।
पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन को रोकने, कमरतोड़ महंगाई से लोगों को कैसे राहत मिले, नौजवानों को कैसे रोजगार मिले, महिलाओं, मजदूरों और किसानों की स्थिति कैसे सुधरे, इन ज्वलंत मुद्दों पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है और जनता का ध्यान भटकाने के लिए समान नागरिक संहिता के नाम पर समाज में विभाजन की दीवार खड़ी की जा रही है।
राजीव महर्षि ने जोर देकर कहा कि समान नागरिक संहिता से प्रदेश को कोई लाभ नहीं होने वाला है। यह सिर्फ भाजपा की विभाजनकारी नीति का आईना है। वह अर्से से साथ रह रहे लोगों के बीच विभाजन की दीवार खड़ी कर अपना राजनीतिक स्वार्थ साधना चाहती है। अंततः इससे प्रदेश को नुकसान ही होगा।
उन्होंने कहा कि यदि यूसीसी इतना जरूरी होता तो कांग्रेस अपने कार्यकाल में इसे लागू कर देती लेकिन समाज की समरसता को बनाए रखने के मद्देनजर कांग्रेस ने इस गैरजरूरी मुद्दे के बजाय लोक कल्याण को ही प्राथमिकता दी जबकि भाजपा अपनी नाकामियों को ढकने के लिए ऐसे संवेदनशील मुद्दों को बेवजह तूल दे रही है।
राजीव महर्षि ने कहा कि भारत में सामाजिक विविधता के कारण यूसीसी को लेकर व्यावहारिक कठिनाइयां हैं, व्यक्तिगत मामलों में राज्य का हस्तक्षेप। इस कानून को लाने का न तो अभी उपयुक्त समय है और न ही इसकी जरूरत है। समाज का कोई वर्ग अगर यूसीसी को धार्मिक स्वतंत्रता पर अतिक्रमण के रूप में समझ रहा है तो भाजपा को उनकी चिंताओं पर भी ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अभी प्रारूप आए बिना ही लोगों के मन में अनेक आशंकाएं उत्पन्न हो गई हैं। यह चिंताएं बेहद गंभीर हैं, लिहाजा भाजपा को उन बुनियादी सवालों का जवाब देना होगा जैसे कि शादी और तलाक का क्या मानदंड होगा? गोद लेने की प्रक्रिया और परिणाम क्या होंगे? तलाक के मामले में गुजारा भत्ते या संपत्ति के बंटवारे का क्या अधिकार होगा? और संपत्ति के उत्तराधिकार के नियम क्या हों? इसके विपरीत बिना प्रारूप जारी किए, समाज में विस्तृत किए बिना भाजपा के नेता बेवजह यूसीसी का ढोल पीट रहे हैं। निश्चित रूप से यह उसके लिए घातक होगा और अगले साल के आम चुनाव में उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
उन्होंने बिना मांगे सलाह देते हुए कहा कि भाजपा को चाहिए की महंगाई, बेरोजगारी और सामाजिक न्याय के लिए काम करे, नागरिकों को कठिन हो रहे जीवन को आसान करने का प्रयास करे, अंकिता जैसी बेटियों के हत्यारों को सजा दिलाए न कि समाज में विघटन की दीवार खड़ी करे।
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