हरीश रावत ने कहा कि इस योजना से देहरादून का फैफडा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रायपुर से श्यामपुर तक समस्त वन क्षेत्र नष्ट हो जाएगा और सारा भार फैफडें पर आ जाएगा। एक तरफ हरिद्वार व रुड़की दूसरी तरफ देहरादून, डोईवाला, रायवाला, श्यामपुर, ऋषिकेश इत्यादि में इस तरह की परिकल्पना भी भयावह है।
आज डोईवाला में प्रस्तावित इंटीग्रेटेड टाउनशिप के मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस मुद्दे पर बोलते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि पर्यावरणी भू-गर्भीय, आर्थिक व शहरीकरण के दृष्टिकोण से यह सोच ही गलत है। इस योजना से किसान खत्म होगा, डोईवाला चीनी मील व किसान बुरी तरह से प्रभावित होगा।
हरीश रावत ने कहा कि इस योजना से देहरादून का फैफडा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रायपुर से श्यामपुर तक समस्त वन क्षेत्र नष्ट हो जाएगा और सारा भार फैफडें पर आ जाएगा। एक तरफ हरिद्वार व रुड़की दूसरी तरफ देहरादून, डोईवाला, रायवाला, श्यामपुर, ऋषिकेश इत्यादि में इस तरह की परिकल्पना भी भयावह है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक दृष्टिकोण से यह एक अनमैनेजेबल कॉन्सेप्ट है। पर्वतीय राज्य का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। हरीश रावत ने कहा कि ग्लोबल मैकेन्जी कम्पनी की आड़ में उत्तराखण्ड की धरोहर के साथ खिलवाड किया जा रहा है। बद्रीनाथ में रि-डवलपमेंन्ट के नाम पर, नमामि गंगे के नाम पर खुली लूट की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना से जहां एक ओर पर्यावरण का नुकसान है कास्तकारों का नुकसान है वहीं रोजगार का भी बडा सकट आन खडा होगा।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि समाचार पत्रों के द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है कि प्रदेश सरकार द्वारा डोईवाला के निकट माजरी ग्राम, मारखंमग्रान्ट, अन्य ग्रामीण क्षेत्र व डोईवाला नगर पालिका के भी कुछ क्षेत्र में नए शहर बसाने की योजना बनाई गई है। इस खबर से क्षेत्रीय जनता में डर का मौहोल बना हुआ है।
डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर लोग खेती से जुड़े हैं, जहां बड़ी मात्रा में गन्ना व अन्य फसल का उत्पादन होता है। सरकार द्वारा प्रस्तुत एक नक्शे में यह दर्शाया गया है कि नई टाउनशिप के लिए करीब 3080 हेक्टेयर भूमि चयनित की गई है,जिसमे 747 हेक्टेयर सरकारी भूमि व करीब 2334 हेक्टेयर कृषि भूमि है जिसे सरकार द्वारा अधिगृत करने की तैयारी चल रही है। राज्य में केवल 28 प्रतिशत भूमि कास्तकारों के पास हैं बाकी भूमि वन विभाग की है ऐसे में राज्य सरकार द्वारा कृषि भूमि को इस तरह समाप्त करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि 1100 करोड़ की धनराशि भी इस योजना के लिए स्वीकृत की गयी हैं तथा किच्छा में भी इसी तरह कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं। करन माहरा के अनुसार डॉ राव को केन्द्र सरकार द्वारा इस काम के लिए नियुक्त भी किया जा चुका है। माहरा ने कहा कि इसे हास्यापद ही कहेंगे कि भाजपा के एक स्थानीय सांसद ने पूरी तरह से इस योजना को नकार दिया है, तो ऐसे में स्थानीय जनता में भ्रम क्यों पैदा किया जा रहा है।
करन माहरा ने चिंता जताते हुए कहा कि उत्तराखण्ड बहुत ही संवेदनशील सिस्मिक जोन में आता है, सेन्ट्रल एजेंसियां समय समय पर कई बार राज्य सरकार को सर्तक करती आ रही है, कहीं ऐसा न हो कि जोशीमठ जैसे हालात और क्षेत्रों में भी देखने को मिलें। माहरा ने कहा कि चंद मुट्ठी भर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह षड्यंत्र रचा जा रहा है।
उन्होंने राज्य सरकार का आवाहन करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षो में इस क्षेत्र की भूमि की खरीद फरोख्त की जांच की जाए। उन्होंने आईडीपीएल में 50 वर्षो से भी अधिक समय से रिहाईस कर रहे लोगों को बेघर करने की सरकार की मंशा की भी निंदा की, और कहा कि कांग्रेस पार्टी डोईवाला और आईडीपीएल के लोगों के साथ खडी है।
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