पन्तनगर विश्वविद्यालय में चल रहे तीन-दिवसीय 17वें कृषि विज्ञान सम्मेलन का समापन हो गया जिसमें सांसद अजय भट्ट की उपस्थिति रहे। मंच पर राष्टीय कृषि विज्ञान अकादमी के उपाध्यक्ष डा. पी.के. जोशी एवं पद्मश्री डा. बी.एस. ढिल्लो, एकेडमी के विदेश सचिव डा. करीम मेरेडिया एवं सचिव डा. वजीर सिंह लाकरा एवं डा. अशोक कुमार सिंह तथा विश्वविद्यालय के कुलपति एवं सम्मेलन के संयोजक डा. मनमोहन सिंह चौहान तथा आयोजन सचिव डा. ए.एस. नैन उपस्थित थे।
सर्वप्रथम उन्होंने कृषि विज्ञान प्रदर्शनी में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों द्वारा लगायी गये स्टालों का कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान एवं अन्य अधिकारियों के साथ अवलोकन किया। तदोपरान्त उन्होंने इस सम्मेलन में उपस्थित अधिकारियों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं कृषकों को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कृषि विज्ञान सम्मेलन के सफल आयोजन की सराहना की। विश्वविद्यालय के कुलपति एवं उनकी टीम को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि पौष्टिक खाद्यान्न उत्पादन का महत्वपूर्ण अंग वैज्ञानिक और किसान है। कृषि विज्ञान सम्मेलन में उन्नत तकनीकों और नवाचारों का समागम एक नयी सोच का निमार्ण करेगा और यह किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजेगा।
उन्होंने संयोजक एवं कुलपति की सराहना करते हुए कहा कि हरित क्रांति की जन्म स्थली पर इतना विशाल सम्मेलन करना एक बड़ी चुनौती है जिससे देश ही नहीं विदेशों के वैज्ञानिकों ने भारी संख्या में प्रतिभाग किया है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में आयोजित विभिन्न सत्रों, कार्यशालाओं, संगोष्ठियों के माध्यम से नयी तकनीक एवं नवाचारों का प्रतिभागियों को ज्ञान मिला है। उन्होंने सम्मेलन के दौरान 65 विद्यार्थियों का विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा चयन किये जाने पर अत्यन्त प्रसन्नता व्यक्त और आशा की कि ऐसे सम्मेलन भविष्य में भी आयोजित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक एवं किसान के तालमेल से आज भारत देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं है अपितु अन्य देशों को निर्यात करने की स्थिति में है।
सम्मेलन के संयोजक एवं कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा सर्वप्रथम मुख्य अतिथि एवं मंच पर आसीन सभी गणमान्य अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित सभी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों एवं किसानों का स्वागत किया। उनके द्वारा 16 देशों से प्रतिभाग कर रहे वैज्ञानिकों का विशेष स्वागत करते हुए उनके प्रतिभाग हेतु धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि राष्टीय कृषि विज्ञान अकादमी के सहयोग एवं विश्वविद्यालय के सभी अधिकारियों, वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों के सहयोग से एक नये कीर्तिमान स्थापित करने के साथ 17वां कृषि विज्ञान सम्मेलन सफलता के साथ सम्पन्न हुआ।
डा. बी.एस. ढिल्लो ने कृषि अनुसंधान और क्षेत्र अनुप्रयोगों के बीच अभिसरण की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को वास्तव में बदलने के लिए अनुसंधान संस्थानों और किसानों के बीच की खाई को पाटना आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वैज्ञानिक प्रगति जमीनी स्तर तक पहुँचे जिससे किसान नवीन, टिकाऊ और लाभदायक कृषि पद्धतियों को अपना सकें। उन्होंने जलवायु-लचीली कृषि के महत्व पर भी जोर दिया और मिट्टी के क्षरण, पानी की कमी और फसल उत्पादकता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का आह्वान किया।
डा. वजीर सिंह लाकरा ने कहा कि इस कृषि विज्ञान सम्मेलन में अब तक हुए पूर्व के सभी सम्मेलनों की तुलना में डेलिगेट्स की भागीदारी सर्वोच्च संख्या में रही है। सभी तकनीकी सत्रों का आयोजन बहुत ही उत्कृष्ट रूप में किया गया। इसी क्रम में तीन तकनीकी सत्रों के संयोजक क्रमश: डा. वी. वेकटेशवरलू, पूर्व कुलपति; डा. आर.सी. अग्रवाल, पूर्व उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं एकेडमी के विदेश सचिव डा. करीम मेरेडिया द्वारा उन तकनीकी सत्रों की संस्तुतियों को प्रस्तुत किया गया। डा. लाकरा द्वारा राष्टीय स्तर पर एलोकेशन कंटेस्ट के विषय में प्रकाश डालते हुए तीन विजेताओं को सम्मानित किया गया है। प्रथम विजेता तरून कपूर द्वारा अपने शोध की, जिसके आधार पर उनको प्रथम स्थान मिला था, की प्रस्तुति भी की।
निदेशक शोध एवं आयोजन सचिव द्वारा प्रदर्शनी एवं पोस्टर एवं पुरस्कारों की घोशण भी की गयी। एकेडमी के उपाध्यक्ष डा. पी.के. जोशी द्वारा सम्मेलन के अत्यन्त सफलतापूर्वक आयोजित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की गयी और उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा नये कीर्तिमान स्थापित किये गये है। जैसे कि प्रतिभागियों की संख्या लगभग 3 हजार का होना, अधिकतम तकनीकी सत्रों का आयोजन साथ ही संगोष्ठी, पैनल डिस्कशन और अधिक संख्या में विद्यार्थियों का प्रतिभाग करना। उन्होनें कहा कि मैं आशा करता हूं कि सम्मेलन में किये गये विचार विमर्श भारत को 2047 तक विकसित राष्ट बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। कृषि विज्ञान सम्मेलन का इसलिए भी महत्व हैं कि तकनीकी पहले आती है फिर नीतिगत निर्णय। उन्होंने यह भी व्यक्त किया कि पंतनगर को क्यों चुना गया। 60 वर्ष पहले हरित क्रांति का बीज पंतनगर से बोया गया था और हम सभी आशा करते है कि दूसरी क्रांति का जन्म भी यहीं से होगा। पूर्व में आयोजित किये गये कृषि विज्ञान सम्मेलनों के अंतिम दिन एक घोषणा की जाती है उसी प्रकार से ‘पंतनगर डिक्लेरेशन’ को भी उनके द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी अभूतपूर्व बताते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। एकेडमी उत्तराखंड के कृषि के बारे में उत्तराखंड के नीति निर्धारकों के साथ मिलकर श्वेत पत्र तैयार कर सकती है।
एकेडमी के सचिव डा. अशोक कुमार सिंह द्वारा एकेडमी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव एवं मंच पर उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों एवं विश्वविद्यालय के कुलपति एव निदेशक शोध तथा इस सम्मेलन को सफल बनाने में योगदान देने वालों को धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में आयोजक सचिव डा. ए.एस. नैन द्वारा भी एकेडमी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सचिव तथा विश्वविद्यालय के कुलपति के मार्गदर्शन तथा इस सम्मेलन को सफल बनाने में विभिन्न समितियों के संयोजक एवं सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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