हरेला पर्व : हमारे चिंतन में निहित है विश्व की समस्याओं का समाधान – डॉ हरीश रौतेला

हरेला पर्व : हमारे चिंतन में निहित है विश्व की समस्याओं का समाधान – डॉ हरीश रौतेला

विश्व हरेला महोत्सव परिवार द्वारा दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में विश्व हरेला महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, अक्षत पात्र फाउंडेशन के अनंत प्रभुदास, पूर्व चैयरमैन संघ लोक सेवा आयोग एवं निदेशक एनआईईपीए प्रदीप जोशी, उत्तर प्रदेश के मंत्री वन एवं पर्यावरण जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ अरूण कुमार सक्सेना, अल्मोड़ा के लोकसभा सदस्य अजय टम्टा, सुदर्शन न्यूज चैनल के अध्यक्ष सुरेश चव्हाण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बृज प्रान्त प्रचारक डॉ हरीश रौतेला और बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन लोग शामिल हुए।

विश्व हरेला महोत्सव परिवार द्वारा दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में विश्व हरेला महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, अक्षत पात्र फाउंडेशन के अनंत प्रभुदास, पूर्व चैयरमैन संघ लोक सेवा आयोग एवं निदेशक एनआईईपीए प्रदीप जोशी, उत्तर प्रदेश के मंत्री वन एवं पर्यावरण जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ अरूण कुमार सक्सेना, अल्मोड़ा के लोकसभा सदस्य अजय टम्टा, सुदर्शन न्यूज चैनल के अध्यक्ष सुरेश चव्हाण, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बृज प्रान्त प्रचारक डॉ हरीश रौतेला और बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन लोग शामिल हुए।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बृज प्रान्त के प्रचारक हरीश रौतेला ने अपने उद्बोधन हरेला महोत्सव की विशेषताओं और महत्व पर विस्तृत में प्रकाश डाला। उन्होंने वेदों में उल्लेख संस्कृत के श्लोक “मूलं ब्रह्मा त्वचा विष्णुः शाखा रुद्र महेश्वरः, पत्रे-पत्रे तु देवानां वृक्षराज नमोस्तुते“ का उल्लेख करते हुए बताया की जब पर्यावरण नाम का कोई शब्द ही नहीं था तब से हमारे दूरदर्शी पूर्वजों ने इस पर गहन चिंतन करना शुरु कर दिया था जो की आज के परिपेक्ष में “हरेला पर्व“ के स्वरुप में हमारे चिंतन को आगे ले जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम सहित अन्य संस्थाआें का उल्लेख करते हुए पर्यावरण संवर्धन को बहुत ही महत्वपूर्ण विषय बताया और जिस प्रकार मनुष्य का तापमान सिर्फ 2 डिग्री बढ़ जाये तो वह अस्वस्थ हो जाता है इसी तरह निरंतर प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंद दोहन से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है जिससे विश्व में कई जटिल समस्याएं उत्पन्न हो रही है, जैसे कि आकस्मिक समुद्र का जलस्तर बढ़ जाना, हिमखंडों का पिघलना, जलस्रोतों का सुख जाना इत्यादि। इसी तरह निरंतर कार्बन उत्सर्जन और अन्य प्रदूषण के कारण विश्व में 235 करोड़ से भी अधिक लोग अस्थमा जैसी जटिल बीमारी के शिकार हो गए हैं। उन्होंने भारत को पृथ्वी (पिण्ड) की आत्मा बताया और आज पर्यावरण जैसी जटिल समस्याओं के समाधान के लिए पूरा विश्व हमारी तरफ देख रहा है इसीलिए हरेला जैसा महान पर्व जो कि अध्यात्म एवं प्रकृति के बीच का गहन चिंतन है उसको विश्व पटल पर ले जाना प्रासांगिक हो गया है। उन्होंने “दश कूप समा वापी, दशवापी समोह्नद्रः। दशह्नद समः पुत्रों, दशपुत्रो समो द्रमुः।।“ का उल्लेख करते हुए अनुरोध किया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कम से कम 2 वृक्षों का रोपण करना चाहिए।

महाराष्ट्र के माननीय राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने अपने सम्बोधन में प्रकृति के दोहन पर नहीं बल्कि संबर्धन पर जोर दिया। उन्होंने गीता के श्लोक “ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्। छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवितत्॥“ का उल्लेख करते हुए विश्व को वृक्ष का स्वरुप और पुरातन संस्कृति में पेड़ों की पूजा महत्व बताया। उन्होंने बताया की अत्यधिक संघर्ष के बाद भी समस्याओं का समाधान बीज के रूप में निहित होता है और समय आने पर उसका प्राकट्य होता है जो की हमारे चिंतन में ही निहित है।

महोत्सव में उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्री अजय कुमार सक्सेना ने बताया की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 35 करोड़ से भी अधिक वृक्षों को रोपित करने का संकल्प लिया है और हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अजय टम्टा, यूपीएसई के पूर्व निदेशक प्रदीप जोशी एवं सुदर्शन न्यूज़ के चेयरमैन सुरेश चौहान ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर समाज में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र के काम करने वाले विभिन्न व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। नैनीताल के चन्दन सिंह नयाल अभी तक 52 हजार से भी ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। उन्होंने 12 हेक्टर में पेड़ पौधे लगाये हैं और चाल खाल और फोरवाह बनाकर जल संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

दूसरा नाम देवेन्द्र सूरा का है जो 2012 से लगातार पेड़ लगा रहे हैं अभी तक वह 216000 से भी ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। उन्होंने हरियाणा के सोनीपत, झझर, दादरी, करनाल, चंडीगढ और दिल्ली में पेड़ लगाये हैं। इन पेड़ों में पीपल, नीम वाले ज्यादा पेड़ हैं जो हमको आक्सीजन ज्यादा प्रदान करते हैं।

बदायूं में जन्मी चित्रा पाठक ने 1800 से 2200 किमी की नर्मदा की यात्रा 108 दिन में पूरी की। उन्होंने छपरा फाउंडेशन बनाया है उन्होंने नर्वदा के तट पर एक करोड़ पेड लगाने का लक्ष्य रखा है।

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