शिखर पर उत्तराखंडीः डॉ. मनमोहन सिंह चौहान बने एनडीआरआई के नए निदेशक

शिखर पर उत्तराखंडीः डॉ. मनमोहन सिंह चौहान बने एनडीआरआई के नए निदेशक

डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का जन्म 5 जनवरी, 1960 को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर के जामल गांव में हुआ। जयहरीखाल से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और बीएससी करने के बाद डा. चौहान ने 1981 में श्रीनगर, गढ़वाल से एमएससी की। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी जाकर पीएचडी का थीसिस लिखा। मनमोहन सिंह चौहान को 1986 में पीएचडी की डिग्री मिली।

उत्तराखंड के सपूतों के अहम पदों पर पहुंचने का सिलसिला जारी है। प्रख्यात पशु विज्ञानी डॉ. मनमोहन सिंह चौहान को राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) करनाल का नया निदेशक नियुक्त किया गया है। उन्होंने अपना पदभार संभाल लिया है। इससे पहले, केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक रहे डॉ. मनमोहन सिंह चौहान भारत में जानवरों की क्लोनिंग के क्षेत्र में एक बड़ा नाम हैं।

डॉ. चौहान पहले एनडीआरआई में प्रधान वैज्ञानिक (पशु जैव प्रौद्योगिकी) के पद पर कार्यरत रहे। गाय, भैंस, याक एवं बकरी से जुड़े अनुसंधान के क्षेत्र में उन्हें काफी ख्याति हासिल है। उन्होंने अनुसंधान के 32 वर्षों में पशुधन कार्यकुशलता के लिए अनेक क्षमतावान जनन जैव प्रौद्योगिकी विकसित की हैं।

क्लोन तैयार करने का रिकॉर्ड

डॉ. चौहान ने गाय, भैंस, बकरी एवं याक जानवरों में टेस्ट ट्यूब बेबी की तकनीकी के (इनविट्रो भ्रूण) महत्वपूर्ण एवं आसान तरीके विकसित किए हैं। उनके नाम विश्व में सबसे पहले भैंस की कटिया का क्लोन ‘गरिमा 2’ तैयार करने का रिकॉर्ड है। उन्होंने एम्ब्रयोनिक स्टेम सेल से यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने भैंस के कान के टुकड़े से 14 भैंस तैयार की। उनके नाम भारत में पहला ओपीयू-आईवीएफ साहीवाल बछड़ा तैयार करने का भी रिकॉर्ड है।

(हिल मेल की ओर से कराए गए सर्वे में साल 2019 के चर्चित 50 उत्तराखंडियों की लिस्ट में डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने भी बनाई थी जगह। दूसरी तस्वीर में वह सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ)

अमेरिका में भी मिला सम्मान

डॉ. चौहान को भारतीय कृषि के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त शोध पुरस्कार जैसे रफी अहमद किदवई अवार्ड, डीबीटी ओवरसीज लांग टर्म एसोसिएटशिप अवॉर्ड, आईसीएआर टीम अवॉर्ड, डॉ. लभतेसर आईएसएसआरएफ अवॉर्ड, सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट अवॉर्ड फॉर एक्सेम्पलरी रिसर्च, वर्जीनिया पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट एवं स्टेट यूनीर्विसिटी, अमेरिका समेत कई सम्मान मिल चुके हैं।

(टिहरी में 03 नवंबर को हिल-मेल द्वारा आयोजित रैबार-2 में डॉ. मनमोहन सिंह चौहान को हिल-मित्र सम्मान प्रदान करते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ)

100 से ज्यादा शोध पत्र प्रकाशित

डॉ. चौहान ने अब तक 125 शोध पत्र, 2 पुस्तक, 90 वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रकाशन प्रकाशित किए है। उत्तराखंड के मूल निवासी होने के कारण डा. चौहान का यहां के गरीब किसानों के उत्थान के लिए विशेष ध्यान रहता है। उनके निर्देशन में उत्तराखंड में बकरी उत्थान के लिए कई कैंप लगाए जा चुके हैं।

पौड़ी गढ़वाल के जामल गांव के रहने वाले

डॉ. मनमोहन सिंह चौहान का जन्म 5 जनवरी, 1960 को पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर के जामल गांव में हुआ। जयहरीखाल से हाईस्कूल, इंटरमीडिएट और बीएससी करने के बाद डा. चौहान ने 1981 में श्रीनगर, गढ़वाल से एमएससी की। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी जाकर पीएचडी का थीसिस लिखा। मनमोहन सिंह चौहान को 1986 में पीएचडी की डिग्री मिली। इसके बाद वह राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल में वैज्ञानिक के पद पर रहे।

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