उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने हरेला पर्व के शुभ अवसर पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड की लोक परम्परा का यह अद्भुत पर्व है। पूरे विश्व के पर्यावरण में उत्तराखण्ड के वनों, उद्यानों, राष्ट्रीय अभ्यारण्य, राष्ट्रीय पार्कों का अलग महत्व व योगदान है।
प्रदेश कांग्रेस आईटी विभाग की बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में देहरादून पहुंची अखिल भारतीय कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने स्वयं प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय देहरादून में वृक्षारोपण किया। हरेला के पर्व पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील है कि हरेला के पावन अवसर पर सभी लोग वृक्षारोपण करें।
इस असवर पर राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेट ने भी उत्तराखण्ड वासियों को बधाई एंव शुभकामनायें दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड प्रदेश की नदियां भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उत्तराखण्ड नदियों का उद्गम स्थल है। उन्होंने कहा यहां की नदियां सिचांई व जल विद्युत उत्पादन का प्रमुख संसाधन हैं। इन नदियों के किनारे अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित हैं और उत्तराखण्ड में पर्यटन की अपार संभावनायें हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के पर्यवारणीय सेवाओं का लाभ केवल उत्तराखण्ड ही नही बल्कि पूरा देश ले रहा है। उन्होंने कहा कि यहां की पवित्र नदियों का पानी, शुद्व हवा सबके हिस्से में है। लेकिन इसके बावजूद राज्य की झोली खाली है। उन्होंने कहा पर्यावरण के क्षेत्र में हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड का अनूठा योगदान है।
उन्होंने कहा राज्य के कुल क्षेत्रफल का 71 प्रतिशत यानी 38,000 वर्ग किमी. तक वन क्षेत्र फैला है। इसमें नदियों का सरानीरा बनाने वाले गलेशियर, कार्बन को सोखकर आक्सीजन देने वाले वन देश के मेदानी हिस्सों की भूमि और लोगों दोनों की प्यास बुझाने वाली नदियां और इस पूरी परिस्थितियों को संभालने वाले तंत्र का यहां बहुमल्य खजाना है। उन्होंने कहा कोविड महामारी में देश के लोगों ने पर्यावरण के अनूठे खजाने की अहमियत को शायद समझ लिया होगा।
करन माहरा ने कहा कि उत्तराखण्ड देश का एक विशिष्ठ राज्य है जिसमें कुल भूमि का 67 प्रतिशत भू-भाग वन भूमि है और हमारे पास 47 प्रतिशत वन विद्यमान हैं व 20 प्रतिशत भूमि वन भूमि है किन्तु उसमें वन नहीं हैं। उन्होंने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि 20 प्रतिशत खाली पडी वन भूमि में वन से जुडी गतिविधियां चलाने की योजना बनाकर उसे रोजगार से जोड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र का देश एवं पर्यावरण की रक्षा में विशेष योगदान रहा है तथा उत्तराखण्ड ने देश एवं विश्व के पर्यावरण की रक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिस प्रकार लगातार हिमालय के ग्लेशियर एवं हरियाली कम होती जा रही है उसकी रक्षा के लिए वृक्षा रोपण कार्यक्रमों का आयोजन आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य होने के कारण यहां के जनमानस का वृक्षों के प्रति विशेष श्रद्धा एवं आदर का भाव रहा है, परन्तु हमें केवल वृक्षा रोपण तक ही सीमित नहीं रहना है हमें इन पेड़ों की रक्षा भी सुनिश्चित करनी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में हरेला पर्व के रूप में वृक्षा रोपण को मनाने की परम्परा सदियों पुरानी रही है इसीलिए विश्व पर्यावरण की रक्षा में देवभूमि उत्तराखण्ड के महत्व को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण महान कार्य है, पेड़ विभिन्न तरीके से प्रकृति को संरक्षण देने का काम करते हैं।
उन्होने प्रदेशभर के सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी अपील की कि आज समय की मांग है कि हम सबको मिलकर पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ हिमालय की रक्षा के लिए भी आगे आना होगा।
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