रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 11 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली में केंद्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी) की 31वीं बैठक की अध्यक्षता की। केएसबी केंद्र सरकार राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की शीर्ष संस्था है। इसे पूर्व सैनिकों (ईएसएम) के कल्याण और पुनर्वास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। बैठक में नीतिगत उपायों के माध्यम से पूर्व सैनिकों तक पहुंचने के बारे में विचार-विमर्श किया गया ताकि पूर्व सैनिकों के कल्याण और पुनर्वास को और अधिक सुनिश्चित किया जा सके।
राजनाथ सिंह ने अपने मुख्य भाषण में पूर्व सैनिकों को राष्ट्रीय संपत्ति बताया और देश के लाभ के लिए उनके समृद्ध तथा व्यावहारिक अनुभव का उपयोग करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से नए तौर-तरीके बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अनेक राज्यों में पूर्व सैनिकों के लिए नौकरियों में आरक्षण है, जिसका पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए और निगरानी की जानी चाहिए।
रक्षा मंत्री ने इस तथ्य की सराहना की कि केंद्र और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों ने सैनिकों के कल्याण के लिए हमेशा एक साथ काम किया है। उन्होंने केएसबी द्वारा किए जा रहे कार्यों को सहकारी संघवाद का ज्वलंत उदाहरण बताया। ‘राज्यों और राजनीतिक दलों के बीच अनेक विषयों पर मतभेद हैं। यह सब लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जब बात सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण की आती है तो सभी एक साथ आ जाते हैं। हमारे सैनिकों को लेकर हमेशा सामाजिक और राजनीतिक सहमति रही है। सशस्त्र बल समान रूप से पूरे देश की रक्षा करते हैं। यह हमारी राष्ट्रीय और सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज में वापस जाने वाले हमारे सैनिक सम्मानित जीवन जीएं।’
सशस्त्र बलों को युवा रखने के लिए बड़ी संख्या में सैनिक 35-40 वर्ष की आयु में सम्मानपूर्वक सेवा मुक्त हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप वर्तमान 34 लाख पूर्व सैनिकों की संख्या में लगभग 60,000 सैनिक प्रति वर्ष जुड़ जाते हैं। राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति सरकार के अटल संकल्प की बात की और पूर्व सैनिकों के कल्याण तथा विकास को सुनिश्चित करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए अनेक कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में केएसबी की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत लगभग 3.16 लाख लाभार्थियों को लगभग 800 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। पिछले वित्त वर्ष में एक लाख लाभार्थियों को लगभग 240 करोड़ रुपए दिए गए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आवश्यक बजट प्रदान किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पैराप्लैजिक पुनर्वास केंद्र, किर्की, चेशर होम, मोहाली तथा देहरादून, लखनऊ और दिल्ली सहित देश के 36 युद्ध स्मारक अस्पतालों को संस्थागत अनुदान दिये गये हैं। उन्होंने दोहराया कि पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) सुविधाओं की नियमित आधार पर समीक्षा की जा रही है।
रक्षा मंत्री ने सीमा की सुरक्षा और समय पर, विशेषकर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, कार्य करने के लिए सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त होने के बाद मातृभूमि की सेवा करने का भाव बनाए रखने के लिए पूर्व सैनिकों की सराहना की। उन्होंने अनेक अवसरों, विशेषकर कोविड-19 महामारी के विरुद्ध देश की लड़ाई के दौरान, पूर्व सैनिकों द्वारा किए गए मूल्यवान योगदान को रेखांकित किया। पूर्व सैनिकों ने देश के विभिन्न भागों में जरूरतमंद लोगों को दवाएं, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन सिलेंडर तथा अन्य राहत सामग्री प्रदान करने में सरकार के प्रयासों में सहायता दी थी।
विचार-विमर्श में विभिन्न राज्यों के मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर. हरिकुमार, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, सचिव (पूर्व सैनिक कल्याण) विजय कुमार सिंह, केएसबी के सचिव कॉमोडोर एच.पी. सिंह, राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया।
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