लॉकडाउन शुरू होने के बाद अफवाह फैल गई कि सामानों की किल्लत होने वाली है। दुकानों ही नहीं बड़ी मंडियों में भी अचानक भीड़ बढ़ गई थी और व्यापारी कालाबाजारी भी करने लगे। इसे रोकने के लिए देहरादून अनाज मंडी ने जो किया, उसका काफी असर हुआ है। इससे लोगों को उसी रेट पर सब्जी व अन्य चीजें मिल रही है। पढ़िए पूरी कहानी।
देहरादून अनाज मंडी ने कालाबाजारी रोकने के लिए जो किया, उसकी काफी तारीफ हो रही है। लॉकडाउन में कुछ व्यापारी कीमतें बढ़ाकर मुनाफा कमाने में जुट गए थे, ऐसे में अनाज मंडी प्रबंधन ने पहले मंडी में भीड़ कम की और फिर अपनी गाड़ियां जिले में भेजीं जिससे लोगों को उसी रेट पर सब्जियां और अन्य चीजें मिलने लगीं। मंडी के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि पहले काफी भीड़ हो रही थी क्योंकि थोक विक्रेता के साथ-साथ फुटकर विक्रेता भी आते थे।
ऐसे में सबसे पहले फुटकर विक्रेताओं को बैन किया गया। तमाम जगहों पर जितने ग्राहक थे, उनके लिए पास इशू किए गए और सख्त निर्देश दिए गए कि एक व्यक्ति विक्रम चलाकर आएगा और साथ में एक ही व्यक्ति ही आएगा और सामान लेकर जाएगा। इससे सोशल डिस्टेंसिंग में काफी फर्क पड़ा है।
राजेश कुमार शर्मा ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने आदेश किया है जबतक लॉकडाउन चालू रहेगा, किसानों से मंडी शुल्क नहीं लिया जाएगा।
https://www.facebook.com/trivendrasarkar/videos/vb.284957325345654/589347595258651/?type=2&theater
राजेश कुमार ने कहा कि हमने कालाबाजारी रोकने के लिए प्रयास किया। जिले में 22 से 25 गाड़ियां हमारी तरफ से संचालित की जा रही हैं। गाड़ी में रेट लिस्ट लगी है, जिसमें कम मार्जिन पर सब्जी, आलू, प्याज, टमाटर आदि बेचा जा रहा है। दूसरे विक्रेताओं में भी स्पर्धा बढ़ी है और जनता को फायदा हो रहा है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा मंडी में सैनिटाइजेशन टनल बनाई गई है, जो लोग भी मंडी के अंदर आएंगे चाहे ग्राहक हों या आढती वे सैनिटाइज होकर निकलेंगे। इससे कोरोना वायरस का फैलाव रोका जा सकेगा।
उधर, खेतों में गेहूं पककर तैयार है और मैदानी क्षेत्रों में कटाई हो रही है। ऐसे में राज्य सरकार ने 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है और इसके लिए प्रदेशभर में 200 से ज्यादा खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। खास बात यह है कि किसानों से खरीदे जाने वाले गेहूं का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाएगा।
हालांकि हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक जिलों में फसल कटाई के लिए श्रमिकों के न मिलने से टेंशन बढ़ी है। इसके बाद कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए मनरेगा को कृषि कार्यों से जोड़ दिया जाए।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *