विकसित वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम भारत के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से एक संयुक्त पहल है। युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के नेतृत्व में, गृह मंत्रालय के समन्वय में, इस कार्यक्रम को स्थानीय शासन निकायों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सहयोग से क्रियान्वयित किया जाएगा। 15 से 30 मई 2025 तक कार्यक्रम का आयोजन लेह-लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में केंद्रित रहेगा।
यह पहल देश भर से 500 माई भारत स्वयंसेवकों को सम्मिलित करके युवाओं को सशक्त बनाएगी, जो 100 चयनित गांवों में समुदायों के साथ सीधे काम करेंगे। ये स्वयंसेवक शैक्षिक सहायता और बुनियादी ढांचे में वृद्धि से लेकर स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक संरक्षण तक कई तरह की पहलों के माध्यम से जमीनी स्तर पर जुड़ाव और सामुदायिक विकास को आगे बढ़ाएंगे। स्थानीय निवासियों को सम्मिलित करके और युवा नेतृत्व की शक्ति का लाभ उठाकर, कार्यक्रम का उद्देश्य इन सीमावर्ती क्षेत्रों में दीर्घकालिक और सकारात्मक परिवर्तन लाना है।
विकसित वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के लिए पंजीकरण आधिकारिक तौर पर 23 अप्रैल 2025 को माई भारत पोर्टल के माध्यम से शुरू हुआ है। पूरे देश से स्वयंसेवकों को इस परिवर्तनकारी अवसर में भाग लेने के लिए आवेदन हेतु प्रोत्साहित किया जाता है। केंद्र शासित प्रदेशों से 10 और प्रत्येक भाग लेने वाले राज्य से 15 माई भारत स्वयंसेवकों का चयन किया जाएगा। कुल मिलाकर, 500 स्वयंसेवकों को कार्यक्रम में मुख्य भूमिका के रूप में कार्य करने, गांवों के भीतर गतिविधियों का नेतृत्व करने और समन्वय करने के लिए चयनित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में, गहन शिक्षण यात्राएं, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और जमीनी स्तर पर विकास परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। जिससे युवाओं को सीमावर्ती क्षेत्रों के अद्वितीय सामाजिक-सांस्कृतिक और रणनीतिक ताने-बाने से सीधे जुड़ने का अवसर प्राप्त होगा।
7 दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में प्रत्येक दिन सामुदायिक विकास के एक विभिन्न क्षेत्र को समर्पित होगा। इन गतिविधियों में निम्नलिखित शामिल होंगे, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं होंगे:
1. सामुदायिक सहभागिता
2. युवा नेतृत्व विकास
3. सांस्कृतिक प्रचार
4. स्वास्थ्य देखभाल जागरूकता और सहायता
5. कौशल निर्माण और शिक्षा
6. पर्यावरण संरक्षण के लिए सर्वोत्तम अभ्यास
7. कैरियर परामर्श सत्र
8. फिटनेस गतिविधियाँ जैसे खेल, योग, ध्यान आदि
9. माई ड्रीम इंडिया पर ओपन माइक, निबंध, फायरसाइड चैट आदि
ज्ञान हस्तांतरण और राष्ट्रीय चेतना
इस कार्यक्रम के माध्यम से, युवा नागरिकों को सीमावर्ती समुदायों की विरासत, दृढ़ता और क्षमता का पता लगाने और उसका दस्तावेजीकरण करने का अवसर मिलेगा। इन अनुभवों को जब डिजिटल प्लेटफॉर्म, सामुदायिक चर्चाओं और संस्थागत प्रस्तुतियों के माध्यम से साझा किया जाएगा, तो यह सुनिश्चित होगा कि भारत के सीमावर्ती निवासियों की आवाज़ व्यापक राष्ट्रीय और वैश्विक दर्शकों तक पहुंचे।
यह पहल युवाओं को न केवल इन क्षेत्रों के विकास को देखने के लिए बल्कि इसमें सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए भी प्रोत्साहित करती है – चाहे वह शिक्षा, उद्यमिता, दीर्घकालीन कृषि या स्थानीय शासन में अभिनव परियोजनाओं के माध्यम से हो। यह वार्तालाप आपसी सम्मान, गहरी राष्ट्रीय एकता और सीमावर्ती गांवों को अलग-थलग देखने के बजाय ‘सांस्कृतिक प्रकाश स्तंभ’ के रूप में उभरने के लिए प्रेरित करती है।
सीमावर्ती गांवों को नई पहचान मिलेगी
इस कार्यक्रम का उद्देश्य सीमावर्ती गांवों के बारे में लंबे समय से चली आ रही “मानचित्र पर सबसे आखिरी गांव” की धारणा को बदलना है। इसके बजाय, यह उन्हें वर्ष 2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ने की यात्रा में ‘पहले गांव’ के रूप में परिवर्तित करता है। युवाओं की निरंतर भागीदारी के माध्यम से, इन गांवों को अपनी भाषा, कला, संगीत, वास्तुकला और गाथाओं को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच दिया जाएगा। इससे उनकी पहचान भू-राजनीतिक मध्यवर्ती से विरासत, नवाचार और राष्ट्रीय गौरव के केंद्रों के रूप में फिर से परिभाषित होगी। विकसित वाइब्रेंट गांव विलेज केवल एक सरकारी प्रयास नहीं है – यह देश के हर कोने में विकास, पहचान और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए एक पीढ़ीगत मिशन है, जिसमें युवा आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगे।
युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय इस पहल को शुरू करने के लिए, दिल्ली में एक अभिविन्यास कार्यक्रम का आयोजन करेगा, जहां सभी चयनित स्वयंसेवक गहन जानकारी और प्रशिक्षण सत्र में सम्मिलित होंगे। यह अभिविन्यास स्वयंसेवकों के कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए तैयार होने और स्थानीय समुदायों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने के लिए आवश्यक ज्ञान से लैस होने को सुनिश्चित करेगा। अभिविन्यास कार्यक्रम स्वयंसेवकों को अहम नेतृत्व कौशल विकसित करने, ग्रामीण समुदाय की जरूरतों के बारे में गहन जानकारी प्राप्त करने और स्थानीय शासन प्रणालियों के साथ अपने प्रयासों को समन्वयित करने का तरीका सीखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।
इस योजना का उद्देश्य स्वयंसेवकों को एक समग्र ज्ञान अनुभव प्रदान करना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे न केवल गांव के परिवर्तन में योगदान दें बल्कि पूरे कार्यक्रम के दौरान व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से भी बेहतर बने। यह पहल भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन के लिए एक उत्प्रेरक का कार्य करेगी, जिससे युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भागीदार बनने का अधिकार मिलेगा। युवाओं को स्थानीय समुदायों के साथ सीधे जुड़ने का मंच प्रदान करके, कार्यक्रम राष्ट्रीय एकीकरण, सांस्कृतिक गौरव और रणनीतिक विकास की भावना को प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *