अनिश्चितता के इस दौर में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने लॉकडाउन के कारण दुर्गम स्थानों में स्थित छात्र-छात्राओं से बेहतर समन्वय स्थापित कर अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार इन अंधेरों को पाटने का प्रयास किया है। ई-लर्निंग द्वारा केंद्र सरकार के समस्त पोर्टल छात्र-छात्राओं तक पहुंचाए गए हैं।
- प्रो. मंजुला राणा
प्रत्येक देश की आर्थिक सफलता उसकी शिक्षा प्रणाली पर निर्भर है। शिक्षा को राष्ट्रीय संप्रभुता एवं सामर्थ्य के रूप में जिन देशों ने स्वीकार किया है, उनमें हमारा देश सर्वोत्तम माना गया है।
भारतीय उच्च शिक्षा का बेहतरीन प्रदर्शन विश्व में भारत को एक विशिष्ट पहचान दिला रहा है। एक ओर अनेक चुनौतियां इस शिक्षा प्रणाली के साथ जुड़ी हैं तो दूसरी ओर अवसरों की खिड़कियां भी इन्हीं से खुलती हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ हमारे विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षा संस्थानों ने अपनी अप्रतिम भूमिका का निर्वहन किया है। नवाचार एवं तकनीक ने वैज्ञानिक शोध परक दृष्टि को बढ़ावा दिया है तथा आज हमारे वैज्ञानिक अपना श्रेष्ठतम प्रदेय राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं क्योंकि शिक्षा ही वह प्रक्रिया है जिससे न केवल मनुष्य का शरीर अपितु उसका मस्तिष्क एवं चारित्रिक विन्यास भी होता है।
मन, मस्तिष्क और शरीर मिलकर जिस ऊर्जा का संग्रहण करते हैं उसी से व्यक्तित्व को शीर्ष स्थान प्राप्त होता है। आज देश की चिन्ताओं में वह युवा छात्र-छात्रा शामिल हैं, जिसके कंधों पर राष्ट्र का भविष्य निर्भर है। भविष्य द्रष्टा की तरह मानव संसाधन मंत्रालय ने अनेक योजनाओं को आकार दिया है। शैक्षिक अवदानों में अपना श्रेष्ठतम् समर्पित करते हुए हिमालयी राज्य उत्तराखंड में स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल अपने परिश्रम और कुशल नेतृत्व से देश में अपनी पहचान बनाने का प्रयास कर रहा है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रथम महिला कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल के कुशल नेतृत्व ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रारूप को वास्तविकता में परिणत करते हुए अपनी कार्य कुशलता का परिचय दिया है, ये प्रयास इस विश्वविद्यालय की गरिमा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विगत् एक वर्ष विश्वविद्यालय के इतिहास का वह अध्याय है जब यहां के शिक्षकों, कर्मचारियों तथा छात्र-छात्राओं ने अपना शत्-प्रतिशत् योगदान विश्वविद्यालय को दिया है।
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हिमालयी राज्यों की अपनी भौगोलिक, सांस्कृतिक, आर्थिक तथा सामाजिक परिस्थितियां हैं तथा इसके सुख-दुख अन्य सुविधा संपन्न राज्यों से नितान्त भिन्न होते हैं। एक ओर प्रकृति ने इसे खुले हाथों से अपना अप्रतिम सौन्दर्य, स्वच्छ पर्यावरण दिया है तो दूसरी ओर पहाड़ के दुख पहाड़ से भी बड़े हैं। यह भी सौभाग्य की बात है कि वर्तमान कुलपति यहीं की मिट्टी में जन्मी और पली-बढ़ी हैं। वे यहां की कठिनाइयों से परिचित हैं यही कारण है कि विश्वविद्यालय की प्रत्येक समस्या उनसे अछूती नहीं है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट ई-लर्निंग, ई-पाठशाला, मौक, स्वयम्, स्वयंप्रभा, शोध सिंधु, शोध-गंगा पोर्टल आदि अनेक उपादनों का अनुपालन पूरी शिद्दत के साथ विश्वविद्यालय में किया जा रहा है तथा अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर संगोष्ठियों तथा वेबनार का आयोजन कर अपनी शोधपरक दृष्टि का परिचय दिया जा रहा है। कुलपति का प्रथम प्रयास अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं को मानसिक रूप से स्वस्थ रखना है, इसके लिए विश्वविद्यालय में स्वस्थ तथा सकारात्मक परिवेश तैयार किया गया है, जिससे कोई भी छात्र अवसाद की स्थिति में न पहुंचे।
यह भी एक विशिष्टता है कि प्रत्येक छात्र-छात्रा का विश्वविद्यालय की मुखिया से सीधा संवाद होता है तथा वह अपनी कार्यालयी तथा व्यक्तिगत् समस्या को साझा कर समाधान प्राप्त कर सकता है। विश्वविद्यालय के श्रीनगर, पौड़ी, बादशाहीथौल परिसर तथा संबद्ध महाविद्यालय इस बात के साक्षी हैं कि समस्त मानव अधिकारों का अनुपालन करते हुए तथा संविधान की श्रेष्ठ परम्पराओं के अनुसार इस विश्वविद्यालय में कार्य-योजनाएं बनाई जाती हैं।
देश के अनेक श्रेष्ठ विद्वानों की भागीदारी रखते हुए ज्ञान को विकसित करना यहां की अपनी विशेषता है। अनेक संकायों में श्रेष्ठ विद्वान अपना उन्नत प्रदर्शन कर विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन कर रहे हैं तथा इस अभियान में कुलपति का विशेष योगदान रहता है। अध्ययन के साथ-साथ अन्य क्रिया-कलापों का भी अपना इतिहास रहा है। यहां के छात्र एनएसएस. तथा एनसीसी के श्रेष्ठ कैडिट्स के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं। पर्यावरण संवर्द्धन एवं स्वच्छ भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को विश्वविद्यालय ने सार्थक किया है।
यद्यपि यह वर्ष अनेक उपलब्धियों भरा रहा किंतु कोविड-19 की वैश्विक विभीषिका ने शैक्षिक जगत् को अप्रत्याशित अनिश्चितता के अंधकार में धकेल दिया है। शिक्षा जगत् के लिए संक्रमण एक चुनौती की तरह है, महामारी की विकरालता से सर्वाधिक त्रस्त तथा असुरक्षित हमारे अध्ययनरत् छात्र-छात्राएं हैं। इस संक्रमण के खिलाफ जिस मुस्तैदी से विश्वविद्यालय ने अपनी भूमिका निभाई है तथा इस विपत्ति में जिस धैर्य से समाधान ढूंढने के लिए कृत-संकल्पित हैं वह सर्वत्र स्तुत्य है।
अनिश्चितता के इस दौर में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय ने लॉकडाउन के कारण दुर्गम स्थानों में स्थित छात्र-छात्राओं से बेहतर समन्वय स्थापित कर अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार इन अंधेरों को पाटने का प्रयास किया है। ई-लर्निंग द्वारा केंद्र सरकार के समस्त पोर्टल छात्र-छात्राओं तक पहुंचाए गए हैं। हिमालयी राज्यों के संवर्द्धन हेतु एक संघ बनाकर हिमालय से संबंधित विषयों का एक उच्चस्तरीय समूह बनाया गया है। यह कमान हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति को सौंपी गई है। इस प्रक्रिया में नीति आयोग का सहयोग एवं भागीदारी प्रशंसनीय है क्योंकि समस्त हिमालयी राज्यों से जुड़ी समस्याएं चाहे वे यहां की आर्थिकी से संबद्ध हो चाहे सामाजिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हों सभी को वैज्ञानिक पद्धति से इस पटल पर रखे जाने की योजना बनाई गई है। इसके अतिरिक्त अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं तथा अनेक संगोष्ठियों से तथ्यपरक शोध एवं वैज्ञानिक निर्णयों की प्राप्ति हुई है।
साहित्य, कला, जनसंचार विभागों के अतिरिक्त भौतिकी तथा रसायन विभागों का उन्नत प्रदर्शन इस विश्वविद्यालय के आंकड़ों को शीर्ष स्थान तक ले जाता है, वहीं मानविकी संकाय ने अपनी ऊंचाइयों से सभी को आकृष्ट किया है। विश्वविद्यालय का प्रमुख कर्त्वय शिक्षा तथा शोध के उन माध्यमों को खोलना है, जिनसे यहां के विद्यार्थी स्वावलम्बी बन सकें। जमीनी सच्चाइयों से रू-ब-रू होते ये शोध निश्चित रूप से विश्व में अपनी ख्याति प्राप्त कर रहे हैं।
देश के शीर्ष नेतृत्व का अनुगमन करते हुए इन विषम परिस्थितियों में भी शाश्वत् मूल्यों की रक्षा एवं भारतीय संस्कृति का पोषण करना विश्वविद्यालय की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पारस्परिक सहयोग, सकारात्मक सोच और मानवता से ओत-प्रोत होकर एक उन्नत समाज का निर्माण करना हमारा प्रमुख उद्देश्य है। इसी वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना एवं सौहार्दपूर्ण प्रयासों से हम विश्व कल्याण के लिए एक बेहतर समाज की निर्मित कर पाएंगे। हिमालय सा अटल विश्वास ही इस विश्वविद्यालय को प्राणवायु प्रदान करता है।
हम कह सकते हैं –
‘कोई तूफान को जाकर बता दे बात इतनी-सी,
मेरे घर के चिरागों को अभी बुझना नहीं आता।’
(लेखिका हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल (केंद्रीय) विश्वविद्यालय, श्रीनगर में हिंदी विभाग की अध्यक्ष हैं।)
3 comments
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R. p. KandpaL
June 16, 2020, 9:46 amइसमे न्युज जैसा क्या था – ऐसा तो अन्य विश्वविद्यालयों मे भी हो रहा है – खाली बस गढवाल विश्वविद्यालय का नाम पर न्युज बनानी है – खाली हमारा टाइम बर्बाद कर दिया °®
REPLYkapil panwar
July 16, 2020, 2:35 pmबहुत शानदार सार गर्भित लेख। वीसी मेम ने हमेशा विश्वविद्यालय के हित को भी साधने का प्रयास किया है अपने बहुत कम वक्त में ही विश्वविद्यालय के कई महत्वपूर्ण निर्णयों को लेकर अपनी योग्यता को सिद्ध किया है और कोरोना काल में जिस सूझ-बूझ के साथ विवि की व्यवस्थाओं को सुचारू रखा वह काबिलेतारीफ है।
REPLYomnewmedia
July 16, 2020, 2:40 pmइस विश्वविद्यालय ने देश को कई प्रतिभाएं दी। एचएन बहुगुणा जी ने उतरप्रदेश की सत्ता में रहकर इस विश्वविद्यालय का सपना पहाड़ के लिए देखा उम्मीद है कि आप पहाड़ की बेटी बनकर इस विश्वविद्यालय को नई ऊचाई पे पहुंचाने की जिम्मेदारी सम्भालेगी। बहुत शुभकामनाएं
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