मिलेट्स उत्तराखंड के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं – अजय भट्ट

मिलेट्स उत्तराखंड के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं – अजय भट्ट

पंतनगर विश्वविद्यालय के सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय (गृहविज्ञान) के खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग एवं प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023’ एवं ‘राष्ट्रीय पोषण माह सितंबर 2023’ के अवसर पर ‘श्री अन्न की पोषण एवं स्वास्थ्य क्षमता, विविधता, प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन’ विषयक दो-दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन आज रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट द्वारा किया गया।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. विनोद कुमार गौड, विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, अधिष्ठात्री सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय डॉ. अल्का गोयल, निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जे.पी. जायसवाल, विश्वविद्यालय के समस्त अधिष्ठाता व निदेशक तथा सभी विभागों के विभागाध्यक्ष एवं संकाय सदस्य सम्मिलित हुये।

इस कार्यशाला में उत्तराखंड के 9 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान, गैर-सरकारी संगठन एवं स्वयं सहायता समूह के लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया। साथ ही राज्य के 100 से अधिक किसान जो मिलेट उत्पादन, प्रसंस्करण और वाणिज्यिकरण के क्षेत्र में कार्यरत हैं वे भी उपस्थित थे।

कार्यशाला में मिलेट प्रर्दशनी का आयोजन भी किया गया जिसमें विभिन्न गैर-सरकारी सगठन; स्वयं सहायता समूह, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं विभिन्न विभाग जैसे खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग, पशुधन विभाग, प्रौद्योगिकी विभाग, कटाई उपरान्त प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियंत्रिकी विभाग साथ ही साथ उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा मिलेट आधारित खाद्य पदार्थों के स्टाल लगाये गये। मुख्य अतिथि अजय भट्ट द्वारा सभी प्रतिभागियां के स्टाल का भ्रमण कर मिलेट आधारित खाद्य पदार्थो एवं स्टाल धारकों के कार्यों की सराहना की गयी।

केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट द्वारा कार्यशाला को संबोधित करते हुए बताया गया कि कृषि के क्षेत्र में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देना उत्तराखंड के कृषि और पर्यटन के क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का माध्यम भी है। यहां के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर हम अपने नागरिकों को रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं तथा प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकते हैं। मिलेट्स उत्तराखंड के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं और इस राज्य को एक बेहतर और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ा सकते हैं।

अजय भट्ट ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के माध्यम से हम यह संदेश देते हैं कि मिलेट्स हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हमें इन्हें संरक्षित करना चाहिए। इन्हें विशेष रूप से बच्चों के खाने में शामिल करना चाहिए ताकि उनका स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षित रहे। साथ ही उन्हांने छात्रों को सतत प्रयास के लिए प्रोत्साहित किया और उन्नत दृष्टिकोण के महत्व को समझाया जोकि सफल और स्वस्थ जीवन का मूल है।

उन्होंने हमारे आध्यात्मिक ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता और रामायण को विज्ञान की नींव बताया। उन्होंने जी-20 सम्मेलन में भारत की भागीदारी को सराहा और भारत की आत्मनिर्भरता में मिलेट्स के अहम योगदान का वर्णन किया जिसमें उन्होनें जी-20 में परोसे हुए मिलेट्स उत्पादों व व्यंजनों की व्याख्या की और सभी को बताया कि जी-20 में मिलेट्स का बोलबाला रहा। साथ ही उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दृष्टिकोण को नमन किया।

विशिष्ट अतिथि डॉ. विनोद कुमार गौड़ ने श्री अन्न व बीज संरक्षण के महत्व के बारे में बताते हुए कहा की यदि समय रहते हमने मिलेट्स को अपनी कृषि नीति में सम्मलित कर दिया तो यह विश्व में भारत कृषि का नजरिया बदल सकता है। इसी के साथ उन्होंने मिलेट्स किस प्रकार पर्यावरण सुरक्षा में सहायक है पर चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मिलेट्स को बढ़ावा दिया गया तो स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चे को कम किया जा सकता है।

अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा श्री अन्न को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के अनेक विभागों में श्री अन्न के उत्पादन एवं उपयोग पर कार्य चल रहा है। साथ ही उन्होंने मिलेट्स को लेकर जागरूकता पर जोर दिया और कहा लगभग 41 प्रतिशत एक्सपोर्ट में भारत की भागीदारी है जिसको और बढ़ाना हमारा दायित्व है।

उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अपने दैनिक भोजन में मिलेट्स का उपयोग अवश्य करें। साथ ही उन्होंने मूल्यवर्धन से सशक्तिकरण की राह का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि कृषि और पर्यटन की साझेदारी देश में मिलेट्स को बढ़ावा देगी एवं भारत की अर्थव्यवस्था बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा सकती है।

उद्घाटन समारोह में डा. जे.पी. जायसवाल द्वारा स्वागत संबोधन में उन्होंने अवगत कराया कि मिलेट एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं पारंपरिक पौष्टिक मोटा अनाज है। उन्होंने बताया कि भारत में लगभ 33 लाख बच्चे कुपोष्ण के शिकार है एवं 10 करोड से अधिक लोग मधुमेह से ग्रसित है। मिलेट विभिन्न पोषक तत्वों जैसे कैल्षियम, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन आदि के बेहतर स्रोत हैं। ये कुपोषण दूर करने एवं शरीर की पोषण सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इसके साथ-साथ यह विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए उपयुक्त है।

अधिष्ठात्री, सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय डॉ. अल्का गोयल ने कार्यषाला के उद्देष्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि मिलेट, श्री अन्न के नाम से भी जाना जाता है, को बालपन से ही शिशु के आहार में शामिल करना अति आवश्यक है। मिलेट्स द्वारा हम सतत विकास लक्ष्य जैसे भुखमरी का निवारण कर सकते है।

उन्होंने अवगत कराया कि कुलपति द्वारा भी निर्देश दिया गया है कि विश्वविद्यालय के छात्रावास में हफ्ते में एक भोजन मिलेट्स आधारित होना चाहिए। उद्घाटन समारोह के अंत में प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग डॉ. अर्चना कुशवाहा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।

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