हजारों रोगियों को जीवन दान देने वाले डॉ दीवान सिंह का मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से संपूर्ण जौनसार बावर एवं देहरादून राजधानी क्षेत्र में शोक की लहर है।
डॉ दीवान सिंह का जन्म 1942 में जौनसार बावर के खत बहलाड के ग्राम खुना गांव में स्वर्गीय श्री परम सिंह के घर हुआ। प्राथमिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय बिसोई से हुई तथा उच्च शिक्षा देहरादून और लखनऊ से प्राप्त की। 1972 में एमबीबीएस और इसके बाद अनेक डिग्रियां लेने के बाद उन्होंने विशेष रूप से बाल रोग की डॉक्टरी शुरू की।
यह वह दौर था जब जौनसार बावर के अधिकांश लोग हिंदी नहीं जानते थे, और अपनी बीमारी किसी चिकित्सक को ठीक से नहीं बता सकते थे ऐसे में तब वह रोगी डॉ दीवान सिंह के पास पहुंचकर अपनी बोली में अपने शरीर को होने वाले परेशानी का बखान जौनसारी व बावरी में करते थे। तब डॉक्टर साहब मुस्कुरा कर उनके समस्या का समाधान करते थे।
बहुत सारे रोगी डॉ दीवान सिंह के सलाह से और हाथ छूने से ठीक हो जाते थे। उन्हें विश्वास था कि यदि डॉक्टर दीवान साहब ने मुझे ठीक होने के लिए कहा है तो मैं अवश्य ठीक हो जाऊंगा। उन्होंने जीवन पर्यंत उच्च आदर्श, संस्कारित और व्यवस्थित जीवन जिया।
डॉ दीवान सिंह के बारे में खास बात यह है कि जौनसार बावर के प्रमुख राजनीतिक परिवारों से आपकी निकटतम रिश्तेदारी रही है परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने कभी इनका राजनीतिक लाभ नहीं उठाया। उन्होंने सब लोगों के साथ सामाजिक समरसता व समानता का भाव प्रकट किया।
डॉ दीवान सिंह के बारे में कहा जाता है कि जब भी कोई जरूरतमद उनके क्लीनिक में जाता था तो उनसे कभी भी फीस के पैसे नहीं लेते थे और सैंपल के तौर पर जो दवाई उनके पास आती थी वही दवाई रोगी को दे देते थे और रोगी ठीक हो जाते थे।
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