चमोली जिले में उद्यानीकरण में सरकार के सहयोग से आधुनिक तकनीकों का उपयोग काश्तकारों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। जिले में उद्यान विभाग की ओर से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से करीब 900 से अधिक काश्तकारों को पॉलीहाउस उपलब्ध कराये गए हैं। इन पॉलीहाउस में काश्तकार सब्जी और फूलों का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। जिससे काश्तकारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
चमोली जिले में उद्यान विभाग की ओर से वर्तमान तक सौ से अधिक काश्तकारों को पॉलीहाउस आवंटित किए गए हैं। उद्यान विभाग के पीवीडीओ योगेश भट्ट ने बताया कि वर्तमान में विभाग की ओर से नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना के तहत 80 फीसदी के अनुदान तथा 20 फीसदी काश्तकार अनुदान पर पॉलीहाउस उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
इस योजना के तहत काश्तकारों को 50 से 500 वर्ग मीटर आकार के पॉलीहाउस लगाने की सुविधा दी जा रही है। योजना में काश्तकार को पॉलीहाउस के साथ ही अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इसके साथ ही योजना से लाभान्वित होने वाले काश्तकारों को विभाग की ओर तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि योजना के पहले आओ पहले पाओ के आधार पर संचालित की जा रही है। योजना के तहत 37 काश्तकारों के आवेदन विभाग को प्राप्त हुए हैं जबकि 23 काश्तकारों को पॉलीहाउस उपलब्ध कराए गए हैं।
क्या कहते हैं काश्तकार…
चमोली के नौली गांव निवासी देवेंद्र का कहना है कि पॉलीहाउस की मदद से बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर पा रहा हूं। जिससे बाजार में सब्जियों के बेहतर दाम मिलने से आय में वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि पॉलीहाउस में सब्जियों के उत्पादन से बंदर, लंगूर और मवेशियों के साथ ही मौसम से होने वाली दिक्कतों से भी निजात मिलती है।
रौली गांव में लिलियम की खेती कर रहे नीरज का कहना है कि उद्यान विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए पॉलीहाउस में लिलियम का उत्पादन किया जा रहा है। लीलियम के विपणन से आर्थिकी को मजबूती मिल रही है। युवाओं के लिए पॉलीहाउस में सब्जी और फूलों का उत्पादन अच्छा स्वरोजगार है।
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