राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने वीर माधो सिंह भंडारी, उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की और उत्तीर्ण छात्रों को उपाधियां और पदक प्रदान किए। इस समारोह में उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल भी मौजूद थे।
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने वीर माधो सिंह भंडारी, उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में प्रतिभाग किया और उत्तीर्ण छात्रों को उपाधियां और पदक प्रदान किए। इस अवसर पर इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ को डी.लिट एवं पद्मश्री प्रो. एच.सी वर्मा को डी.एस.सी. की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने इस अवसर पर उपाधि प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि यह समय ऊर्जावान युवाओं की प्रतिभा के बल पर ज्ञान, कौशल और मूल्यों के साथ विकसित भारत के लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ने का है। अमृतकाल में विकसित, आत्मनिर्भर, कुशल और समृद्ध भारत के लक्ष्यों को पूरा करने में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और टैक्नोलॉजी का सबसे बड़ा योगदान रहने वाला है।
राज्यपाल ने कहा कि उपाधि धारक छात्रों के लिए आज से नई संभावनाओं के नए द्वार खुल गए हैं। यह समय आप सभी को अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का है। भारत और पूरा विश्व आपकी प्रतिभा को नए प्रतिमान देने के लिए प्रतीक्षा कर रहा है।
इस अवसर पर आरुषि निशंक को मानव संसाधन प्रबंधन में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) की डिग्री प्रदान की गई। आरुषि निशंक ने अपनी सफलताओं में एक और उपलब्धि जोड़ ली है।
आरुषि निशंक को लगता है कि प्रबंधन की हर जगह आवश्यकता होती है और नेतृत्व इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आरुषि निशंक ने अपनी ख़ुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं इस प्रतिष्ठित मान्यता को प्राप्त करके बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं। मैं एक दूरदर्शी फिल्म निर्माण कंपनी ’हिमश्री फिल्म्स’ में अपने कौशल का उपयोग कर रही हूं। हम लगातार नवीन और अभिनव अवधारणाओं का पता लगाते हैं।’ ’देवभूमि’ उत्तराखंड की सुंदरता को प्रदर्शित करने पर विशेष ध्यान देने के साथ साथ हम उत्तराखंड के प्रतिभाशाली व्यक्तियों को अवसर प्रदान करने के लिए समर्पित हैं।’
आरुषि निशंक एक प्रभावशाली सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण संरक्षणवादी हैं। वह अपने एनजीओ, स्पर्श गंगा के माध्यम से पवित्र नदी गंगा के संरक्षण जैसे मुद्दों की पूरे जोश के साथ जुड़ी हैं और गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए नमामि गंगा अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेती हैं। आरुषि पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्षारोपण के लगातार प्रयास करती रहती है। स्पर्श गंगा के साथ मिलकर पांच लाख से जायदा वृक्षारोपण हुआ।
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