गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर के लिए यह अत्यंत गर्व का विषय है कि विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) इकाई की उत्कृष्ट कार्यप्रणाली और अनुकरणीय प्रदर्शन के आधार पर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान को मानद कर्नल (Honorary Colonel) की उपाधि से अलंकृत किया गया है।
डॉ. मनमोहन सिंह चौहान को यह सम्मान भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीसी के अंतर्गत विशिष्ट योगदान हेतु प्रदान किया गया है। पंतनगर विश्वविद्यालय की एनसीसी इकाई ने वर्षों से कैडेट्स के सर्वांगीण विकास, नेतृत्व प्रशिक्षण और राष्ट्रसेवा की भावना को सशक्त बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने इस सम्मान के लिए राज्यपाल, रक्षा मंत्रालय, एनसीसी निदेशालय और विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास जताया कि यह मान्यता विश्वविद्यालय की युवा शक्ति को और अधिक प्रेरित करेगी तथा एनसीसी गतिविधियों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में सहायक सिद्ध होगी।
डॉ. मनमोहन सिंह चौहान पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। उन्हें साल 2022 में जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का 28वां कुलपति नियुक्त किया गया था।
वह वैज्ञानिक शोध और श्रेष्ठ प्रशासन क्षमता युक्त गुणों के लिए लोकप्रिय हैं। डॉ. मनमोहन सिंह चौहान देश में जानवरों की क्लोनिंग के क्षेत्र में एक बड़ा हस्ताक्षर हैं। इससे पहले वह राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल में निदेशक थे। गाय, भैंस, याक एवं बकरी से जुड़े अनुसंधान के क्षेत्र में डॉ. चौहान को काफी ख्याति मिली है।
उन्होंने अनुसंधान के 32 वर्षों में पशुधन कार्यकुशलता के लिए अनेक क्षमतावान जनन जैव प्रौद्योगिकी विकसित की हैं। केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा के निदेशक का जिम्मा भी संभाल चुके डॉ. चौहान को कृषि और दुग्ध पालन के क्षेत्र में इनोवेटिव पहल के लिए जाना जाता है।
ओपीयू-आईवीएफ साहीवाल बछड़ा तैयार करने का रिकॉर्ड
डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने एनडीआरआई में निदेशक बनने से पहले शुरूआती दौर में प्रधान वैज्ञानिक (पशु जैव प्रौद्योगिकी) के पद पर काम किया। उन्होंने गाय, भैंस, बकरी एवं याक में टेस्ट ट्यूब बेबी की तकनीकी के (इनविट्रो भ्रूण) महत्वपूर्ण एवं आसान तरीके विकसित किए हैं। डॉ. चौहान के नाम विश्व में सबसे पहले भैंस की कटिया का क्लोन ‘गरिमा 2’ तैयार करने का रिकॉर्ड है।
उन्होंने एम्ब्रयोनिक स्टेम सेल से यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने भैंस के कान के टुकड़े से 14 भैंस तैयार की। उनके नाम भारत में पहला ओपीयू-आईवीएफ साहीवाल बछड़ा तैयार करने का भी रिकॉर्ड है। उन्हें भारतीय विज्ञान अकादमी की फेलोशिप मिली है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि अनुसंधान क्षेत्र में 1935 से अब तक केवल दस वैज्ञानिकों को यह स्थान प्राप्त हुआ है। एनडीआरआई से डा. चौहान पहले वैज्ञानिक हैं, जिन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया।
भारत सरकार के एकेडमिक लीडरशिप अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
डॉ. चौहान नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज के फेलो, नेशनल एकेडमी ऑफ डेयरी साइंसेज के फेलो व सोसाइटी आफ एक्सटेंशन एजुकेशन के फेलो हैं। डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का जन्म 5 जनवरी, 1960 को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर के जामल गांव में हुआ। जयहरीखाल से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और बीएससी करने के बाद 1981 में श्रीनगर, गढ़वाल से एमएससी की। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी जाकर पीएचडी का थीसिस लिखी और परिणाम स्वरूप मनमोहन सिंह चौहान को 1986 में पीएचडी की डिग्री मिली।
डॉ. मनमोहन सिंह चौहान के कार्यकाल में गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पीआरटी द्वारा एक्रीडिटेशन में एक रैकिंग प्रदान की। एआईआरएफ रैकिंग में देश के कृषि विश्वविद्यालयों में तीसरा स्थान और सभी कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में आठवां स्थान प्रदान किया। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग में विश्वविद्यालय लगातार अपना स्थान बनाए हुए है।
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