डॉ मुरली मनोहर जोशी ने ही बीजेपी के लिए राम मंदिर आंदोलन के निहितार्थों को बखूबी समझते हुए पूरी प्लानिंग के साथ इसको जमीन पर उतारा था। बीजेपी की स्थापना के बाद से अटल बिहारी वाजपेयी के पीएम बनने के साथ लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम हमेशा जुड़ता रहा। जोशी को बीजेपी की तीसरी धरोहर भी कहा जाता है। ‘भाजपा की तीन धरोहर अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर’।
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
अल्मोड़ा के गल्ली गांव के एक साधारण परिवार में डॉ जोशी का जन्म हुआ था। आपातकाल के बाद पहली बार वो यहीं से लोकसभा सदस्य चुने गए थे। इतिहास के अधिकांश पन्नों में अल्मोड़ा का नाम जुड़ा है। पद्म विभूषण से सम्मानित किये गए डॉ मुरली मनोहर जोशी भी अल्मोड़ा से ही आते हैं। राजनीति के उच्चशिखर पर पहुंच चुके जोशी ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत अल्मोड़ा लोकसभा से ही की थी। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में वो इसी सीट से सांसद बने थे। उसके बाद इलाहाबाद, कानपुर सहित यूपी के अन्य स्थानों को उन्होंने अपना कर्मभूमि बनाया। पूर्व शिक्षक व पालिका अध्यक्ष का मानना है कि डॉ जोशी को पद्म विभूषण मिलना पहाड़ के लोगों के लिए सम्मान की बात है था। इसके साथ ही अल्मोड़ा के लोग आज अपने को गौरवानित महसूस कर रहे हैं कि इस मिट्टी से निकला व्यक्ति आज राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रहा है.श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के सशक्त स्तम्भ डॉ. मुरली मनोहर जोशी का आज जन्मदिन है।
जोशी का जन्म 5 जनवरी 1934 को दिल्ली में हुआ था। उनका परिवार कुमाऊं क्षेत्र के अल्मोड़ा से है। उनके पिता का नाम मनमोहन जोशी था। परिवार ब्राह्मण समुदाय से है। 1966 में जोशी की शादी उनके ही समुदाय और समान पारिवारिक पृष्ठभूमि की महिला तरला जोशी से हुई, जो उनके परिवारों द्वारा सामान्य भारतीय तरीके से तय की गई थी। आजीवन विवाह पूरी तरह से सामंजस्यपूर्ण और पारंपरिक साबित हुआ है। दंपति दो बेटियों, निवेदिता और प्रियंवदा के माता-पिता हैं। जोशी की प्रारंभिक शिक्षा चांदपुर, जिला बिजनौर और अल्मोड़ा में हुई, जहां से उनका परिवार आता है। उन्होंने मेरठ कॉलेज से बीएससी और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमएससी की पढ़ाई पूरी की। इलाहाबाद में उनके एक शिक्षक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह थे, जो बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक बने। जोशी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उनकी डॉक्टरेट थीसिस का विषय स्पेक्ट्रोस्कोपी था। उन्होंने हिंदी में भौतिकी पर एक शोध पत्र प्रकाशित किया, जो अपनी तरह का पहला था।
पीएचडी पूरी करने के बाद डॉ मुरली मनोहर जोशी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी पढ़ाना शुरू किया। साल 1980 में डॉ मुरली मनोहर जोशी ने भारतीय जनता पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई और पार्टी के अध्यक्ष बन गए। वहीं जब साल 1996 में वाजपेई जी की सरकार बनीं, तो उन्होंने गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाई। वहीं साल 2014 में डॉ मुरली मनोहर जोशी उत्तर प्रदेश के कानपुर से लोकसभा सांसद चुने गए। उन्होंने इलाहाबाद लोकसभा सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल की। इसके अलावा वह मध्य प्रदेश से भी 7 बार लोकसभा के सदस्य रह चुके है।अयोध्या आंदोलन को परिणति तक पहुंचाने में आडवाणी के बाद दूसरे नंबर पर मुरली मनोहर जोशी शामिल रहे। आडवाणी की तरह उन्होंने ने भी राम मंदिर आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने अयोध्या के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।
राम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण के आंदोलन के कारण उनको 8 जनवरी 1992 को गिरफ्तार कर लिया गया था। जब अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिक का ढांचा गिराया था। तो उस दौरान भाजपा के अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी थे। बताया जाता है कि डॉ मुरली मनोहर जोशी ने ही बीजेपी के लिए राम मंदिर आंदोलन के निहितार्थों को बखूबी समझते हुए पूरी प्लानिंग के साथ इसको जमीन पर उतारा था।बीजेपी की स्थापना के बाद से वाजपेयी जी के पीएम बनने के साथ आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम हमेशा जुड़ता रहा। जोशी को बीजेपी की तीसरी धरोहर भी कहा जाता है। ‘भाजपा की तीन धरोहर-अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर। उस दौरान इन तीनों नेताओं के लिए यह नारा खूब लगता था। 15वीं लोकसभा के कार्यकाल में 1 मई 2010 को उन्हें लोक लेखांकन समिति का अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि 2014 में मुरली मनोहर जोशी ने नरेंद्र मोदी के लिए वाराणसी लोकसभा सीट छोड़ दी थी। 2014 में जोशी ने कानपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और चुनकर संसद पहुंचे थे। फिलहाल जोशी सिर्फ बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल में हैं। हालांकि 2017 में मुरली मनोहर जोशी को पद्म विभूषण के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।
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