कुमाऊं में एक ऐसा धाम है जहां देवी को प्रसन्न करने के लिए रक्षाबंधन के दिन चार गांवों के लोग आस्था के रूप में एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। इसे बगवाल मेला कहा जाता है। वर्ष 2012 तक यहां पर बगवाल पत्थर से खेली जाती थी लेकिन उसके बाद कोर्ट की दखल के बाद अब बगवाल फूलों और फलों द्वारा खेली जाती है।
बगवाल मेले के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी देवीधुरा स्थित मां वाराही धाम में पहुंचे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मां वाराही मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर राज्य की खुशहाली की कामना की एवं मां वाराही धाम में चार खाम सात थोक के बीच खेले जाने वाले प्रसिद्ध पाषाण युद्ध के साक्षी बने।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्थान आध्यात्मिक रूप से जितना समृद्ध है प्राकृतिक रूप से उतना ही अधिक मनोरम है। इस अलौकिक भूमि का न केवल ऐतिहासिक महत्व रहा है बल्कि इस क्षेत्र का पौराणिक महत्व भी किसी से छिपा नहीं है।
उन्होंने कहा कि संस्कृति की महानता के विषय में आम लोगों को जागृत करने का काम हमारे ऐतिहासिक मेले करते हैं और बगवाल का यह ऐतिहासिक मेला भी इसी का एक अनुपम उदाहरण है।
इस प्रकार के मेले से हमारी लोक संस्कृति और लोक परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ-साथ हमारे लोक कलाकारों को भी बढ़ावा मिलता है। इस विरासत को संभाले रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि मेले हमारे समाज को जोड़ने तथा हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं के बारे में नई पीढ़ी को जागरूक करने में भी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में एक सशक्त नेतृत्व वाली सरकार है, जिसके साथ दुनिया का हर देश खड़ा होने को आतुर है। एक ओर जहां हमारा देश जी-20 जैसे शक्तिशाली समूह की अध्यक्षता कर रहा है वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए अनेक देश भारत का समर्थन भी कर रहे हैं। आज दुनिया के देश भारतीय नीतियों का अनुसरण कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में देश एक विश्व शक्ति व विश्व गुरु की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन पर चलकर प्रदेश सरकार भी उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण और अस्मिता को बचाने के लिए कृत संकल्पित है।
सरकार केदारनाथ खंड की भांति कुमाऊं में मानसखंड कॉरिडोर बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं, जिसके अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र के सभी प्राचीन मंदिरों का विकास किया जा रहा है। मानसखंड मंदिर माला के अंतर्गत चंपावत के लगभग सभी मंदिर भी शामिल हैं।
इससे पूर्व देवीधुरा आगमन पर मुख्यमंत्री ने मेला स्थल में लगाए गए विभिन्न विभागों के सरकारी स्टालों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों से जानकारी लेते हुए निर्देश दिये कि प्रत्येक जनमानस तक सरकार की विभिन्न विकास योजनाओं का लाभ पहुंचे। उन्होंने सभी अधिकारियों से तत्परता से कार्य करने के लिये कहा।
पाटी ब्लॉक के मां वाराही धाम देवीधुरा खोलीखांड डुवाचौड़ मैदान पर सुबह प्रधान पुजारी द्वारा पूजा अर्चना की गई। एक-एक कर सभी चारों खामों तथा सात थोक के बगवालियों का आगमन हुआ। सबसे पहले सफेद पगड़ी में वालिक खाम ने मंदिर में प्रवेश किया। उसके बाद गुलाबी पगड़ी पहने चम्याल खाम ने प्रवेश किया। उसके बाद गहड़वाल खाम ने मंदिर में प्रवेश किया। सबसे आखरी में पीली पगड़ी पहने लमगड़िया खाम ने प्रवेश किया।
सभी खामों के प्रवेश के बाद प्रधान पुजारी द्वारा मंदिर से शंखनाद किया गया जिसके बाद बगवाल शुरू हुई। बगवाल शुरू होते ही मां के जयकारों से पूरा खोलीखाण दुवाचौड़ मैदान के साथ पूरा मंदिर गुंजियमान हो गया।
पीठाचार्य पंडित कीर्ति बल्लभ जोशी का कहना है कि फल फूलों से चार खाम और सात थोकों के बीच खेली जाने वाली यह बगवाल देखने वालों के लिए भी फलदाई है। उन्होंने बताया कि इस बार 10 क्विंटल से अधिक फलों से बगवाल खेली गई।
इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने भी मां वाराही के दर्शन कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की तथा जनता को संबोधित किया।
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