वैसे तो उत्तराखंड को सैन्य धाम कहा जाता है क्योंकि यहां के लगभग हर घर से लोग सेना में हैं। लेकिन अब हर क्षेत्र में उत्तराखंड के लोगों ने अपना परचम लहराया है। आज प्रशासन हो या पुलिस सेवा उत्तराखंड के लोग कामयाबी की एक नई कहानी लिख रहे हैं। इसी कड़ी में पढ़िए आज एक और सपूत की कहानी।
देश-विदेश में कई महत्वपूर्ण पदों पर इस समय उत्तराखंड के बेटे-बेटियां महती भूमिका निभा रहे हैं। ये सभी पहाड़ की नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। पहाड़ के ये सपूत जब किसी नई जिम्मेदारी को उठाते उनके गांव, तहसील, जिले को एक पहचान मिलती है। आज पहाड़ का कोई बेटा देश के बड़े सूबे का मुख्यमंत्री है, तो कोई देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार हैं तो कोई पहली बार बनाए गए सीडीएस के पद को सुशोभित कर रहे हैं, कोई सेना और पैरा मिलिट्री फोर्सेज की कमान का अलग-अलग जगहों पर नेतृत्व कर रहा है। तो कोई मेडिकल, सिविल सेवा और विदेश सेवा में बुलंदियों नई कहानी लिख रहा है। पहाड़ के सपूत राज्यपाल और उपराज्यपाल की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं। यही नहीं देश की शिक्षा को नई दिशा देने की जिम्मेदारी भी उत्तराखंड के ही एक बेटे के ऊपर है। यह फेहरिस्त काफी लंबी है। अब उत्तराखंडियों को गर्व का एक और अवसर मिला है।
उत्तराखंड की माटी के लाल कमल पंत ने अब बेंगलुरु सिटी के पुलिस कमिश्नर का पद संभाला है। वह पहले स्टेट इंटेलिजेंस में अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर सेवा दे रहे थे। उन्होंने अपने ही बैचमेट भाष्कर राव की जगह ली है। कमल पंत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से हैं। भूगर्भ विज्ञान से एमएससी करने के बाद साल 1990 में वह आईपीएस अफसर बने। उन्हें कर्नाटक कैडर मिला। कमल पंत का जन्म 21 मई 1964 को हुआ।
पद्भार संभालने के बाद उन्होंने कोविड ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों के बलिदान को याद किया। उन्होंने कहा कि पुलिस के जवानों ने हालात को बेहतर तरीके से संभाला। पंत ने अपनी प्राथमिकताएं गिनाते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता होगी और उन्हें अपराध को रोकने के लिए लोगों का भी सहयोग चाहिए।
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