केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स ऋषिकेश के तीसरे दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने डॉ. भारती प्रवीण और प्रोफेसर एसपी सिंह भगेल के साथ एम्स ऋषिकेश के मेधावी छात्रों को पीएचडी डिग्री और स्वर्ण पदक प्रदान किये गये।
‘सीखना एक आजीवन प्रक्रिया है, जो सीखते रहते हैं वे ही अपने पेशे के साथ-साथ अपने जीवन में भी आगे बढ़ते रहते हैं।’ यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स ऋषिकेश के तीसरे दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, और प्रो. एसपी सिंह बघेल, उत्तराखंड के वित्त मंत्री और ऋषिकेश से विधान सभा के सदस्य प्रेमचंद अग्रवाल और उत्तराखंड के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने भाग लिया।
दीक्षांत समारोह के भाग के रूप में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने डॉ. भारती प्रवीण और प्रोफेसर एसपी सिंह भगेल के साथ एम्स ऋषिकेश के मेधावी छात्रों को पीएचडी डिग्री और स्वर्ण पदक प्रदान किए।
दीक्षांत समारोह में छात्रों को बधाई देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने उनसे चिकित्सा विज्ञान द्वारा प्रदान किए गए सेवा और जिम्मेदारी को अवसर को पूरे दिल से निभाने का आग्रह किया। डॉ. मांडविया ने इन छात्रों की सफलता सुनिश्चित करने में संकाय और परिवारों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि यह उनके साथ-साथ छात्रों के लिए भी उत्सव का दिन था।
डॉ. मांडविया ने सभी के लिए स्वास्थ्य को सस्ता और सुलभ बनाकर देश की प्रगति में एक डॉक्टर द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारी जिम्मेदारी की भावना मानवता के प्रति हमारी सेवा के अनुरूप होनी चाहिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक स्वस्थ समाज ही एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण करता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दोहराया कि भारत में स्वास्थ्य व्यापार का नहीं बल्कि सेवा का विषय है। उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे देश के लोग डॉक्टरों को भगवान के दूत के रूप में देखते हैं। हम अपने डॉक्टरों का बहुत सम्मान करते हैं और उन्हें महत्व देते हैं।’
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ. मांडविया ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में कई स्वास्थ्य मॉडल हैं, हालांकि भारत को अपना स्वयं का स्वास्थ्य मॉडल विकसित करना चाहिए जो भारतीय आनुवंशिकी और उसके भूगोल से संबंधित बीमारियों के महाद्वीपीय पैटर्न के अनुरूप हो। स्वास्थ्य मंत्री ने भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में अपने विश्वास पर भी बल दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार के सहयोग से चिकित्सा शिक्षा आगामी स्वास्थ्य देखभाल बिरादरी में सहानुभूति पैदा करके वंचितों के लिए स्वास्थ्य सेवा को सस्ती और सुलभ बनाने में गहरी भूमिका निभाएगी। उन्होंने स्वास्थ्य पेशेवरों को भारत के जिलों और गांवों में सेवा करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो राष्ट्र की सेवा के रूप में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और सभी के लिए एक स्वस्थ कल के निर्माण की बारीकियों को चित्रित करने का काम करेगा।
कार्यक्रम के हिस्से के रूप में पीएम एबीएचआईएम के तहत 150 बिस्तरों वाले क्रिटिकल केयर ब्लॉक की आधारशिला रखी गई। इस कार्यक्रम में जर्नल ऑन मेडिकल एविडेंस, इंस्टीट्यूट एंथम, और स्वास्थ्य चेतना पत्रिका का भी विमोचन किया गया।
इसके बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल की उपस्थिति में डॉ. मांडविया द्वारा सरकारी दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में कैथ लैब, आईसीयू, मैमोग्राफी और डिजिटल रेडियोग्राफी मशीन का उद्घाटन किया गया।
इस कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद नरेश बंसल और उत्तराखंड के स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के साथ-साथ उत्तराखंड के कई विधायक भी उपस्थित थे। इसके बाद मेडिकल कॉलेज में कैथ लैब सुविधाओं का दौरा किया गया। यह उत्तराखंड में पहली सरकारी कैथ लैब सुविधा है।
दून मेडिकल कॉलेज में डॉ. मांडविया ने कहा, ‘हम भारत में चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं में वृद्धि देख रहे हैं, देश में एमबीबीएस सीटें अब 1,07,000 हैं और देश भर में लगभग 700 मेडिकल कॉलेज स्थापित हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह दर्शाता है कि हम भारत में डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स, अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण और किफायती उपचार के साथ स्वास्थ्य सेवा का एक आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र बना रहे हैं।’
डॉ. मनसुख मांडविया राज्य में आयोजित स्वास्थ्य चिंतन शिविर के तहत देहरादून के दो दिवसीय दौरे पर हैं। स्वास्थ्य चिंतन शिविर में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के भाग लेने की उम्मीद है।
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