हास्य कलाकार घनानंद का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

हास्य कलाकार घनानंद का राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

प्रसिद्ध हास्य कलाकार घनानंद भाई का आज हरिद्वार के खड़खड़ी घाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार के सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

घन्ना भाई (घनानंद) का कल निधन हो गया था। हास्य कलाकार घन्ना भाई का जन्म 1953 में पौड़ी के गगोड़ गांव में हुआ। इनकी शिक्षा कैंट बोर्ड लैंसडाउन जिला पौड़ी गढ़वाल से हुई। घन्ना भाई ने हास्य कलाकार के रूप में सफर की शुरुआत 1970 में रामलीलाओं में नाटकों से किया। 1974 में घनानंद ने रेडियो और बाद में दूरदर्शन पर कई कार्यक्रम भी दिए। घनानंद ने उत्तराखंड की कई लोक फिल्में जैसे घरजवें, चक्रचाल, बेटी-ब्वारी, जीतू बगडवाल, सतमंगल्या, ब्वारी हो त यनि, घन्ना भाई एमबीबीएस, घन्ना गिरगिट और यमराज जैसी हिट फिल्मों में काम किया। घन्ना भाई ने राजनीति में भी हाथ आजमाया है। 2012 विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर पौड़ी विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं। हालांकि चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, अब वह चुनाव में भाजपा के लिए स्टार प्रचारक की भूमिका निभाते आ रहे थे।

घनानंद का नाम उत्तराखंड के हर छोटे-बड़े हास्य कार्यक्रम और टीवी शो में लिया जाता था। वे अपनी अनोखी शैली, चुटीली बातों और हंसी मजाक से लाखों लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाए हुए थे। उनकी हास्य कला ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देशभर में कई लोगों को हंसाया और मनोरंजन किया। घनानंद का हर अंदाज दर्शकों को लोटपोट कर देता था और उनके चेहरे पर मुस्कान ले आता था। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह अपने अभिनय से किसी भी मुश्किल वक्त में लोगों को हंसी का तोहफा दे देते थे। घनानंद की नकल और मिमिक्री की कला ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। वे खासतौर पर लोक कला और पारंपरिक उत्तराखंडी हास्य में माहिर थे। उनके शोज और कार्यक्रमों का हमेशा इंतजार रहता था और उनकी उपस्थिति से हर इवेंट रोशन हो जाता था।

घनानंद का जीवन सादगी और संघर्ष से भरा हुआ था। उन्होंने न केवल उत्तराखंड की कला संस्कृति को ऊंचा किया, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच भी हास्य और मनोरंजन के लिए एक नई दिशा प्रदान की। वे छोटे-बड़े मंचों पर अपनी हास्य कला से लोगों का दिल जीतने में सफल रहे। उनका हास्य लोक संस्कृति और पारंपरिक शैली के प्रति एक सशक्त संदेश था। उन्होंने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मंचों पर कई पुरस्कार भी जीते थे और उनकी पहचान एक सशक्त हास्य कलाकार के रूप में स्थापित हो गई थी। उत्तराखंड के प्रसिद्ध हास्य कलाकार व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री घनानंद उर्फ घन्ना भाई ने राज्य में फिल्म बोर्ड के गठन की मांग सरकार से की थी। उन्होंने कहा था कि राज्य में फिल्मांकन की अपार संभावनाएं हैं बावजूद राज्य बनने के इतने सालों में किसी भी राजनीतिक दल की ओर से इस दिशा में प्रभावी कदम न उठाने पर यहां के फिल्मकारों, कलाकारों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

एक प्रेस परिसर में पत्रकारों से बातचीत में हास्य कलाकार घन्ना भाई ने गढ़वाली फिल्मों के मशहूर निर्देशक गणेश वीरान द्वारा लंबे समय से राज्य में फिल्म बोर्ड के गठन को लेकर उठाई जा रही आवाज का समर्थन करते हुए कहा था कि वे 1970 से कई गढ़वाली फिल्मों, सीरियल, एल्बम में कार्य करते आ रहे हैं। उन्हें उम्मीद थी कि राज्य बनने के बाद फिल्म बोर्ड के गठन को लेकर राजनीतिक दल दिलचस्पी दिखाते हुए इस दिशा में प्रभावी कदम उठाएंगे लेकिन अभी तक निराशा ही हाथ लगी। हश्र यह हुआ कि राज्य में फिल्मांकन की अपार संभावनाओं के बाद यहां के फिल्मकारों, रंग कर्मियों, कलाकारों को इसका लाभ नहीं मिल पाया। कहा कि 2022 में उन्हें भाजपा से पौड़ी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया तो उनके घोषणा पत्र में फिल्म बोर्ड का गठन प्रमुखता से रखा जाएगा। उन्होंने फिल्मकारों, कलाकारों की भावनाओं को देखते हुए सरकार से जल्द से जल्द राज्य में फिल्म बोर्ड के गठन की मांग भी की है। कहा कि इससे यहां फिल्म इंडस्ट्री एक उद्योग के रूप में राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

गढ़वाली सिनेमा एवं कला संस्कृति जगत में अपनी विशेष पहचान रखने वाले मशहूर हास्य कलाकार घनानंद उर्फ घन्ना भाई को सरकार जल्द डी-लिट की उपाधि से सम्मानित करने जा रही है। उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि गढ़वाली सिनेमा, संस्कृति और कला के विकास में घनानंद का योगदान अतुलनीय है। वे पिछले कई वर्षों से गढ़वाली सिनेमा और कला जगत का सबसे मशहूर चेहरा बने हुए हैं। जहां उन्होंने लोक कला और हास्य के जरिये गढ़वाली भाषा के विकास में अहम भूमिका निभाई, वहीं प्रदेश के युवाओं के लिए भी वे प्रेरणा बने हुए हैं। उन्होंने गढ़वाली सिनेमा और लोक कला को संजोकर आगे बढ़ाया, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इससे अनजान ना रहे। गढ़वाली सिनेमा जगत में आज वह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। अगले साल कृषि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उन्हें डी-लिट की उपाधि दिए जाने योजना रहेगा! उन्हें यह उपाधि किस विश्वविद्यालय से और कब देनी है, इस पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। घनानंद के निधन की खबर सुनते ही उनके प्रशंसकों और कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनके चाहने वाले सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं और उनके योगदान को याद कर रहे हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, “घनानंद के निधन से कला जगत ने एक सशक्त कलाकार को खो दिया है। उनकी कला और हंसी का असर हमेशा हमारे दिलों में रहेगा।” घनानंद के परिवार में उनके जाने के बाद गहरा शोक है। उनके परिजन और दोस्त इस असमय हुए निधन को लेकर स्तब्ध हैं। परिवार के सदस्य कह रहे हैं कि घनानंद ने हमेशा अपनी कला से परिवार और समाज को जोड़ा था। उनका जाना सभी के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसे कभी भी भरा नहीं जा सकता। घनानंद का अंतिम संस्कार आज किया गया, जहां उनके परिजन और प्रशंसक बड़ी संख्या में उपस्थिति रहे। उनकी अंतिम यात्रा में उनके करीबी मित्र, परिवार के सदस्य और कला जगत के कई लोग शामिल हुए। यह एक दुखद पल है, क्योंकि उत्तराखंड की हास्य और लोक कला को जो गहरा योगदान घनानंद ने दिया, वह हमेशा याद रखा जाएगा। घनानंद का निधन न केवल उनके परिवार और दोस्तों के लिए एक दुखद घटना है, बल्कि कला और मनोरंजन की दुनिया के लिए भी एक बड़ा नुकसान है। उनकी हंसी, उनकी कला और उनका जोश हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा। लाभ नहीं मिल।

लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this