उत्तराखंड में बद्रीनाथ और मंगलौर में हुए उपचुनाव में भाजपा हार गई है। दोनों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला और मंगलौर सीट पर काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने जीत दर्ज हासिल की है।
उत्तराखंड में हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है। दोनों सीटें पार्टी के हाथ से निकल गई। बद्रीनाथ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला और मंगलौर सीट पर काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने जीत दर्ज हासिल की है। दोनों सीटों पर हार से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। मंगलौर सीट पर भाजपा का कभी कब्जा नहीं रहा, लेकिन बद्रीनाथ सीट कई मायनों में खास थी। उपचुनाव प्रचार में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी उसके बावजूद भी भाजपा दोनों सीटें हार गई है। बद्रीनाथ और मंगलौर का उपचुनाव उत्तराखंड में भाजपा के लिए एक परीक्षा थी, इस परीक्षा में भाजपा सफल नहीं हो पाई है। मंगलौर सीट पर भाजपा ने करतार सिंह भड़ाना को मैदान में उतारा था, लेकिन भड़ाना कांग्रेस प्रत्याशी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन से हार गए। वहीं बद्रीनाथ में भाजपा ने राजेंद्र भंडारी पर भरोसा जताया था, लेकिन कांग्रेस के लखपत सिंह बुटोला से राजेंद्र भंडारी हार गए।
मंगलौर सीट पर बसपा विधायक के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया कराया गया था, लेकिन बद्रीनाथ में परिस्थिति अलग पैदा की गई। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी भाजपा में शामिल हो गए थे। राजेंद्र भंडारी खुद तो चले गए, लेकिन कार्यकर्ताओं में रोष रहा और इसे कांग्रेस ने मुद्दा बनाया। नतीजा यह हुआ कि यहां भाजपा की हार तो कांग्रेस को विजय प्राप्त हुई है। इस घटना के बाद कांग्रेस विधायक का भाजपा में शामिल होना जनता को रास नहीं आया। राजेंद्र भंडारी तो भाजपा में चले गए लेकिन समर्थक कांग्रेस में ही रह गए। वहीं राजेंद्र भंडारी के भाजपा में आने से बद्रीनाथ के भाजपा नेता और कार्यकर्ता खुश नहीं था। उन्होंने खुले तौर पर तो इसका विरोध नहीं किया, लेकिन नतीजे संकेत दे रहे हैं। बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर भाजपा की हार ने कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया है। लोकसभा चुनाव से पहले गढ़वाल मंडल की यही एकमात्र सीट थी, जो कांग्रेस के पास थी। लेकिन, कांग्रेस विधायक राजेन्द्र भंडारी भाजपा में शामिल हो गए।
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा ने बद्रीनाथ एवं मंगलौर के उपचुनाव में कांग्रेस के दोनों प्रत्याशियों के विजय होने पर वहां की महान जनता एवं कांग्रेस कार्यकताओं को बधाई एवं शुभकामायें दी है। उन्हांने कहा कि यह जीत इंडिया गंठबन्धन की जीत हैं। गठबंधन के सभी सहयोगियों का इस जीत में योगदान है और भविष्य में भी हम इसी प्रकार एक जुटता के साथ लोकतंत्र को बचाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगें। वह आने वाली चुनौतियों को सामूहिक रूप से मुकाबला करेंगे। करन माहरा ने कहा कि यह जीत संविधान और लोकतंत्र को जिन्दा रखने की जीत है। इस असवर पर करन माहरा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागणों एवं कार्यकर्ताओं एवं गठबंधन के सभी सहयोगी संगठनों को भी बधाई देते हुए कहा कि दोनों विधानसभाओं में सभी ने रातदिन मेहनत कर कांग्रेस प्रत्याशियों को जीत दिलाये जाने का काम किया है इसके लिए सब बधाई के पात्र हैं।
करन माहरा ने बद्रीनाथ से श्री लखपत बुटोला एवं मंगलौर से काजी निजामुद्दीन को विधायक चुने जाने पर कांग्रेस भवन देहरादून में दोनों प्रत्याशियों के विजय होने पर पटाखे एवं मिठाई बांटकर खुशी जाहिर करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे नेता प्रतिपक्ष लोकसभा राहुल गांधी, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैजला एवं सह प्रभारी दीपिका पाण्डेय सिंह के सफल मार्गदर्शन के लिए उनका धान्यवाद व्यक्त किया। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मलिकार्जुन खगडे एवं जननायक राहुल गांधी के सफल नेतृत्व में देश में लगातार कांग्रेस पार्टी संघर्ष कर रही है और नित नये आयाम गढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह राज्य सरकार के ईशारे पर चुनाव को प्रभावित करने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा काम किया गया उसे पूरे राज्य ने देखा है। मंगलौर विधानसभा में भाजपा के जिन उपद्रवियों द्वारा मतदान के दौरान खुलेआम गोलियां चलाई गई वह आज भी खुलेआम घूम रहे है। अभीतक उन लोगों को गिरफ्तार नही किया गया है। जो चिन्ता का विषय है।
करन माहरा ने कहा कि जब से केन्द्र में भाजपा सरकार सत्ता में आई है तब से देश में अराजकता का माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार विरोधियों को डरा धमकाकर किसी भी हालत में सत्ता हथियाना चाहती है जिसे देश की जनता कभी भी साकार नही होने देगी। उन्होंने कहा भाजपा के नेता तिल का ताड़ बनाने में माहिर है, झूठ बोलकर सत्ता केवल और केवल एक बार हासिल की जा सकती है। उन्होने कहा कि कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो देश को एक सूत्र में बांधने का काम कर सकती है और ’सर्वधर्म संभाव’ को जिन्दा रख सकती है।
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