बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई है। चारधाम यात्रा में सभी तीर्थ स्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में हैं, जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है। उन स्थानों में अत्यधिक ठंड, कम आर्द्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉइलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव और ऑक्सीजन की कमी से यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए सरकार ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी जारी किया है।
चारधाम यात्रा में देश के विभिन्न राज्यों से आने वाले तीर्थयात्रियों को अब अपनी स्थानीय भाषा में यात्रा से संबंधित जानकारी मिल सकेगी। पहली बार स्वास्थ्य विभाग ने नौ भाषाओं में चारधाम यात्रा की मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। चारधाम यात्रा में सभी तीर्थ स्थल उच्च हिमालयी क्षेत्र में हैं, जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर से भी अधिक है। उन स्थानों में अत्यधिक ठंड, कम आर्द्रता, अत्यधिक अल्ट्रा वॉइलेट रेडिएशन, कम हवा का दबाव और ऑक्सीजन की कमी से यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आ सकती हैं। इसलिए सरकार ने यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एसओपी जारी किया है।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद चारधाम यात्रा की विधिवत शुरुआत हो गई है। देश के कोने कोने से यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने नौ भाषाओं में यात्रा को लेकर दिशा निर्देश की नई एसओपी जारी की है। इसमें तमिल, उड़िया, कन्नड़, मराठी, बंगाली, पंजाबी, गुजराती, मलयालम, तेलगू भाषा में दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने एसओपी जारी करने के बाद बताया कि स्थानीय भाषाओं में चारधाम यात्रा के दिशा निर्देश जारी होने से यात्रियों को सुविधा मिलेगी। उन्होंने यात्रियों से अपील करते हुए कहा कि पूरी तैयारी के साथ यात्रा पर आयें। यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न करें। सुगम और सुरक्षित यात्रा के लिए अपने शरीर को यात्रा के वातावरण के अनूकूल बनाएं। स्वास्थ्य संबधी किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर नजदीकी चिकित्सा इकाई से संपर्क करें।
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