यमकेश्वर विकास खंड में एक गांव ऐसा भी है जहां दीवाली नहीं मनाई जाती, अपितु दीवाली की जगह पर ईगास मनाई जाती है। खरदूनी गांव की पहें पूरे इलाके में बहुत प्रसिद्ध है।
विगत कुछ वर्षों से गांव के होनहारों ने ईगास को भव्यता एवं दिव्यता से मनाने का बीड़ा उठाया है। इस बार की ईगास की थीम एक पेड़ मां के नाम एक पेड़ पितरों के नाम रही।
आस पास के गांव के लोगों की यह इच्छा होती थी कि एक रिश्ता खरदूनी गांव से जरूर करे ताकि ईगास मानने के लिए गांव में जा सके।
एक दिन सभी गांव वालो ने गांव में स्वच्छता अभियान चलाया तथा पूरे गांव की सफाई की गई। गो सेवा पूजन, भेलो पूजन, मंडान खरदूनी की पहें के मुख्य आकर्षण थे।
पारम्परिक रूप से बड़े जोश के साथ भेलो खेला गया तथा समस्त क्षेत्र की रक्षा, खुशी के लिए मां भगवती से प्रार्थना की गई।
ग्रामनिवासी में ईगास मनाने के लिए जोश चरम पर है तथा उत्तराखंड के इस पुरातन त्यौहार की महिमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सभी ग्रामवासी कटिबद्ध थे।
इसमें कोई शक नहीं है कि खरदूनी गांव उत्तराखंड के पुरातन त्यौहार ईगास का ध्वजवाहक है।
ग्रामवासी जोगेंद्र राणा ने बताया कि ईगास हमारे लिए एक धरोहर है तथा हम इस धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
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