देश में सेब उत्पादन के मामले में शीर्ष पर जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश काबिज हैं। जबकि, उत्तराखंड सेब उत्पादन के मामले में तीसरे नंबर पर है। तीन राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां करीब एक समान होने के बावजूद भी उत्तराखंड पीछे है। ऐसे में अब एप्पल और कीवी मिशन पर सरकार जोर दे रही है।
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
सरकार उत्तराखंड में सेब उत्पादन को 20 गुना करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए बाकायदा बजट से लेकर अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। उत्तराखंड में सेब उत्पादन एवं सेब उत्पादकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार समय-समय पर हर तरह से प्रयासरत रहती है। ताकि सेब उत्पादन क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सके और उद्यानपतियों की आर्थिकी मजबूत हो सके। उत्तराखंड में सेब का सबसे अधिक उत्पादन उत्तरकाशी जिले में होता है। उत्तरकाशी जिले के हर्षिल नामक जगह का सेब बहुत प्रसिद्ध है। इसके अलावा पिथौरागढ़, नैनीताल, चमोली व देहरादून के ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्र में भी सेब का उत्पादन होता है।
उत्तराखंड का सेब उत्पादन में देश में तीसरा स्थान है। पहले स्थान पर जम्मू-कश्मीर और दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश है। उत्तराखंड सेब उत्पादक एसोशिएसन के अध्यक्ष स्वर्गीय द्वारिका प्रसाद उनियाल ने सेब उत्पादकों की आर्थिकी को सुधारने व बढ़ावा देने हेतु सन् 2019 में सेब पॉलिसी लेने की अनिवार्यता पर एक मसौदा सरकार को सौंपा था। सरकार द्वारा 2021 में देहरादून में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सेब महोत्सव का आयोजन भी किया गया था। जिसका उद्देश्य उत्तराखंड के सेब की पहचान को अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाना था।
हाल ही में जिला चंपावत के गोरलचोड़ निकट ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड सदन नई दिल्ली से वर्चुवल रूप से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की ‘उन्नति एप्पल परियोजना’ इस बात का शानदार उदाहरण है कि किस प्रकार सामूहिक प्रयासों से कृषि परिवर्तन को बढ़ावा मिल सकता है। इस पहल की सफलता हमारे किसानों की दृढ़ता और कड़ी मेहनत का परिणाम है। जिला चंपावत में कोका-कोला इंडिया और इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (आईडीएचटी) प्रोजेक्ट उन्नति एप्पल को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साझेदारी निभा रहे हैं। इस परियोजना से प्रदेश में सेब के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। इस परियोजना से चंपावत में सेब की खेती करने वाले किसानों में आए सकारात्मक बदलावों के प्रति प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये कास्तकार चंपावत को आदर्श जनपद की परिकल्पना को साकार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने चम्पावत में हाई डेन्सिटी प्लांटेशन तकनीक से लगाए गये 100 सेब के बगानों से 20 माह में ही फलों का उत्पाद होना सेब की खेती के लिये शुभ संकेत बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना ने किसानों को उन्नत रोपण सामग्री, अच्छे कृषि अभ्यासों (जीएपी) में प्रशिक्षण और आधुनिक बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान की है, जिसके परिणामस्वरूप सेब उत्पादन और किसानों की आय में पर्याप्त वृद्धि हुई है। जिससे किसानों की आर्थिकी मजबूत होने के साथ ही प्रगतिशील किसानों द्वारा अन्य को भी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी राज्य की आजीविका, समृद्धि और विकास का प्रतीक है।
सेब के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कोका-कोला इंडिया और इंडो-डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज की परियोजना उन्नति एप्पल जैसी आधुनिक कृषि-तकनीक पहल अत्यधिक उत्पादक और लाभदायक साबित हुई है। इससे हमारे किसानों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान को भी बढ़ावा मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की जलवायु कीवी, अखरोट, नाशपाती, प्लम, खुमानी और पैशन फ्रूट की खेती के लिए अनुकूल है। इन फलों के उत्पादन के लिए चम्पावत क्षेत्र उपुयक्त माना जाता है। यहां के सेब अपनी गुणवत्ता, स्वाद व पोषण तत्वों के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं। राज्य सरकार प्रदेश में फलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एप्पल मिशन के अंतर्गत सेब बागान लगाने वाले किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
सरकार ने प्रदेश में नई सेब नीति बनाई है इसमें आठ वर्ष में पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की अति सघन बागवानी का लक्ष्य रखा गया है। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश में सेब का सालाना टर्नओवर 200 करोड़ से बढ़ाकर 2000 करोड़ रुपए तक किया जाए। प्रदेश में उद्योगों के साथ ही बागवानी के विकास के लिए भी अनुकूल नीति बनाकर कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों को सेब की खेती के प्रति अधिक से अधिक प्रेरित किया जाए ताकि सेब उत्पादन में उत्तराखण्ड को अग्रणी राज्य बनाया जा सके। राज्य में नई तकनीकी से सेब के उन्नत किस्म के पेड़ लगाने से हम जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश से भी अच्छी क्वालिटी का सेब उत्पादन कर सकते हैं। जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखण्ड की भी सेब उत्पादन में विशेष पहचान हो, इसके लिए गुणवत्ता व पैकिंग पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को आवश्यक संसाधन और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत राज्य में कलस्टर आधारित छोटे पॉलीहाउस लगाकर फूल, सब्जी आदि बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि आने वाले चार-पांच सालों में विभिन्न फलों की पैदावार को 20 गुना तक बढ़ाया जाए, इससे न केवल किसानों को रोजगार मिलेगा बल्कि प्रदेश में एक पूरी फ्रूट इंडस्ट्री भी विकसित होगी। उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग की इकाइयां भी भविष्य में लगाई जाएगी, ताकि यहां का उत्पादन बेहतर तरीके से बाजार में जा सके। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर किसानों और काश्तकारों से संवाद भी किया।
इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजीज के निदेशक सुधीर चड्ढा ने कहा, ‘प्रोजेक्ट उन्नति एप्पल’ इस बात का उदाहरण है कि कैसे निजी और सार्वजनिक संस्थाओं के बीच साझेदारी समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव ला सकती है। उन्होंने बताया की 2018 में लॉन्च किया गया प्रोजेक्ट उन्नति एप्पल आनंदना, कोका-कोला इंडिया फाउंडेशन ने किसानों को उन्नत कृषि तकनीक प्रदान करके और उन्हें शिक्षित करके उनकी आजीविका को बढ़ाने के लिए अपने क्रियान्वयन भागीदार के रूप में इंडो डच हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के साथ भागीदारी की। के माध्यम से सेब की खेती और किसानों की आय बढाने में भी मदद मिली है।
निदेशक कोका कोला ने कहा कि इस मिशन के अंतर्गत चंपावत में सेब के उत्पादन के बेहतर परिणाम आ रहे है। नई तकनीक एवं सभी के सहयोग से सेब का उत्पादन हम दो से तीन गुना और बढ़ा सकते है। जिससे किसानों के आय में भी वृद्धि होगी और किसान देश के विकास में अपनी भागीदारी कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एप्पल मिशन के अंतर्गत सेब बागान लगाने वाले किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। सरकार ने प्रदेश में नई सेब नीति बनाई है इसमें आठ वर्ष में पांच हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की अति सघन बागवानी का लक्ष्य रखा गया है। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश में सेब का सालाना टर्नओवर 200 करोड़ से बढ़ाकर 2000 करोड़ तक किया जाए।
सीएम ने कहा कि फार्म मशीनरी बैंक योजना के तहत किसानों को 80 फीसदी तक सब्सिडी पर कृषि उपकरण उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। सतत् कृषि योजना के तहत कृषि में खाद्यान्न, मछली पालन, पशुपालन एवं डेयरी में बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक सेक्टर में अनुदान दिया जा रहा है। पशुधन बीमा योजना के तहत पशु बीमा से किसानों को पशुओं की आकस्मिक मृत्यु होने पर होने वाली हानि से बचाया जा रहा है। उत्तराखंड में सेबों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग प्रयास करता रहा है। इस दिशा में कृषि विभाग की तरफ से उत्तराखंड के सेबों की ब्रांडिंग की जा रही है। कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के हर्षिल का सेब कश्मीर के सेब को टक्कर देता है, ऐसे में उत्तराखंड भी इन सेबों की ब्रांडिंग में जुटा है।
कृषि मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में 60 से ज्यादा परसेंट से मोरी में होता है, जबकि इसी तरह की जलवायु चंपावत और पिथौरागढ़ में भी है। लिहाजा, विभाग भी लोगों को सेब उत्पादन को लेकर जागरूक करने का प्रयास कर रहा है। जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव कम करने के लिए लोकेशन के हिसाब से जलवायु अनुकूल प्रजातियों की पहचान और विकास करना होगा। विपरीत मौसमी परिस्थितियों से किसानों को बचाने के लिए क्लाइमेट फाइनेंसिंग भी बहुत जरूरी है। एक और अहम बात यह कि गांव के स्तर पर कृषि मौसम संबंधी सलाहकार सेवा समयबद्ध तरीके से पहुंचनी चाहिए ताकि सभी संबंधित पक्ष समय रहते तैयार कर सकें और निर्णय ले सकें।
(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं, वह दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।)
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