कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने शुक्रवार को अनिल धस्माना के नाम पर मुहर लगाई। वह इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के पूर्व अधिकारी सतीश झा की जगह लेंगे। खास बात यह है कि इससे पहले पहाड़ के एक और बेटे आलोक जोशी भी एनटीआरओ के प्रमुख रहे हैं। वह पूर्व रॉ प्रमुख भी थे।
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में उत्तराखंड के सपूतों को अहम पदों की जिम्मेदारी दिए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख अनिल धस्माना को केंद्र सरकार ने एनटीआरओ यानी नेशनल टेक्नीकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन का नया प्रमुख बनाया है। उनका कार्यकाल दो साल के लिए होगा। वह शनिवार को अपना पद्भार संभालेंगे।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने शुक्रवार को अनिल धस्माना के नाम पर मुहर लगाई। वह इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के पूर्व अधिकारी सतीश झा की जगह लेंगे। खास बात यह है कि इससे पहले पहाड़ के एक और बेटे आलोक जोशी भी एनटीआरओ के प्रमुख रहे हैं। वह भी रॉ के पूर्व प्रमुख थे।
धस्माना रॉ के प्रमुख रहते अगस्ता वेस्टलैंड मामले के कथित दलाल क्रिश्चियन मिशेल के भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में शामिल रहे। उनकी टीम ने इस प्रत्यर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धस्माना को आतंकवाद रोधी और इस्लामिक मामलों का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्हें पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि का काफी अनुभव है, जिनसे भारत की सुरक्षा का सीधा संबंध है। वह यूरोप डेस्क पर भी काफी काम कर चुके हैं।
अनिल धस्माना उत्तराखंड के पौड़ी जिले के एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अनिल धस्माना का बचपन शहर की चकाचौंध से दूर दूरदराज गांव में बीता। छोटे से गांव से लेकर एनटीआरओ प्रमुख तक का सफर तय करने वाले आईपीएस अनिल धस्माना की इस उपलब्धि पर उनके गांव वाले फक्र महसूस कर रहे हैं।
ऋषिकेश से 70 किलोमीटर दूर भागीरथी और अलकनंदा के संगम देवप्रयाग से उनके गांव का रास्ता शुरू होता। देवप्रयाग से उनका तोली गांव 50 किलोमीटर दूर है। अनिल धस्माना की चाची और उनका परिवार आज भी तोली गांव में ही रहता है। उनके पिता महेशानंद धस्माना सिविल एविएशन विभाग में काम करते थे। चार बेटे और तीन बेटियों के भरेपूरे परिवार के साथ बाद में वह दिल्ली में सेटल हो गए। धस्माना बेहद सीधे स्वभाव और काफी मिलनसार व्यक्तित्व के हैं। गांव में होने वाले शादी-ब्याह जैसे समारोहों के अलावा कुल देवता की पूजा में वे अवश्य शामिल होते हैं।
आठवीं क्लास तक की पढाई गांव के पास ही दुधारखाल से पास करने के बाद बाकी की शिक्षा दिल्ली में हुई और उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नही देखा। 1981 में उनका आईपीएस में चयन हुआ। उसके बाद वे मध्यप्रदेश पुलिस में कई पदों पर रहे और फिर रॉ में शामिल हो गए।
अनिल धस्माना के एनटीआरओ का प्रमुख बनने से तोली गांव फिर चर्चा में आ गया है। इस गांव ने अब तक कई हस्तियां दी हैं। विश्व प्रसिद्ध स्वामीराम तोली गांव से ही थे। समाजसेवी प्रयागदत्त धस्माना, स्वामी हरिहरानंद और जेएनयू के रजिस्ट्रार केडी धस्माना जैसी नामचीन हस्तियों के साथ ही एक दर्जन से अधिक सैन्य अधिकारी, दो पीसीएस अधिकारी एवं कई शिक्षक इस गांव ने दिए हैं।
क्या होता है एनटीआरओ
एनटीआरओ यानी नेशनल टेक्नीकल रिसर्च आर्गेनाइजेशन राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जानकारियां खुफिया तौर पर जुटाता है। इन सूचनाओं को सरकार, सेना के साथ साझा करता है। ये मूल रूप से सर्विलांस और सैटेलाइट के जरिये खुफिया निगरानी करता है। इसके अलावा इंटरनेट और मोबाइल फोन की मॉनीटरिंग भी इस संगठन का काम है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान एनटीआरओ काफी चर्चा में रहा। एनटीआरओ के तहत एक नेशनल क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर है, जो देश के अहम सैन्य प्रतिष्ठानों और केंद्रीय संस्थानों की 24 घंटे निगरानी और सैटेलाइट के जरिये सैटेलाइट के जरिये मॉनिटरिंग करता है।
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September 19, 2020, 12:08 am[…] […]
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